पृथ्वी सिंह किरणमई | Rishipal Khadana, Minakshi Panchal | Haryanvi Ragni | Pirthvi Singh Kiranmai

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  • čas přidán 6. 08. 2015
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    Singer - Rishipal Khadana, Minakshi Panchal
    Album - Parthwi Singh Kiranmayee
    Artist - Rishipal Khadana, Hansraj Railhan
    Lyrics - Rishipal Khadana
    Music - Master Hansraj
    6:14 - अगर जग में लुगाई न होती
    15:13 - सबने बीर की छह ना हो
    22:17 - शंहशाह दे दो छुट्टी
    36:11 - घोड़ा क्यो रोक दिया
    45:01 - पैदा हुई मैं पिया तेरे लिये
    54:05 - दरबारा में जाना से
    1:03:47 - पतिव्रता थारी बीर नहीं
    1:13:34 - मैंने गिण के दे लिए बोल
    1:22:50 - प्रसन्न आत्मा मेरी है
    1:32:16 - किरणमई के महलों में
    1:42:01 - सच बता भरतार
    1:54:47 -दरबार कैसा सजाया
    Label - Sonotek Cassettes
    जागरण संवाद केंद्र, कुरुक्षेत्र : मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर में पृथ्वी सिंह-किरणमयी साग पेश किया। पृथ्वी सिंह-किरणमयी की कहानी मुगल शहशाह अकबर के दरबार से जोड़कर बनाया हुआ एक छद्म किस्सा है। राजा अकबर के दो सेनापति पृथ्वी सिंह और शेरखान होते हैं। एक दिन पृथ्वी सिंह के मुकाबले का संदेशा आता है और वह अकबर से छुट्टी देने की दरख्वास्त करता है। अकबर उसे 15 दिन की छुट्टी दे देते हैं। पृथ्वी सिंह 15 दिन बाद दोबारा अकबर के दरबार में पेश नहीं हो पाता, जिस कारण शेरसिंह पृथ्वी सिंह की खिल्ली उड़ाता है और कहता है कि स्त्री मोह इतना भी नहीं होना चाहिए कि उसके चक्कर में अपने फर्ज से ही मुंह मोड़ लिया जाए। शेरखान अकबर से पृथ्वी सिंह को सजा देने की अपील करता है। पृथ्वी सिंह राजा अकबर को बताता है कि वह स्त्रीमोह के कारण नहीं अपितु किसी अन्य कारण की वजह से एक दिन देरी से आया है। पृथ्वी सिंह कहता है कि उसकी पत्‍‌नी किरणमयी एक पतिव्रता नारी है और वह सदियों तक अपने पति का इतजार कर सकती है। इस पर शेरखान पृथ्वी सिंह की पत्‍‌नी किरणमयी के पतिव्रता होने पर भी सवाल खड़े कर देता है। शेरखान अकबर को कहता है कि वह यह भी साबित कर देगा कि किरणमयी पतिव्रता नहीं है। शेरखान किरणमयी की परीक्षा लेने के लिए चल देता है, किंतु किरणमयी से उसे मुंह की खानी पड़ती है। असफल रहने पर शेरखान एक दूती यानि एक बेहद चालाक औरत की मदद लेता है, जो पृथ्वी सिंह की बुआ बनकर किरणमयी के पास चली जाती है। किरणमयी पृथ्वी सिंह की बुआ बनी इस औरत की काफी आवभगत करती है। एक दिन किरणमयी दूती से खुश होकर कहती है कि मैं तुम्हें तीन वचन देती है। दूती पहले वचन में पृथ्वी सिंह का पटका मागती है, दूसरे में पृथ्वी सिंह की कटार और तीसरे में पृथ्वी सिंह की अंगूठी। किरणमयी के साथ रहने के दौरान दूती एक दिन किरणमयी को नहाते हुए देख लेती है और उसकी एक जाघ पर काले तिल का निशान भी देख लेती है। दूती तीनों चीजें शेरखान ¨सह को दे देती है और किरणमयी की जाघ पर बने तिल के निशान के बारे में भी बता देती है। शेरखान राजा अकबर के सामने पेश होकर तीन चीजें अकबर को दिखाता है और कहता है कि व किरणमयी के साथ बहुत दिनों तक रहकर आया है। पृथ्वी सिंह तीनों चीजों को झूठा बताता है, किंतु जाघ पर बने तिल के निशान पर पृथ्वी सिंह शेरखान की बात को सही मान लेता है। अकबर पृथ्वी ¨सह को फासी पर लटकाने का हुकम सुना देते है। जब किरणमयी को इस बात का पता चलता है तो वह नर्तकी का भेष धारण करके अकबर के दरबार में पहुच जाती है। राजा अकबर नृतकी बनी किरणमयी को कुछ भी मागने के लिए कहते हैं तो किरण मयी कहती है कि उसके दरबार में एक चोर है और शेरखान की तरफ इशारा करती है। अकबर शेरखान से पूछता है तो शेरखान इन्कार करता है और कहता है कि मैंने जो कभी इस औरत को देखा तक नहीं फिर में उसके किसी समान की चोरी कैसे कर सकता हू। इस पर किरणमयी अपना भेद खोल देती है और कहती है कि जब तुमने मुझे कभी देखा ही नहीं तो मेरी जाघ पर बना तिल कैसे देख लिया। यह सुनकर अकबर पृथ्वीसिंह को रिहा कर देते हैं और तिकड़मबाज शेरखान को फासी पर लटकाने का हुकम सुना देते हैं।
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  • Hudba

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