देवासी रबारी अपने सरनेम के पीछे सिंह और भाटी इसलिए लगाते हे | जान लीजिए | Rabari Title HISTORY
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- čas přidán 29. 06. 2024
- देवासी रबारी अपने सरनेम के पीछे सिंह और भाटी इसलिए लगाते हे | जान लीजिए | Rabari Title HISTORY | Keval Bhai Luni Dewasi
देवासी के बिना लोकदेवताओं का इतिहास अधूरा हे, हमारा इतिहास मिटाया गया हे | कपूर राईका | पाली लाइव
राईका बाग आंदोलन को लेकर Lal Singh Raika ने दिया बड़ा बयान, राईका समाज करेगी जोधपुर में आंदोलन
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राईका बाग जोधपुर को लेकर देवासी समाज करेगी बड़ा आंदोलन | Raika Bag Jodhpur| Press Conference Live
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Dewasi Yuwa Sangathan
राजपूत समाज भी आपके हर चीज में आपका आपकी समाजके साथ है
राजपूत देवासी रिश्ते अमर रहें
रबारी आदु/आदि जाति हैं जिसकी उत्पति या जन्म शिव से हुआ है। इसलिए आज भी रबारी यो को शिव पुत्र कहा जाता है। ओर प्रत्येक रबारी भी अपने आप को शिव पुत्र ही मानता है। इसलिए किसी अन्य जाति से ना जोड़े और जो नख का सिस्टम था वो उन वंशों से नही बल्कि उस क्षेत्र से था जहा वो प्राचीन समय से रह रहे थे। इसलिए उन्होंने अन्य वंशों के राज्य आने के बाद उस क्षेत्र के छोड़ने पर तत्कालीन वंश के राज्य से अपनी निकासी यानी उस क्षेत्र को छोड़ने पर नख या उत्पति से जोड़ा जाता हैं।ताकि किस वंश के आगमन के बाद उन्होंने वो क्षेत्र त्यागा इसका सटीक जानकारी मिल सके।।
बिलकुल श्रीमान जी आपकी बात तो सही है,प्रत्येक जगह रबारी/राईका समाज को अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग पदवी दी गई है। Mp में भी रबारी यो को ठाकुर की पदवी है,ठाकुर यानी वो उस गांव के अग्रणी थे,ओर राजा ओ के द्वारा उन्हें पदवी दी गई,जोधपुर में 12 गांवों के ठाकुर जिससे गामधणी भी कह सकते हो वो उन 12 गांवों में रबारी ही ठाकुर थे।जिसमे आसंडा, कवलेसर,छिपी,किरमिरिया.. जैसे गांव थे। उसी प्रकार मेवाड़ से दक्षिण क्षेत्र वागड़ में भी इन्हे चौधरी की पदवी दी गई जो वहा दो गांवों में दी गई थी जो की वहा के जागीरदार थे जो कर वसूलते थे।उसी प्रकार गुजरात में मराठा ओ को मदद करने के कारण उत्तर गुजरात में ओर खास कर पाटन ओर समाल परगने में इन्हे देसाई और इन्हे इन पूरे परगने को 4 भाग में डिवाइड कर 4 सरदेसाई बनाए। उसी प्रकार धोलका में जगमाल जी रबारी को धोलका की सरदेसाई की पदवी दी थी। उसी प्रकार सौराष्ट्र क्षेत्र में भी बहुत से रबारी यो को गरास दिया था यानी जागीरी दी गई थी। भावनगर में कुंडवी रबारी यो का ठिकाना था जहा। राहा जी भाडका रबारी गामधणी थे जिनके नीचे बहुत गांव आते थे। था उनके व उनकी ढेलन घोड़ी के नाम पर भावनगर राजा ने 500 बीघा जमीन घोड़ी के नाम पर भेंट की थी। उसी प्रकार कच्छ में रबारी यो को शिनाई की पदवी दी जो की गामधणी थे।जिनके पास न्यायिक शक्तियां भी थी। रबारी/राईका समाज का इतिहास गौरवशाली रहा है,रबारी आदु जाति हैं जिसका तात्पर्य है आदि जाति जो सदियों से इस मांड/मारवाड़ में निवास कर रही है,हमारे समाज के लोग आम भाषा में भी समाज को आदु समाज की उपमा देते हैं।इसलिए अपने आप को अन्य जाति से उत्पन्न बताना मूर्खता है। ओर रबारी सिर्फ जैसलमेर ही नहीं उसके अलावा भी मारवाड़ ओर गोडवाड के क्षेत्र में प्राचीन समय से निवास कर रहे हैं जो की मारवाड़ की आदु/आदि जाति हैं। ओर पतंजलि के महाभाष्य में भी रबारी यो के दो गण राज्यो का उल्लेख किया है। ओर बहुत से इतिहासकारों ने माना है की रबारी सिंधु घाटी सभ्यता के जनको में से एक हैं। ओर इसके बहुत से प्रमाण आज भी मौजूद है।