घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए। लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
गुरुदेव शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी के चरणो मे अनन्त बार प्रणाम गुरुदेव शंकराचार्य जी आपका कोटि कोटि बार धन्यवाद कृष्ण हरि योगेश्वर दामोदर वासुदेव हर राम शिव अच्युत महादेव माधव नारायण गोविंद जगन्नाथ केशव मधुसूदन विष्णु मुरारी हर हर महादेव हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे । हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
Dekho yee shastra sammat hain..aur shastra hi param praman hain...agar kahi nehi ho rahi hain to wo shastra viruddha hain aur andha parampara hain...waha lagu karni chahiye
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा केवल अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
@@daivagya-7424 अरे मैंने तो अपने आपको ही मूर्ख बताया है। मेरी बात पढ़ तो लो। आदरणीय शंकराचार्य जी ने पर्दे का अर्थ शरीर के किसी भी अंग को ढंकने वाले वस्त्र के संदर्भ में ले लिया है जबकि प्रश्नकर्ता का पर्दे से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से लगता है जोकि केवल चेहरा ढंकने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। कृपया क्षमा करें। यदि आपको मेरी किसी भी बात से ठेस पहुंची है।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
@@user-xj3fu6du4nSabse pahili baat tu Sanatan ke baat kyon kar rhe hai agar shah rukh Khan muslamano ka fan hai aur tu Hindu muslim bhaichara ko mante hai? Hindu muslim bhai bhai kehne wala aur bollywood dekhne wala kabhi Dharm Gyan nhi de sakda
Disagree with covering of head or face. It has not been mentioned in our scriptures. It is justified only in situations skmilar to Islamic rule where women were picked up and raped by Jiahdis.
jagat'guru ne ghooghat etc ka virodh kiya hai...agar jaroorat nhi hai to naa karein....lekin ek baat aur samajh lijiye...ye jo bollywood aur deh ke pujari aajkal women fashion bana rahe hai na....in kapdo ko pehnkar keval deh ke pujari hi attract honge...koi samajhdar purush jo apne sharir ko acche se janta hai...use isse fark nhi padega... . Acchi baat hai ki koi sunder hai...magar...agar koi keval sundar hai aur apni deh ki numaish karke paise kama raha hai....to use paise bhi rapist minded people hi de rhe hain... . Aap mujhe december ki cold mein deep neck blouse aur backless dress ki koi practical use bata dein...dukh hota hai dekhkar ki kaise naari shakti in bollywood wali nachaniyon ke chakkar se bhatak kar deh ki numaish karne me lagi hui hai...itne uncomfortable aur impractical clothes ke picche padi hai jisse keval deh ke pujari attract hote hain Namaskaram!
देखिए हिंदू धर्म में जो प्रथा है वह पर्दा प्रथा नहीं है अपितु का स्वास्थ और शेर की दृष्टि से उत्तम उत्तम है जहां तक मेरा मानना है कि बड़े हैं और लंबे घूंघट जहां पर बाध्यकारी है यह मुस्लिमों द्वारा भारतीयों पर किए गए अत्याचार के कारण इस प्रथा को भारी जोर मिलाएं और यह प्रथापा अधिकारी हो गई है
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए। लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है । आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता। परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है । हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है । आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती। ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
This is absolutely sad! I did not expect this answer from him. Purdah is a Islamic concept. Also covering faces is under the domain of Rahu. Don't fool people into following Asura Dharma. Jyotish is the key to all Shastras. Hinduism never was a conservative society.
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः। तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।। iska matlab hai jo dharm ko marta hai arthath adharm karta hai dharm usko mardeta hai Aur dharm ki jo raksha karta hai dharm uski raksha karta hai Isliye sada Dharm ke path par chalna chahiye 🙏🏽 🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽ॐ 🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
Do u mean to say that,, ki agar iss duniya ke saaaare purush sharif ho jaaaye , to ladkiyon ko kapde pehnne ki koi zaroorat Nahi hi!!!!.... Kapde sirf protection ke liye Nahi balki deceny aur modesty ke liye bhi pehnaa jaata hai......!
Humse jyada gyan unko hain...aapke maane yaa naa maane se kuch nehi hota...aur yee shastraon mein hain...devi devtaoon ke paintings mein nehi hain to kya iska matlab nehi hain ?
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है । आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता। परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है । हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है । आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती। ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है । आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता। परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है । हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है । आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती। ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
@ब्रह्म अस्त्र but covering face is not mendatory , or is it? if yes then give me the reference to the sholaka or mantra to shastra where it's written.
@@LuxSupreme the massage of anjanta murtis are different from this topic ........ They represent the Private life of male and female for creation purpose....they showing the ultimate love...... You can stay nude in your bad room comfortable but you can not on the road
Parda pratha kisi ved puran me nahi ullekhit hai. Yah sirf ek samajik sanrachna ko dhyan rakh banayi gayi hai. Jese jese samay bit raha hai Manushya ke vichar khul rahe hai kapde apne aap kam ho rahe hai. Clothing and its style are made by us. Ang ko chupana fir wo chahe male ho ya female its nowhere written but it's a necessity for us. Its a rule set by our societies in past and also as per regional climatic conditions. Aur rishi muni aaj bhi himalaya me sab tyag kar salo tapasya krte hai barf me. Par wo sadharan Manushya k bas ka nahi hai. Devi devta ya us yug ke logo ki aaj sadharan hum jese Manushyo ki koi tulna nahi hai. Param pujya jagatguru shankaracharya Maharaj ji ne jis prakar is prashna par prakash dala aur usse sirf ghungat tk simit na rakh pure vastra aur maryada ko dhyan rakh smjhaya ye sirf stri nahi purusho ke liye bhi tha jisme unhone bataya jaha kuch state me sar pr stri vastra rakhti hai to vahi kuch jgh purush bhi esa krte hai. Desh ki mahanta isme nihit hai jaha unhone udahran dete huye kaha ki jis trh sabzi khule futpath pr bikti hai pr sone k jewar Tajori me rakhe jate hai usi Prakar ghunghat bhi suraksha aur samman ke rup se hi samaj me aaya tha. Isse aur kisi soch ke sath agar hum aaj soche to ye hamari mansikta ho sakti hai pr jinhone is pratha ko samaj me laya unki nahi thi. 🙏
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है । आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता। परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है । हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है । आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती। ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
अधॅनग्नता और मुह छुपाना दोनो ही तौर-तरीके स्त्री के वस्तुकरण का प्रतिक है। एक स्त्री को प्रदशॅन की वस्तु बनाता है तो दूसरा घर की संपत्ति। स्त्री कोई वस्तु है क्या?? और एक बात आज के सो कोल्ड "लिबरीझम" ने स्त्री का शोषण बहुत कीया है तो सामाजिक कुरीतियाँ कौनसी पीछे रही है इस में?? एसा है तो सतीप्रथा को भी गलत नहीं माना जाएगा। और एक बात, यह दोनो ही तौर-तरीको में स्त्रीओ को मानसिक गुलाम बनाया जाता है। तभी तो स्त्रीयाँ उनके साथ जो हो रहा है वह सही हो रहा है या नहीं यह सोचे बिना दूसरो की बुद्धी पर चलती रहती है।
The 'Parda' system is foreign-imposed. India never had such a conservative outlook towards women's bodies. Other than covering essential parts there's no significance of Parda. I beg to differ on this topic.
