अक्षय तृतीया पर कब करे पूजा ,कब है शुभ मुहूर्त,और अक्षय तृतीया का महत्त्व

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  • čas přidán 7. 09. 2024
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    नमस्कार दोस्तों
    आज हम अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है,
    क्या है इसका महत्त्व , जानिये तिथि ,शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व ,इस बारे में जानेंगे,
    भारतीय त्योहारों में अक्षय तृतीया का खास महत्व है.
    इस दिन को बेहद शुभ माना जाता है.
    इस साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी अक्षय तृतीया 10 मई को पड़ रही है. इस बार अक्षय तृतीया 10 मई, शुक्रवार को मनाई जाएगी. तृतीया तिथि की शुरुआत इस बार 10 मई को सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर होगी और समापन 11 मई को रात 2 बजकर 50 मिनट पर होगा. अक्षय तृतीया का पूजन मुहूर्त 10 मई को सुबह 5 बजकर 33 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में आप सोना या चांदी की खरीदारी कर सकते हैं.
    अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयंसिद्ध मुहूर्त है,
    कोई भी शुभ कार्य का प्रारंभ किया जा सकता है. अक्षय तृतीया का पर्व मुख्य रूप से सौभाग्य के लिए जाना जाता है.
    अक्षय तृतीया का ज्योतिषीय महत्व
    हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष अक्षय तृतीया का त्योहार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में भी इस तिथि का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब अक्षय तृतीया का पर्व आता है,
    तब सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में रहते हैं, साथ ही इस तिथि पर चंद्रमा वृषभ राशि में मौजूद होते हैं। माना जाता है इस दौरान सूर्य और चंद्रमा दोनों ही सबसे ज्यादा चमकीले यानी सबसे ज्यादा प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। इस तरह से अक्षय तृतीया पर ज्यादा से ज्यादा प्रकाश पृथ्वी की सतह पर मौजूद रहता है। इस कारण से इस अवधि को सबसे शुभ समय माना जाता है।
    इस दिन का महत्व सुंदर और सफलतम वैवाहिक जीवन के लिए सबसे अधिक माना जाता है.
    आइए ऐसे में जानते हैं कि आखिर क्यों अक्षय तृतीया को मनाया जाता है और इस तिथि में ऐसा क्या है, कि इस दिन किए गए हर काम का आपको शुभ फल मिलता है.
    अक्षय तृतीया पर हुए हैं ,ये शुभ काम
    आज ही के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था.
    मां अन्नपूर्णा के जन्म की भी मान्यता है.
    मां गंगा का अवतरण हुआ था.
    द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज के ही दिन बचाया था.
    कुबेर को आज के दिन खजाना मिला था.
    सतयुग और त्रेतायुग का प्रारब्ध आज के दिन हुआ था.
    कृष्ण और सुदामा का मिलन भी अक्षय तृतीया पर हुआ था.
    ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण.
    प्रसिद्ध तीर्थ बद्री नारायण के कपाट आज के दिन खोले जाते हैं.
    वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं अन्यथा सालभर चरण वस्त्रों से ढके रहते हैं.
    अक्षय तृतीया तिथि से ही उड़ीसा के प्रसिद्ध पुरी रथ यात्रा के लिए रथों के निर्माण का कार्य शुरू हो जाता है।
    क्यों शुभ है अक्षय तृतीया का त्योहार
    अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है. अक्षय अर्थात जिसका कभी क्षय नहीं हो.
    माना जाता है कि इस दिन जो भी पुण्य अर्जित किए जाते हैं उनका कभी क्षय नहीं होता है. यही वजह है कि ज्यादातर शुभ कार्यों का आरंभ इसी दिन होता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन हर तरह के शुभ कार्य संपन्न किए जा सकते हैं और उनका शुभदायक फल होता है. वैसे तो हर माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की तृतीया शुभ होती है ,लेकिन वैशाख माह की तृतीया स्वयंसिद्ध मुहूर्त मानी गई है. इस दिन बिना पंचांग देखे शुभ व मांगलिक कार्य किए जाते हैं.
    इस दिन आरंभ किए गए कार्य भी शुभ फल प्रदान करते हैं. अक्षय तृतीया पर्व अपने आप में अनपूछा मुहूर्त है.
    अक्षय तृतीया के दिन इन कामों का है महत्व
    अक्षय तृतीया के दिन विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीदारी जैसे शुभकार्य किए जाते हैं. इस दिन पितरों को किया गया तर्पण और पिंडदान अथवा अपने सामर्थ्य के अनुरूप किसी भी तरह का दान अक्षय फल प्रदान करता है. अक्षय तृतीया के दिन गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद और कन्या दान करने का महत्व है. इस दिन जितना भी दान करते हैं उसका चार गुना फल प्राप्त होता है. इस दिन किए गए कार्य का पुण्य कभी क्षय नहीं होता. यही वजह है कि इस दिन पुण्य प्राप्त करने का महत्व है.
    हिंदू धर्म में सभी तिथियों में अक्षय तृतीया को विशेष तिथि माना गया है।
    अक्षय तृतीया सर्व सिद्धि मुहूर्तों में से एक मुहूर्त है।
    इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना का विशेष महत्व होता है। अपने और परिवार की सुख- समृद्धि के लिए व्रत रखने का महत्व होता है।|
    अक्षय तृतीया पर सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान या घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करके श्री विष्णुजी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए। फिर इसके बाद श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब, धूप-अगरबत्ती और चन्दन इत्यादि से पूजा अर्चना करनी चाहिए। नैवेद्य के रूप में जौ, गेंहू, या सत्तू, ककड़ी, चने की दाल आदि अर्पित करें। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उन्हें दान-दक्षिणा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
    इस दिन लोग श्रद्धा से गंगा स्नान भी करते हैं और भगवद् पूजन करते हैं ताकि जीवन के कष्टों से मुक्ति पा सकें.
    कहते हैं कि इस दिन सच्चे मन से अपने अपराधों की क्षमा मांगने पर भगवान क्षमा करते हैं और अपनी कृपा से निहाल करते हैं.
    अत: इस दिन अपने भीतर के दुर्गुणों को भगवान के चरणों में अर्पित करके अपने सद्गुणों को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए.
    आप सभी को अक्षय तृतीया की बहुत बहुत बधाई ,आप सभी का धन्यवाद
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