कैसे एक अंधे फ़क़ीर का गीत 'फ्वां बागा' देश-दुनिया में छा गया | Gaane ke Bahane EPS03 | Baramasa
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- čas přidán 26. 08. 2024
- Baramasa.in की ख़ास सीरीज़ #GaaneKeBahane की तीसरी कड़ी में कहानी उत्तराखंड के मशहूर लोक गीत ‘फ्वां बागा रे’ के बनने और फिर छा जाने की..
सीरीज़ की पहली कड़ी: bit.ly/3dYeWLu
सीरीज़ की दूसरी कड़ी: bit.ly/3pUUXmw
#FwanBaghRe #Uttarakhand #Baramasa #Baramasa_in #Pahar #Pahadi #FolkSong #फ्वांबागा #PappuKarki #PahadiFolkSong #FolkOfUttarakhand #ChandraSinghRahi
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बचपन की यादें ताजा हो गई।मैने भी कोटद्वार स्टेशन पर यह गीत भरोसीलाल(सूरदासजी) के मुख से कई बार सुना था।टीम बारामासा को साधुवाद एवम हार्दिक शुभकामनाएँ।
Aap bhut lucky ho jo apne ye gana real mai suna tha kash us samay koi recording ho gayi hoti soory
Maine bhi unhe suna tha but kuch dusra gaana tha. Unhe hum chandigarh bhi le kar aaye the shadi mai.
Unka ek famous dialogue tha " Topdaar" . Mai us time karib 8 se 10 saal ka tha.
सच मैं बहुत कमाल के इंसान होंगे भरोसी लाल जी काश मै उन से ये गाना सुन पता
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Old to get old version of song, with lyrics
महान गायक स्व.चंद्र सिंह रही जी एवं अमर लोकगायक पप्पू कार्की जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि,मेरा भी सौभाग्य रहा इस गीत में अपनी आवाज देना का,समस्त जनों ने गीत को बहुत पसंद किया,सभी का दिल से धन्यवाद👏
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एक दिन नोयडा जब मैंने अपने बेटे के फ्लैट के लिए लिफ्ट ली तो एक ब्यकति एक युवती व एक बच्चा भी लिफ्ट में आये । वे काफी हंसमुख थे और बार बार मुझे देखकर मुस्करा रहे थे। छठे फ्लोर में मैं उतर गया और संकोच बस मैं उनसे गुफ्तगू नहीं कर पाया। दिमाग चकरा रहा था कि ये कौन थे । फिर सोचा अब मिलेंगे तो पूछूंगा। बाद में जब फ्वां बागा रे को देखा तो पता चला कि ये लेखक और गायक चन्द्र सिंह राही जी थे। इतने हंसमुख थे फ्वां बागा ये वाले राही जी
बहुत सुन्दर चारु दा।
मेरा सौभाग्य है कि मुझे बचपन में सूरदास जी श्री भरोसी लाल जी को लाइव सुनने का सुअवसर मिला है।
लोकपुरुष चन्द्र सिंह राही जी यदि इस गीत को नही गाते तो स्व भरोसी लाल जी का पुनर्जन्म नही होता। स्व. भरोसी लाल एवं लोकपुरुष स्व चन्द्र सिंह राही जी को मेरा वन्दन और नमन।
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बारामासा की टीम को श्री भरोसे लाल के समुचित उल्लेख के लिए अनेकानेक धन्यवाद|
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टीम बारामासा को साधुवाद। इस लोकप्रिय गाने की उत्पति व् इतिहास का रुचिकर प्रस्तुति करण। ऐसे ही प्रयासों से लोग अपनी जड़ों से जुड़ते हैं। शुभकामनायें।
O lp
Kahe ka ye sdakir mulla muala wale hain
Bahut Sundar hai
बहुत खूब दियाणी उदिता , बारामास की पूरी टीम तैं बहुत बहुत साधुवाद प्यार प्रणाम ।
स्वर्गीय भरोसी लाल, गढ़वाल का महान लोकसंगीतज्ञ स्वर्गीय चंद्रसिंह राही जी व प्यारे भाई पप्पू कार्की तैं भावभीनी श्रद्धांजलि 🙏🏻
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श्री भरोसी लाल जी पहले पौड़ी बस स्टैंड पर डफ़ली के साथ गाया करते थे , बाद में रेल के डिब्बे में नजीबाबाद से कोटद्वार तक उनके गाने सुनते हुए आते थे । एक गाना "सात समुंदर पार च जाना bwe" भी अक्सर सुनाते थे । पौड़ी गांव के ही रहने वाले थे । बहुत अच्छा प्रयास पुरानी यादें ताजा हुईं ।
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Pappu karki ❣️❣️❣️❣️❣️👌👌👌
महान फकीर कलाकार को शत शत नमन
भरोसी लाल जी कोटि कोटि नमन, हम सदा गौरव महसूस करते हैं कि आप जैसे लोग हमारे देवभूमि में अवतरित हुए l देव रानी जी ने बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया l
धन्यवाद पिथौरागढ़ से
उदिता जी और बारामासा की टीम को साधुवाद और सूरदास बाबा, चंद्र सिंह रही जी, पप्पू कार्कि जी को विनम्र श्रद्धांजलि.
