RSS vs BJP: RSS के Indresh Kumar ने BJP नेतृत्व को कहा अहंकारी Mohan Bhagwat की कैसी सफाई आई ? | NBT
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- čas přidán 13. 06. 2024
- आरएसएस (RSS) को एक वक्त बीजेपी (BJP) का ड्राइवर कहा जाता था। ऐसा भी कहा जाता था कि संघ की सजामंदी के बिना, भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) कोई फैसला फाइनल नहीं करती। यहां तक कि संघ को ही बीजेपी का थिंक टैंक भी कहा जाता था। लेकिन ये गुज़रे वक्त की बातें हैं। भाजपा में ये दौर नरेंद्र मोदी का है। चर्चाएं हैं, कि बीजेपी का वर्तमान शीर्ष नेतृत्व संघ को वो अहमियत देता ही नहीं है। इस तरह की बातें पिछले कुछ समय से चर्चाओं में रहती आई हैं। लेकिन लगता है कि संबंधों की ये तल्खियां अब सरेआम हो रही हैं। क्योंकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बड़े और चर्चित नेता इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) ने एक ऐसा बयान दे डाला है, जिसने नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और संघ के बीच बढ़ती दूरियों को हवा दे दी है।
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लोकसभा चुनाव २०२४ के चार पांच चरण के मतदान होने के बाद और दो तीन चरण के मतदान बाकी रहते भाजपा अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा का मीडिया में आया बयान तथा चुनाव परिणाम आने के बाद सरसंघचालक मोहन भागवत, संघ विचारक रतन शारदा एवं राष्ट्रीय मुस्लिम मंच (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ही एक प्रकल्प) के कर्ताधर्ता इंद्रेश कुमार के वक्तव्यों से तो स्पष्ट लगता है कि इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी विजय न मिले, इसके लिए न सिर्फ इंडी गठबंधन के घटक दलों का नेतृत्व, वामपंथी ईकोसिस्टम, डीप स्टेट, चीन, आईएसआई आदि देशी विदेशी ताकतों ने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक धड़ा भी अंदरखाने नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को औकात बताने के लिए पूरी ताकत से भितरघात में लगा हुआ था।
यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक का भीतरघात ही था कि कुछ राज्यों में इंडी गठबंधन के आरक्षण खत्म कर देंगे और संविधान बदल देंगे वाली अफवाहों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों में पकड़ बनाने में मदद मिली। साथ ही सर्वण कही जाने वाली जातियों में असंतोष की चिनगारी छोड़ना और हवा देने के प्रपंच में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक घटक की सक्रिय भूमिका मानी जा रही है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बनारस में कांग्रेस के अजय राय से मात्र डेढ़ लाख वोटों से जीतना, अमेठी में स्मृति ईरानी का डेढ़ लाख वोटों से कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा से हार जाना तथा रायबरेली से राहुल गांधी का लगभग पांच लाख वोटों से जीत जाना जबकि पिछली बार अमेठी से हार जाने के बाद उत्तर भारतीय मतदाताओं को राजनीतिक समझ के लिहाज से अपरिपक्व बताया था दक्षिण भारतीय मतदाताओं की तुलना में, उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक घटक द्वारा सफल भीतरघात का ही प्रमाणिक साक्ष्य है।
भाजपा के मुस्लिम कार्यकर्ताओं का भी भाजपा के विरोध में खड़े इंडी गठबंधन के प्रत्याशियों को वोट देना इंद्रेश कुमार की भूमिका पर निश्चित ही प्रश्नचिन्ह लगाता है। जबकि दस वर्षों से निरंतर भेदभाव रहित शासन देख दस बीस प्रतिशत मुस्लिम मतदाता भाजपा समर्थक न बनें और भाजपा के पक्ष में मतदान ना करें, सामान्यतः ऐसा होता नहीं है। वह भी तब जब इंडी गठबंधन के नेताओं की साख संदिग्ध हो।
लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक गुट जिसमें सरसंघचालक मोहन भागवत व राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के इंद्रेश कुमार भी शामिल हों, के संरक्षण में हुए भीतरघात के बावजूद अगर भाजपा अखिल भारतीय स्तर पर ३६-३७% प्रतिशत वोट पाने में सफल रही है तथा अट्ठारहवीं लोकसभा में उसके २४० सांसद हैं, तो निश्चित ही २०२४ की जीत २०१९ से बड़ी है, महत्त्वपूर्ण है।
नरेन्द्र मोदी ने पहले गुजरात में, फिर मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाराज रूठे फूफा गुट को बेअसर बनाया। अब लगता है उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, बिहार, हरियाणा और पंजाब की बारी है।
संभवतः अगले पांच वर्षों में इसमें से अधिकांश राज्य सध जाएं।
अब सब प्रत्यक्ष है ऐसा लगता है। अब कुछ भी परोक्ष एवं ढ़का छुपा रह पाएगा, ऐसा लगता नहीं।
नरेन्द्र दामोदरदास मोदी की कुंडली में निश्चित ही प्रबल शत्रुहंता योग है। और वर्तमान केन्द्र सरकार की कुंडली में भी प्रबल शत्रुहंता योग है।
3:02 RSS should not comment on any political PARTY. Its work should be restricted to prepare the people for the absolute work for nation.
Kya bajpai jada ahankari the unko 160 ar180 mila