जे जे सत्य गुरु बंदगी छोड़ कबीर साहेब जी की सदा ही जय हो सदा ही जय हो,,वेराग साहेब जी को कोटि कोटि प्रणाम,, साहेब जी दया बनाये रखना साहेब बंदगी सत्य नाम
साहेब बन्दगी साहेब जी काश सद्गुरु संत रामसेवक साहेब आज हमारे बीच होते तो कितना आनन्द आता। इतनी चित्ताकर्षक वाणी सुनकर आत्मा तृप्त हो गई। सतलोकवासी सद्गुरु रामसेवक साहेब की जय हो. बन्दीछोड़ कबीर साहेब की जय हो.
।।मुक्तक छंद कविता।।:+:सत कबीर जी बिना ना परम राम उपजे, सत साहेब बिना ना मिलता मोक्ष।सतगुरु बिना ना लखाता कोई सारशबद, सारशबद अखण्ड बिना जाने मिटे ना दोष।।00।।इसीलिए संत हमारे कहते, सारशबद को जान वन्दे, मालिक तेरा वही है। सारशबदी गुरु को खोज वन्दे, भव तारता वही है।।00।।भूमि अगन पवन मे, सागर पहाड़ वन मे, सारशबद की सभी भुवन मे-छाया समा रही है।।01।।विषयो की छोड आशा, सब झूठ है तमासा-दिन चार का दिलाशा-माया फंसा रही है।।02।।उसने तुझे बनाया,जग खेल है दिखाया, तू क्यो फिरे भुलाया-उमरा बिता रही है।।03।।दुनिया से दिल हटा ले, सतधामी सतगुरु से नेह लगाले। सालिकराम मोक्ष पाले-साँई अरुण जी महाराज का कहना भी तो यही है।।04।।विदेही कबीर जी की शरण मे आजा, मिल जाऐगा किनारा। जनम मरण के चक्र से मिल जायगा छुटकारा-जिन्दगी का पता नही है।।05।।कहत कबीर जी सुनो धरमराय, ओहं सोहं हम जग मे भाखा। सारशबद अखण्ड को सुगुप्त ही राखा, जब आऐगा साल बीसम बीसा, ना रहेगा ईशा ना रहेगा मूसा और राज करेगा जगदीशा।।06।।इसलिऐ सारशबद अखण्ड को जान वन्दे---।।00।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।,,।।
सत्य गुरु कबीर साहेब जी को कोटि कोटि प्रणाम,, सत्य गुरु नानक साहेब जी की जे,, सत्य गुरु वेराग साहेब जी की जे,, सत्य गुरु नितिन साहेब जी की जे हो,, सत्य नाम साहेब बंदगी,,जे सत्य नाम,🤲🙆🌹🙏🙏😀😀
।।मुक्तक छंद कविता।।:+:सूना मानुष शरीर सतगुरु सतधामी के बिना। सत कबीर जी बिना, सारशबद के बिना।।00।।तरुवर सूना डाल पात बिन, चित्त भी सूना सारशबद बिन। ताल सूना बिन नीर, सतधामी सतगुरु के बिना।।सूना मानुष शरीर--।।01।।पढ पढ पंडित जोड लगाया, मन का भूत बसमे नही आया। लाख करी तजबीज, सतधामी सतगुरु के बिना।।सूना मानुष शरीर--।।02।।मेरी मेरी परजा सारी, कहते फिरते लोग अनाडी। नही किसी की जागीर, सतधामी सतगुरु के बिना।।सूना मानुष शरीर--।।03।।बडे बडे योध्दा जग मे हो गये, लडी लड़ाई उमरा खो गये। लगा ना निशाना तीर, सतधामी सतगुरु के बिना।।सूना मानुष शरीर--।।04।।ऋषि मुनि साधू बने व्यभिचारी, सारशबद बिन सभी अनाडी। जनता से मांगे भीख, सतधामी सतगुरु के बिना।।सूना मानुष शरीर--।।05।।निगुरा कहता कागज लेखी, साँई अरुण जी कहे निज अनुभूति। नांद पुत्र कबीर, सतधामी सतगुरु के बिना।।सूना मानुष शरीर--।।06।।सब कुछ सारशबद है भाई, उसी मे सबका भाग्य समाई। तन मन धन सतगुरु के अर्पण, सारा जीवन सत साहेब के चरणन।।सूना मानुष शरीर--।।07।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।,,।।
Saheb bandagi satnam
Saheb bandagi saheb koti koti naman 🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Saheb bandagi Guru ji koti koti pranam
साहेब बंदगी साहेब जी
Satyanam Saheb Bandagi Saheb Bandagi
Saheb bandagi satyanaam saheb 🤲💐💐🤲🤲
बहुत अच्छा है आप का सत्संग गुरु महाराज
सभी संतो की सदा ही जय हो साहेब बन्दगी सतनाम जी 🌹🙏🌹🙏🌹🙏
Sahib bandgi Satyanam ji.
Saheb bandagi 🚩🚩🚩 SATNAAM 🚩🚩🚩
Saheb bandagi saheb
साहिब बंदगी सतनाम जी
जे जे सत्य गुरु बंदगी छोड़ कबीर साहेब जी की सदा ही जय हो सदा ही जय हो,,वेराग साहेब जी को कोटि कोटि प्रणाम,, साहेब जी दया बनाये रखना साहेब बंदगी सत्य नाम
साहेब बन्दगी साहेब जी
काश सद्गुरु संत रामसेवक साहेब आज हमारे बीच होते तो कितना आनन्द आता। इतनी चित्ताकर्षक वाणी सुनकर आत्मा तृप्त हो गई।
सतलोकवासी सद्गुरु रामसेवक साहेब की जय हो.