@@joshiji561 The ones that are Not Safe For Work (NSFW). You wouldn't want a bare-busted woman (or for that matter even a Man) walking up for work. But you can certainly tolerate them coming without covering their faces (unless mandated externally in case of calamities like Covid). We talk about Sanatana Dharma being the 'Shreshtha' but all of it is futile if we are following the suits of a certain monotheistic religion and their age-old impositions. I admire Shankaracharya and his darshanik upadesh but I beg to differ here.
अपने पति से बड़ी उम्र के व्यक्ति से घूंघट किया जाता है। लेकिन कुछ शक्की लोग देवरों के आगे भी भाभियों से जबरदस्ती घूंघट करवाते हैं और कुछ ढोंगी स्त्रियां भी अपने आप को संस्कारी दिखाने के लिए खुद ही देवरों के आगे भी................. ये घूंघट व बुर्का हिजाब सारी ही कुप्रथा खत्म होनी ही चाहिए।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है । आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता। परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है । हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है । आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती। ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
आपने बिलकुल सही कहा पर्दा (घूंघट कुप्रथा) शास्त्र सम्मत नहीं है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
MARYADA REHENA CHAIYE....RAKHYASH KELIYE PARDE KI MAYENE NAHIN RAKHTA.....AAJ KI SAMAYA ME NARI EK SANTULIT PEHENAWA RAKHNA CHAIYE....KARAN.....YE AANKH PAAPI KI HAI.....
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है । आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता। परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है । हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है । आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती। ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
@@PoonamVerma-pz5xt APKO PATA HAI KI AAJ YE VYAKTI JO APKE SAMNE KHADA HAI APKE SATH AGLE PAL BURA KREGA ? FIR SOOLI PAR KISKO CHADAOGI? ISSE ACCHA HAI AAP DECENCY MAINTAIN KARIYE TAKI VO ATTRACT NA HO PAYE HERE HINDU GIRLS SHOULD LEARN FROM MUSLIM GIRLS
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
jinki neeyat kharab h unhe prda krna chaiye...north india k alawa baki khin bhi prda nhi hota fr bhi sbse jada crime north india m hi hote hain regarding girls... prda krna koi solution nhi h ..prda krana hi h to un logo s krao jinki njre gndi h neeyat khrb h
jagat'guru ne ghooghat etc ka virodh kiya hai...agar jaroorat nhi hai to naa karein....lekin ek baat aur samajh lijiye...ye jo bollywood aur deh ke pujari aajkal women fashion bana rahe hai na....in kapdo ko pehnkar keval deh ke pujari hi attract honge...koi samajhdar purush jo apne sharir ko acche se janta hai...use isse fark nhi padega... . Acchi baat hai ki koi sunder hai...magar...agar koi keval sundar hai aur apni deh ki numaish karke paise kama raha hai....to use paise bhi rapist minded people hi de rhe hain... . Aap mujhe december ki cold mein deep neck blouse aur backless dress ki koi practical use bata dein...dukh hota hai dekhkar ki kaise naari shakti in bollywood wali nachaniyon ke chakkar se bhatak kar deh ki numaish karne me lagi hui hai...itne uncomfortable aur impractical clothes ke picche padi hai jisse keval deh ke pujari attract hote hain Namaskaram!
@@zerotobillionsinc9966 bollywood ki to maya hi alg h...hr glt cheej ajkl bollywood m support ki jati h..bt mera point ghughat h...ek.ldki ache s kpde phn k b apni respct bna k rkh skti h use ghughat krne ki jrurt nhi h..ye khna k ghunghat solution h k crimes nhi hnge...totally wrong. I m from uttrakhand..hmare yaha ghughat nhi hota still aap uttrakhand k crime rates chk kr skte ho comparitively baki states s in terms of girls🙏
poorey adar ke saath shankaracharya ji parde ko galat kah gaye. hindu dharm me koi shastra aisa nahi kahata jo sir ya mathey ko dhankne ke baat karey. kripya ye purusho par bhee lagu kare. warna hindu dharm ka naash naa karey.
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए। लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए। लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
@@hemantkhajuriya1916 inko knowledge h nhi faltu ka bolne ko de do bde aye sheel k rksha krne bale inko chadar odani chahiye ye samaj k thekedar sasle aurto ki piche pdte h womens ki body shaming krte h sarm kro jaise ye sant mharaj ji kr rhe h
@@travelingexplorer9342 omg how can we forget that we are in men deployed country.same on u mahatma g apne sheel ki rakha kro jo bakbas bolte ho srm bhi nhi ati or liwas phnne se koi mhatma nhi ho jata vicharo se bhi bnana hota muglo ki bnayi evil custom ko do rhe h log i am a educated girl wt is wrong or right i know .
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
किसने कहा सीताजी द्रौपदी इत्यादि नहीं करती serial देखकर ऐसा ही होता है। अनुसूया इतनी पतिव्रता नारी थी जिन्होंने अपने ऊपर पुरे जीवन में पर पुरुष की छाया तक नही पड़ने दी । इतनी पतिव्रता स्त्री के तप का प्रभाव क्या होता है ??? उनके आगे ब्रह्मा विष्णु महेश भी नही ठहर सकते। पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है । आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता। परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है । हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है । आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती। ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
जितनी आज के दिनो मे हिंदू महिलाओं के रेप इत्यादि होते है मुस्लिमों की महिलाओं के हिजाब से हिंदू महिलाओं जितने रेप होते है क्या । घर मे उनके होते होंगे उसके लिए हम नही कहते पर बाहर होते है क्या
@@user-ry1nw8zh3p Vedic kaal me aurate blouse bhi nai pehenti thi aur na hi ghunghat dalti thi..unke saath kabhi bura nai hua..kyuki uss kaal me log Gyan ko importance dete the. Sab praani ko aatma roop me dekhte the. Aaj ek do saal ke bachhi ke sath bhi rape ho jata hai..aaj ka mard kutto jaisa hai sirf sharir ka bhooka.
