@@user-fw6te5yf2z Hari aur Om se didi ka koi matlab nahi. Didi kehti hain Hari aur Om to imagination hain. Baaki jo didi padhati hain. Energy, Positivity, Vibration, bhrikuti mein Aatma, Jyoti Bindu, ye hai asli अध्यात्म तो। Didi jo padha Rahi Hain vo didi ka diluded cult hai. Aatma शब्द जिन्होंने दिया है उनसे सीखिए।
Sister can you please reply to my questions: 1. What is Soul? Is Soul and Aatma different? 2. How do you know that there is Aatma( I don't know what it is) in our bodies and it's placed inside my head? Can this be identified? If not then why? 3. Who gave us this word Aatma? 4. And where is this "I" coming from? 5. I am the power. And my brain is different from "I" So if the brain is not working. Can I still work?
दीदी ॐ शान्ति, मैं भी करीब तीन महीने से इस संस्था जे जुड़ा हुआ हूं और रोज मुरली सुनने तथा श्री मत पर चलने की कोशिश भी कर रहा हुं। अगर कोई पूछे कि आत्मा क्या है तो सिंगल लाइन डेफिनेशन क्या होगा।
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 22) वासांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णा, न्यन्यानि संयाति नवानि देही ।। मनुष्य जैसे पुराने कपड़ों को छोड़कर दूसरे नये कपड़े धारण कर लेता है ऐसे ही देही पुराने शरीरों को छोड़कर दूसरे नये शरीरों में चला जाता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 22) जैसे मनुष्य जीर्ण वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को धारण करता है? वैसे ही देही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्याग कर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 22) यहाँ देही जीवात्मा की बात हो रही है, आत्मा की नहीं। जीवात्मा मिथ्या है, और आत्मा वेदांत का अमर सत्य। ध्यान दें कि इस श्लोक में देही शब्द आया है, आत्मा कहीं भी नहीं।
आत्मा क्या है ? ब्रह्म को ही आत्मा कहते हैं। अयं आत्मा ब्रह्म (यह आत्मा ब्रह्म है) ~ मांडूक्य उपनिषद् प्रज्ञानं ब्रह्म (बोध ही ब्रह्म है) ~ ऐतरेय उपनिषद् अतः अज्ञानमुक्त मन ही आत्मा है।
Hosh mein to jab nahi so rahe tab hain hi. Energy nahi Consciousness. Jab hum so rahe hain tab bhi consciousness hoti hai bas different state of consciousness. Lekin jab so rahe hon tab hosh nahi hota aur energy khatam ho jati hai islie sote hain. आत्मा आयामगत रूप से अलग है। हमारी दुनिया 3D hai. Aatma humse bahut pare ki baat hai. Geeta padhiye. Brahma Kumaris ko khud nahi pata Aatma. Aatma शब्द वेदांत से आया है। वहीं से सीखिए।@helloeswar
Sister can you please reply to my questions: 1. What is Soul? Is Soul and Aatma different? 2. How do you know that there is Aatma( I don't know what it is) in our bodies and it's placed inside my head? Can this be identified? If not then why? 3. Who gave us this word Aatma? 4. And where is this "I" coming from? 5. I am the power. And my brain is different from "I" So if the brain is not working. Can I still work?
@helloeswar अष्टावक्र गीता (अध्याय 1, श्लोक 12) आत्मा साक्षी विभुः पूर्ण एको मुक्तश्चिदक्रियः। असङ्गो निःस्पृहः शान्तो भ्रमात्संसारवानिव॥ आत्मा साक्षी है, विभु है, पूर्ण है, एक है, मुक्त है, चिद्रूप है, अक्रिय है, असंग है, निस्पृह है, शांत है और केवल भ्रम से ही संसार की वस्तु लग रही है। जब आत्मा अक्रिय है तो वो एक शरीर से दूसरे शरीर में कैसे जा सकती है? जब आत्मा असंग है तो वो शरीर में प्रवेश करके शरीर की संगति कैसे कर सकती है? श्लोक में स्पष्ट है कि आत्मा को चलायमान जानना भ्रम मात्र है। जीवात्मा (अहं वृत्ति) का जन्म-मृत्यु होता है, आत्मा का नहीं।
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 22) वासांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णा, न्यन्यानि संयाति नवानि देही ।। मनुष्य जैसे पुराने कपड़ों को छोड़कर दूसरे नये कपड़े धारण कर लेता है ऐसे ही देही पुराने शरीरों को छोड़कर दूसरे नये शरीरों में चला जाता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 22) जैसे मनुष्य जीर्ण वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को धारण करता है? वैसे ही देही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्याग कर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 22) यहाँ देही जीवात्मा की बात हो रही है, आत्मा की नहीं। जीवात्मा मिथ्या है, और आत्मा वेदांत का अमर सत्य। ध्यान दें कि इस श्लोक में देही शब्द आया है, आत्मा कहीं भी नहीं।
@helloeswar फिर आत्मा क्या है ? ब्रह्म को ही आत्मा कहते हैं। अयं आत्मा ब्रह्म (यह आत्मा ब्रह्म है) ~ मांडूक्य उपनिषद् प्रज्ञानं ब्रह्म (बोध ही ब्रह्म है) ~ ऐतरेय उपनिषद् अतः अज्ञानमुक्त मन ही आत्मा है।
@helloeswar Aatma is "Self". Ego means "अहम" या "अहंकार" जिसको "मैं" कहते हैं। अध्यात्म गॉसिप या आपके मजे का अड्डा ना बनाएं। मजे करने हों तो बाकी पूरी दुनिया पड़ी है।
Wah shivani didi Hari om ji
@@user-fw6te5yf2z Hari aur Om se didi ka koi matlab nahi. Didi kehti hain Hari aur Om to imagination hain. Baaki jo didi padhati hain. Energy, Positivity, Vibration, bhrikuti mein Aatma, Jyoti Bindu, ye hai asli अध्यात्म तो। Didi jo padha Rahi Hain vo didi ka diluded cult hai. Aatma शब्द जिन्होंने दिया है उनसे सीखिए।
Sister can you please reply to my questions:
1. What is Soul? Is Soul and Aatma different?
2. How do you know that there is Aatma( I don't know what it is) in our bodies and it's placed inside my head? Can this be identified? If not then why?
