वृंदावन प्यारो वृंदावन-Vrindavan Pyaro Vrindavan Bhajan- इंद्रेश उपाध्याय जी

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  • čas přidán 13. 05. 2024
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    श्यामा हृदय कमल प्रगट्यौ || वृंदावन प्यारो वृंदावन || इंद्रेश उपाध्याय जी🌸🙏 वृंदावन भाव #krishna
    श्यामा हृदय कमल सो प्रगट्यो । श्याम हृदय को भाये ॥ वृंदावन प्यारो वृंदावन ||
    सब सुखसागर, रूप उजागर रहें वृंदावन धाम । रूप गोस्वामी प्रगट कियो जहाँ गोविंद रूप निधान ॥ वृंदावन प्यारो वृंदावन ||
    विहरत निसदिन कुंज गलिन में, वृजजन मन सुख धाम । मदन मोहन को रूप निरख, सनातन बलि बलि जाये || वृंदावन प्यारो वृंदावन ||
    गोपी ग्वाल सब, हिय उर धारे, प्यारो गोपीनाथ । मधुसूदन जिन कंठ लगायो, है रही जय जयकार || वृंदावन प्यारो वृंदावन ||
    गोपाल भट्ट के हृदय वेदना, प्रगट्यो शालिग्राम | रूप सुधा को खान हमारो श्री राधारमण जु लाल ॥ वृंदावन प्यारो वृंदावन ||
    आतुर हवे हरिवंश पुकारो, श्री राधा राधा नाम । सघनकुंज यमुना तट आयो श्री राधावल्लभ लाल ॥ वृंदावन प्यारो वृंदावन ||
    युगल किशोर को लाड़ लड़ायो नवल कुंज हिय माही । कुंज निकुंजन कि रजधारे, व्यास युगल यश गायें ॥ वृंदावन प्यारो वृंदावन ॥
    भुवन चतुर्दश की सुन्दरता, निधिवन करत बिहार । श्यामा प्यारी कुंज बिहारी, जै जय श्री हरिदास ॥ वृंदावन प्यारो वृंदावन ॥
    विप्र धेनु संतन के करण रण छोड़ो बृज नाथ। कुशभूमि द्वारवती पधारे, गोमती तट द्वारवती पधारे ॥ ॥ कहलाये द्वारिका नाथ वृंदावन प्यारो वृंदावन ॥

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