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चारु दा, सलाम।
बहुत शानदार प्रस्तुति। शुक्रिया 'बारहमासा'।
Good. Job. Sir
बारामास टीम द्वारा, गढ़वाल की सांस्कृतिक धरोहर को सृजन, चित्रण करने के लिए बहुत बहुत बधाई व साधुवाद। उम्मीद है आगे और बहुत कुछ उत्तराखंड की संस्कृति व उत्तराखंडीयो के इतिहास का बारे मे जाकरी मिलेगी।
मुझे भी इन आदरणीय जी को प्रत्यक्ष सुनने का सौभाग्य प्राप्त है। 🌹🙏
बचपन से बड़े होने तक माँ ने बहुत सारे किस्से सुनाये है। और आपको सुनते हुए मुझे वैसे ही महसूस हो रहा है।। बहुत सुंदर बोलती है आप।
टीम बारामासा को अपनी लोक गीत संग्रह प्रकाशित के लिए बहुत बहुत बधाई
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मैं भी कोटद्वार का रहने वाला हूं, और यह दिलचस्प किस्सा सुन कर बहुत उत्साहित हूं। टीम बारामासा को बहुत धन्यवाद इस तरह की लोक कथा लाने के लिए। बहुत बहुत शुभकामनाएं, ऐसे ही गढ़वाल के इतिहास को उजागर करते रहिए👍🏻
इतने संक्षिप्त समय में आपने इतना अच्छा वर्णन किया कि अपने पहाड़ को हम हृदय से छू पा रहे हैं आप के ज्ञान को कोटि कोटि नमन 🙏, अपने भाव की कड़ी जुड़ेगी तभी तो माला कहलाएगी, वो भी अपनेपन की,
जय उत्तराखंड 🚩 जय भारत 🇮🇳
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Bahut hi marmik jankari. Baramas ki puri teem ko jankari Dene ke leye dhanyawad
शानदार प्रस्तुति। कारवां यूँ बढ़ता रहे बारामासा
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'बाssघ कि ह्वे डैssराs' has such a universal appeal that you cannot restrain yourself from ' jhoomimg' ( dancing to the melody of the song ) in where ever position you are, sitting or standing, in bed or on your legs.
'Fuaan baagha', in its different renderings, is so catchy that you're bound to love it. The south Indian film song '...ganeshaa ' also thrills us much.
The team Fuaan Baaghaa deserves high commendation and love for presenting the story to us all. God bless !
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बहुत ही सटीक सुन्दर जानकारी आप लोगों की टीम ने जुटा कर आज की पीढ़ी को बताई है मै 10,12,वर्ष का रहा होगा तब उस महान् गायक को हमने भी सुना है वैसे उस दौर मे वे पहाड़ के लोकगीतों को गाकर मांग कर अपना गुजर बसर कर रहे थे फिर भी मुझे याद है बुजुर्गों व महिलाओं से घिर जाते थे सूरदास जी।धन्यवाद् आपको
उदिता देवरानी जी बहुत बहुत धन्यवाद अपने उत्तराखंड की संस्कृति और प्रेरित करने वाले संस्मरणों को साझा करने के लिए। जय उत्तराखंड। जय हिन्द।
बोहोत सुंदर आप लोंगो का बोहोत बोहोत धन्यवाद उत्तराखंड के प्रति तो मेरा प्यार बोहोत ज्यादा है पर उत्तराखंड से जुडी जानकारियों से मेरा झोला भरने के लिए आपका बोहोत बोहोत धन्यवाद
-19 वर्षीय गढ़वाली
Baramas channel ke sabhi logo ko humari tarf se shubhkamnaein
Aise hi channel ki jarorat hai Uttrakhand ko
Bahot badiya pori baramaas team ko.
