मूलाधार चक्र, क्या होता है, कहाँ होता है, कैसे सन्तुलित करे। how to balance mooladhara chakra।

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  • čas přidán 6. 09. 2024
  • इस चक्र का सांकेतिक प्रतीक चार पंखुड़िय़ों वाला कमल है। चारों पंखुड़ियाँ इस चक्र में उत्पन्न होने वाले मन के चार तत्वों: मानस, बुद्धि, चित्त और अहंकार के प्रतीक हैं।
    इस चक्र का दूसरा प्रतीक चिह्न उल्टा त्रिकोण है। यह ब्रह्माण्ड की ऊर्जा खिंचते चले आने का द्योतक है। यह चेतना के ऊर्ध्व प्रसार का भी बोध कराता है।
    इस चक्र का प्रतिनिधि पशु ७ सूंडों वाला हाथी है। हाथी बुद्धि का प्रतीक है। ७ सूंडें पृथ्वी के ७ खजानों (सप्तधातु) की प्रतीक हैं।
    इस चक्र का अनुरूप तत्त्व पृथ्वी है।
    इस चक्र का रंग लाल है जिसे शक्ति का रंग माना जाता है।
    मूलाधार या रुट चक्र
    रीढ़ की हड्डी के आधार पर स्थित होता है और यह बुनियादी मानव वृत्ति और अस्तित्व से संबंधित है। मूलाधार चक्र की सकारात्मक उपलब्धियां स्फूर्ति, उत्साह और विकास हैं। नकारात्मक गुण हैं सुस्ती, निष्क्रियता, स्वार्थी और अपनी शारीरिक इच्छाओं द्वारा प्रभावित होना। मूलाधार-चक्र अग्नि वर्ण का त्रिभुजाकार एक आकृति होती है, जिसके मध्य कुण्डलिनी सहित मूल स्थित रहता है। इस त्रिभुज के तीनों उत्तंग कोनों पर इंगला, पिंगला और सुषुम्ना आकर मिलती है।
    इसके अंदर चार अक्षरों से युक्त अग्नि वर्ण की चार पंखुड़ियां नियत हैं। ये पंखुड़ियां अक्षरों से युक्त हैं- सं, षं, शं, वं।
    यहां के अभीष्ट देवता के रूप में गणेश जी नियत किए गए हैं। जो साधक साधना के माध्यम से कुण्डलिनी जागृत कर लेता है अथवा जिस साधक की स्वास-प्रस्वास रूप साधना से जागृत हो जाती है और जागृत अवस्था में उर्ध्वगति में जब तक मूलाधार में रहती है, तब तक वह साधक गणेश जी की शक्ति से युक्त व्यक्ति हो जाता है।
    7 चक्र और योग आसन उन्हें संतुलित करने के लिए
    आइए हमारे शरीर में सात चक्रों का पता लगाएं, वे शरीर को कैसे प्रभावित करते हैं, हमारे व्यक्तित्व और अंगों पर क्या असंतुलन होता है, और योग आसन या मुद्रा के साथ चक्रों को संतुलित करके इसे कैसे ठीक किया जाए।
    मूलाधार चक्र
    स्वाधिष्ठान चक्र
    मणिपुर चक्र
    अनाहत चक्र
    विशुद्धि चक्र
    आज्ञा चक्र
    सहस्रार चक्र
    1. मूलाधार चक्र
    तत्व: पृथ्वी
    लाल रंग
    मंत्र: लम
    स्थान: गुदा और जननांगों के बीच रीढ़ की हड्डी का आधार
    यह शरीर को कैसे प्रभावित करता है: मूलाधार चक्र हड्डियों, दांतों, नाखूनों, गुदा, प्रोस्टेट, अधिवृक्क, गुर्दे, निचले पाचन कार्यों, उत्सर्जन कार्यों और यौन गतिविधियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
    चक्र में असंतुलन से थकान, खराब नींद, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, साइटिका, कब्ज, अवसाद, प्रतिरक्षा संबंधी विकार, मोटापा और खाने के विकार होते हैं।
    मूलाधार चक्र की स्थिति
    मूलाधार चक्र की विशेषताएं
    मूलाधार चक्र का बीज़ मंत्र
    मूलाधार चक्र का असंतुलन और समस्याएं
    मूलाधार चक्र को संतुलित करना

Komentáře • 3

  • @acharyachander
    @acharyachander Před 2 lety +1

    Very informative about mooladhara chakra

  • @ashumudgalofficial5681
    @ashumudgalofficial5681 Před 2 lety +1

    Very Very Useful and Beneficial information. Thanku so much

  • @VikashKumarDudu
    @VikashKumarDudu Před 2 lety

    सर आपके द्वारा दी गई जानकारी काफी सराहनीय है मेरे को काफी अच्छी लगी इसलिए मैं आपको बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