Best Micchami Dukkadam Story Mahaveer Swami Told Gautam Swami To Ask Forgiveness From Anand Shravak
Vložit
- čas přidán 29. 08. 2024
- भगवान महावीर ने गौतम स्वामी से क्यों कहा कि जाओ और आनंद श्रावक से माफ़ी मांगकर आओ ? 🙏
भगवान महावीर आनंद श्रावक 🙏
Best Micchami Dukkadam Story
प्रणाम, 🙏
आप सभी को नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ! 🙏
इस नए वर्ष की शुरुआत करते हैं क्षमा धर्म की एक अद्भुत कथा के साथ !
भगवान महावीर, गौतम स्वामी और आनंद श्रावक की आँखें खोल देने वाली कथा !
जय जिनशासन 🙏
जय महावीर 🙏
#mahaveer #gautamswami #jainism #jainstory #jainstories #jaindharm
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Bohot aachi katha...down to earth nature ka best example
Woooooooooooooh
मेहुल भाई
जैन इतिहास के काफ़ी किस्से खोज कर लोगो के सामने पेश कर रहे हैं और वो भी बड़ी नम्रता एवं सरलता के साथ l
आपके इन प्रयासों की हम भूरी भूरी प्रशंसा के साथ साथ अनुमोदना करते हैं l
🙏🙏🙏
👌👌🙏🙏
क्षमा वीरस्य भूषणम्
Bav saras Information 🙏🙏
आप के वीडियो बहुत ही शिक्षाप्रद होते हैं।उनसे जैन लोगों के अतिरिक्त अन्य धर्म वालों को भी जैन धर्म के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
Jai jin shahshan jai mahavir
Bahut bahut dhanyavad mehul bhai itni accha gan Ham sabhi ko dene ke liye sadar Jay jinendra🙏🙏
Very nice🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
सुन्दर,प्रयास नमन
जय जिनशासन!
जय भगवान महावीर!
पता नहीं!मुझे ऐंसा क्यों लगता है कि पूर्व जन्म में मैंं ही वह आनंद श्रावक था। हो सकता है कि आज के समय मेंं ऐंसे लोगों की कमी नहीं हो जो मेरी इस बात पर विश्वास नहीं करें।जब मेरी साधना पूजा पाठ आदि अच्छी तरह से चलते रहते हैं।तब मुझे भी कई बातों का पूर्वाभास हो जाता है।परंतु वह सब बातें मैं मन में ही रखता हूँ।किसी को भी उसके बारे में बताता नहीं हूँ। हालांकि मैं भी सर्वज्ञ नहीं हूँ।मुझे किन बातों का पूर्वाभास हो और किन बातों का नहीं।यह मेरे हाथ में नहीं रहता है।बल्कि यह सब देवी देवता ही निश्चित करते हैं।परंतु मुझे अंतर्जगत में जिन बातों का पूर्वाभास होता है।बाद में बाहर भी बिल्कुल वैंसे का वैंसा ही होने लगता है।और जैन धर्मग्रंथों को पढ़ने से या जैन कथाओं को सुनने से मुझे जो मुझे हिंदूधर्म के बड़े-बड़े देवी देवताओं,महापुरुषों और साधू संतों के दर्शनों की अनुभूति होने लगती है। वह तो बिल्कुल सत्य है।मैं आज से 18 साल पहले 2004 में मीरा रोड़ में आया था।यदि उस समय मुझे अच्छे बिजनेस मैन लोग मिले होते थे।तो शायद उस समय मैं व्यापार या बिजनेस के लिये तैयार हो भी जाता था।परंतु उस समय मैं जगदीश तिवारी,श्रवण कपूर और R K Agrwal जैंसे धूर्त और लगातार टाइमपास करनेवाले लोगों के बीच फँस गया था।और अब इस 59 वर्ष की आयु में मेरी बिजनेस या व्यापार करने में कोई रुचि नहीं रह गयी है।मैंने अपने यह पूर्व जन्म की बात R K Agrwal को बताने की 2-3 बार कोशिश की थी।पर मेरी यह सब बातें सुनकर अग्रवाल बुरी तरह से बौखला जाता था।और गुस्से से आगबबूला हो जाता था।और यह सब सुनने में जबर्दस्त अरुचि दिखाने लगता था।
इस जन्म में भगवान रामकृष्ण परमहंस और जगद्गुरु स्वामी विवेकानंद के प्रति मेरा यह प्रबल आकर्षण उस समय भगवान महावीर के आनंद श्रावक को दिये गये उपदेशों का ही परिणाम है।
