*॥गंगा दशहरा ॥ 🌸🌸ॐ नमो नारायणाय 🌸🌸 इक्ष्वाकु वंश में सगर नामक एक बहुत ही प्रतापी राजा हुये। उनके वैदर्भी और शैव्या नामक दो रानियाँ थीं। राजा सगर ने कैलाश पर्वत पर दोनों रानियों के साथ जाकर शंकर भगवान की घोर आराधना की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उनसे कहा कि हे राजन्! तुमने पुत्र प्राप्ति की कामना से मेरी आराधना की है। अतएव मैं वरदान देता हूँ कि तुम्हारी एक रानी के साठ हजार पुत्र होंगे किन्तु दूसरी रानी से तुम्हारा वंश चलाने वाला एक ही सन्तान होगा। इतना कहकर शंकर भगवान अन्तर्ध्यान हो गये। "समय बीतने पर शैव्या ने असमंज नामक एक अत्यन्त रूपवान पुत्र को जन्म दिया और वैदर्भी के गर्भ से एक तुम्बी उत्पन्न हुई जिसे फोड़ने पर साठ हजार पुत्र निकले। कालचक्र बीतता गया और असमंज का अंशुमान नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। असमंज अत्यन्त दुष्ट प्रकृति का था इसलिये राजा सगर ने उसे अपने देश से निष्कासित कर दिया। फिर एक बार राजा सगर ने अश्वमेघ यज्ञ करने की दीक्षा ली। अश्वमेघ यज्ञ का श्यामकर्ण घोड़ा छोड़ दिया गया और उसके पीछे-पीछे राजा सगर के साठ हजार पुत्र अपनी विशाल सेना के साथ चलने लगे। सगर के इस अश्वमेघ यज्ञ से भयभीत होकर देवराज इन्द्र ने अवसर पाकर उस घोड़े को चुरा लिया और उसे ले जाकर कपिल मुनि के आश्रम में बाँध दिया। उस समय कपिल मुनि ध्यान में लीन थे अतः उन्हें इस बात का पता ही न चला। इधर सगर के साठ हजार पुत्रों ने घोड़े को पृथ्वी के हरेक स्थान पर ढूँढा किन्तु उसका पता न लग सका। वे घोड़े को खोजते हुये पृथ्वी को खोद कर पाताल लोक तक पहुँच गये जहाँ अपने आश्रम में कपिल मुनि तपस्या कर रहे थे और वहीं पर वह घोड़ा बँधा हुआ था। सगर के पुत्रों ने यह समझ कर कि घोड़े को कपिल मुनि ही चुरा लाये हैं, कपिल मुनि को कटुवचन सुनाना आरम्भ कर दिया। अपने निरादर से कुपित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को अपने क्रोधाग्नि से भस्म कर दिया। "जब सगर को नारद मुनि के द्वारा अपने साठ हजार पुत्रों के भस्म हो जाने का समाचार मिला तो वे अपने पौत्र अंशुमान को बुलाकर बोले कि बेटा! तुम्हारे साठ हजार दादाओं को मेरे कारण कपिल मुनि की क्रोधाग्नि में भस्म हो जाना पड़ा। अब तुम कपिल मुनि के आश्रम में जाकर उनसे क्षमाप्रार्थना करके उस घोड़े को ले आओ। अंशुमान अपने दादाओं के बनाये हुये रास्ते से चलकर कपिल मुनि के आश्रम में जा पहुँचे। वहाँ पहुँच कर उन्होंने अपनी प्रार्थना एवं मृदु व्यवहार से कपिल मुनि को प्रसन्न कर लिया। कपिल मुनि ने प्रसन्न होकर उन्हें वर माँगने के लिये कहा। अंशुमान बोले कि मुने! कृपा करके हमारा अश्व लौटा दें और हमारे दादाओं के उद्धार का कोई उपाय बतायें। कपिल मुनि ने घोड़ा लौटाते हुये कहा कि वत्स! जब तुम्हारे दादाओं का उद्धार केवल गंगा के जल से तर्पण करने पर ही हो सकता है। "अंशुमान ने यज्ञ का अश्व लाकर सगर का अश्वमेघ यज्ञ पूर्ण करा दिया। यज्ञ पूर्ण होने पर राजा सगर अंशुमान को राज्य सौंप कर गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के उद्देश्य से तपस्या करने के लिये उत्तराखंड चले गये इस प्रकार तपस्या करते-करते उनका स्वर्गवास