ओर रबारी जिस समय इन क्षेत्रों में थे उसी समय इनके उत्तर में नाग जाति का राज था जो की आज का नागौर हैं,ओर उसका शक्तिशाली राजा अहि हुआ जिससे इसे अहिछत्रपूर कहा गया है,इसी अहि नाग की बेटी हीरा से उन रबारी गणराज्य के अग्रणी धनराज ने विवाह किया ओर उसके बाद रबारी हिरावंशी कहलाए। क्योंकि उस समय नाग जाति भी बहुत मजबूत थी,ओर अपने पराक्रम दिखाकर उससे विवाह किया जिससे इस पल को गौरवशाली मानने के लिए वे अपने आप को हिरावंशी कह कर संबोधित करने लगे। मारवाड़ ओर उत्तर गुजरात व कच्छ के कई गांव ओर शहरों की स्थापना रबारिओ ने की। सिवाना,बालोतरा,बागोड़ा,गोल(उम्मेदनगर) खिंवाड़ा,रेवतड़ा,खुडाला,भूमलगढ़,रातानाडा, आसानाडा गांगलो री पोल,चोखा,सुइगाम, अनावाडा, धर्मज, बोपल,मूली,आकोली,मिंडियाली, कंभोई ऐसे तो बहुत है,ओर इसके अलावा पोरबंदर का गीर बरड़ा के भी प्राचीन निवासी रबारी हैं। बरडा का नाम भी रबारी से बना है। रबारी समाज का अतीत गौरवमय रहा है। रबारी एक ईमानदार कौम है हम किसी का इतिहास नहीं चुराते हैं ओर नही किसी को अपना बता कर अपने आप को झूट की बुनियाद पर बड़ा करना चाहते हैं। इन सभी तथ्यों के पौराणिक ग्रंथ,ताम्रपत्र व रावो की बहियो में भी इनका उल्लेख है। इसलिए यह सत प्रतिशत सत्य है। जय विहोतर 🚩
महोदय बहुत खूब लिखा है आपने.❤
जय हो
Good 👍 gujrat rabari samaj ka full sports
रबारी❤❤❤❤❤❤❤❤
हम रबारी है, हमें क्षत्रिय और राजपूत से ना जोड़ों, proud to be Rabari ❤
लेकिन हमें केवल राईका रबारी देवासी समाज में बहुत सीमित रहना है श्री वीर हड़मल जी राईका इतिहास एवं संस्कृति संरक्षण संस्था रजिस्टर भारत 🐪
Jay Rabari samaj
जय हो
🎉🎉
Rabari shtriy hai aur ham rajputon ke bhai Hain
Rabari ❤👏🏻
हमें रबारी ही रहने दो ठाकुर और क्षत्रियों से मत जोडों 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@@incredible_newindia_50 bilkul sahi baat hai
रबारी समाज की प्राचीन उत्पति क्षत्रिय से बता रहे है व किसी अन्य से उत्पत्ति वाली बात गलत है ,क्योंकि रबारी आदु जाति हैं जिसकी उत्पति शिव से हुई है। लेकिन जो ठाकुर पदवी की बात है वो सही है ठाकुर/चौधरी/देसाई किसी एक जाति का नाम नहीं है यह उस समय के गाम अग्रणी या गामधणी को दिए जाते थे जो की सही है और यह mp में भी दिए गए थे। ओर यह अन्य जाति के लोगो को भी दिए जाते थे बहुत से ब्राह्मणो को भी ठाकुर की पदवी दी जाती थी ,ओर अन्य जाति के व्यक्ति यो को भी दी जाती थी।
रबारी समाज की उत्पति शिव से हुई है न कि किसी अन्य वंशों से। और रही बात ठाकुर पदवी की तो वो सही है up ओर mp में बहुत से जगह रबारी यो को ठाकुर पदवी यानी जागीरदारी दी गई थी इसलिए वो आज भी सिंह लगाते हैं।
सही बात है भाई साहब 🙏🏻 जय रबारी समाज ❤
@@Socialworker723कुछ सबूत दो कि Rabariyo को up mp में ठाकुर की पदवी दी हुयी है ? 🤔
केवल जी देवासी सेठ जी
Hare bhau h
❤❤❤
Hum koi bhi rajput se nikale hove nhi hmari kud ki Yah jati h kyu faltu m dusari jati se aapne ko jod te h hum jaise bhi hum sab proud rabari raika Dewasi h
Sirf or sirf Raibari
यह केवल राम जी हे मेरे फुफाजी❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Raika Rajputo se nikle he kb
Rupalo raBari ha
Apni jati kom me Har Inshan Thakur hota ge
Stop nonsense think like Thakur hum apani jagah sab kuch h don't need like Thakur and other's nak wali faltu story h tum logo ko kisi other's jati se mat jodo please 🙏
Krupya galt word ka ऊपयोग ना करे
राव भाट की बहियों मे Rabari Raika को क्षत्रिय से नहीं बताया गया है क्या ?