जिस घर में हमारा जन्म हुआ पालन-पोषण हुआ वही घर पलायन के कारण इस तरह बंजर पडे हुये हैं 😭😭😭
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- čas přidán 27. 08. 2024
- । • क्या उत्तराखंड के गाँव... दुख की बात है पलायन के कारण उत्तराखंड के गाँव के गाँव बंजर पडे हैं , कितना दुख होता है अपनी जन्म भूमि को इस तरह बंजर देखकर।
चिंता मत करिए ये सब बंजर घरों में हमारे मुस्लिम भाई रहेंगे कुछ साल रुकिए सब गांव हरे भरे हो जायेंगे । क्योंकि अब मुस्लिम भाई लगे पहाड़ो की ओर पलायन करने लगे है❤
You are Right Bhai
बंग्लादेसीयो को ओर क़्या चाहिये वो समय बहुत जल्द आने वाला है
रोने से अच्छा यह होता कि आप सब मिलकर इस बनजर भूमि में फलों के वृक्ष लगवा देती,जो आगे वाली पीढ़ियों के लिए पुणय का कार्य होता।
भाई जी लगता है आपने कभी खुद एक पौधा भी नहीं लगाया है
चलो मान लिया इन बहनों ने नारंगी माल्टा के पौधे लगा भी लिया तो उनको उगने तक पानी कौन डालेगा और जानवरों से सुरक्षा कौन करेगा
पलायन यूके में घर घर की कहानी है भाई
मेरा बात किसी को दुखी करने के लिए नहीं ना ही कोई सवाल जबाव करने के लिए।जब मुझे पेड़ लगाने का अनुभव होगा,तभी मैंने अपना कमेन्ट दिया होगा।@@keshudhami7760
बहन जी भी मात्र वीडियो बनने के लिए आई है
कमेन्ट मानना या ना मानना आपकी इच्छा पर निर्भर करता है।@@keshudhami7760
क्या करें जी, मुझे भी आपकी आंखों में आंसू देखकर रोना आया,यह सब हमारी बेरोजगारी की स्थिति का हाल है।बंजर को विकास नहीं कहा जायेगा। कहां गया हमारे पहाड़ का विकास, यही बंजर है। मुझे आपकी कहानी सुनकर, अपना गांव का बचपन आ गया।❤❤ डीएस कैड़ा मेरठ।
तभी तो कहता हूं कि आप ऐसे सरकारों को चुनो जो हमारे उत्तराखंड को संवारने में हमारी-आपकी मददगार साबित हो 😢
बिल्कुल सही कहा बहन बहुत बुरा लगता है अपने जन्म भूमि को बंजर देखकर आप सभी बहनों को मेरा प्रणाम 😭🙏
देवी जी गढ़वाल छोड़ के शहर में चले गए हो लेकिन उससे भी ज्यादा दुखद बात तो यह है यह है कि आपको गढ़वाली भाषा आते हुए भी जानबूझकर आप गढ़वाली में नहीं बोल रहे हो हिंदी में बोल रहे हो कम से कम अगर मातृभूमि का त्याग कर दिया है आपने तो मातृभाषा का तो त्याग मत करो मातृभाषा को बोलने में शर्माना नहीं चाहिए
आपने बहुत अच्छा जवाब दिया भाई साहब !
मै स्वयं अपने गांव से बाहर रह रहा हूं
लेकिन मैने अपना घर बिलकुल सुंदर बनाया है। हर दो तीन महीने में एक चक्कर अवश्य ही अपने घर जाता हूं साफ सफाई तथा रिपेयर का कार्य कराता रहता हूं । मेरी इच्छा है कि मेरा बुढ़ापा भी वहीं बीते जहां मेरा बचपन गुजरा ।
कम से कम अपने माता पिता की संपत्ति को तब तक तो जरूर जिंदा रखूंगा जब तक मैं जिंदा रहूं।
प्रणाम जी !❤❤❤
Ye video sirf like or comment karwane ke liye bani hai Didi ji agar rona aa raha hai to garhwal apne ap jese logo ki wajha se aaj shadi hona bhi duswar ho gaya 😖😖😖
बहुत दुःखद है यह | स्वर्ग सी जन्म भूमि आज इस हाल में |
वैसे आपकी बात सही है। पर जरा दोनों पहलुओं को समझना जरूरी है। पहली बात आपने अपने मायके को देखा रोना आया, दूसरी बात अपने ससुराल के घरों को भी देखो। आपने अपनी सुख सुविधा के लिए ससुराल के घरों को बंजर करवा दिया,इसी प्रकार आपकी भाभियों ने भी बंजर करवा दिया। इसके लिए महिलाएं जिम्मेदार है। पुरूष तो पहले से ही बाहर रहा है। इसलिए सभी महिलाएं इस जिम्मेदारी को निभायें। उत्तराखंड अपने आप सुधर जायेगा।
Bhai ji Aap ne bahut he sundar baat kahi,Ish palayan ka ek karan Mahila bhi hai.Purush to pahle say bahar jata raha hai kamane k liye.lekin mahilao ki wajah say ki hamko kam nahi karna pare.Ish tarah Hamara Gadwal palayan ka karan hai.Aap ka wakai Parsansniya hai🙏🙏
Shi bat brother 👍
Shi बात आप सभी भी सहरी हो गये
महिलाओं ने गददारी की है पुरूषों को तो नौकरी के लिये दूर जाना ही पडता है
Bahut bahut sunder aaj apkaa bolg dekhaa..
