एकादशी का पारण करना क्यों जरूरी है/ कैसे करते हैं पारण संपूर्ण विधि वीडियो के माध्यम से/

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  • čas přidán 6. 09. 2024
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    एकादशी व्रत में चावल खाने पर रोक है, इसलिए एकादशी व्रत पारण चावल खाकर करने का नियम है। मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से मृत्यु के बाद प्राणी का जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में होता है, लेकिन द्वादशी को चावल खाकर व्रत का पारण करने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है। सेम को कफ और पित्त नाशक माना गया है।
    जन्माष्टमी को छोड़कर और सब व्रतों में पारण दिन को किया जाता है । देवपूजन करके और ब्राह्मण खिलाकर तब भोजन या पारण करना चाहिए । पारण के दिन काँसे के बर्तन में न खाना चाहिए, मांस, मद्य, मधु न खाना चाहिए, मिथ्याभाषण, व्यायाम, स्त्रीप्रसंग आदि भी न करना चाहिए । ये सब बातें वैष्णवों के लिये विशेष रूप से निषिद्ध हैं ।
    एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। साथ ही एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।द्वादशी तिथि के दिन स्नान-ध्यान के बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें. पूजा में फल, फूल, नैवेद्य अर्पित करें और विधि-विधान से पूजा समाप्त करें.
    व्रत का पारण करने के लिए इस दिन जो भी भोजन बनाएं वो गाय के शुद्ध घी से बना होना चाहिए. इसके साथ ही एकादशी व्रत पारण के भोजन में चावल जरूर शामिल करने चाहिए.
    एकादशी व्रत में चावल खाने पर रोक है, इसलिए एकादशी व्रत पारण चावल खाकर करने का नियम है। मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से मृत्यु के बाद प्राणी का जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में होता है, लेकिन द्वादशी को चावल खाकर व्रत का पारण करने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है। सेम को कफ और पित्त नाशक माना गया है।

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