Ganpati Bappa Majha | Adarsh Shinde | Siddharth | Hindi Song

Sdílet
Vložit
  • čas přidán 21. 08. 2024
  • One Pragmatic approach towards our beloved bappa, this Ganesh Chaturthi let's introspect the beauty of God.
    Producer - Vinod Jagtap (Roots Entertainment - 9821724117)
    Lyricists - Amit Desai, Manali, Siddharth
    Vocalist - Adarsh Shinde
    Music Direction/Composition - Siddharth Jagtap
    Dhol Section - Raajmudra Dhol Pathak (Pune)
    Arrangers - Pravin Birare, Nilesh Surwade
    Programmer - Vinit Deshpande
    Mix - Mastering - Swaroop Joshi
    Management by - Saket Maske (Aaketsa Creations)
    Studios - Dawn Studio (Pune), Ajivasan Studio (Mumbai).
    TITLE : Maajha Ganpati Bappa
    Lyrics
    Intro
    शुक्लम्बर धरम विष्णुम
    शशी वरनं चतुर भूजम
    प्रसन्न वद्नम ध्यायेत
    सर्व विघ्नं उपशांथये
    हे विघ्नेश्वरा, हे एकाक्षरा
    गजाननेति, म्रीत्युन्जया
    हे बुद्धीनाथ, भूवन्पती
    दर पे मेरे आयो ,
    हे शूर्पकर्ण, सिद्धीधाता
    लकीरो मै समायो
    Verse 1
    आया तू आया देवराया अविघ्नाया
    तेरी मुरत कि ज्योत करे पापो का अंततः,
    निद्रापक श्रीष्टी मे, मलंग तेरा भक्त ये
    शोध करे छाया जो है बिखरी हुई धूप मे,
    आया तू आया अवनीश ओमकारा
    सारे रिपुओ पे तेरी जय, अंकुश तेरा,
    स्तंभित है, व्याकुल है, जोगी अपरिचित है
    अंतःदर्शन से आज वंचित ये रूप है
    गणेशा
    chorus
    श्री गणेशा देवो के देवा
    माझा गणपती बाप्पा
    श्री गणेशा देवो के देवा
    माझा गणपती बाप्पा
    सुखकर्ता दुखो के हरता माझा गणपती बाप्पा
    श्री गणेशा देवो के देवा
    माझा गणपती बाप्पा
    Verse 2
    तेरी बुद्धी कि सांच अनुशासन मेरा
    पाया मोक्ष मेरी निष्टा से भ्रम छठा
    तेरे गुणो के कर्म मेरा धर्म है बने
    मेरा जीवन है सच को तराशना
    Interlude
    तेरी विद्या, तेरी भक्ती संकतो मे दे शक्ती
    हुआ तल्लीन तुझमे मेरा ये जहां
    बाप्पा मोरया , मोरया
    बाप्पा मोरया , बाप्पा मोरया
    Prelude
    आया तू आके बसा
    मेरे अंतरायो मे
    अब तक था धुंड रहा निद्रापक श्रीष्टी मे
    स्तंभित था, व्याकुलथा, जोगी अपरिचित था
    आत्म को निहारे पाया रूप मेरा तुझीमे
    गणेशा
    Stotram
    प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।
    भक्तावासं स्मरेन्नित्यं आयुःकामार्थसिद्धये ॥१॥
    प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।
    तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ॥२॥
    लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।
    सप्तमं विघ्नराजम् च धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ॥३॥
    नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।
    एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ॥४॥
    द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः ।
    न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभुः ॥५॥
    विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
    पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥६॥
    जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत्।
    संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ॥७॥
    अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य: समर्पयेत।
    तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥८॥
    गणपति बाप्पा मोरया ॥
    मंगल मूर्ति मोरया ॥

Komentáře • 253