Sochne wali baat e h ki palayan ku hua h hamare pahadon se....kahin nakahin hamare pahadon aaj bhi moolbhut jaruraten...jaise
1.education
2 medical
3.rojgaar
4.h wo h dekha dekhi aaj ke dour p apke gawn wali kahani hamare poore pahad ki h...ji bura to har kisi ko lagta h .jab apni jnm bhumi ko is haal m dekhega to. Ek majboori h ji .or ek jimmedari.apne bachon ko lekar. Lekin uske sath sath ham apni bahut bdi birast ko khote ja rahe h ...😢😢m khud army se hi or apne gawn ko bahut miss karta hu. Rona ataa h bahut....bt kise kahe. aaj hm hi bahr h bachon ke khatir. JAI Dev bhoomi uttarakhand 🙏
सारे पहाड़ की यही कहानी है ये सिलसिला रुकने वाला नहीं है शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के अभाव के कारण ऐसी हालत पहाड़ में रुकने वाली नहीं है। बहुत सुंदर भावनात्मक ब्लॉग।
पलायन भी तो हम ही कर रहे हैं अगर जन्म भूमि से सच्चा लगाव है तो फिर पलायन क्यों कर रहे हैं?
पलायन पर सबसा जयादा वही बोल रहा है जो स्वयं पलायन कर रहा है जिन्हें अपनी जन्म भूमि से वास्तविक प्रेम है वह आज भी अपनी जन्म भूमि नहीं छोड रहा है आज भी यहीं रह रहा है।
Bilkul shi ji 👍
अपनी - जन्म भूमि को कभी भूलना नहीं चाहिए जिसको स्वर्ग से भी बढ़ कर दर्जा दिया है❤ बहुत बढ़िया हृदय को हुने वाला ब्लौग ' अति उनम ।
मै पहाड में हूँ, आजकल गाँव मे ज्यादातर बुजुर्ग हैं, 10 किलो प्याज के चक्कर मे पेयजल से सिचाई हो रही है,पीने को पानी नही है।माने यहां कैसे रहे? पलायन तो होना ही है।मै भी यही सोचता हूँ यहाँ से कब निकला जाय।पानी नही,दवाई नही,हर बक्त जंगली जानवर का डर।जो लोग चले गए, ज्यादा सुखी हैं।
बहन आप ने मुझे अपने घर की याद दिलाई है और अपने घर और गांव की ओर आने का संदेश दिया है आप को नमस्कार ओर बहुत बहुत धन्यवाद
🙏🙏🙏
पूरा उत्तराखंड आज ऐसे ही रोज रहा है शहरों में विस्थापित लोगों के वापस आने की कोई सूरत नहीं दिखाई देती 😢😢😢🎉
देव भूमि मे अपने पितरों की छाया जन्म भूमि वहां का बचपन आज हमें भी याद आ गया बाबू बूबू ने मेहनत से घर बनाये ये सब देखकर आखों में आंसू आ गये।
🙏🙏🙏😢😢
सही बात है बचपन फिर लौट कर नही आता केवल यादो के सिवाय
🙏🙏
जिम्मेदार कौन? आँसू बहाने से क्या होगा? ये रोना लोगों को ज्यादा प्रभावित नहीं कर सकता, क्योंकि अपने स्तर पर क्या प्रयास किया ये महत्वपूर्ण है l
जय भवानी
बहुत सुंदर 🙏🙏❤️❤️रोङ की जगह गाँव तो अच्छा लग रहा फिर भी पलायन ❤
हम भी आप के साथ जुङ गए ❤❤
Thankyou 🙏
अपणी पुश्तैनी कूड़ा पुंगड़ा इनिके बंजर पड़ीगे हमारा पुरांणा पितर लोग बहुत दुखद होवला सभी उत्तराखंड लोगोअं तैं यु बिषय पर सोचंण पलोअ पिछियैडि़ बहुत देर हुये जैलि ।जय देबी भूमि उत्तराखंड ❤❤❤❤❤❤❤
और उत्तराखंड सरकार से मेरा निवेदन है कि जिसकी भी जमीन 12 साल से बंजर पड़ी है और अपने घर नहीं आता है उसकी जमीन को सरकार को अधिकरण कर देना चाहिए और जो आदमी पहाड़ में निवास करते हैं उनको दे देना चाहिए
Teri okat free ki hi khane ki hi lagta hai,
भाई साहब कौन करेगा खेती , सरकारों ने सस्ती और मुफ्त की राशन ने लोगों को पंगु बना दिया है।
प्रणाम जी !
