जीवात्मा परमात्मा से अलग अथवा दूर क्यू होता है। जब परमात्मा से मिलन ही जीवात्मा का एकमात्र लक्ष्य है तो फिर वह परमात्मा से पृथक होकर संसार में क्यू आता है। मुक्तावस्था में जीवात्मा परमात्मा से एकाकार है अथवा पृथक है, कृपया स्पष्ट करे।
जब प्रमात्मा ने श्रृष्टि की रचना की तो जाहिर है आत्मा की आवश्यकता पड़ी।तब प्रमात्मा एक से अनेक हुआ। परमात्मा का यह अंश रूप ही आत्मा है। आत्मा और परमात्मा में भेद नहीं है। आत्मा एक ही बार प्रमात्मा से अलग हुई और अंत में परमात्मा में जाकर मिल जायेगी।अब यह प्रमात्मा पर निर्भर है कि वे किसे अपने पास बुलाते हैं।परम पिता परमात्मा की मर्जी के बगैर कोई आत्मा परमात्मा में जाकर शामिल नहीं हो सकती। जब प्रमात्मा की इच्छा आत्माओं को अपने पास बुलाने की होती है तो वे आप मनुष्य रूप में आते हैं और जो आत्माएं अपने निज धाम जाना चाहती हैं उन्हें ले जाते हैं।यह क्रम अनादि काल से चला आ रहा है। और आगे भी चलता रहेगा। जब तक सभी आत्माएं अपने निज धाम जाकर अपने प्रियतम के साथ नहीं मिल जाती।यह ज्ञान संतों का है। कोई विश्वास करते हैं कोई नहीं। जो विश्वास करते हैं उनका काम बनता है। बाकी का नहीं।
@@deadster125 Aatma kaho ya jeevatm ek hi baat hai alag alag nahin hai. Jab tak man aadi vikaron k saath hai tab tak kaid mein h alag hone per aajad hai. Bas alag hi to karana hai.
परमात्मा एक हे आत्मा गिन्ती मे नहि आता अनेक हे। हा सभी आत्मा का आयतन रुप आकार एक जैसी हे मात्र अन्तर कर्मभोग और कर्मफल। व्यर्थ बकवास करना विकर्म खडा करना हे। वास्तविक सत्य से ठिक विपरित चर्चा होता आया हे, चेतना भया
यहाँ आत्मा और परमात्मा मे कोई भेद नहीं है... जैसे मित्र और परम मित्र मे कोई अंतर नहीं है... ऐसे ही आत्मा के आगे जब परम वशेषण जुड़ गया तो वह परमात्मा कहलाया....... अतः आत्मा एक है... वही ईश्वर है...... जिस प्रकार एक ही सूर्य सारे संसार को प्रकाशित करता है.... वैसे ही एक ही आत्मा का प्रकाश जब अनगिनत अन्तःकरण पर पड़ता है तो वही जीवात्मा कहलाता है.... जीवात्मा इस आत्मा का ही अभिन्न अंश है....... यहाँ पर बंधन इस अन्तःकरण का ही है... मतलब मन बुद्धि चित्त अहंकार.....🌼
Vjeev aatma ki prwah sakti hai yani beej kah sakte ye bij marta nahi tow sansar me bana rahata hai aatma ka shakti jeev jeevan hai jee aatma me samrpit hota hai tow shddh aatma param lok chali jati hai
If Aatma is second to none, how can you then assert Aatma is infinity in numbers while being indivisible like vacuumless Aakash means space as per Chandogyopanisad Shruti no. 8.14.1 . If Aatma is indescribable , how can you say that it exists in different bodies differently? The form of Aatma or Aakash has not been defined logically even in vedas though the vedas are enlightened by God.
Radhe shyam
Q bhai sahab badi Sundar vyakhya ki hai
Aatma ek fraction matra hai Permatma ka jo sansar key sabhi human beings ya jeevon mein nikal ker unmey maujud rahti hai aur sansar chalti rahti hai.
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
Ram Ram
Radhey Radhey
Brahma Sutra - 2.2.36 - Antyaavasthite ubhaynitwattat
*।।श्री राम विजयते।। नारायण नारायण नारायण नारायण।।*
Like,ONE SUN , MILLIONS OF PEOPLE VIEWING.
SAME WAY,ONE SOUL, MILLIONS OF BODY FEELS THE ENERGY.