हो गया। अंशुमान के पुत्र का नाम दिलीप था। दिलीप के बड़े होने पर अंशुमान भी दिलीप को राज्य सौंप कर गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के उद्देश्य से तपस्या करने के लिये उत्तराखंड चले गये किन्तु वे भी गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने में सफल न हो सके। दिलीप के पुत्र का नाम भगीरथ था। भगीरथ के बड़े होने पर दिलीप ने भी अपने पूर्वजों का अनुगमन किया किन्तु गंगा को लाने में उन्हें भी असफलता ही हाथ आई। "अन्ततः भगीरथ की तपस्या से गंगा प्रसन्न हुईं और उनसे वरदान माँगने के लिया कहा। भगीरथ ने हाथ जोड़कर कहा कि माता! मेरे साठ हजार पुरखों के उद्धार हेतु आप पृथ्वी पर अवतरित होने की कृपा करें। इस पर गंगा ने कहा वत्स! मैं तुम्हारी बात मानकर पृथ्वी पर अवश्य आउँगी, किन्तु मेरे वेग को भगवान शिव के अतिरिक्त और कोई सहन नहीं कर सकता। इसलिये तुम पहले भगवान शिव को प्रसन्न करो। यह सुन कर भगीरथ ने भगवान शिव की घोर तपस्या की और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी हिमालय के शिखर पर गंगा के वेग को रोकने के लिये खड़े हो गये। गंगा जी स्वर्ग से सीधे शिव जी की जटाओं पर जा गिरीं। इसके बाद भगीरथ गंगा जी को अपने पीछे-पीछे अपने पूर्वजों के अस्थियों तक ले आये जिससे उनका उद्धार हो गया। भगीरथ के पूर्वजों का उद्धार करके गंगा जी सागर में जा गिरीं और अगस्त्य मुनि द्वारा सोखे हुये समुद्र में फिर से जल भर गया।❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Ganga Dussehra nirjala vrat ko kab kholna hai.. Ganga Dussehra Wale din kholein ya agley din kholein... Please, jawaab jaldi Dene ki kosish karein.. Kisi ne bhi apne kisi bi video mein ganga Dussehra nirjala vrat ko kholne ka koi samay aur vidhi nahi bataya hai , yahan tak ki aapne bhi vrat kholne ke samay aur vidhi ke baare mein kuch nahi bataya hai. Aap ne sirf ganga Dussehra pujan vidhi batayi hai aur vrat kholne ke baarey mei kuch nahi bataya hai. Kripya kosish karein is baat ka jawaab dein. Bohot se log intezaar mein hi reh jaatey hain kab aur kaise vrat kholein aur majboor hokar kabhi bhi aur kaise bhi vrat khol dete hai ye soch kar ke unke vrat ka fal unhe milega bhi ki nahi. Aap ko bohot hi achcha aur lamba video banatey hain par vrat kholne ki vidhi kripya poori bataya karein, isey na bhoola karein, bohot se log aap logon ko dhyaan se sunte hain aur phir ant mein vrat kholne ki vidhi hi na ho to poojan poorn kaise mana jayega. Saath hi vrat karne wale vyakti ke mann mei vrat ke fal ko lekar shanka reh jaati hai aur sab poojan niyam karne ke baad bhi mann asantusht reh jaata hai. Kripya jaldi jawaab dein aur sabhi jinko vrat kholna hai unki chinta door karein aur sabhi ki asantushti door karein. Ganpati ji ki jai ho. Shiv ji ki jai. Maa ganga ji ki jai ho. Har har gange 🙏🙏 Kripya message dekhte hi aisi shanka ko jald jawaab dekar door karein 🙏🙏