Lagta hai dhyan se suna nahi Parda samay isthiti praivesh and adhikari per based hai Ab jab bahri akranta kevel stri aur dhan he lootne aaye to kya karoge dhako ge ya bachao ge
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
🙏आचार्य। आप को विदित हो कि सुरा भी भूमि, जल, आवरण आदि से बनती है तो सुरापान भी धर्मसंगत होना चाहिए। अत्यंत शीत तापमान में सुरा शरीरस्थ अग्नि की रक्षा भी करती है। सुरापान से लोग सत्य भी बोलते है जो अन्यथा नहीं बोलते। वैसे आचार्य ने वेद, पुराण, शास्त्र कथन को आधार बनाकर नहीं बतायी है यह बात। आचार्य के स्वयं के विचार जैसा अधिक लगता है। हो सकता है कि आचार्य जिस समाजव्यवस्था से आए हैं उस समाजव्यवस्था में घुंघटप्रथा का लोकाचार हो और आचार्य की स्वयं की अवधारणा का आधार लोकाचार हो। परंतु यहाँ प्रश्नकर्त्ता ने धार्मिक शास्त्रसंगत शास्त्रानुसार उत्तर की आशा से प्रश्न पूछा है। वैसे आचार्य ने कई बार संकेत किये है कि कई बार कई सारी बातें ध्यान में रखकर उनको वाणीप्रयोग करना पडता है।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है । आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता। परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है । हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है । आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती। ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
Hota toh hai...hum nange thode hi ghumte hain... garmi meh baseball cap pehnte hain...sunglasses lagae hain...aap ko bhi jab jaroorat ho....sar dhakein... . jo aap mukh par ghungath rakhti hai vo mughalon ke karan hai... jisse koi utha ke na le jaye... uski jaroorat aaj ke samay mein sabji mandi jaisi jagah par shi hai....jaha har mard pashu ki tarah laar girata hai.... . Ab kisi sanyasi ke saamne ghoogat ki kya jaroorat...uske saamne to aap bollywood wale neech kapde bhi pehnengi tab bhi koi asar nahi hoga... . Ab koi aapse kahe ki ghar mein bade bujurg ke saamne parda karo(chehre par) to puchna...ki aapke ghar mein bhi pashu ke saman mard rehte hai kya jo aurat ki deh matra se rishta rakhte hain....aur chehra dekhte hi kaamvaasna se bhar jayenge... ghoongat karna indirectly saamne wale ki beizzati karna hai(kyuki voh hai hi is layak), stri ki chetna se koi moh nhi...bas deh ki pyaas bujhane wala hai... . Namaskaram!
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है । आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता। परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है । हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है । आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती। ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
maine aaj tak MATA LAKSHMI,SITA,SARASWATI, KALI MAA,,, RADHA RANI... ETC ETC... kisi bhi mata ka chitra maine parde m nhi dekha!!!! parda pratha ko justify krna kaha tk sahi h???? or agar rabadi,mithayi ko bchane k liye parda h... to Burqe m kya problem h... maharaj ji fir to burqa bhi bdhiya h...
MOHIT SINGH bhai I agree with you. You have to turn to history to see why it started ...when Mughals started abduction of beautiful women....Indians had no other option....even the Bhabhi of Shivaji Maharaj was kidnapped by Mughals....I respect Swami nischalanand but even adi Shankaracharya covered his head ..
इसलिए नहीं देखा क्यूंकि वह देवियां हैं मनुष्य नहीं हैं, अगर महिलाऐं देवियों की ही तरह से बरतना चालु कर दें तो क्या तुम उन से विवाह कर के सम्भोग कर के दाम्पत्य सुख का आनंद लोगे ? देवियां और देवता पूजने के लिए हैं उनकी बराबरी करने की सोचना मूर्खतापूर्ण है , आप उन्ही देवियों के मनुष्य अवतारों को देख कर उनका अनुसरण कर सकते हो जैसे माता सीता, श्री रुक्मणि देवी इत्यादि।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए। लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
आदरणीय महाराज जी सही कहा कि हमारी हिन्दू बहनों को आत्म मर्यादा और नैतिक पर्दा अति आवश्यक है क्योंकि आज सबसे अधिक पतन और इस्लामिक षडयंत्र का शिकार ज्ञान के अभाव में हिन्दू महिलाएं ही हुईं हैं।
@@SACCHIKHABAR u r half minded.. Or mind less perhaps. Sheel kiss chidiya ka naam hai? Brahmacharya kya hai kuch pata hai? Parda dono mein sahayak hota hai.. Tum na samjoge!!
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
क्या रामायण अथवा महाभारत में कहीं पर्दा प्रथा है ? यदि आपको कीमती मन कर तिजोरी अंदर तिजोरी में रखा जाए तो इसे आप अपना मान समझेंगे? बहुत दुखद है कि शंकराचार्य तक इन विषयों में शास्त्रों से दूर हैं और आक्रांताओं की परंपराओं का भी अनुमोदन करने लगते हैं।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
Karte hain na...aap dubara video ko dekho...guru ji ne kaha hain ki bharat ke kuch pranto mein purush bhi apne ang ko kashke dhakkar rakhte hain...alternative hain..jaha purush dhakkar rakhte hain waha mahilai nehi dhakti aur jaha mahilai dhakti hain waha purush nehi dhakte
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए लेकिन मुझ मूर्ख को लगता है कि इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है लेकिन पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
🌷🙏🌷Verry Good, Verry Good. Aap ko sat-sat Naman.
Pls translate it in English
@@saravanakrsna learn Indian language hindi
What he is saying covering face by ghungat is ok but not by burka?
@Colten Jordy shut up bakwas scam
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए।
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
वाह पूरा साहित्य का निचोड़ के रख दिया गुरू जी ने
अति उत्तम
नारायण।
apki jai ho guruvar.jai shri krishna.
Pardah m ku nhi ho tum
प्रणाम गुरुदेव शंकराचार्य जी
आपकी जय हो
हर हर महादेव
हरे कृष्ण हरे राम
कोटि कोटि प्रणाम 7 30 p m
गुरुदेव शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती जी के चरणो मे अनन्त बार प्रणाम
गुरुदेव शंकराचार्य जी आपका कोटि कोटि बार धन्यवाद
कृष्ण हरि योगेश्वर दामोदर वासुदेव हर राम शिव अच्युत महादेव माधव नारायण गोविंद जगन्नाथ केशव मधुसूदन विष्णु मुरारी
हर हर महादेव
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।
Excellent information 👌👌
प्रणाम गुरुदेव शंकराचार्य जी
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।
Bhagwaan Shankaraachaary ji ke charno me bar baad dandwat pranam🙏🙏🙏
जय श्री गुरुदेव 🙏
Pranam guruji
Guru ji ko koti koti pranam
Guru ji aap sakshat Narayan hai
गुरूजी आपको शत शत नमन
Wonderful. Very good explanation. Thanks. Respectful pranaamas.
