Raag ki Kahani | Bairagi, Bairagi Todi, Vibhavati | Batiyan Daurawat - Dr Ashwini Bhide Deshpande
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- čas přidán 7. 06. 2024
- "बतियाँ दौरावत” के सुननेवालोंका आज के आख्यान में एक बार फिर प्यार भरा स्वागत ! आजके आख्यान में मैं कुल तीन रागों के बारे में ‘बतियाँ’ करूंगी। यह राग हैं- 'बैरागी', ‘बैरागी तोडी' तथा ‘विभावती'। इन रागों के बारे में, इनके नियम, तथा इनके बीच की नजदीकियों के बारे में 'बतियाँ' करूँगी और इनमें रचित बंदिशों की भी प्रस्तुती करूँगी | आज के आख्यान को 'राग की कहानी' इस नाम से प्रस्तुत करती हूँ।
राग बैरागी
गंधार और धैवत को वर्जित कर, रिषभ और निषाद के कोमल रूपों को उपयोजित करने वाला यह ओडव ओडव जाति का राग है, जिसका गायनसमय प्रभातके पहले प्रहर - यानि की ललित, विभास आदि के साथका बताया गया है। यूँ तो कर्नाटकी गायन शैली में इसी स्केल को 'रेवती' इस सुंदर नाम से जाना जाता है। परंतु पंडित रविशंकरजी ने 'बैरागी' को खुद का राग बताया है| इस राग के स्वरोका उच्चारण संस्कृत श्लोक या स्तोत्र के chanting की अनुभूति देता है। इस राग में एक बंदिश सुनते हैं जिस में मैंने कैलास पर्वत पर ध्यानमग्न अवस्था में बैठे श्रीशिवशंकर की कल्पना की है।
राग बैरागी तोडी
राग बैरागी का बिलासखानी तोडी से नाता जोडकर पंडित रविशंकर जी - जिन्हें मैं ‘गुरुजी' कहकर पुकारती थी- के द्वारा राग बैरागी तोडी की निर्मिती हुई थी। सन् था 1970। बैरागी की ही तरह ओडवओडव जातिवाले इस राग में पंडित जी ने शुध्द मध्यम को वर्जित कर, उस की जगह पर कोमल गांधार का प्रयोग किया और तोडी के करुणामयी स्वरूप का एहसास कराया। बैरागी के गंभीर, उदात्त, पवित्र भाव के साथ बिलासखानी तोडी की करुणा को जोड़कर गुरुजी ने एक अलग ही कहन वाला राग बनाया ! बैरागी तोडी की दो बंदिशें आपके लिए प्रस्तुत कर रही हूँ।
राग विभावती
राग बैरागी तोडी के बाद मैं आपको एक ऐसे राग की तरफ़ ले चलती हूँ जिसकी जन्म कहानी, मैं बयान कर सकती हूँ। यह राग सन् 2006-2007 में बना था और इसमें मैंने बैरागी के साथ अहिर भैरव को जोड़नेका प्रयास किया है। शुरु शुरू में मैंने इसे 'अहिर बैरागी' नाम से गाया| फिर जैसे जैसे यह राग पक्व होता गया, मुझे इसमे राग विभास की छटाएँ दिखने लगी। इसके स्वतंत्र व्यक्तित्व की अनुभूति होने लगी। इसलिए, फिर मैंने इसका पुनर्नामकरण करते हुए इसे 'विभावती' नाम दिया| इस आख्यान का समापन करूंगी राग विभावती की दो बंदिशों के साथ:- मध्यलय बंदिश “लाज रखो” साढे नौ मात्रा के सुनंद ताल में निबध्द है, तथा द्रुत तीनताल की बंदिश के बोल हैं "सबकी उधारी, मोरी सुध नाही"
Credits:
Written and Presented by : Dr. Ashwini Bhide Deshpande
Creative Ideation: Amol Mategaonkar
Tabla: Siddharth Padiyar
Sound Recording & Mixing: Amol Mategaonkar
Video Recording, Color Grading: Kannan Reddy
Video Editing: Amol Mategaonkar
Special Thanks: Dr. Vinay Kumar Mishra, Raja Deshpande
Opening Title Photo Credit: Varsha Panwar
#BatiyanDaurawat, #hindustaniclassicalmusic, #musicalmusings, #raagbairagibhairag, #morningraag - Hudba
❤🙏🙏🙏Apratim Saadarikaran!
Nishabda!!