@@digamberuniyal810 सर जी मैं जिला पिथौरागढ़ बेरीनाग मैं रहता हूं जहां पर ब्राह्मणों का गांव है और वहां से सारे ब्राह्मण पलायन कर गए हैं एक दो परिवार राजपूत भी रहता है राजपूत परिवार के एक नौजवान ने बहुत बड़ी साग सब्जी की बागवानी की है जिससे वह सालाना 500000 की सब्जी बेचता है चांदनी चौक में बर्तन साफ करना यहां के नौजवान को अच्छा लगता है लेकिन करोड़ों की जमीन घर में पड़ी है उसमें खेती करने में आदमी को शर्म आती है
काश उत्तराखंड की औरतों को ससुराल के घरों पर भी रोना आता।तो पहाड़ों का ये। हाल नही होता।
पाहडो से पलायन का मुख्य कारण महिला ही है
@@jogasingh2338 सही कहा ना होगा बांस ना बजेगी बाँसुरी शादी करना बन्द कर दो तब आँखे खुलेंगी अरे सभी मिलकर महिलाओ को दोषी मान लिया बो भी इंसान है उनका मन भी करता है अपने हिसाब से जीने का बदलाब प्राकृति का ही नियम है
जिन घरों में जन्मे हम उसके खुले किवाड़ छोड़ आये।
महज दो जून रोटी के लिए अपने सुन्दर
पहाड़ छोड़ आये। 😢😢😢
youtube.com/@Bagwan1973?si=l68fadubTc9d7B4g?sub_confirmation=1
जय श्रीराम 🙏 जय ईष्ट देवता जय कुलदेवी देवता, जय पित्रों की भूमि, जो दिन बीत चुके वो कभी नही आयेंगे 😢😢😢
आप लोगों की बातें सुनकर मुझे लगता है कि आप लोग आज भी अपने ससुराल में अपने गांव के घरों में ही रहते होंगे 🙏🙏
हम भी शहर मै रहतेहै पर हमने अपना घर बहुत सुंदर बनाया है मंदिर भी 😊
बचपन की यादें रुला दिया आपने
सच्चाई यह है कि हमारा उत्तराखंड कृषि पधान था मगर उत्तराखंड बनने पर सरकार ने किसानो की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया यहा अस्पताल मेडिकल उपचार की सुबिधाये स्कूलों की सुबिधाये व खेतो मे जो भी आनाज उगता है जगली जानवरो की रोकथाम पर कोई ध्यान नही दिया सरकारो ने रोड बिजली तो गावो मे पहुच गये मगर सरकार को खेतो के पलाटेशन सुबिधाये होनी चाहिये थी सबसे बडी गलती हुई राजधानी देहरादून मे बनाई कुमाऊ व गढ़वाल के बीचोबीच मे बनानी चाहिये थी उत्तराखंड का दुर्भागय है नैकरिया भी बाहर के लोग जाली हरि जनो को मिल रही है जी
Sahi baat 🙏
मैं भी उत्तराखंड का हु दीदी आज जब में ड्यूटी में था आपकी यह वीडियो देख रहा था आंखो में आसू आ गए आज उत्तराखंड में हर गांव का यही हाल है आई लव उत्तराखंड आई लव पहाड़
बिटिया साल मे एक दो बार.जरूर. गांव आया करो,कमसे कम हमारी मात्रिभूमि आगे आने वाली पीढी को हमारा अतीत बताती रहेगी।
🙏🙏
साल में एक बार घर जरूर जाना चाहिए❤❤? अपना गांव छोड़ना नहीं चाहिए
Bahut hi sunder aur Emotional moments... yaad na jaye beete dino ki....