Jai shree Ram
This is North Indian Swamiji. In South only after husband is dead women were supposed to cover their head. Not kanya or married women.
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
he is puri peethadeeshwar. also the reason for young women not wearing ghoongat in south is climatic conditions.
@@user-xj3fu6du4nBar bar ak hi cheez type mat karo...
Dekho yee shastra sammat hain..aur shastra hi param praman hain...agar kahi nehi ho rahi hain to wo shastra viruddha hain aur andha parampara hain...waha lagu karni chahiye
@@user-xj3fu6du4n CHUP KR CHOMU.. TU SHANKRACHARYA JI SE JYADA JANTA HAI? PARDA PRATHA PROTECTS WOMEN
गुरु जी आपने मेरे विचारो को अच्छा किया है
हर हर महादेव
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा केवल अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
@@user-xj3fu6du4n tu shankaracharya ko bevkoof samajhta hai kya , aur hame teri baat ki avashyakta nhi hai
@@daivagya-7424
अरे मैंने तो अपने आपको ही मूर्ख बताया है।
मेरी बात पढ़ तो लो।
आदरणीय शंकराचार्य जी ने पर्दे का अर्थ शरीर के किसी भी अंग को ढंकने वाले वस्त्र के संदर्भ में ले लिया है
जबकि
प्रश्नकर्ता का पर्दे से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से लगता है जोकि केवल चेहरा ढंकने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
कृपया क्षमा करें।
यदि आपको मेरी किसी भी बात से ठेस पहुंची है।
न भूतों न भविस्यति
सादर दंडवत प्रभु 🙏🙏🙏
गुरु जी आपको नमन, आपके अमृत वचनों को नमन।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
Jay gurudev
प्रणाम 🙏
Pujya gurudev ki jay
Jai Gurudev🙏
❤
साष्टांग दण्डवत प्रणाम गुरूदेव
Excellent.
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
जय जगन्नाथ
प्रणाम गुरूजी
Glory to shankracharya ji
Prenam guru ji saat saat name🙏🙏🙏🙏🙏🙏
*_"स्वास्थ्य और शील दोनों की रक्षा और सौंदर्य की अभिव्यक्ति के लिए परदा आवश्यक है"_*
*_अमृतवचन_*
*_श्रीचरणों में बारम्बार प्रणाम_*
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
@@user-xj3fu6du4napna muh band kar suwar
@@user-xj3fu6du4nSabse pahili baat tu Sanatan ke baat kyon kar rhe hai agar shah rukh Khan muslamano ka fan hai aur tu Hindu muslim bhaichara ko mante hai? Hindu muslim bhai bhai kehne wala aur bollywood dekhne wala kabhi Dharm Gyan nhi de sakda
@@ਵੈਲੀਤਰਖਾਨਸੱਚਾਹਿੰਦੂ
तो उस मुल्ले शाहरुख खान और वह गंदी नाली Bollywood इसमें कहाँ से आ गया ❓🤔🙄
Jai shree 🙏 Ram
Thanks guruji
Disagree with covering of head or face. It has not been mentioned in our scriptures. It is justified only in situations skmilar to Islamic rule where women were picked up and raped by Jiahdis.
Sarvesh Dev so you are new shankrachrya.
@@mahmudulhasan2922 he is good human being who can respect for women.
jagat'guru ne ghooghat etc ka virodh kiya hai...agar jaroorat nhi hai to naa karein....lekin ek baat aur samajh lijiye...ye jo bollywood aur deh ke pujari aajkal women fashion bana rahe hai na....in kapdo ko pehnkar keval deh ke pujari hi attract honge...koi samajhdar purush jo apne sharir ko acche se janta hai...use isse fark nhi padega...
.
Acchi baat hai ki koi sunder hai...magar...agar koi keval sundar hai aur apni deh ki numaish karke paise kama raha hai....to use paise bhi rapist minded people hi de rhe hain...
.
Aap mujhe december ki cold mein deep neck blouse aur backless dress ki koi practical use bata dein...dukh hota hai dekhkar ki kaise naari shakti in bollywood wali nachaniyon ke chakkar se bhatak kar deh ki numaish karne me lagi hui hai...itne uncomfortable aur impractical clothes ke picche padi hai jisse keval deh ke pujari attract hote hain
Namaskaram!
@@zerotobillionsinc9966 *तब तो फिर इस्लाम धर्म ही सही है*
@@zerotobillionsinc9966 *तो क्या इस्लामिकि परदा प्रथा और अरब के कानून सही है*
Dharam matlab swarg jaise prakriti me apne jivan ko narak bana dene ka marg😢
जय गुरु देव 🙏
देखिए हिंदू धर्म में जो प्रथा है वह पर्दा प्रथा नहीं है अपितु का स्वास्थ और शेर की दृष्टि से उत्तम उत्तम है जहां तक मेरा मानना है कि बड़े हैं और लंबे घूंघट जहां पर बाध्यकारी है यह मुस्लिमों द्वारा भारतीयों पर किए गए अत्याचार के कारण इस प्रथा को भारी जोर मिलाएं और यह प्रथापा अधिकारी हो गई है
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
Jai shree Ram ji Guru Dev Ji apko koti koti pranam ji 🙏🙏🌹🌹💐💐
Excellent use of metaphors and analogies to elucidate the topic. 🙏
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए।
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
🙏🙏🙏
5:10 ye vyakti nirjeev ko sajeev se compare kyun karte hai
Kya baat hai! ati uttam........... Guruji ke charno mein sastang pranam.............Guruji ki jai ho............
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
@@user-xj3fu6du4n SOURCE?
Shri Pujaniya Gurudev Shri Anant vibhushit Shrimad Jagadguru Shankaracharya Rigvediya purvamanay Goverdhan math Puri Peeth Adhishwar ke Shri Kamal Charnon mein dand wat vandan.
Ye baba ji konsa maal phunk ke bethe hain... Plz koi btaye...
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है ।
आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता।
परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है ।
हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है ।
आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती।
ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
Ham apki is baat se sahemat nahi hai. Guru ji
This is absolutely sad! I did not expect this answer from him.
Purdah is a Islamic concept. Also covering faces is under the domain of Rahu. Don't fool people into following Asura Dharma. Jyotish is the key to all Shastras.
Hinduism never was a conservative society.
Yeah, hindusism is so much liberal that it even allows people to roam naked on streets
Seriously , domain of rahu , ???? Jyotish??????
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
Keep living in denial
Yes it was not expected it's totally islamic practice
Ghunghat is north Indian custom , it is a regional custom , ghunghat isn't observed in South India.