Ek hi channel hai jaha hum ye sochte hai kya naya ayega or Jo kuch bhi ayega bahot badiya ayega.
Jai Badri Kedar..
Mai ne Surdas ji ko Pauri bus stand me dafali bajate n gate hui 1965 to 1970 me dekha tha. Mai MIC pauri me 6 to 12th tak education li. Purani yad taja ho gai.
ज़रूरी हैं. ऐसे लेख आलेख, कुछ तो मिले अपनी विरासत जानने के लिए.... आलेख प्रस्तोता, लेखक, छायाकार,गायक,लोक गायक सभी का धन्यवाद,झोंक्कि सूरदास जी,राही जी,पप्पू कार्की सभी लोगों को हार्दिक नमन।
अति सुंदर अभिव्यक्ति और जानकारी ईश्वरीय अनुकम्पा बनी रहे और आप यूहीं गढवाली परम्परा कि जानकारी देते रहें
यह उत्तराखंड का अकेला गीत है जो पूरी दुनिया मे छा गया जिसमें मुख्य भूमिका टिकटोक की रही जिसमे कई देशों के लोगो ने इस पर नृत्य किया । इसलिए कहते है कि संगीत की कोई भाषा नही होती है बस धुन मधुर होनी चाहिए।
How much ever we appreciate, it's less! The efforts put in the background work and research in amazing. Each and every word selected while preparing the script is awesome. Hindi to its utmost elegance, which is rare to see now a days. Congratulations Ms. Charu Tiwari. Illustrations are so apt and perfect. And Ms. Udita is all time ❤️
Thank you so much team Baramasa.
Sorry for the mistake. Congratulations Mr. Charu Tiwari
garhwali ni aundi kya tumu te
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Bhut sundar didi ji
Aaj is gane ke piche ki kahani ke bare me pta chal gya
Aapka bhut bhut dhanyavaad 🥰🙏
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एतिहासिक व अद्भुत जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद व साधुवाद।
The story behind this masterpiece is so stunning .. and the efforts you guys put in this video is really appreciating .. Keep working like this ❤ And proud to be a Uttarakhandhi ❤
बहुत ही सुन्दर रचना
बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है. प्रस्तुती करण उच्चतम कोटि का.
भजन सिंह नेगी पनिया कोलागाड
आपकी विस्तृत जानकारी वाली पोस्ट प्रशंसनीय है । गाना जितना अच्छा उतनी ही अच्छी जानकारी ।
बहुत बढ़िया वर्णन देवरानी जी द्वारा अति उत्तम प्रस्तुति 👍👍👍 आपके उज्जल भविष्य की शुभकामनाओं सहित 🙏🙏🙏
बेहद खूबसूरत वर्णन 👌👌
इसी अदा ने हमें बारामासा का फैन बनाया है
बहुत ही सुंदर, भगवान आपकी पूरी टीम पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें।।
अभी मंजिले और भी है फसाने और भी है।।।
टीम बारामासा को बधाई
That's a never forgetable step by team baramasa
भौत ही भलि खोजपूर्णि , रोचक एतिहासिक जानकारी ,एका वास्ता समस्त बारामासा टीम कु बहुत बहुत आभार।
आपकी तरह आपके द्वारा दी गई जानकारी भी बहुत खूबसूरत है आप इसी तरह की जानकारी हमारे लिए लाए ऐसी आशा करते हैं
Udita Devraniji, Really very effective and melodious delivery, you have add another feather to the glory of late Bharoshi Lal, no doubt those old days were memorable and tension free life may not repeat again in our hilly state.
Jai Hind
बहुत खूब ❤️❤️
ऐसी ही जानकारीयां लाते रहिए 🙏🏻🙏🏻✊🏻😊
उदिता जी बहुत ही शानदार शैली में आपने इस विषय को छुआ।। शब्दों का चयन भी अद्भुत है।।
Very nice explanation...please keep up this type of informatic video in future also which remind us our culture and feel proud being the origin of Garhwal.
