बावलिया बाबा मंदिर चिड़ावा || बाबा ने बिरला परिवार को आशीर्वाद दिया || Bawalia Baba Mandir Chirawa
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- čas přidán 13. 10. 2022
- बवालिया बाबा मंदिर चिड़ावा || बाबा ने बिरला परिवार को आशीर्वाद दिया || Bawalia Baba Mandir Chirawa
जब बात आध्यात्मिकता की आती है तो शेखावाटी की धरती पर अनेक संत व विद्वानों ने जन्म लिया है |जिनमें से सर्वश्रेष्ठ संत बुगाला में जन्मे परमहंस गणेशनारायण बावलिया बाबा का नाम आता है। बाल्यकाल में ही भक्ति के बल व तपस्या के बल पर बाबा ने अनेक सिद्धियां प्राप्त कर ली थी। बवालिया बाबा की इसी महिमा का गुणगान आज देशभर में भी हो रहा है।
शेखावाटी एरिया के नगरदेव कहे जाने वाले पं.गणेशनारायण बावलिया बाबा का जन्म राजस्थान राज्य के झुंझुनूं जिले के बुगाला गांव में विक्रम संवत 1903 पौष बदी प्रतिपदा को गुरुवार के दिन हुआ था । ब्राह्मण कूल के घनश्यामदास एवं गौरादेवी के यहां जन्मे गणेशनारायण ने बाल्यवस्था में वेदों व व्याकरण और ज्योतिष का ज्ञान पर्याप्त प्राप्त कर लिया था। परमहंस गणेशनारायण जी पूजा अर्चना करके जीविकोपार्जन किया करते थे।
इक बार क्या हुवा नवरात्रि के समय में व्यवधान उत्पन्न होने के कारण उनकी पूजा-पाठ भंग हो गई। जिसके बाद गणेशनारायण जी घूमते फिरते गुढ़ागौडज़ी आ गए। करीब 12 से13 माह तक गुढ़ागौडज़ी की पहाडिय़ों पर उन्होंने कठिन तपस्या की। जिसके बाद कुछ समय तक जसरापुर के श्मशानों में भी रहे। आखिरी समय उनको चिड़ावा नगरी रास गई और चिड़ावा को शिवनगरी नाम देकर वहीं रहने लगे। परमहंस गणेशनारायण बाबा जी पूर्ण अघोरी रूप धारण कर चुके थे। वे माता भगवती दुर्गा के परम उपासक थे तथा उन्होंने दुर्गा मंत्र बीज ड ड ड का हर वक्त जाप करते रहते थे।
बाबा के मुंह से जो भी बात निकल जाती वह सत्य होती। बाबा के ये चमत्कार देख कई लोग इनके परम भक्त बन गये। काफी लोग बाबा से डरने भी लगे क्योंकि घटनाओं का भी पूर्व संकेत कर देते थे। सच्चे साधक होने के बाद भी काफी लोग बाबा को पागल मान कर बावलियो पंडित कहने लगे। अपने जीवन का अधिकतम समय बाबा ने शिवनगरी चिड़ावा शहर में ही व्यतीत किया।
संवत 1969 पौष सूदी नवमी गुरुवार को बाबा ने चिड़ावा शहर(शिवनगरी) के शिवमंदिर में अपने शरीर का त्याग कर दिया।
बाबा ने चिड़ावा शहर में रहते हुए लोगों को अनेक प्रकार चमत्कार दिखाए। लेकिन पिलानी के एक सेठ जुगल किशोर बिड़ला पर उनकी अटूट कृपा रही। सेठ पिलानी से रोज चलकर चिड़ावा आकर बाबा के दर्शन नहीं करते तब भोजन नही करने एवं उनकी सेवाभाव से खुश होकर बाबा ने बिड़ला को करणी- बरणी का आशीर्वाद दिया।
सेठ ने बाबा को कई बार पिलानी चलने का आग्रह किया लेकिन बाबा चिड़ावा के भगीणिये जोहड़ से कभी आगे नही गए। इसी कारण बिड़ला सेठ ने उनकी यादगार में संवत 1959 में जोहड़ खुदवाया और एक घाट बनवाया। तथा उसी घाट पर एक बहुत ऊंची गणेश लाट नाम की स्तूप भी बनवाया।
उस स्तूप से पिलानी शहरसे बिलकुल साफ दिखाई देता है। गणेश लाट स्तूप से देखकर बाबा ने बताया कि पिलानी शहर एक दिन शिक्षा नगरी बनेगा। बाबा ने जिस को भी आशीर्वाद दिया वह धन्य गया। पिलानी के सेठ जुगलकिशोर बिड़ला ( Birla Group ) से परमहंस बाबा बहुत स्नेह था तथा बाबा के आशीर्वाद से ही बिड़ला परिवार उद्योग व व्यापार के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।
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Subodh Bakolia - From -Surajgarh( Jhunjhunu), Rajasthan-( India )
Jai ho baba bawliya jiiii ki
🙏🙏
Jai baba ji
👍👍👍👍
Jay ho🙏🙏...
jai ho baba ki kya gajab ka mandir h
Jai baba re
जय हो बाबा की 🙏
Jai baba ki
Jai baba ki 🙏
Jai ho baba ki
Jai baba ji 🙏
Very nice 🙏🙏🙏👍
Very nice
Mja aagya👌
Pta nhi h ki itne base baba ji h jai ho
Nicr
Baba ka chamatkar desh or videsho tk fhila hai
बहुत खूब सूंदर
काफी अच्छी जानकारी मिल रही है आपके इस शानदार प्रयास से आप ऐसे ही अपने प्रयास से हमे जानकारी मुहैया करवाते रहे
baba ki kripa bani rhe pilani se kitna door h
15 km
Jai baba ki
jai ho baba ki
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Jai baba ki