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः।
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।।
iska matlab hai jo dharm ko marta hai arthath adharm karta hai dharm usko mardeta hai
Aur dharm ki jo raksha karta hai dharm uski raksha karta hai
Isliye sada Dharm ke path par chalna chahiye 🙏🏽
🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽ॐ 🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
गुरु देव भगवान शंकराचार्य स्वामी श्री को नमन
Puruso ko sudharo ....aise upaay jada kaam nhi aarhe hai 🙏
Do u mean to say that,, ki agar iss duniya ke saaaare purush sharif ho jaaaye , to ladkiyon ko kapde pehnne ki koi zaroorat Nahi hi!!!!....
Kapde sirf protection ke liye Nahi balki deceny aur modesty ke liye bhi pehnaa jaata hai......!
@@Rahulkumar-px8tc saree bhi immodest hai bhai, burkha ghunghat best hai
@@iyerism6577Tumto chup hi raho
Saare purosho ko sudharne se bhi kaam nehi dega...dono paksho ko hi samjhna padega
In some parts women covering head is a sin.They only do when they become widow.
Aap bohot mahan hai Guruji lekin humara yaha ye pratha nahi hai.
Yes ghunghat is regional custom.
Humse jyada gyan unko hain...aapke maane yaa naa maane se kuch nehi hota...aur yee shastraon mein hain...devi devtaoon ke paintings mein nehi hain to kya iska matlab nehi hain ?
har har mahadev
ओम
ऋषि- मुनिवर को कोटि- कोटि चरण वन्दन ।
🙏🙏🙏🌹🌹🌹💐💐💐👌👌👌👏👏👏
JAY SHREE KRISHNA. PUJNIYA SANTA MAHATMA SHANKARACHARYAG KI ANANTA JAY SATYUGA KI ANANTA JAY
Prabhu 🥺🥺🥺🧡
Purdah was NEVER a part of Adi Sanatan Dharma
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है ।
आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता।
परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है ।
हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है ।
आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती।
ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
U literally jus heard the Shankaracharya Ji of Govardhan Matt say it is literally jus right now 🤦🏽♂️
Shankaracharya ji ke Bhojan me din bhar Kya shamil hota Hai kripya batayein.
NIROGI AUR DIRGHAYU KE LIYE HPRATYEK DIN KYA AUR KAISE KHANA CHAHIYE.
JAISREE RADHEY KRSNA 🌹🌿 JAI GURUDEV Maharajji dandavat Pranam 🍁🌿🌹🌿 toh deviya bahar kam karna chod de aur ghar mei pardha kiye baithi rahe??
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है ।
आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता।
परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है ।
हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है ।
आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती।
ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
chuskon se hai kya aap 😅
🙏❤🙏❤🙏❤🙏❤🙏❤
He bhagwan aapke Shri charno me koti koti pranam Satya vachan aapki kripa ham sabhi bhakton par bani rahe
SwamiJi should see the ancient statues.....they do not have purdah at all.....it is a medieval concept.
@ब्रह्म अस्त्र but covering face is not mendatory , or is it? if yes then give me the reference to the sholaka or mantra to shastra where it's written.
You think you know more than him about iconography? Pardah was always part of Hindu society.
@@nethisuman7516 maybe you should visit the ancient temples of India....including ajanta and ellora cave paintings.
@@LuxSupreme the massage of anjanta murtis are different from this topic ........ They represent the Private life of male and female for creation purpose....they showing the ultimate love...... You can stay nude in your bad room comfortable but you can not on the road
@@prasunsingh2691 I like ur rply
Parda pratha kisi ved puran me nahi ullekhit hai. Yah sirf ek samajik sanrachna ko dhyan rakh banayi gayi hai. Jese jese samay bit raha hai Manushya ke vichar khul rahe hai kapde apne aap kam ho rahe hai. Clothing and its style are made by us. Ang ko chupana fir wo chahe male ho ya female its nowhere written but it's a necessity for us. Its a rule set by our societies in past and also as per regional climatic conditions. Aur rishi muni aaj bhi himalaya me sab tyag kar salo tapasya krte hai barf me. Par wo sadharan Manushya k bas ka nahi hai. Devi devta ya us yug ke logo ki aaj sadharan hum jese Manushyo ki koi tulna nahi hai. Param pujya jagatguru shankaracharya Maharaj ji ne jis prakar is prashna par prakash dala aur usse sirf ghungat tk simit na rakh pure vastra aur maryada ko dhyan rakh smjhaya ye sirf stri nahi purusho ke liye bhi tha jisme unhone bataya jaha kuch state me sar pr stri vastra rakhti hai to vahi kuch jgh purush bhi esa krte hai. Desh ki mahanta isme nihit hai jaha unhone udahran dete huye kaha ki jis trh sabzi khule futpath pr bikti hai pr sone k jewar Tajori me rakhe jate hai usi Prakar ghunghat bhi suraksha aur samman ke rup se hi samaj me aaya tha. Isse aur kisi soch ke sath agar hum aaj soche to ye hamari mansikta ho sakti hai pr jinhone is pratha ko samaj me laya unki nahi thi. 🙏
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है ।
आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता।
परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है ।
हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है ।
आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती।
ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
अधॅनग्नता और मुह छुपाना दोनो ही तौर-तरीके स्त्री के वस्तुकरण का प्रतिक है। एक स्त्री को प्रदशॅन की वस्तु बनाता है तो दूसरा घर की संपत्ति। स्त्री कोई वस्तु है क्या?? और एक बात आज के सो कोल्ड "लिबरीझम" ने स्त्री का शोषण बहुत कीया है तो सामाजिक कुरीतियाँ कौनसी पीछे रही है इस में?? एसा है तो सतीप्रथा को भी गलत नहीं माना जाएगा। और एक बात, यह दोनो ही तौर-तरीको में स्त्रीओ को मानसिक गुलाम बनाया जाता है। तभी तो स्त्रीयाँ उनके साथ जो हो रहा है वह सही हो रहा है या नहीं यह सोचे बिना दूसरो की बुद्धी पर चलती रहती है।
The 'Parda' system is foreign-imposed. India never had such a conservative outlook towards women's bodies. Other than covering essential parts there's no significance of Parda. I beg to differ on this topic.
What are essential parts????????
@@joshiji561 The ones that are Not Safe For Work (NSFW). You wouldn't want a bare-busted woman (or for that matter even a Man) walking up for work. But you can certainly tolerate them coming without covering their faces (unless mandated externally in case of calamities like Covid).
We talk about Sanatana Dharma being the 'Shreshtha' but all of it is futile if we are following the suits of a certain monotheistic religion and their age-old impositions.
I admire Shankaracharya and his darshanik upadesh but I beg to differ here.