प्रमिला बहुत अच्छी वीडियो बनाई मायके के बंजर खेत वह मकान को देखकर बहुत ही बुरा लग रहा है😭😭😭
😭😭😭
राज्य सरकारें इस ओर जरूर ध्यान दें।इन बेटियों के आंसुओं को समझते हुए पहाड़ के युवाओं के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध करायें जिससे कि पलायन रुके।
भाई यह रोजगार की वजह से पलायन का मामला नहीं है क्योंकि इनके सभी भाइयों ने देहरादून में मकान बनवाए हैं!! यह केवल आधुनिक सुख सुविधाओं की ललक का मामला है!! आज गाँव की महिला/ पुरुष दोनों ही आरामदायक सुविधापूर्ण जीवन चाहते हैं, शारीरिक मेहनत कोई नहीं करना चाहता है और यह बात सच है कि पहाड़ के गांवों में जीवन बहुत श्रमसाध्य है !!
Sehi bola betiyan Jahan bhi jayen shadi ke baad maike chahe koi ho ja na ho ghar dekhker hi Rona aa jata hai
🚩जय जय देवभूमि उत्तराखंड 🌹🙏
🚩जय जय बद्री केदार 🌹🌹🙏
धन्य हैं बह देवभूमि की बेटियां बहुएं माताएं जिन्होनें कठीन परिस्थितियों और सिमित संसाधनों से
अपनी खेती बाडी़ और आपने पित्रों के मकानों में रोसनी का दीपक जला रखा हे अपनी कठिन मेहनत के दम पर कर रही हैं खेती
💐 धन्यवाद हाथ जोड़कर 🙏
ऐसे देखकर बहुत बुरा लगता है भुली ♥️♥️♥️ परमात्मा की कृपा से हम गांव में ही रहते हैं ❤
🙏🙏
कौन जिम्मेदार हैं हम सभी लोगों को सोचना चाहिए। अभी भी समय है अपनी जन्म भूमि को संजोएं नहीं तो बहुत देर हो जायेगी।
दीदी नमस्कार वैसे पलायन का कारण हमारी माता और बहनों का बड़ा हाथ है आपको दोनो पहलो पर समझना चाहिए जहांआपका ससुराल है क्या आप वहां रह रही हो
बहन पूरे उत्तराखंड का यही हाल है दिल से रोना आ रहा है
Nhi bhaiji kabi hamare pauri rath ana koi palayan nhi
अभी आने वाले १० सालों में और भी बुरी स्थिति होने वाली है हमारे उत्तराखंड की ,सबको देहरादून चाहिए।
आने वाली पीढ़ी हमको गालियां देंगी ❤
Ji 🙏🙏
देखिए जब तक रोजगार और स्कूल, हॉस्पिटल, मार्केट आदि की सुविधाएं नहीं होगी तो कोई केसे रहेगा पुराना समय अलग था
पलायन की पीड़ा 😢😢😢😢😢❤❤❤❤❤
सही कहा, बेटी, बचपना और मायका नही भूलती,,, बेटा क्यो, और किसकि वजह से अपने पूरे परिवार को भूल जाता है, हिन्दू पलायन नही करे, अवैध कब्जे हो जाएगे, सम्पत्ति सभालो, शिक्षित हो।
जब से उत्तराखंड बना तभी से यह हाल हुये है जी
मोदी लाओ देश बचाओ, जय मां भारती, जय देव भूमि उत्तराखंड 🔱
उत्तराखंड बनने के बाद ऐसी ही बरबादी होनी थी तो उत्तर प्रदेश ही बढ़िया था राजधानी लखनऊ रहती तो सभी लोग देहरादून तो नहीं जाते भाड़ में जाए ऐसा विकास जो केवल देहरादून तक सीमित है ।
Apna Ghar ka dhyan rakhna chahiye or sabhi ko saath milkar uttarakhand ka vikas karna chahiye ❤😂😊
Aap ne mere ko mere bachpan yad diladiya pahad ho ya samtal phle sab ka bachpan ak jesa tha ab sab ko shro ka hi rhna pasnd h
💐💐💐
बहनों हम सब ही जिम्मेदार है इस दुर्दशा के, अगर बीच बीच में सब को आते रहना चाहिए और पित्रों के धरोहर को संभालते रहना चाहिए।
🙏🙏🙏