Great job done by team baramasa. Respectfully Bhuvanesh Dabral
शानदार प्रस्तुति तथा सुन्दर शब्दो की अभिव्यक्ति यह कहानी बार बार सुनने का मन करता हैं.. आपको एवं आपकी टीम को बहुत -बहुत धन्यवाद 🌹🙏
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बहुत सुन्दर जानकारी युवाओं को प्रेरणा 🙏🙏🙏
बारामासा की टीम को इस सराहनीय प्रस्तुति के लिए कोटि कोटि धन्यवाद एवं बधाई । आप लोगों का ये प्रयास बहुत ज्ञान वर्धक एवम प्रेरणा दायक है ।
बचपन की याद दिलाने के लिए हृदय से आपका आभार व्यक्त करता हूं
धन्यवाद बारामासा। एक बेहतरीन जानकारी के लिए ।
आगे भी इन्तजार रहेगा, कुछ और जानने के लिए।
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Bahut sunder information
काफ़ी अच्छी जानकारी को और बेहद शानदार और खूबसूरत प्रस्तुति 👍
लोकसंगीत और लोकगायक को मधुर यादों से फिर से जेहन में उतारना, अद्भुत । धन्यवाद बारामासा व देवरानी जी ।
Bahut hi achchi jankari aur prastuti
बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं
अपनी भाषा के लिए आगे आने के लिए।
मोती सिंह राजवंशी उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष मानवाधिकार एवम इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन
अत्यंत रुचिकर प्रस्तुतिकरण ।इतिहास से इसका सम्बंध के बारे में दी गई जानकारी वास्तव में अनुपम है ।उदिता आपने लाजवाब और प्रभावशाली कार्य किया है आपको साधुवाद और धन्यवाद ।
Wow simply amazing. There seems to be lots of research behind this episode. Personally I am the witness of the singing of Sh Bharose Lal lean thin man but blessed with very strong and vibrant voice. I often used to see him while travelling from Delhi to Kotdwara during my summer holidays and fuan baga used to be his oft repeated hit song. Apart from singing he used to update latest news of Garhwal and even early seventies cassette listening was not in vogue. Late night dance and phadi ballad was hit. It’s well said that history repeats itself and that’s what exactly happening. Uttarakhand is fast turning into a wildlife habitat with ever increasing population of boars monkeys and leopards. People are living in constant fear of leopard attacks. Those in the helm of affairs are least concerned except echoing false migration figures here and there. Fuan baga part 2 has returned and spreading in Uttarakhand in big way with no solution. Believe it’s going to be huge wild life habitat beyond imagination.
Baramasa yaani Uttrakhand ka Lallantop
Bahut sunder
बहुत बढ़िया
अपनी जड़ों और पहचान से पुनः जुड़वाने के लिए सादर आभार।।
आपको पर अपार बधाई और शुभकामनाएं!!❤
बहुत ही सुन्दर जानकारी आपने हम तक पहुँचाई है, वर्ना हम लोग तो इस अभूत पूर्व जानकारी से अनभिज्ञ रह जाते।
बहुत सुन्दर रिसर्च
बहुत सुंदर। मैं इस बात का प्रत्यक्ष दर्शी हूं,जब हम बचपन में दिल्ली से अपने गांव जाते थे उस समय मैंने सूरदास जी को देखा व सुना था। आज बचपन की पुरानी यादें ताजा हो गई। धन्यवाद।
अति राम्रो प्रस्तुति !
गीतको पृष्ठभूमि सुन्दा म भावुक भएर आँसु थाम्न सकिन !
गीत, संगीत राज्यको सीमाभन्दा चौडा , दिल छुने, आकर्षण गराउने, मनलाई उद्वेलित तुल्याउने एक अदभुत चिज रहेछ । मलाई यो गीत अति मनपर्छ ! यस गीतका स्वर्गीय सबै सर्जकहरुप्रति हार्दिक श्रध्दाञ्जलि अर्पण गर्दछु । साथै यो गीतको पृष्ठभूमिको बारेमा सुन्दर तरिकाले जानकारी दिने लेखक, प्रस्तुतकर्ता बहिनी लगायत सबैमा धन्यवाद !
इन्द्रप्रसाद
चितवन, नेपाल ।
bahut badiya information keep it up
टीम बारामासा का बहुत आभार आपके द्वारा दी गई जानकारी से मुझे अपने उत्तराखंड को जान ने का सौभाग्य मिल रहा है संपूर्ण टीम को कोटि कोटि प्रणाम🙏🙏🙏
रूद्रप्रयाग से
विजय
Bahoot achi jankari di aapne
इस गीत की उत्पत्ति की जानकारी बताने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद.
