रूपसिंह चंदेल की कहानी - बिद्दा बुआ | Roop Singh Chandel Ki Kahani - Bidda Bua | Hindi Audiostory
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- čas přidán 8. 09. 2024
- रूपसिंह चंदेल की कहानी - बिद्दा बुआ | Roop Singh Chandel Ki Kahani- Bidda Bua | Audiostory | स्वर - सिम्मी सैनी @kathasahityapro
लेखक - रूपसिंह चंदेल
वरिष्ठ कथाकार रूपसिंह चंदेल बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। कहानी, उपन्यास, संस्मरण, आलोचना आदि गद्य की अनेक विधाओं में उन्होंने सृजन किया है।
12 मार्च, 1951 को कानपुर (उ.प्र.) के गाँव नौगवाँ (गौतम) में जन्म।
शिक्षा: कानपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में पीएच.डी.।
प्रकाशित कृतियाँ: 43 पुस्तकें प्रकाशित-
इसमें 7 उपन्यास हैं ।
सम्मान/पुरस्कार:
हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा 1990 और 2000 में और उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 1994 में सम्मानित।
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नमस्कार दोस्तों youtube.com/@kathasahityasimmisaini?si=UAFI24OJFdT8bU1F
कहानियों का मेरे दूसरे चैनल पर भी आनंद लीजिए ।
सिम्मी 🙏😊
हार्दिक धन्यवाद आपका। आपने बहुत ही सधे और प्रभावशाली स्वर में कहानी पढ़ी।
हार्दिक आभार आपका जो आपने मुझे कहानी वाचन का मौका दिया 🙏😊
Dàrd bhari kahani hai.
धन्यवाद जी 🙏
Achhi katha
बिद्दा बुआ एक कर्मठ, सहनशील और विपरीत परिस्थिति में भी साहस से जूझने वाली स्त्री थीं। बुआ जड़ी बूटियों की पारखी और समाज सेविका भी थीं। जिसे गांव वाले घाँस फूस समझते थे, बुआ उसी को कूट पीस कर रोगों का निवारण किया करती थीं। बुआ करुणामई भी थीं। उनकी करुणा ही पगले को नया जीवन देती है। वह स्वस्थ हो कर गांव के बच्चों के साथ खेलता है और बुआ के न रहने पर फुट फूट कर रोता है। समाज, परिवार सब की सेवा करने करने वाली बुआ चुपचाप दुनिया से विदा हो जाती हैं।
कहानी और आपका साधा हुआ वाचन दोनों बहुत सुंदर। कहानी के लेखक आदरणीय रूप सिंह चंदेल सर और आपको खूब खूब बधाई 💐
हार्दिक धन्यवाद जी 🙏❤️🥰
Bahot dukh bhari kahani.
❤️
लगता है कि शायद ये सारे किरदार सचमुच के हुए होंगे 😢
जी.. बिल्कुल लगता है ।