🎉😢बहुत ही भाउक चित्रण किया है ।सभी बहनों को धन्यवाद शुभ आशीर्वाद ।धर्म सिंह् नेगी तुनवाला देहरादून ।
🙏🙏🙏
दीदी आपने मुझे भी रुला दिया 😢😢😢
Bahut sundar didi parmila
क्या करें जी कोई भी पहाड़ों में रहना नहीं चाहते हैं आ रहा है समय पहाड़ों का
पैसा अधिक हो जाने के कारण ये हाल हुआ लोगों ने मेहनत करना छोड़ दिया
जिस घर में हमारा जन्म हुआ पालन-पोषण हुआ वही घर पलायन के कारण इस तरह बंजर पडे हुये हैं 😭😭😭
V Nice
बहन जी इन घरों और खेतों को बंजर करने का श्रेय भी तो आपके भाइयों को ही लेना पड़ेगा ऐसा क्या निराला है देहरादून का किसी अन्य शहर में जो कि अपनी जन्मभूमि का ये हाल बना दिया है चलो ये तो आपका मायका है और यहां आप लोगों का बचपन बीता है पर क्या आज जो आपका अपना घर या ससुराल है वो आबाद है ? क्या कभी उसके लिए भी आंसू निकलते है क्या कभी झूठे ही सही दिल में खयाल आता है कि चलो उसे संवार लें क्योंकि वो तो आपके अपने हाथों में है और इसमें कुछ असंभव भी नहीं ।
उत्तराखंडियों के ऐसे आंसुओं को देखकर उनके लिए कोई शब्द नहीं निकलते जो अपने पूर्वजों के अथक और अकल्पनीय प्रयासों से संजोए गए और गरीबी और बेबसी के बाबजूद बनाए गए इतने सुंदर और बड़े बड़े मकानों और खेत खलिहानों को सदा के लिए ऐसे छोड़ गए कि साल में एक दो बार दो चार दिन ही सही वहां के रख रखाव और देख भाल के लिए वहां चले जाएं हम पहाड़ियों के पास पहाड़ के मुकाबले कितनी जमीन और मकान शहरों में है। जब आज आप जैसे लोग हार मान बैठे हो तो आपके बच्चे जो इस जगह से अछूते हैं वो वहां क्यों झांकने भी जायेंगे 🙏
कुमाऊं की अपेक्षा गढ़वाल से ज्यादा पलायन हो गया है आप लोगों से निवेदन है कि जरूर इस पहाड़ को बसाने का कोशिश करें इस बंजर भूमि में चाय का बागान भी लगा सकते हैं और kiwi की खेती कर सकते हैं
बहुत ही भाऊक ऐसी चीज देख के बहुत ही रोना आता है
😢😢
नेताओं को बोलो की राजनीति न करें रोजगार दे मैं भी पहाड़ी हूं
youtube.com/@Bagwan1973?si=l68fadubTc9d7B4g?sub_confirmation=1
Very very sentimental and painful!!!!
बहुत ही दुखद की बातहै बहन 🎉
आप लोगों की वजह से ही देवभूमि आज बंजर पड़ी हुई है
रुला दिया आपने आज दीदी 😢😢
हमारे भी आंसू आ गए इस उत्तराखंड के प्लान की दशा को देखकर के😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
Sahi bola aapne bahan ji mujhe bhi Kasam se Rona aa raha h
सोच बडी रखो हमारे घर खेती बाडी वही है दुनिया मे लोगो के हर अगल देशो मे घर होते है पर वे लोग देखभाल करते रहते है देखभाल करे सब कुछ वापस हो सकता है बाकी as you know जीवन परिवर्तन है
रोने की जरूरत नहीं किसने बंजर किया उसको बताओ
हर हर महादेव ❤ध्याणियो का रोना पित्र पुर्वजों का आशीर्वाद मिलना होता है। सभी बहिनो को सादर प्रणाम 🙏🙏 यादें तो आहीं जाती दीदी जी आज भी हम अपने खेत खलियानों कै खुशहाल बना सकते हैं।
बेहतरीन भावुक वीडियो
Nice picture bahin ji
शहरो से सुन्दर गाँव का रेहना होता है आप लोगो ने अपने जन्म स्थान कों क्योँ छोड़ दिया... जन्म स्थान चाहे कैसा भी क्यों न हो पर छोड़ना नी चाहिए...