Bhavapoorna vinamra SADHUWAD! Ashavinitai.
❤🌹💐🌹🌹
AtI Sundar Aakhyaan jo Sangeet shikshaa hame Dilaata hai."Batiyan Daouraawat" karyakram dwara
🙏🙏🙏
❤
Ashvinitai🙏🙏🙏Aapaki Mdhoor waanee Harsha ka Sangeetmay Stotra Hai.
Soomadhoor Swar Ninad ko Hruday sae Utsaahit karati hai!❤ 😊
🙏🙏🙏🌹
अप्रतिम सादरीकरण, बैरागी तोडी एकदम पसंत 🙏🏻🙏🏻
शास्त्रीय संगीत सभी संगीत का मूल है
Just change of one note's teevratha/komalatha can change the mood so much!! Music is eternal. 🙏
Didi... You make the whole world so beatiful. God bless you with good health, happyness and long life.
ये राग सर्व प्रथम भेंडीबझार घराणे के उस्ताद अमान अली खांसाहेब ने उत्तर भारत संगीत मे लाया| इस राग के साथ बहोत सारे कर्नाटकी राग मे भी उन्होंने बहोत उत्तम बंदिशे रची और उन रागोंको गाया, प्रस्तुत किया, जैसे की हंसध्वनी, प्रतापवराली, सांझ, जयत, हेमकल्याण, खेमकल्याण नाग सुरावली और अनेक वर्ष ये राग और ये बंदिश इस घराणे के गुरुशिष्य गा रहे है| पं. रविशंकरजीने इसे बैरागी इस नाम से प्रस्तुत किया लेकीन भेंडीबझार घराणे मे ये पहेलेसे ही 'बैरागी भैरव' नाम से जाना और गाया जाता है. Dr.संगीता कोल्हापुरेजी ने इसे 'भेंडीबझार घराणे के वैशिष्ट्यपूर्ण राग और उनकी गायकी' इस विषय में गुरू साधना जोशी जो की भेंडीबझार घराणे की उत्तम गायिका थी उनके मार्गदर्शन में संगीताचार्य के पदवी लेते समय ये दिखाया और प्रस्तुत किया है|इस राग मे भैरव कैसे दिखाया जाता है ये बहोत रंजक और अलग लेकीन अभ्यास का विषय है|
Very well researched article.
9:59 "...Ek alag ki kehen wala raga banaya..." Waah. Sometimes the choice of words can make one think of a paradigm in a different (novel) manner. Raga-ragini aur uska kehen. Waah, ati sundar vichaar.
पीनाक धारी ही बंदीश सु मधुर आवाज ऐकून खरच च शिव ध्यान मधे पोहचली.नमन 👏👌👌🌹
Insightful❤
Pranam Tai!
Love from Sri Lanka ! 🙏🏻🪷❤️
I'd love to hear your perspective on raag Charukheshi. ❤
Lovely ragas
Awaz sun kar hi dil khussh ho jata apki ❤🙏
🕉️🎵ताई, आप कितनी भाग्यशाली हैं कि आप को गुरुजी पं. रविशंकर जी के समक्ष गायन प्रस्तुती का मूल्यवान क्षण प्राप्त हुआ और वह भी उनके आशीर्वाद प्रसाद के सुफल -संपन्नता सहित!!! 🎶🕉️
🕉️🎵आप की विद्वात्तापूर्ण संपदा को मेरा सादर सविनय प्रणाम!!!😔🙏🏾😔🙏🏾😔🙏🏾🎶🕉️
Pranam my mother 🙏
बहुत खूब! मन इन रागोंमें मगन हो गया! अनेक धन्यवाद!!
Maam Please record Raag Vachaspati bilambit (Maan mohana wa).
Wa wa kya bat hai सगळंच अदभुत 🙏🙏
Apko koti koti naman 🙏🙏🙏
Namaste guruji.. Ati sunder akhyan tino raago k bare me,. Ragrachnanjali me se ye raago ko sikhne ka mauka mila iske liye aapke khub khubaabhari he... Koti koti vandan
Awesome. Brilliant. ❤ Pranaam.Aap aek meeti Vaggeyakkar.
❤️🙏🙏💐
THANK YOU SO MUCH
🙏🙏🕉️🕉️💐💐
Great work
thanks 🙏
शुरुआत में 'बतियाँ दोहरावत हैं' किस राग की बंदिश है। कृपया कोई गुणीजन बताएँ।
Shuddh kalyan