संगीतमय सुंदरकांड हनुमान जी की भक्तिमय स्तुति के लिए सुनिए

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  • čas přidán 8. 05. 2024
  • संगीतमय सुंदरकांड हनुमान जी की भक्तिमय स्तुति के लिए सुनिए #sunderkand #hanumanbhajan #jayshreeram
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    @BhajanMarg
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    Credit By:- @abhaymishrav75
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    Lyrics 😍❤️😍😍😘:-
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    शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं,ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्‌।
    रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं,वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्‌॥१॥
    नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये,सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।
    ________________________________________
    भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे,कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च॥२॥
    अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं,दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌।
    सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं,रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥३॥
    ॥ चौपाई ॥
    जामवंत के बचन सुहाए।सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
    तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई।सहि दुख कंद मूल फल खाई॥
    जब लगि आवौं सीतहि देखी।होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी॥
    यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा।चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा॥
    सिंधु तीर एक भूधर सुंदर।कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर॥
    बार-बार रघुबीर सँभारी।तरकेउ पवनतनय बल भारी॥
    जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता।चलेउ सो गा पाताल तुरंता॥
    जिमि अमोघ रघुपति कर बाना।एही भाँति चलेउ हनुमाना॥
    जलनिधि रघुपति दूत बिचारी।तैं मैनाक होहि श्रम हारी॥
    श्री राम चरित मानस-सुन्दरकाण्ड (दोहा 1 - दोहा 6)
    ॥ दोहा 1 ॥
    हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम,राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम।
    ॥ चौपाई ॥
    जात पवनसुत देवन्ह देखा।जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा॥
    सुरसा नाम अहिन्ह कै माता।पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता॥
    आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा।सुनत बचन कह पवनकुमारा॥
    राम काजु करि फिरि मैं आवौं।सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं॥
    तब तव बदन पैठिहउँ आई।सत्य कहउँ मोहि जान दे माई॥
    कवनेहुँ जतन देइ नहिं जाना।ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना॥
    जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा।कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा॥
    सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ।तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ॥
    जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा।तासु दून कपि रूप देखावा॥
    सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा।अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥
    बदन पइठि पुनि बाहेर आवा।मागा बिदा ताहि सिरु नावा॥
    मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा।बुधि बल मरमु तोर मैं पावा॥
    ॥ दोहा 2 ॥
    राम काजु सबु करिहहु तुम्ह बल बुद्धि निधान,आसिष देइ गई सो हरषि चलेउ हनुमान।
    ॥ चौपाई ॥
    निसिचरि एक सिंधु महुँ रहई।करि माया नभु के खग गहई॥
    जीव जंतु जे गगन उड़ाहीं।जल बिलोकि तिन्ह कै परिछाहीं॥
    गहइ छाहँ सक सो न उड़ाई।एहि बिधि सदा गगनचर खाई॥
    सोइ छल हनूमान कहँ कीन्हा।तासु कपटु कपि तुरतहिं चीन्हा॥
    ताहि मारि मारुतसुत बीरा।बारिधि पार गयउ मतिधीरा॥
    तहाँ जाइ देखी बन सोभा।गुंजत चंचरीक मधु लोभा॥
    नाना तरु फल फूल सुहाए।खग मृग बृंद देखि मन भाए॥
    सैल बिसाल देखि एक आगें।ता पर धाइ चढ़ेउ भय त्यागें॥
    उमा न कछु कपि कै अधिकाई।प्रभु प्रताप जो कालहि खाई॥
    गिरि पर चढ़ि लंका तेहिं देखी।कहि न जाइ अति दुर्ग बिसेषी॥
    अति उतंग जलनिधि चहु पासा।कनक कोट कर परम प्रकासा॥
    ॥ छन्द ॥
    कनक कोटि बिचित्र मनि कृत सुंदरायतना घना,चउहट्ट हट्ट सुबट्ट बीथीं चारु पुर बहु बिधि बना।
    गज बाजि खच्चर निकर पदचर रथ बरूथन्हि को गनै,बहुरूप निसिचर जूथ अतिबल सेन बरनत नहिं बनै॥१॥
    बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं,नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं।
    कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं,नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं॥२॥
    करि जतन भट कोटिन्ह बिकट तन नगर चहुँ दिसि रच्छहीं,कहुँ महिष मानुष धेनु खर अज खल निसाचर भच्छहीं।
    एहि लागि तुलसीदास इन्ह की कथा कछु एक है कही,रघुबीर सर तीरथ सरीरन्हि त्यागि गति पैहहिं सही॥३॥
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    Sundarkand lyrics in hindi: हर मंगलवार को करें सुंदरकांड का पाठ, दूर हो जाते हैं सभी तरह के भय
    Sundarkand lyrics in hindi: Sundarkand का हर मंगलवार को करना चाहिए, ऐसा करने से जीवन में सभी दुख दूर हो जाते हैं।
    By Sandeep ChoureyEdited By: Sandeep ChoureyPublished: Wed, 13 Apr 2022 11:34:26 AM (IST)Updated: Thu, 05 May 2022 01:51:14 PM (IST)
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    जिमि अमोघ रघुपति कर बाना।एही भाँति चलेउ हनुमाना॥
    #hanuman #song #bhajan #bhajansong
  • Hudba

Komentáře • 2

  • @user-es4pf4yz3p
    @user-es4pf4yz3p Před 16 dny +4

    जय श्री राम जय जय राम

  • @sushilakedia9164
    @sushilakedia9164 Před 24 dny +2

    Jay sree ram🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