मैं हमेशा हर उत्तराखंड के लोगों के ब्लॉग पर जो गाऊँ का पलायन दिखाते हैं कॉमेंट कर्ता हूं कि गाऊँ को एसा छोडें नहीं साल 6 महीने में जरूर जाएं हमारे बाप दादा की मेहनत को बर्बाद न करें. उनका तबी आशीर्वाद मिलेगा तभी आप falenge fulenge एक हफ्ते ही जाएं पर जाएं
Beti ek Jaisi sthiti hai😢😢
Bhout acha lega iske liye aap khud zimmewar hai
सब जगह के यही हाल है बहन❤❤
शिक्षा,रोजगार एव विकास इसका मुख्य कारण है, आपने यहां जन्म लिया आप माइके आ गई, आपके बच्चे खान जाएंगे? उनको आलसी और धन की दौड़ में हम ही धकेलते हैं। बताएं अंतिम बार आप अपने ससुराल वाले गांव कब गए थे, वहां भी किसी के दादाजी मकान बनाया होगा, पुंगडी आबाद की होगी। यह देवभूमि है, जिंदा रहेगी एवं बेर सबेर बुलाएगी ही।
जन्म भूमि से लगाव , सब समय का बदलाव। केवल स्मृतियां रह गई हैं।
है गांव अभी तक टूटा मकां हमारा
है उसमें अभी बाकी नामोंनिशां हमारा।
एक बेटी दर्द । बेटियां अपनी जन्म भूमि को बयां करके भावुक हो रही हैं।
रोने से कोई फायदा नही भूली। सभी लोग वापिस गांव जाने की प्लानिंग करो चाहे ससुराल के हों या मैती। रोड़ दुविधा है तो पहले वाली आधी से ज्यादा समस्या का समाधान हो चुका है। इसको हमें मुहिम बनाना होगा।
Bhut sunder blogging...feel so sad me too parmila
लगभग सभी गांवों में विकास के अंधे दौड़ में सभी गांवो में पलायन का ऐसा मंजर देखने को मिल रहा है दीदी क्या vor दिन आएंगे की नहीं समझ नहीं आता है । क्या होगा ये विकास में
वाकई में बहुत दुःख होता है अपनी जन्मभूमि और मातृ भूमि को देख कर, हमारे पौड़ी गढ़वाल में भी येसा ही है, आजीविका चलाने के लिए,, आंखो मे आंसू आ गए आप सभी बहीनो को देख कर, बचपन की यादे,, nice vlog भूलू
🙏🙏🙏
😢😢 government kuch nhi karti uttrakhand k gaon khandar hota jaa rhe h😕😕
बहुत सुंदर ब्लॉग बहना आपने तो रूला दिया 😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭
Bachpan ki yad aa gyi
youtube.com/@Bagwan1973?si=l68fadubTc9d7B4g?sub_confirmation=1
Sabse bada karan education h unke liye hi mhilayen bahar ja rhi ghr me kaam bhi to jyada h ati kaam bhi swasthya ke liye hanikarak h jaise hmari mother unhone hmesha kheti ki aur aaj cancer se jujh rhi h shanti to pahadon me hi h lekin wha kaam krna bhut tough hmare ganvo ke bhi yhi haal hn .nai peethi ki karmath h sabke bache pta nhi kya -2 banage suvidhayen to h nhi pahadon me bache bhi buddi ho to khin bhi padh jate hn but obtion h aadami ke pas to kya kr skte hn 2-4 logon ne hi ganv bacha rakhe h school bhi bnd hone ki kagar par hn
Bhagwan aapki mother ko bahut jaldi theek kar dega
मैडम इसकी जिम्मेदार भी हम ही हैं । अब रोनाकिस लिए
Very.sad.good.video
😮❤
Rone ke alawa ab kuch nahi hai hamarey gharo ko dekh kar
काश हमारे पास होता तो हम अच्छे से केयर करते ।
Rone dhone se koi labh nhi apne ghar ki dekh rekh karnichahiye hamare logon ko Akal hai hi nhi
भाई लोगों ने बीच बीच में घर की देखभालकरनी चाहिए
🙏🙏
बहुत बढ़िया ♥️♥️♥️♥️
औरतों की सबसे बड़ी खासियत या विषेशता कहो किसी भी बात पर बहुत जल्दी रो जाती है
सबसे ताकतवर हथियार भी है इनका । पलायन कि जिम्मेदार भी औरतें ही है 90 प्रतिशत
बहुत सुन्दर दीदीजी 🙏🙏🙏
यैसा ही होता है बहन जी देहरादून मे रहके भी घर न जाना