सम्पूर्ण रुद्री पाठ | लघु रुद्री पाठ | Laghu rudri path | Sampuran Rudri Path | Rudri Path fast

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  • čas přidán 28. 08. 2024
  • सम्पूर्ण रुद्री पाठ | लघु रुद्री पाठ | Laghu rudri path | Sampuran Rudri Path | Rudri Path fast
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    Title - Complete Rudri Path
    Speaker - Kartik ojha
    Music - Umed Khan
    Lable - Anayra Bhakti
    Contact person Hitler Choudhary mob - 9636240031
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    ॐ अथात्मानग्ं शिवात्मानग् श्री रुद्ररूपं ध्यायेत् ॥
    शुद्धस्फटिक संकाशं त्रिनेत्रं पंच वक्त्रकम् ।
    गंगाधरं दशभुजं सर्वाभरण भूषितम् ॥
    नीलग्रीवं शशांकांकं नाग यज्ञोप वीतिनम् ।
    व्याघ्र चर्मोत्तरीयं च वरेण्यमभय प्रदम् ॥
    कमंडल्-वक्ष सूत्राणां धारिणं शूलपाणिनम् ।
    ज्वलंतं पिंगलजटा शिखा मुद्द्योत धारिणम् ॥
    वृष स्कंध समारूढम् उमा देहार्थ धारिणम् ।
    अमृतेनाप्लुतं शांतं दिव्यभोग समन्वितम् ॥
    दिग्देवता समायुक्तं सुरासुर नमस्कृतम् ।
    नित्यं च शाश्वतं शुद्धं ध्रुव-मक्षर-मव्ययम् ।
    सर्व व्यापिन-मीशानं रुद्रं वै विश्वरूपिणम् ।
    एवं ध्यात्वा द्विजः सम्यक् ततो यजनमारभेत् ॥
    अथातो रुद्र स्नानार्चनाभिषेक विधिं व्या॓क्ष्यास्यामः ।
    आदित एव तीर्थे स्नात्वा उदेत्य शुचिः प्रयतो ब्रह्मचारी शुक्लवासा देवाभिमुखः स्थित्वा आत्मनि देवताः स्थापयेत् ॥
    जनने ब्रह्मा तिष्ठतु । पादयोर्-विष्णुस्तिष्ठतु । हस्तयोर्-हरस्तिष्ठतु । बाह्वोरिंद्रस्तिष्टतु ।
    जठरे‌ अग्निस्तिष्ठतु । हृद॑ये शिवस्तिष्ठतु ।
    कंठे वसवस्तिष्ठंतु । वक्त्रे सरस्वती तिष्ठतु ।नासिकयोर्-वायुस्तिष्ठतु ।
    नयनयोश्-चंद्रादित्यौ तिष्टेताम् । कर्णयोरश्विनौ तिष्टेताम् ।
    ललाटे रुद्रास्तिष्ठंतु ।
    मूर्थ्न्यादित्यास्तिष्ठंतु ।
    शिरसि महादेवस्तिष्ठतु ।
    शिखायां वामदेवास्तिष्ठतु ।
    पृष्ठे पिनाकी तिष्ठतु ।
    पुरतः शूली तिष्ठतु ।
    पार्श्ययोः शिवाशंकरौ तिष्ठेताम् ।
    ॐ अस्य श्री रुद्राध्याय प्रश्न महामंत्रस्य, अघोर ऋषिः, अनुष्टुप् चंदः,
    संकर्षण मूर्ति स्वरूपो यो‌ सावादित्यः परमपुरुषः स एष रुद्रो देवता ।
    नमः शिवायेति बीजम् ।
    शिवतरायेति शक्तिः । महादेवायेति कीलकम् ।
    श्री सांब सदाशिव प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ॥
    ॐ अग्निहोत्रात्मने अंगुष्ठाभ्यां नमः ।
    दर्शपूर्ण मासात्मने तर्जनीभ्यां नमः ।
    चातुर्-मास्यात्मने मध्यमाभ्यां नमः ।
    निरूढ पशुबंधात्मने अनामिकाभ्यां नमः ।
    ज्योतिष्टोमात्मने कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
    सर्वक्रत्वात्मने करतल करपृष्ठाभ्यां नमः ॥
    अग्निहोत्रात्मने हृदयाय नमः ।
    दर्शपूर्ण मासात्मने शिरसे स्वाहा ।
    चातुर्-मास्यात्मने शिखायै वषट् ।
    निरूढ पशुबंधात्मने कवचाय हुम् ।
    ज्योतिष्टोमात्मने नेत्रत्रयाय वौषट्
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