मनुष्य किसे कहते हैं || By श्रीमती संगीता आर्या जी || Arya Samaj Gharaunda
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- čas přidán 23. 09. 2022
- श्रीमती संगीता आर्या जी
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बहुत बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सादर नमन
बहुत सुंदर विचार और भजन
राजु सोनी बुढा Mp
Ati sarahniye songs...
संगीता बहन जी बिल्कुल ठीक कह रही है जिसका जैसा संस्कार होता है उसको है वहीं पर ले जाता है
पूर्व जन्म के कर्मों के परिणाम स्वरुप ही संगीता बहन जी की बातें सुनने को मिलती हैं नहीं तो इतनी अच्छी बातें सब ही सुन सकते हैं लेकिन लेकिन यह ज्ञान जो संगीता बहन जी बांट रही है जो बहुत ही दुर्लभ है बहुत ही बहुत ही कम लोगों को सुनाई देता है
उपजहिं विनसहि ज्ञान जिमि पाइ सुसंग कुसंग।
बहुत ही सुन्दर भजन
बहिन जी को मेरा कोटि कोटि नमन
बहुत सुंदर जी बढ़िया संवाद जी नमस्ते जी,
Bahut hi Sundar bhajan bahan ji aapko hamara कोटि-कोटि Naman 🙏🙏🙏🙏🙏
Very nice ji bhahn ji
Bahoot hi sundar lojik.
बहन संगीता आर्य को बहुत-बहुत धन्यवाद
बहुत सुनदर भजन लगा जय हिंद जय भारत वद़ेमातरम वद़ेमातरम
Very good.This program is shown respectly.sadar naman
Ishwar aapko lambi aayu de.
Very nice speech bahan ji
Bahut Badi dibya Gyan bahanji ki❣️🙏❣️
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति आदरणीया बहन जी। सादर नमन।
Bahut dhanyawad sister gi aapko ko koti koti naman hai
अति सुन्दर विचार।
J0
very good Jai shree ram
भारत देश की आज सबसे बड़ी समस्या यह भी है कि आज लोग अपने पित्र ऋण को चुकाए बगैर सन्यास ले कर अपने कर्तव्य से भाग रहे हैं और जो लोग ज्यादा वेद पाठ धर्मशास्त्र पढ़ लेते हैं वह लोग घमंडी हो जाते हैं और उस घमंड के चलते खुद को ही भगवान का दर्जा देने लगते हैं और खुद को महापुरुष की उपाधि देकर दुनिया के सामने अपनी महानता का गुणगान करने लगते हैं उन लोगों में और रावण में कोई अंतर नहीं ज्यादा धर्म ग्रंथ पढ़कर ज्यादा धर्म शास्त्र उपनिषद पढ़कर लोग अहंकारी और घमंडी होते जा रहे हैं तो कि वह अपने कर्तव्य को ना समझ कर अपने कर्तव्य से भाग रहे हैं और खुद को महापुरुष की संज्ञा देकर खुद को ही ईश्वर के बराबर समझने लगे हैं जैसे रावण को धर्म का ज्ञान था मगर उसको धार्मिक आचरण का ज्ञान नहीं था उसी प्रकार आज जितने भी आचार्य आर्य शास्त्री बने फिर रहे हैं इन सबके अंदर रावण के जैसा घमंड है
Baijayanti bahut sundar Namaste behen ji 🙏
सत्य साकार हरि जी धरा धाम पर प्रकट्य कर चुके हैं
त्यक्तेन भुंजिथा न लिप्यते नरः।
जो त्याग भाव से सेवन करता है, उस पर लिप्त नहीं होता है। मनुष्य कहलाता है।
बहुत सुंदर प्रवचन बहन जी नमस्ते
Aap sunya karo ham sab sudhrenge bahan ji aapko sastang dandvat
🙏🙏🙏🙏🙏
🙏
🙏🙏🙏सादर नमस्ते दीदी जी 🙏🙏🙏
Excellent madam!
🙏🚩
ओ३म नमस्ते जी🙏
बहुत सुंदर
ATI Sundar vichar Arya ji 🙏🙏
Radhe radhe
Bahan ji aapki pratibha ko naman
aap pravachan feri kar rahe ho kaya
Ati sunder
Namaste bahan ji
बेटी के साथ घृणित कार्य करना कौन सा अच्छा कर्म है जो ब्रह्म ने किया। क्या वह पाप नहीं है
नमस्ते 🙏🙏🙏🙏
Sangita ji Aapko dhanyavaad
Bahut sundar sach maargdarshan
Aapsa baat ho sakti hai kya
बहिनजी। आपके। विचारों। को। सुनता। हूँ। बडे। ठोस। होते। है। अच्छा। लगता। है। धन्यवाद
अपने वर्णों के सभी देवी देवताओं के घृणित चरित्र को पहले देखने के बाद गायकी और प्रवचन कर लोगों को मार्गदर्शन करें।
Ab toh Arya samaj bas bhajan hi gata rahta hai.
He rishi Tera Arya samaj so raha hai.
जो मनुस्मृति के सिध्दांतों के निर्देशो को पालन करते हैं उन्हें मनुष्य कहते हैं तुम आर्य समाज के धर्म शास्त्रों के निर्देशो को उलंघन कर रही हों।
czcams.com/video/XDpno7H2GbA/video.html। हर-हर महादेव हर-हर महादेव क्या भारत देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए अपने कर्तव्य को पूरा किए बगैर पितरों का ऋण चुकाए बगैर क्या सन्यास लेना उचित है क्या संयास लेने से मनुष्य खुद को ईश्वर के बराबर समझने लगा है क्या संयास ले कर मनुष्य खुद को भगवान वाल्मीकि के बराबर का समझने लगा है क्या वेद पाठ धर्म ग्रंथ पढ़कर सन्यास लेकर मनुष्य धर्म ज्ञान की शिक्षा के घमंड में एक घमंडी की तरह खुद को ईश्वर मान चुका है मेरा प्रश्न उन सभी सन्यासियों से हैं जो अपने नाम के आगे आचार्य आर्य शास्त्री और अलग-अलग मठ के महंत बताते हैं और सन्यास ले कर अपने कर्तव्य से बचकर भागते हैं
🙏