3. Who gave us this word Aatma?
4. And where is this "I" coming from?
5. I am the power. And my brain is different from "I" So if the brain is not working. Can I still work?
दीदी ॐ शान्ति, मैं भी करीब तीन महीने से इस संस्था जे जुड़ा हुआ हूं और रोज मुरली सुनने तथा श्री मत पर चलने की कोशिश भी कर रहा हुं। अगर कोई पूछे कि आत्मा क्या है तो सिंगल लाइन डेफिनेशन क्या होगा।
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 22)
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णा, न्यन्यानि संयाति नवानि देही ।।
मनुष्य जैसे पुराने कपड़ों को छोड़कर दूसरे नये कपड़े धारण कर लेता है ऐसे ही देही पुराने शरीरों को छोड़कर दूसरे नये शरीरों में चला जाता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 22)
जैसे मनुष्य जीर्ण वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को धारण करता है? वैसे ही देही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्याग कर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 22)
यहाँ देही जीवात्मा की बात हो रही है, आत्मा की नहीं। जीवात्मा मिथ्या है, और आत्मा वेदांत का अमर सत्य। ध्यान दें कि इस श्लोक में देही शब्द आया है, आत्मा कहीं भी नहीं।
आत्मा क्या है ?
ब्रह्म को ही आत्मा कहते हैं।
अयं आत्मा ब्रह्म (यह आत्मा ब्रह्म है)
~ मांडूक्य उपनिषद्
प्रज्ञानं ब्रह्म (बोध ही ब्रह्म है)
~ ऐतरेय उपनिषद्
अतः अज्ञानमुक्त मन ही आत्मा है।
Hosh mein to jab nahi so rahe tab hain hi. Energy nahi Consciousness. Jab hum so rahe hain tab bhi consciousness hoti hai bas different state of consciousness. Lekin jab so rahe hon tab hosh nahi hota aur energy khatam ho jati hai islie sote hain. आत्मा आयामगत रूप से अलग है। हमारी दुनिया 3D hai. Aatma humse bahut pare ki baat hai. Geeta padhiye. Brahma Kumaris ko khud nahi pata Aatma. Aatma शब्द वेदांत से आया है। वहीं से सीखिए।@helloeswar
Sister can you please reply to my questions:
1. What is Soul? Is Soul and Aatma different?
2. How do you know that there is Aatma( I don't know what it is) in our bodies and it's placed inside my head? Can this be identified? If not then why?
3. Who gave us this word Aatma?
4. And where is this "I" coming from?
5. I am the power. And my brain is different from "I" So if the brain is not working. Can I still work?
Khud ka darshan hota hai matlab? Energy sharir mein dekhenge kaise? And what is Aatma? Who give this concept of Aatma?@helloeswar
@helloeswar
अष्टावक्र गीता (अध्याय 1, श्लोक 12)
आत्मा साक्षी विभुः पूर्ण एको मुक्तश्चिदक्रियः। असङ्गो निःस्पृहः शान्तो भ्रमात्संसारवानिव॥
आत्मा साक्षी है, विभु है, पूर्ण है, एक है, मुक्त है, चिद्रूप है, अक्रिय है, असंग है, निस्पृह है, शांत है और केवल भ्रम से ही संसार की वस्तु लग रही है।
जब आत्मा अक्रिय है तो वो एक शरीर से दूसरे शरीर में कैसे जा सकती है? जब आत्मा असंग है तो वो शरीर में प्रवेश करके शरीर की संगति कैसे कर सकती है? श्लोक में स्पष्ट है कि आत्मा को चलायमान जानना भ्रम मात्र है। जीवात्मा (अहं वृत्ति) का जन्म-मृत्यु होता है, आत्मा का नहीं।
श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 22)
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णा, न्यन्यानि संयाति नवानि देही ।।
मनुष्य जैसे पुराने कपड़ों को छोड़कर दूसरे नये कपड़े धारण कर लेता है ऐसे ही देही पुराने शरीरों को छोड़कर दूसरे नये शरीरों में चला जाता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 22)
जैसे मनुष्य जीर्ण वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को धारण करता है? वैसे ही देही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्याग कर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होता है। हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय 2, श्लोक 22)
यहाँ देही जीवात्मा की बात हो रही है, आत्मा की नहीं। जीवात्मा मिथ्या है, और आत्मा वेदांत का अमर सत्य। ध्यान दें कि इस श्लोक में देही शब्द आया है, आत्मा कहीं भी नहीं।
@helloeswar
फिर आत्मा क्या है ?
ब्रह्म को ही आत्मा कहते हैं।
अयं आत्मा ब्रह्म (यह आत्मा ब्रह्म है)
~ मांडूक्य उपनिषद्
प्रज्ञानं ब्रह्म (बोध ही ब्रह्म है)
~ ऐतरेय उपनिषद्
अतः अज्ञानमुक्त मन ही आत्मा है।
@helloeswar Aatma is "Self". Ego means "अहम" या "अहंकार" जिसको "मैं" कहते हैं। अध्यात्म गॉसिप या आपके मजे का अड्डा ना बनाएं। मजे करने हों तो बाकी पूरी दुनिया पड़ी है।