गिरिमानन्द सुत्त पु. भदन्त ज्ञानज्योती महाथेरो Girimanand sutta by bhadant Gyanjyoti mahathero

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  • čas přidán 28. 08. 2024
  • 🌷 गिरिमानन्द सुत्त 🌷
    Girimānanda
    एक समय भगवान् श्रावस्ती में अनाथपिण्डिक के जेतवनाराम में विहार करते थे। उस समय आयुष्मान गिरिमानन्द बीमार थे, दुखी भी, बहुत अधिक रोगी थे। तब आयुष्मान् आनन्द जहाँ भगवान् थे, वहाँ पहुँचे। पास जाकर भगवान को नमस्कार कर एक ओर बैठे। एक ओर बैठे हुए आयुष्मान् आनन्द ने भगवान से यह कहा -
    “भन्ते ! आयुष्मान् गिरिमानन्द बीमार है, दुखी हैं, बहुत अधिक रोगी है !, भन्ते ! अच्छा होगा यदि आप कृपा कर वहाँ पधारें, जहाँ आयुष्मान् गिरिमानन्द है।"
    "आनन्द ! यदि तु गिरिमानन्द भिक्षु को सुना कर दस संज्ञाओं को कहे। इसकी पूरी सम्भावना है कि उन दस संज्ञाओंको सुनने से आयुष्मान् गिरिमानन्द का रोग वहीं शान्त हो जाय। "कौन-सी दस संज्ञाएँ ?
    अनित्य-संज्ञा, अनात्म-संज्ञा, अशुभ-संज्ञा, दुष्परिणाम (-आदीनव )-संज्ञा, प्रहाण-संज्ञा, वैराग्य-संज्ञा, निरोध-संज्ञा, समस्त लोक के प्रति अनभिरति-संज्ञा, सभी संस्कारों के प्रति अनिच्छा-संज्ञा तथा आनापान स्मृति ।

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