मैं सोचता हूँ कि जब केवल जैन धर्मग्रंथों को पढ़ने या जैन कथाओं के श्रवण मात्र से मुझे हिंदू देवी देवताओं के दर्शनों की अनुभूति होने लगती है।तो फिर अगर मैं एक ऐंसा आश्रम खोलूँगा।जिसमें भगवान महावीर और भगवान रामकृष्ण का भी मंदिर हो। तो उसमें जैन लोगों का भी आना जाना होगा।और जैन मुनियों से मिलकर जैन धर्मग्रंथों को और अधिक गहराई से समझकर मुझे भगवान महावीर और अन्य जैन तीर्थकरों के दर्शनों की भी और अधिक से अधिक प्रबल अनुभूतियाँ होने लगेंगी।और मेरे अंतर्जगत में ऐंसा होता है कि जितने अंशों मेें मुझे भगवान महावीर और अन्य जैन तीर्थकरों की अनुभूति होती है।उतने ही अंशों में मुझे हिंदू देवी देवताओं के दर्शनों की भी अधिक से अधिक प्रबल अनुभूतियाँ होने लगती हैं।क्या पता कि भविष्य में कभी ऐंसा भी हो जाये कि मुझे ऐंसी अनुभूति हो जाये कि भगवान महावीर स्वयं मेरे सामने खड़े होकर दर्शन दे रहे हैं।तो इसका परिणाम यह होगा कि राम,कृष्ण,शिव,विष्णु,हनुमानजी, माँ काली,माँ बगलामुखी भगवान रामकृष्ण,स्वामी विवेकानंद और अन्य बड़े बड़े साधू संतों महापुरुषों के भी ठीक इसी प्रकार से मेरे सामने खड़े होकर दर्शनों की प्रबल अनुभूतियाँ होने लगेंगी।और फिर उन अनुभूतियों के परिणामस्वरूप कुछ न कुछ ज्ञान भी प्राप्त होगा।उसी अनुभूतिजन्य ज्ञान को मैं हिंदू और अन्य धर्मावलंबियों के बीच बाँटना चाहता हूँ।इसीलिये अब मैं इस 59 वर्ष की आयु में आश्रम खोलकर गहरी साधना करना छोड़कर कोई बिजनेस,व्यापार आदि करने लगूँ। तो यह तो हीरे को छोड़कर काँच को लेने की तरह ही हो जायेगा।कई लोगों को ऐंसा लगता होगा कि मैं एक बहुत बड़ा अमीर या धनवान बनना चाहता हूँ।परंतु ऐंसा कुछ भी नहीं है।परंतु इतना जरूर है कि जीवन में पैंसे के बिना कोई काम चलता भी नहीं है।आश्रम खोलकर ऐंसी दिव्य अनुभूतियों को प्राप्त करने के लिये थोड़े बहुत पैंसे की जरूरत तो पड़ेगी ही।
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Shree mahaveer swami ki jay ho vijay ho
Please Make A Video On Simandar Swami Current Tirthankar living in Mahavidhay Kshetra
Jay jinendr from uk
🙏🙏🙏
Jai jainendra
Excellent jay jinendra
Jay Ho Mahaveer ki Jay Jay Ho pranam jay Jinsasan and Micchami dukkadam Everyone Pujyashree Ho pranam 🙏
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Very informative. Pranam Jai Jinendra
🙏🙏👍🙂
Naman Vandan
Jai jinendra 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏
Jay Jinedra
Mind blowing
🙏🏻 वन्दे गुरूवरम् 🙏🏻
Awesome
Nice video 😀😁😊
aapke videos me gajab rahasy khulte hai
🙏🙏👌
🙏🙏
🙏🙏👌👌
🙏🙏🙏🙏🙏
Sir please explain kariye 🙏🏿 kya maha vishnu bhagava ki avatar hai kya sri mahaveer swami hai,?
Mehulbhai aap esi jain stories ki ek series banaiyena.
Prabhu veer and Gautam swami👌👌👌👌
Prabhu veer is always 💯✅
Jinshaasan Jayvantu varto.. 👌👌👌🙏🙏
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻Jitne bhi naman karu utne kam hai..
Kindly make video on 5 types of gyan and it uses with example
And
Also explain difference between sadhu bhagvant, acharya bhagvant, upadhyay bhagvant and gandhar bhagvant
That's very nice video , great explanation
Dhyan Dhyan jinshashan
Mehul bhai bhundelkhand m education channel per jain dharm ke bare tod mod ke bata rahe he.. issise humare dharm k bare wrong information jayegi...
