पवन मंद सुगन्ध शीतल हेम मन्दिर शोभितम् l badrinath ji aarti 2023 pawan mand sugandh seetal..

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  • čas přidán 4. 02. 2023
  • पवन मंद सुगन्ध शीतल हेम मन्दिर शोभितम् ll
    निकट गंगा बहत निर्मल श्रीबद्रीनाथ विश्वम्भरम् ll
    भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर ऋषियों के रूप में अवतार लिया था जो---
    "नर-नारायण" के रूप में प्रसिद्ध हुए।
    नर-नारायण भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों में से चौथे अवतार थे।
    इस अवतार में विष्णु जी ने नर और नारायण रूप में जुड़वाँ संतों के रूप में अवतार लिया जो धर्म या धार्मिकता के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं।
    नर और नारायण दो शरीर हैं, एक आत्मा।
    वे अव्यक्त विष्णु भगवान के व्यक्त रूप हैं।
    इस रूप में बद्रीनाथ तीर्थ में तपस्या की थी।
    ये भगवान विष्णु के अवतार हैं।
    पृथ्वी पर धर्म के प्रसार का श्रेय इन्हीं को जाता है।
    जन्म लेते ही बद्रीनाथ में तपस्या करने के लिए चले गये।
    आज भी भगवान नर नारायण श्रीबद्रीनाथ जी में निरन्तर तपस्या में रत रहते हैं।
    श्रीशंकराचार्य जी को नर नारायण का दर्शन हुआ तो उन्होंने कहा कि मैं तो योगी हूँ , इससे आपका दर्शन कर सका हूँ , किन्तु कलियुग के भोगी जन भी आपके दर्शन कर सकें , ऐसी कृपा कीजिए।
    भगवान ने उन्हें उस समय बद्रीनारायण के नारद कुण्ड में स्नान करने का आदेश दिया और कहा कि वहाँ से जो मूर्ति मिलेगी उसकी स्थापना करना।
    बद्रीनाथ भगवान की स्थापना भगवान आदि शंकराचार्य जी ने की है
    बद्रीनाथ बद्री-नारायण (अर्थात विष्णु)से सम्बंधित एक पवित्र धार्मिक स्थल है।
    यह स्थान सदैव बर्फ की परतों से ढका रहता है पहाड़ों के बीच स्थित भगवान बद्रीनाथ धाम का मंदिर सदैव अपने भक्तों के लिए विशेष फल दायी रहा है आज भी यहाँ आस्था के साथ हर माह लाखों श्रद्धालु भक्त भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने आते हैँ l और दर्शन कर अपनी झोली को भरकर अपने घर को लौटते हैं।
    धर्म ग्रंथों में प्राप्त होता है कि द्वापर में यहां भगवान का विग्रह प्रकट हुआ और इसी रूप में भगवान यहां निवास करते हैं।
    कहते हैं कि कलियुग के अंत में नर-नारायण पर्वत एक हो जाएंगे।
    इससे बद्रीनाथ का मार्ग बंद हो जाएगा, लोग यहां भगवान के दर्शन नहीं कर पाएंगे।
    #sudhirvyasji
    #sudhirdhyaniji
    मान्यताओं के अनुसार कहते हैं कि जो बद्रीनाथ का दर्शन करता है उनका पुनर्जन्म नहीं होता है।
    कहावत है---
    "जो जाय बदरी,उसकी काया सुधरी"
    यह भगवान विष्णु का दूसरा वैकुण्ठ यानी निवास स्थान है।
    पुराणों में उल्लेख मिलता है कि सतयुग में यहां भगवान विष्णु का साक्षात दर्शन हुआ करता था।
    शास्त्रों में वर्तमान बद्रीनाथ यानी बद्री विशाल धाम को भगवान का दूसरा निवास स्थान बताया गया है।
    इससे पहले भगवान आदि बद्री धाम में निवास करते थे,और भविष्य में जहां भगवान का धाम होगा उसे भविष्य बद्री कहा गया है।हमसे जुडने के लिए आपका हार्दिक ध्न्यवाद'...
    thanks to uniyal ji
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  • Hudba

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