Mai jab choti thi tab mai or meri friends hum sab mil kar gudiya or gudde ki shadi karte the har saal or hum dawat bhi karte the bhut maza aata tha ab humari shadi ho gayi h yha to kuch nhi hota
Sharda ji aap ne hamare rit ke bare me bahut badiya bataya hai dhanyawad
*॥गंगा दशहरा ॥
🌸🌸ॐ नमो नारायणाय 🌸🌸
इक्ष्वाकु वंश में सगर नामक एक बहुत ही प्रतापी राजा हुये। उनके वैदर्भी और शैव्या नामक दो रानियाँ थीं। राजा सगर ने कैलाश पर्वत पर दोनों रानियों के साथ जाकर शंकर भगवान की घोर आराधना की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उनसे कहा कि हे राजन्! तुमने पुत्र प्राप्ति की कामना से मेरी आराधना की है। अतएव मैं वरदान देता हूँ कि तुम्हारी एक रानी के साठ हजार पुत्र होंगे किन्तु दूसरी रानी से तुम्हारा वंश चलाने वाला एक ही सन्तान होगा। इतना कहकर शंकर भगवान अन्तर्ध्यान हो गये।
"समय बीतने पर शैव्या ने असमंज नामक एक अत्यन्त रूपवान पुत्र को जन्म दिया और वैदर्भी के गर्भ से एक तुम्बी उत्पन्न हुई जिसे फोड़ने पर साठ हजार पुत्र निकले। कालचक्र बीतता गया और असमंज का अंशुमान नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। असमंज अत्यन्त दुष्ट प्रकृति का था इसलिये राजा सगर ने उसे अपने देश से निष्कासित कर दिया। फिर एक बार राजा सगर ने अश्वमेघ यज्ञ करने की दीक्षा ली। अश्वमेघ यज्ञ का श्यामकर्ण घोड़ा छोड़ दिया गया और उसके पीछे-पीछे राजा सगर के साठ हजार पुत्र अपनी विशाल सेना के साथ चलने लगे। सगर के इस अश्वमेघ यज्ञ से भयभीत होकर देवराज इन्द्र ने अवसर पाकर उस घोड़े को चुरा लिया और उसे ले जाकर कपिल मुनि के आश्रम में बाँध दिया। उस समय कपिल मुनि ध्यान में लीन थे अतः उन्हें इस बात का पता ही न चला। इधर सगर के साठ हजार पुत्रों ने घोड़े को पृथ्वी के हरेक स्थान पर ढूँढा किन्तु उसका पता न लग सका। वे घोड़े को खोजते हुये पृथ्वी को खोद कर पाताल लोक तक पहुँच गये जहाँ अपने आश्रम में कपिल मुनि तपस्या कर रहे थे और वहीं पर वह घोड़ा बँधा हुआ था। सगर के पुत्रों ने यह समझ कर कि घोड़े को कपिल मुनि ही चुरा लाये हैं, कपिल मुनि को कटुवचन सुनाना आरम्भ कर दिया। अपने निरादर से कुपित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को अपने क्रोधाग्नि से भस्म कर दिया।
"जब सगर को नारद मुनि के द्वारा अपने साठ हजार पुत्रों के भस्म हो जाने का समाचार मिला तो वे अपने पौत्र अंशुमान को बुलाकर बोले कि बेटा! तुम्हारे साठ हजार दादाओं को मेरे कारण कपिल मुनि की क्रोधाग्नि में भस्म हो जाना पड़ा। अब तुम कपिल मुनि के आश्रम में जाकर उनसे क्षमाप्रार्थना करके उस घोड़े को ले आओ। अंशुमान अपने दादाओं के बनाये हुये रास्ते से चलकर कपिल मुनि के आश्रम में जा पहुँचे। वहाँ पहुँच कर उन्होंने अपनी प्रार्थना एवं मृदु व्यवहार से कपिल मुनि को प्रसन्न कर लिया। कपिल मुनि ने प्रसन्न होकर उन्हें वर माँगने के लिये कहा। अंशुमान बोले कि मुने! कृपा करके हमारा अश्व लौटा दें और हमारे दादाओं के उद्धार का कोई उपाय बतायें। कपिल मुनि ने घोड़ा लौटाते हुये कहा कि वत्स! जब तुम्हारे दादाओं का उद्धार केवल गंगा के जल से तर्पण करने पर ही हो सकता है।