सारी की सारी कहानी काल्पनिक है परमात्मा की आज्ञा के विरुद्ध,,,!
भगवान श्री महावीर के देह - शरीर पर वस्त्र नहीं क्योंकि वे तीर्थंकर है और वितरागी हैं ! क्योंकि भगवान मूनि दशा मे हैं ! तो कृपया बताएं गौतम गणधर के शरीर -देह पर वस्त्र क्यों ,,,,??? गौतम गणधर मुनि के शरीर पर परिग्रह कैसे हो सकता है!!!
@DVMANGLA
0 seconds ago
He was not Bhagwan. He was an atheist. Only the idiots say a person (Mahavir) who doesn't believe in Bhagwan as Bhagwan Mahavir.
पोपट की तरह सुनी सुनाई कहानी अन्य किसी को ना सुनाओ,,,! और सम्यक दर्शन के बाद में ही क्रम के अनुसार बाकी के चारों ज्ञान होते हैं!
कृपया पहले मूल प्राचीन शास्त्रों का स्वयं अभ्यास करें और बाद में कमेंट करें बाद में यूट्यूब बनाएं।
जय जिनशासन!
जय भगवान महावीर!
रामायण में जब भगवान राम ने वाली को बाण मारा था।तो वाली मरणासन्न हो गया था।उसी स्थिति में भगवान राम वाली के सामने चले गये थे।तब उन दोनो के बीच वार्तालाप हुआ था।तब वाली को अपनी गलती समझ में आयी थी।तब वाली ने पश्चाताप करते हुये भगवान राम से क्षमायाचना की थी।तब भगवान राम ने प्रेम से वाली के सिर पर हाथ फेरते हुये कहा था कि अगर तुम चाहो तो मैं अभी तुम्हारा यह कष्ट दूर करके तुम्हें दीर्घायु प्रदान कर दूँ। तब वाली ने भगवान राम से दीर्घायु लेने से इंकार कर दिया था।उसने कहा कि कई बड़े बड़े ऋषि मुनि जन्म जन्मांतर तक साधना करते हैं।फिर भी अंतिम समय में उनके मुख से आपका नहीं निकल पाता है। तो फिर मेरे अंत समय में तो आप स्वयं मेरे सामने खड़े हैं। पता नहीं कि भविष्य में ऐंसा कोई संयोग बन पायेगा या नहीं।और उसी अवस्था में उसने भगवान राम के दर्शन करते हुये प्राण त्याग दिये।
भगवान महावीर की कृपा से आज मेरी स्थिति भी उसी वाली की तरह हो गयी है।एक तरफ बिजनेस या व्यापार का आकर्षण तो दूसरी तरफ भगवान महावीर, तीर्थकरों और अन्य देवी देवताओं के दर्शनों की अनुभूति की इच्छा!मेरी यह आध्यात्मिक अनुभूतियों की इच्छा बिजिनेस या व्यापार के आकर्षण से कई गुना अधिक भारी है।अगर मैं भी दीर्घायु हुआ। तो फिर भी मैं जादा से जादा 90 या अधिक से अधिक 100 वर्ष की आयु तक ही तो जीवित रहूँगा।परंतु उस अंत समय के आने से पहले मैं भगवान महावीर और अन्य तीर्थकरों,देवी देवताओं के दर्शनों की अधिक से अधिक गहरी अनुभूतियाँ प्राप्त कर लेना चाहता हूँ।क्योंकि यही तो एकमात्र वस्तु है।जो मृत्यु के बाद भी मेरे साथ जायेगी।
और एक आश्रम खोलकर प्रचार करने से मैं अन्य कई श्रद्धालु लोगों के मन में भी भगवान महावीर,भगवान रामकृष्ण के प्रति श्रद्धा आकर्षण तथा भक्ति का भाव भी जागृत कर सकता हूँ।किसी को धर्म अध्यात्म के मार्ग में उतारना भी तो एक बहुत बड़े पुण्य का काम है।
मैं पूर्व जन्म में आनंद श्रावक था या नहीं।यह बात कई लोगों के लिये वाद विवाद का विषय हो सकती है।परंतु उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है।और न तो मैं किसी को जबर्दस्ती इस बात का विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि मैं ही पूर्व जन्म का आनंद हूँ।और इसी बात को लेकर जैन समाज या किसी अन्य समाज का नेता बनने की भी मेरी कोई इच्छा नहीं है।मेरा दृष्टिकोण विशुद्ध रूप से आध्यात्मिक ही है।
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Woooooooooooooh
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