अपने पति से बड़ी उम्र के व्यक्ति से घूंघट किया जाता है।
लेकिन कुछ शक्की लोग देवरों के आगे भी भाभियों से जबरदस्ती घूंघट करवाते हैं
और
कुछ ढोंगी स्त्रियां भी अपने आप को संस्कारी दिखाने के लिए खुद ही देवरों के आगे भी.................
ये घूंघट व बुर्का हिजाब सारी ही कुप्रथा खत्म होनी ही चाहिए।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है ।
आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता।
परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है ।
हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है ।
आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती।
ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
Bewakoofi wali baat hai bilkul shastra sammat nahi hai
आपने बिलकुल सही कहा पर्दा (घूंघट कुप्रथा) शास्त्र सम्मत नहीं है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
Aap kitne shastra padhe hain...humse jyada shastra ka gyan inko hain...
MARYADA REHENA CHAIYE....RAKHYASH KELIYE PARDE KI MAYENE NAHIN RAKHTA.....AAJ KI SAMAYA ME NARI EK SANTULIT PEHENAWA RAKHNA CHAIYE....KARAN.....YE AANKH PAAPI KI HAI.....
Papiyo ko suli per chadao ouro ko kyo dukhi krte h
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है ।
आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता।
परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है ।
हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है ।
आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती।
ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
@@PoonamVerma-pz5xt APKO PATA HAI KI AAJ YE VYAKTI JO APKE SAMNE KHADA HAI APKE SATH AGLE PAL BURA KREGA ? FIR SOOLI PAR KISKO CHADAOGI? ISSE ACCHA HAI AAP DECENCY MAINTAIN KARIYE TAKI VO ATTRACT NA HO PAYE
HERE HINDU GIRLS SHOULD LEARN FROM MUSLIM GIRLS
पहले पर्दा का हिंदी शब्द तो बताओ।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
Is vaishnavism the highest order, I mean following shakti or shiva and following vishnu leads to same?
@@queztime23 are all of them follow vishnu I mean all the Shankaracharyas?
@@queztime23 and shakti? Like kali or shodashi or Durga?
Please upload subtitles for this 🙏🙏
jinki neeyat kharab h unhe prda krna chaiye...north india k alawa baki khin bhi prda nhi hota fr bhi sbse jada crime north india m hi hote hain regarding girls...
prda krna koi solution nhi h ..prda krana hi h to un logo s krao jinki njre gndi h neeyat khrb h
Lol. Pure duniya me mahilay burka pahanti hai.
Male dominant society; tumhe dekh kar meri niyat na kharab ho jay isliye apna muh mujh se respect ke naam pe chipa lo
jagat'guru ne ghooghat etc ka virodh kiya hai...agar jaroorat nhi hai to naa karein....lekin ek baat aur samajh lijiye...ye jo bollywood aur deh ke pujari aajkal women fashion bana rahe hai na....in kapdo ko pehnkar keval deh ke pujari hi attract honge...koi samajhdar purush jo apne sharir ko acche se janta hai...use isse fark nhi padega...
.
Acchi baat hai ki koi sunder hai...magar...agar koi keval sundar hai aur apni deh ki numaish karke paise kama raha hai....to use paise bhi rapist minded people hi de rhe hain...
.
Aap mujhe december ki cold mein deep neck blouse aur backless dress ki koi practical use bata dein...dukh hota hai dekhkar ki kaise naari shakti in bollywood wali nachaniyon ke chakkar se bhatak kar deh ki numaish karne me lagi hui hai...itne uncomfortable aur impractical clothes ke picche padi hai jisse keval deh ke pujari attract hote hain
Namaskaram!
@@zerotobillionsinc9966 bollywood ki to maya hi alg h...hr glt cheej ajkl bollywood m support ki jati h..bt mera point ghughat h...ek.ldki ache s kpde phn k b apni respct bna k rkh skti h use ghughat krne ki jrurt nhi h..ye khna k ghunghat solution h k crimes nhi hnge...totally wrong. I m from uttrakhand..hmare yaha ghughat nhi hota still aap uttrakhand k crime rates chk kr skte ho comparitively baki states s in terms of girls🙏
@Brahmastra i am from devbhoomi uttrakhand..apse khin jada aastik hu m ..ghughat ka astha se koi lena dena nhi h bro🙏🙏
poorey adar ke saath shankaracharya ji parde ko galat kah gaye. hindu dharm me koi shastra aisa nahi kahata jo sir ya mathey ko dhankne ke baat karey. kripya ye purusho par bhee lagu kare. warna hindu dharm ka naash naa karey.
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए।
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
FIR SE SUNN YE VIDEO CHOMU😆
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
He's genius ☺️
Yes
परमवंदनीय गुरुदेव के दिव्य श्रीचरण कमलो में कोटी कोटी प्रणाम
Pardaa nhi aachal h sudhha sabad y par
साला एक चीज समझ में नहीं आती है अच्छे से जीवन जीने में भी परेशानी है अरे मर्यादा में रहने में अपना ही जीवन व्यवस्थित होता है विचार उत्तम रहते हैं ।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए।
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
Women objectification wali bate h.
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
बिल्कुल सही।
पर आजकल की लड़कियां मानती नहीँ। अपनी बेटियां भी नहीं सुनतीं।
हमको दकियानूसी समझती हैँ।
Sahi baat
Aurat admi dono k soch m safayi jaruri
सर आप अपनो पर ही मुगल प्रथा अपनाने के लिए दवाब दे रहे हैं
@@hemantkhajuriya1916 inko knowledge h nhi faltu ka bolne ko de do bde aye sheel k rksha krne bale inko chadar odani chahiye ye samaj k thekedar sasle aurto ki piche pdte h womens ki body shaming krte h sarm kro jaise ye sant mharaj ji kr rhe h
Jis din valid point dega koi veil kyo jruri h us din m bhi veil krugi btaye to koi .........any one with valid reason
@@travelingexplorer9342 omg how can we forget that we are in men deployed country.same on u mahatma g apne sheel ki rakha kro jo bakbas bolte ho srm bhi nhi ati or liwas phnne se koi mhatma nhi ho jata vicharo se bhi bnana hota muglo ki bnayi evil custom ko do rhe h log i am a educated girl wt is wrong or right i know .
परम परम महाराज श्री की जय
Mujhe to laga ye swami ji parda ko galat kahege
kio ki
Kuchh to hindu aurat ki parda ke liye bhi musalmano ko jimmewar kahte Hain
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
Yes even in Hinduism like islam, in rigvedas its mentioned that women must cover complete body.. Even saree is not correct
@Roguejin Da ghunghat culture was present before islamic invasions also
@Roguejin Da no, do u have any proof?
@@iyerism6577 see ancient statues of indian women.