"अंशुमान ने यज्ञ का अश्व लाकर सगर का अश्वमेघ यज्ञ पूर्ण करा दिया। यज्ञ पूर्ण होने पर राजा सगर अंशुमान को राज्य सौंप कर गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के उद्देश्य से तपस्या करने के लिये उत्तराखंड चले गये इस प्रकार तपस्या करते-करते उनका स्वर्गवास हो गया। अंशुमान के पुत्र का नाम दिलीप था। दिलीप के बड़े होने पर अंशुमान भी दिलीप को राज्य सौंप कर गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने के उद्देश्य से तपस्या करने के लिये उत्तराखंड चले गये किन्तु वे भी गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने में सफल न हो सके। दिलीप के पुत्र का नाम भगीरथ था। भगीरथ के बड़े होने पर दिलीप ने भी अपने पूर्वजों का अनुगमन किया किन्तु गंगा को लाने में उन्हें भी असफलता ही हाथ आई।
"अन्ततः भगीरथ की तपस्या से गंगा प्रसन्न हुईं और उनसे वरदान माँगने के लिया कहा। भगीरथ ने हाथ जोड़कर कहा कि माता! मेरे साठ हजार पुरखों के उद्धार हेतु आप पृथ्वी पर अवतरित होने की कृपा करें। इस पर गंगा ने कहा वत्स! मैं तुम्हारी बात मानकर पृथ्वी पर अवश्य आउँगी, किन्तु मेरे वेग को भगवान शिव के अतिरिक्त और कोई सहन नहीं कर सकता। इसलिये तुम पहले भगवान शिव को प्रसन्न करो। यह सुन कर भगीरथ ने भगवान शिव की घोर तपस्या की और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी हिमालय के शिखर पर गंगा के वेग को रोकने के लिये खड़े हो गये। गंगा जी स्वर्ग से सीधे शिव जी की जटाओं पर जा गिरीं। इसके बाद भगीरथ गंगा जी को अपने पीछे-पीछे अपने पूर्वजों के अस्थियों तक ले आये जिससे उनका उद्धार हो गया। भगीरथ के पूर्वजों का उद्धार करके गंगा जी सागर में जा गिरीं और अगस्त्य मुनि द्वारा सोखे हुये समुद्र में फिर से जल भर गया।❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Jay mata di
Jai Maa Gange.Jai Shree Hari..Jai Shre Krishna
Jai gnga maiya🙏
Jai Ganga Maiya 🙏
Radhe radheji
प्रणाम♥️🙏आपको अच्छी जानकारी लगी🤷👍
jai mata rani
Thanks aunty itna achhe se batane ke liye🙏☺
जय गंगा भाई
Mera jnam ganga dushra ke din hi hua he mata ji
Aunty ji 🙏🙏 apki video kafi helpfull hai
Bahut badiya 🙏
जय गंगा माई की🙏🙏
Har har gange Jai ganga maiya
Jai mata di
Thank you 🙏❤
First like and view
🙏jay mata di 🙏
Jay shree Ram ji 🙏🙏🌹🚩
Pranam🙏
Hello sister,, Thanks 🙂🙂🙂 बहुत ही सुन्दर रूप से आप ने पूर्ण जानकारी दी,है,,,🙏🙏🙏🙏🙏
Rydgj
Ganga dassera ke din guruwar ka naya upas utasakty hai kya mata.pl bataye🙏
🙏 Har har bhagirathi gange Kashi Vishwanath shambho 👋🪔🌹👋
Pranam🙏🙏
Sharda ji jis pani ko humne ganga ji mankar puja kiye us jal aur usme dale gye chizo ka kya kare
Meri janmatithi dussera ka din hi hai pls bataye ye suvh yea asuvh hai plssss
Second comment
Maa ji please please yeh bato aap ki aap meri nand sapne Mai mujhe shringar ka saaman deto iska kya matlab hai
🙏 Jai MAA Gange maa 🌹🪔🙏👋
Anti nirjla ekadashi ka pujan vidhi karke btaie is bar fir se bta dijie
🙏🙏
Namskar bhn very nice video bhn
20022 ke june me kay grhen he kay?