Bilkul bilkul satik analysis.❤ 🙏
Apke yaha coordination Adbhut hai.❤ 🙏
🙏🏻🙏🏻
जीवात्मा परमात्मा से अलग अथवा दूर क्यू होता है। जब परमात्मा से मिलन ही जीवात्मा का एकमात्र लक्ष्य है तो फिर वह परमात्मा से पृथक होकर संसार में क्यू आता है। मुक्तावस्था में जीवात्मा परमात्मा से एकाकार है अथवा पृथक है, कृपया स्पष्ट करे।
आपने जो प्रश्न किया वोही मेरे मनमे भी प्रश्न उठता है।
🙏🙏
जब प्रमात्मा ने श्रृष्टि की रचना की तो जाहिर है आत्मा की आवश्यकता पड़ी।तब प्रमात्मा एक से अनेक हुआ। परमात्मा का यह अंश रूप ही आत्मा है। आत्मा और परमात्मा में भेद नहीं है। आत्मा एक ही बार प्रमात्मा से अलग हुई और अंत में परमात्मा में जाकर मिल जायेगी।अब यह प्रमात्मा पर निर्भर है कि वे किसे अपने पास बुलाते हैं।परम पिता परमात्मा की मर्जी के बगैर कोई आत्मा परमात्मा में जाकर शामिल नहीं हो सकती। जब प्रमात्मा की इच्छा आत्माओं को अपने पास बुलाने की होती है तो वे आप मनुष्य रूप में आते हैं और जो आत्माएं अपने निज धाम जाना चाहती हैं उन्हें ले जाते हैं।यह क्रम अनादि काल से चला आ रहा है। और आगे भी चलता रहेगा। जब तक सभी आत्माएं अपने निज धाम जाकर अपने प्रियतम के साथ नहीं मिल जाती।यह ज्ञान संतों का है। कोई विश्वास करते हैं कोई नहीं। जो विश्वास करते हैं उनका काम बनता है। बाकी का नहीं।
Bas ek hi atma hai par jeev bahut sare hai usko hi jeev atma kehte hai
Woh jeev hi alag alag yoni Mai chakkar kaatta hai
@@deadster125 Aatma kaho ya jeevatm ek hi baat hai alag alag nahin hai. Jab tak man aadi vikaron k saath hai tab tak kaid mein h alag hone per aajad hai. Bas alag hi to karana hai.
A❤@@sultanlimba4366
अजहुं तरौना ही रहे श्रुति सेवत एक अंग।
नाक बास बेसर लह्यै बसि मुक्तन के संग।।
Radha Radha Radha Radha Radha
परमात्मा एक हे आत्मा गिन्ती मे नहि आता अनेक हे। हा सभी आत्मा का आयतन रुप आकार एक जैसी हे मात्र अन्तर कर्मभोग और कर्मफल। व्यर्थ बकवास करना विकर्म खडा करना हे। वास्तविक सत्य से ठिक विपरित चर्चा होता आया हे, चेतना भया
यहाँ आत्मा और परमात्मा मे कोई भेद नहीं है... जैसे मित्र और परम मित्र मे कोई अंतर नहीं है... ऐसे ही आत्मा के आगे जब परम वशेषण जुड़ गया तो वह परमात्मा कहलाया....... अतः आत्मा एक है... वही ईश्वर है...... जिस प्रकार एक ही सूर्य सारे संसार को प्रकाशित करता है.... वैसे ही एक ही आत्मा का प्रकाश जब अनगिनत अन्तःकरण पर पड़ता है तो वही जीवात्मा कहलाता है.... जीवात्मा इस आत्मा का ही अभिन्न अंश है....... यहाँ पर बंधन इस अन्तःकरण का ही है... मतलब मन बुद्धि चित्त अहंकार.....🌼
Sunder Vyakhya ❤️🙏
Pani Samandar me ek hai par Kai saare Lahren paida hote rehte hai anavarat........Bolo Radhe Radhe ❤❤❤
Nhi bhai
Vjeev aatma ki prwah sakti hai yani beej kah sakte ye bij marta nahi tow sansar me bana rahata hai aatma ka shakti jeev jeevan hai jee aatma me samrpit hota hai tow shddh aatma param lok chali jati hai
आपके उपदेश के बाद कोई शंका कहां बचती है?
If Aatma is second to none, how can you then assert Aatma is infinity in numbers while being indivisible like vacuumless Aakash means space as per Chandogyopanisad Shruti no. 8.14.1 . If Aatma is indescribable , how can you say that it exists in different bodies differently? The form of Aatma or Aakash has not been defined logically even in vedas though the vedas are enlightened by God.
Ye😅tum😅savyam😅paribhasit😅karo