धन्यवाद
Jay guru dev har har mahadev jay Guru dev
Sita ji ya Draupadi n many other vidushi mahila kabhi parda nahi karti ye sanatan hindu sanskriti ke nahi balki muslim mazhab ka diya hua ek riwaaz hi
किसने कहा सीताजी द्रौपदी इत्यादि नहीं करती serial देखकर ऐसा ही होता है। अनुसूया इतनी पतिव्रता नारी थी जिन्होंने अपने ऊपर पुरे जीवन में पर पुरुष की छाया तक नही पड़ने दी । इतनी पतिव्रता स्त्री के तप का प्रभाव क्या होता है ??? उनके आगे ब्रह्मा विष्णु महेश भी नही ठहर सकते।
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है ।
आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता।
परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है ।
हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है ।
आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती।
ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
He is wrong. There was no ghungat in Hinduism. It only comes in our culture during the Islamic invasion.
Exactly. Purdah was never a part of Adi Sanatan dharm. Babaji se ye ummid nai thi.
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
@@unnameduser8261 purdah was present even before islamoc invasions
@@iyerism6577 Purdah started after Persian invasion but get its full force only after Islamic invasion.
@@unnameduser8261Bina jane faltu mein tark mat karo...ye shastro mein hain..sita mata bhi ghunghat karti thi...ramayan padh lena
Hijaab is also good then
जितनी आज के दिनो मे हिंदू महिलाओं के रेप इत्यादि होते है मुस्लिमों की महिलाओं के हिजाब से हिंदू महिलाओं जितने रेप होते है क्या । घर मे उनके होते होंगे उसके लिए हम नही कहते पर बाहर होते है क्या
Waha par wo rag aur dwesh ki bhavna se diya jata hain naki maryada aur suraksha ki vabna se
शंकराचार्य भगवान की जय।
Rani Laxmibai aur aur bhi virangnayein hain, unke sth to aisa nahi hua, unhe to parde me nahi rakha gaya.
O थोड़ी ना आज की तरह कपड़े पहनती थी सिस्टर
@@user-ry1nw8zh3p Vedic kaal me aurate blouse bhi nai pehenti thi aur na hi ghunghat dalti thi..unke saath kabhi bura nai hua..kyuki uss kaal me log Gyan ko importance dete the. Sab praani ko aatma roop me dekhte the. Aaj ek do saal ke bachhi ke sath bhi rape ho jata hai..aaj ka mard kutto jaisa hai sirf sharir ka bhooka.
Lagta hai dhyan se suna nahi
Parda samay isthiti praivesh and adhikari per based hai
Ab jab bahri akranta kevel stri aur dhan he lootne aaye to kya karoge dhako ge ya bachao ge
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
@@lipikb9832 lade ge chupna napunsako ka kam hai
🙏pranam guruji dhanya ho ap, koti koti vandan🙏🙏🙏🙏🙏
🙏आचार्य। आप को विदित हो कि सुरा भी भूमि, जल, आवरण आदि से बनती है तो सुरापान भी धर्मसंगत होना चाहिए। अत्यंत शीत तापमान में सुरा शरीरस्थ अग्नि की रक्षा भी करती है। सुरापान से लोग सत्य भी बोलते है जो अन्यथा नहीं बोलते।
वैसे आचार्य ने वेद, पुराण, शास्त्र कथन को आधार बनाकर नहीं बतायी है यह बात। आचार्य के स्वयं के विचार जैसा अधिक लगता है। हो सकता है कि आचार्य जिस समाजव्यवस्था से आए हैं उस समाजव्यवस्था में घुंघटप्रथा का लोकाचार हो और आचार्य की स्वयं की अवधारणा का आधार लोकाचार हो। परंतु यहाँ प्रश्नकर्त्ता ने धार्मिक शास्त्रसंगत शास्त्रानुसार उत्तर की आशा से प्रश्न पूछा है।
वैसे आचार्य ने कई बार संकेत किये है कि कई बार कई सारी बातें ध्यान में रखकर उनको वाणीप्रयोग करना पडता है।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है ।
आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता।
परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है ।
हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है ।
आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती।
ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
तो ये पर्दा मर्दों के स्वास्थ्य की दृष्टि से भी होना चाहिए मर्दों के लिए भी?
Hota toh hai...hum nange thode hi ghumte hain... garmi meh baseball cap pehnte hain...sunglasses lagae hain...aap ko bhi jab jaroorat ho....sar dhakein...
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jo aap mukh par ghungath rakhti hai vo mughalon ke karan hai... jisse koi utha ke na le jaye... uski jaroorat aaj ke samay mein sabji mandi jaisi jagah par shi hai....jaha har mard pashu ki tarah laar girata hai....
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Ab kisi sanyasi ke saamne ghoogat ki kya jaroorat...uske saamne to aap bollywood wale neech kapde bhi pehnengi tab bhi koi asar nahi hoga...
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Ab koi aapse kahe ki ghar mein bade bujurg ke saamne parda karo(chehre par) to puchna...ki aapke ghar mein bhi pashu ke saman mard rehte hai kya jo aurat ki deh matra se rishta rakhte hain....aur chehra dekhte hi kaamvaasna se bhar jayenge... ghoongat karna indirectly saamne wale ki beizzati karna hai(kyuki voh hai hi is layak), stri ki chetna se koi moh nhi...bas deh ki pyaas bujhane wala hai...
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Namaskaram!
हम तो नेकर नहीं पहनते 😂😂
उन्होंने तर्क के साथ जवाब दिया आप के पास कोई तर्क है तो आप खंडन करे
Bikul tum apni aakh ko fevicol sa chipka lo , to phir aurat logo ko pardah nahi lagaga
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
Why there are no such references for ghunghat in valmiki ramayan?