Mata Ji kya ham shadi ke sindure me se hamesa sindur laga sakate hain
Mata ji ldki gle me 5 mukhi rudraksh phn sktii h kyaa or kya kya niyam h plzzz amma btana🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Ganga Dussehra nirjala vrat ko kab kholna hai..
Ganga Dussehra Wale din kholein ya agley din kholein...
Please, jawaab jaldi Dene ki kosish karein..
Kisi ne bhi apne kisi bi video mein ganga Dussehra nirjala vrat ko kholne ka koi samay aur vidhi nahi bataya hai , yahan tak ki aapne bhi vrat kholne ke samay aur vidhi ke baare mein kuch nahi bataya hai.
Aap ne sirf ganga Dussehra pujan vidhi batayi hai aur vrat kholne ke baarey mei kuch nahi bataya hai.
Kripya kosish karein is baat ka jawaab dein.
Bohot se log intezaar mein hi reh jaatey hain kab aur kaise vrat kholein aur majboor hokar kabhi bhi aur kaise bhi vrat khol dete hai ye soch kar ke unke vrat ka fal unhe milega bhi ki nahi.
Aap ko bohot hi achcha aur lamba video banatey hain par vrat kholne ki vidhi kripya poori bataya karein, isey na bhoola karein, bohot se log aap logon ko dhyaan se sunte hain aur phir ant mein vrat kholne ki vidhi hi na ho to poojan poorn kaise mana jayega. Saath hi vrat karne wale vyakti ke mann mei vrat ke fal ko lekar shanka reh jaati hai aur sab poojan niyam karne ke baad bhi mann asantusht reh jaata hai.
Kripya jaldi jawaab dein aur sabhi jinko vrat kholna hai unki chinta door karein aur sabhi ki asantushti door karein.
Ganpati ji ki jai ho.
Shiv ji ki jai.
Maa ganga ji ki jai ho.
Har har gange
🙏🙏
Kripya message dekhte hi aisi shanka ko jald jawaab dekar door karein
🙏🙏
Ram ram didi
Namaskar Didi
मैम गंगा दशहरे की पूजा सुबह 5:30 बजे कर सकते हैं या नहीं
Maa ji mangalsutr kB kharid sakte bato maa ji please please please please please please please please
नमस्ते 🙏 दीदी
आंटी एकादशी की किताब में लिखा है कि एकादशी के दिन व्रती को झाड़ू नहीं लगाना चाहिए। ऐसे में क्या सिर्फ पोछा लगा सकते है?
Logic ye hai ki kisi bhi prakaar se jeev jantu ko haani na ho. Isiliye ye kaha gaya hai... Aap ek din pehle sandhya hone se pehle jhadu pocha lga le
Namste didi
राधे राधे बहन जी यदि किसी बेटे की सगाई शादी नही हो रही है तो कोई उपाय बताना क्या करे 🙏🙏
Mai jab choti thi tab mai or meri friends hum sab mil kar gudiya or gudde ki shadi karte the har saal or hum dawat bhi karte the bhut maza aata tha ab humari shadi ho gayi h yha to kuch nhi hota
Ub Gaye jindagi se na koi dost na koi sab kaha hai mAloom nahi
Ma aap kha se ho
प्रयागराज (यूपी)