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वाह kabiletarif
It feels really nice to hear stories about your roots and your home 😊😊😊
बहुत सुंदर गीत। Phuwa बाग रि। फावाबाग बहुत सुंदर तर्ज
Very Informative ....... Keep up the good work ... More power to you
टीम को बधाई 💐💐
Prakirti ne saari khoobsurati utrakhand aur himachal me hi diya hai
Bahut achha
बहना मैने खुद सुना हे बुवडा जी को गाते हुवे, मेरा कोई रिश्ता नहीं किन्तु बुवाडा जी को सुन कर ही राही जी के गीतों का में फैन बना
मजा आ गया, एक गाने के पीछे छुपी इतनी बड़ी कहानी को आप लोग सबके समक्ष लाए, साधुवाद ।
आपकी प्रस्तुति मन मोहक और दिल को छू लेने वाली है । मैं 80 के दशक के आरंभ से ही उत्तराखंड से बाहर रहा हू। पिछले कुछ समय से बारहमासा और काफल ट्री के माध्यम से विशुद्ध रूप से सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक जानकारी मिल रही है । इसके लिए आप सब धन्यवाद के पात्र हैं । आशा करता हूं की आप भविष्य में भी इस लौ को जलाएं रखेंगे ।
Ise ache koi nhi bataye ga 💙😍 Bahut knowledge mile🙏🏼
बहुत सुंदर प्रस्तुति!
आपने पुरानी यादें ताजा कर दीं। वो समय आज के समय से बहुत अच्छा था। लोग मिलनसार थे। भरोसीलाल जी गढ़वाल के पूरे समाचार दे देते थे। गुड़, चना, इलाइची दाना आदि वस्तुओं के दाम भी बताते थे।
जानकारी के लिए कोटि कोटि धन्यवाद शायद आप कई जानकारी देते होंगे जरुर देखते है आगे से शुभ कामनाएं
बहुत ही सुंदर प्रस्तुतीकरण।
Sundar jaankari, chenal ko subh kamnaye badhayi ho
बहुत ही सुन्दर आप ने हम लोगों को बचपन कि याद दिला दी हम लोगों ने सूना और अपने आंखों से देखा है उस समय शायद 25/ पैसे या 50/-पैसे देते थे अब तो शायद मसुरी एक्सप्रेस नहीं चलती थी बहुत ही अच्छा समय था लोकगीतों के सही मायने थे
बड़ी ही खोजपरख जानकारी दी आपने, बारहमासा को धन्यवाद,और आपको भी सुरीली आवाज की विशेष सुभकामना
udita devrani you are really very good. baramassa mai आपको सुनने देखने का सदैव उत्सुक रहता हूं।गढ़वाली बोलना कोई जाने तो तुम से सीखे।
Very Nice Information and
beautifully described by Udita Ji
इस गाने को सुनकर पुरानी यादें ताजा हो गई,नब्बे के चार पांच वर्षों बाद यह गुनगुनाहट नहीं सुनाई दी, ऐसे गायक को साधुवाद.
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति दी है आपने बहन। Thanks a lot.
काफी मेहनत करते हैं आप बहुत सुंदर प्रयास है।
शुभकामनाएं ।
Bahut khoob
मेरे पिताजी ने भी भरोसे लाल जी को कोटद्वार से नजीमाबाद के बीच ट्रेन में गाते हुए सुना है। नमन 🙏
बारामासा टीम को हार्दिक बधाई इस सुंदर प्रस्तुति के लिए! मूलतः कोटद्वार वासी होने के नाते इस गीत को भरोसीलाल जी की आवाज में बचपन में उनके स्वर में सुना है। राही जी की आवाज और संगीत ने इस लोकगीत को दुनिया के हर कोने तक पहुंचा दिया!
बहुत बहुत बधाई ..!
जितना अच्छा लोकगीत उतना ही खूबसूरत अंदाज में ऐतिहासिक प्रस्तुतिकरण किया उदिता देवरानीजी ने..! बहुत बहुत धन्यवाद आपका इस सुंदर प्रस्तुति के लिए .!
Bahut hi acha chanle hai hm jese students k liye uttrakhand ka pura knowledge alg hi andaj mai 😍🙏
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति...हमे हमारे अलौकिक गढ़वाल की भूली बिसरी यादों एवं जानकारियों से इतने रोचक और प्रभावशाली तरीके से रूबरू करवाने हेतु बारामासा की पूरी टीम को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं👍🌹🌹🌹🌹❤️
बहुत सुंदर
सबसे पहले आम जनता के लिए बहुत ही सरल भाषा में स्व० चन्द्र सिंह राही जी ने इसे प्रस्तुत किया जो आज करोड़ों लोगों की पसन्द बना |