parda pratha started in 12th century spreded in mugal period
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
पहली बात तो ये की परदा प्रथा शास्त्रों में है और दूसरी बात एक बार ये video देख लो । अगर नही भी है तो भी होनी ही चाहिए परदा प्रथा की आवश्यकता है आज के समाज को जहां हर कोई अपने जिस्म का नंगा नाच दिखा रहा है। और इस video में गुरूदेव ने उपयोगिता बताई है की हीरे मोती जवाहरात को हमेशा तिजोरी में रखते है की नही क्योंकि वो अमूल्य है तो क्या हिन्दुओं की स्त्रियां हीरे जवाहरात से कम है क्या उनका मोल तो कोई कर ही नही सकता कितनी सम्मान की बात है हिंदू महिलाओं के लिए की उनका इतना सम्मान है की उन्हे हीरे मोती से भी ज्यादा मूल्यवान बताया गया है । इस्लाम इत्यादि पंथों में जो स्त्रियों में परदा प्रथा का विकृत रूप है वो हिन्दुओं से चोरी किया हुआ ही है और उनमें शील और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए नही अपितु मुस्लिम स्त्रियों के ऊपर शासन करने के उद्देश्य से द्वेष वश इस व्यवस्था का पालन कराया जा रहा है परन्तु हिंदू महिलाओं में हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझकर उनको सम्मान देकर परदा प्रथा का पालन होता है ।
आज हिंदू पुरुषो को ही नही अपितु महिलाओं को भी परदा प्रथा को लागू कराने के लिए संघर्ष करना चाहिए । क्योंकि उनके सौंदर्य का मोल तभी होगा जब वो खुला नही होकर परदे में होगी। उस चीज़ के बारे में ज्यादा उत्सुकता होती है जो दिखती नही पर सबके लिए सुलभ होती है उसका कालांतर में मोल नही रहता।
परदा प्रथा के विलोप से आज के समय में internet, tik tok , reels आदि पर जो नंगा नाच होता है वह परदा प्रथा के विलोप का परिणाम है ।
हिन्दू महिलाओं को स्वयं आगे आकर परदा प्रथा को पुन: स्थापित करना होगा जिससे वे हमेशा हीरे जवाहरात से भी मूल्यवान समझी जायेगी उनकी कदर होगी उनका मोल होगा । कितने गौरव की बात है हिंदू महिलाओं के लिए तो परदा प्रथा जब उनका मोल अनमोल हो जाता है । जब किसी मीठी चीज को खुले में रखते है तो मक्खियां भिनभिनाती है पर उसको ढककर रखने पर उसकी सुरक्षा होती है ।
आज बॉलीवुड अभिनेत्रियो की नकल करने के कारण सर्दियों में भी कम कपड़े पहनने के कारण उनका स्वास्थ्य साथ नही देता फिर भी इस दिखावे में उन्हें जीना है जिसके कारण स्वयं की भलाई भी नही देख पाती।
ये सब बाते किसी द्वेष वश नही आपके अपने सुरक्षा के लिए है। हिंदू महिलाओं को अपना हित जरुर देखना चाहिए की वास्तव में किस चीज में अपनी भलाई, सुरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा संभव है वही तरीका अपनाना चाहिए।
@@user-xj3fu6du4nAgar dharm kuch gyan nehi to mat type karo
हे परम पूज्य स्वामी जी,
आपके श्री चरणों मे कोटि-कोटि-कोटि नमन है ।।
आपकी सदा ही जय हों ।
🙏🙏 सीताराम सीताराम सीताराम 🙏🙏
maine aaj tak MATA LAKSHMI,SITA,SARASWATI, KALI MAA,,, RADHA RANI... ETC ETC... kisi bhi mata ka chitra maine parde m nhi dekha!!!!
parda pratha ko justify krna kaha tk sahi h????
or agar rabadi,mithayi ko bchane k liye parda h... to Burqe m kya problem h... maharaj ji fir to burqa bhi bdhiya h...
MOHIT SINGH bhai I agree with you.
You have to turn to history to see why it started ...when Mughals started abduction of beautiful women....Indians had no other option....even the Bhabhi of Shivaji Maharaj was kidnapped by Mughals....I respect Swami nischalanand but even adi Shankaracharya covered his head ..
sanyAsi covering their head it significe that they Dont have desires
Well now why days people comparing themselfs with Devi and devatas but bitter truth is We humans have arishadvargas ,which is not their in devatas
MOHIT SINGH नंगा भी कोई चित्र नहीं है।
इसलिए नहीं देखा क्यूंकि वह देवियां हैं मनुष्य नहीं हैं, अगर महिलाऐं देवियों की ही तरह से बरतना चालु कर दें तो क्या तुम उन से विवाह कर के सम्भोग कर के दाम्पत्य सुख का आनंद लोगे ? देवियां और देवता पूजने के लिए हैं उनकी बराबरी करने की सोचना मूर्खतापूर्ण है , आप उन्ही देवियों के मनुष्य अवतारों को देख कर उनका अनुसरण कर सकते हो जैसे माता सीता, श्री रुक्मणि देवी इत्यादि।
महिलाएं मर्यादा में रहे। किसी ने कहा है- सतवंती का सत नहीं डिगता कामी कितना ही ललचाए। चंचल नारि के नैन छुपे नहीं घुंघट कितना ही लटकाए।।
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए।
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
आदरणीय महाराज जी सही कहा कि हमारी हिन्दू बहनों को आत्म मर्यादा और नैतिक पर्दा अति आवश्यक है क्योंकि आज सबसे अधिक पतन और इस्लामिक षडयंत्र का शिकार ज्ञान के अभाव में हिन्दू महिलाएं ही हुईं हैं।
PRAKHAR DUBEY dahej hatya bhrun hatya
Balika vadh devdasi pratha ye sab muglo ke karan hai
PRAKHAR DUBEY narrow minded pandit
@@SACCHIKHABAR u r half minded.. Or mind less perhaps. Sheel kiss chidiya ka naam hai? Brahmacharya kya hai kuch pata hai? Parda dono mein sahayak hota hai.. Tum na samjoge!!
@@SACCHIKHABAR if you are not Hindu then don't interfare here in between
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
कोटि कोटि नमन।
क्या रामायण अथवा महाभारत में कहीं पर्दा प्रथा है ? यदि आपको कीमती मन कर तिजोरी अंदर तिजोरी में रखा जाए तो इसे आप अपना मान समझेंगे? बहुत दुखद है कि शंकराचार्य तक इन विषयों में शास्त्रों से दूर हैं और आक्रांताओं की परंपराओं का भी अनुमोदन करने लगते हैं।
मर्द क्यों नहीं करते पर्दा ?
Yeeh hippee
Feminism ki Jay ho
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
@@hemantsharma6584 komedy kinghh🔥🔥🤮
Karte hain na...aap dubara video ko dekho...guru ji ne kaha hain ki bharat ke kuch pranto mein purush bhi apne ang ko kashke dhakkar rakhte hain...alternative hain..jaha purush dhakkar rakhte hain waha mahilai nehi dhakti aur jaha mahilai dhakti hain waha purush nehi dhakte
Murd too apni puri body dhuker chalta hai sayed app rood pur nunge chalte honge
guru ji ye sab badlaio kiyon huwa
घूंघट भारतीय सभ्यता नहीं इस्लामिक सभ्यता है और हिंदुओं पर मुसलमानों की गुलामी का प्रतीक है जोकि पूर्णतः प्रतिबंधित की जानी चाहिए
लेकिन
मुझ मूर्ख को लगता है कि
इस लड़की का पर्दा से तात्पर्य घूंघट कुप्रथा से है जोकि महिलाओं द्वारा अपना चेहरा ढंकने के लिए व्यवहार में लाया जाता है
लेकिन
पूज्य शंकराचार्य जी ने इसका अर्थ वस्त्र के प्रत्येक आवरण के रूप में ले लिया जोकि शरीर के किसी भी अंग को ढंकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।