बन्दीछोड़ कबीर साहेब की जय हो.
Shaibvandge
Jai ho mere Malik sahib bandgy sat namji mere gurdeo wah.Sahib wah great nmn
।।मुक्तक छंद कविता।।:+:सत कबीर जी बिना ना परम राम उपजे, सत साहेब बिना ना मिलता मोक्ष।सतगुरु बिना ना लखाता कोई सारशबद, सारशबद अखण्ड बिना जाने मिटे ना दोष।।00।।इसीलिए संत हमारे कहते, सारशबद को जान वन्दे, मालिक तेरा वही है। सारशबदी गुरु को खोज वन्दे, भव तारता वही है।।00।।भूमि अगन पवन मे, सागर पहाड़ वन मे, सारशबद की सभी भुवन मे-छाया समा रही है।।01।।विषयो की छोड आशा, सब झूठ है तमासा-दिन चार का दिलाशा-माया फंसा रही है।।02।।उसने तुझे बनाया,जग खेल है दिखाया, तू क्यो फिरे भुलाया-उमरा बिता रही है।।03।।दुनिया से दिल हटा ले, सतधामी सतगुरु से नेह लगाले। सालिकराम मोक्ष पाले-साँई अरुण जी महाराज का कहना भी तो यही है।।04।।विदेही कबीर जी की शरण मे आजा, मिल जाऐगा किनारा। जनम मरण के चक्र से मिल जायगा छुटकारा-जिन्दगी का पता नही है।।05।।कहत कबीर जी सुनो धरमराय, ओहं सोहं हम जग मे भाखा। सारशबद अखण्ड को सुगुप्त ही राखा, जब आऐगा साल बीसम बीसा, ना रहेगा ईशा ना रहेगा मूसा और राज करेगा जगदीशा।।06।।इसलिऐ सारशबद अखण्ड को जान वन्दे---।।00।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।,,।।
सत्य दर्शन सत्यनाम साहेब जी।
साहेब बन्दगी साहेब जी।
सत्यनाम साहेब जी।
Shibe banegi satnam
साहिब बंदगी सतनाम
👃🌷👋🌹
सत्य गुरु कबीर साहेब जी को कोटि कोटि प्रणाम,, सत्य गुरु नानक साहेब जी की जे,, सत्य गुरु वेराग साहेब जी की जे,, सत्य गुरु नितिन साहेब जी की जे हो,, सत्य नाम साहेब बंदगी,,जे सत्य नाम,🤲🙆🌹🙏🙏😀😀
Sat guru dev ji ram sebak saheb sat guru Nitin saheb ji ke charno me koti koti naman satnaam saheb bandagi ji
साहेब बंदगी सतनाम 🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹
Ekdam damdar
साहेब बंदगी सतनाम
He guru Deb ji aap ka gayan suhkar yah jib dhnniye ho gta aap ke siri chrno me koti koti nam satnam ji
Saheb bandgi satnaam ji
साहेब बन्दगी सतनाम 🙏
🙏🙇🙇🙇💘🤗🌹 Aap kitne Achche Satsang karte ho 😁🙇🙇🙇
साहेब ने सहजता से सभी का अर्थ बतायें है
Yhi aatm gyan h👌🙏🙏👍🌹🌹🌹🌹🌹✌️👌
👌👌👌👌👌
Bhut achha samjhaya jra saf hindi mein samjhao maharaj Jee.
सभी संतो की जय हो सत कबीर परमपिता परमात्मा की जय 🌹🌹🙏🙏
दशवे द्वार के नीचे रंकार है
अ लिखते हो आ लिखते हो अ है या आ जो सतनाम का जिकर कर रहे हो, निश्चित कौन अ या आ बताने की कृपा करे। साहेब बंदगी सतनाम
।।मुक्तक छंद कविता।।:+:सूना मानुष शरीर सतगुरु सतधामी के बिना। सत कबीर जी बिना, सारशबद के बिना।।00।।तरुवर सूना डाल पात बिन, चित्त भी सूना सारशबद बिन। ताल सूना बिन नीर, सतधामी सतगुरु के बिना।।सूना मानुष शरीर--।।01।।पढ पढ पंडित जोड लगाया, मन का भूत बसमे नही आया। लाख करी तजबीज, सतधामी सतगुरु के बिना।।सूना मानुष शरीर--।।02।।मेरी मेरी परजा सारी, कहते फिरते लोग अनाडी। नही किसी की जागीर, सतधामी सतगुरु के बिना।।सूना मानुष शरीर--।।03।।बडे बडे योध्दा जग मे हो गये, लडी लड़ाई उमरा खो गये। लगा ना निशाना तीर, सतधामी सतगुरु के बिना।।सूना मानुष शरीर--।।04।।ऋषि मुनि साधू बने व्यभिचारी, सारशबद बिन सभी अनाडी। जनता से मांगे भीख, सतधामी सतगुरु के बिना।।सूना मानुष शरीर--।।05।।निगुरा कहता कागज लेखी, साँई अरुण जी कहे निज अनुभूति। नांद पुत्र कबीर, सतधामी सतगुरु के बिना।।सूना मानुष शरीर--।।06।।सब कुछ सारशबद है भाई, उसी मे सबका भाग्य समाई। तन मन धन सतगुरु के अर्पण, सारा जीवन सत साहेब के चरणन।।सूना मानुष शरीर--।।07।।,,साँई अरुण जी महाराज नासिक महाराष्ट्र को सादर समर्पित,,सालिकराम सोनी।।,,।।
क्यों मन से बता रहे हैं