कबीर साहेब जी ने काल निरंजन के चाल को समझाने का वृतांत। Kabir Saheb Aur Dharmdas ji Ki Varta।

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  • čas přidán 26. 08. 2024
  • कबीर साहेब जी ने काल निरंजन के चाल को समझाने का वृतांत। Kabir Saheb Aur Dharmdas ji Ki Varta।
    ब्यौरा:-
    दर्शको नमस्कार। कबीर साहेब जी ने धर्मदास जी को, चार खनियो का संपूर्ण विवरण बता दिया। तब धर्मदास बोले। हे साहिब। अब आप आगे की बात कहिए। चार खानियों की रचना करने के बाद फिर क्या हुआ ? यह मुझे स्पष्ट कहिए ।कबीर साहब बोले । हे धर्मदास। यह काल निरंजन की चालबाजी है। जिसे पंडित काजी नहीं समझते। और वे इस भक्षक काल निरंजन को भ्रम वश स्वामी (भगवान मान बैठे हैं। और सत्यपुरुष के नाम। ज्ञान रूपी अमृत को त्याग कर। माया का विषय रूपी विष खाते हैं। इन चारों ने अष्टांगी (देवी आदिशक्ति) बृह्मा । विष्णु । महेश । ने मिलकर यह सृष्टि रचना की। और उन्होंने जीव की देह को कच्चा रंग दिया। इसीलिये मनुष्य की देह में आयु समय के अनुसार बदलाव होता रहता है।छित जल पावन गगन समीरा पांच तत्व से बना सरीरा। छित,प्रथ्वी । जल, निर् पानी। पावन।अग्नि।गगन। आकाश। समीर।वायु। और 3 गुण - सत गुण। रज गुण । तम गुण।से देह की रचना हुयी है। उसके साथ चौदह 14 यम लगाये गये हैं। इस प्रकार मनुष्य देह की रचना कर । काल ने उसे मार खाता है।संपूर्ण जनकारी के लिए इस वीडियो को पुरा जरूर देखे।
    काल निरंजन की चालबाजी
    काल निरंजन की कहानी
    कालपुरुष और सत्यपुरुष
    कबीर साहेब और धर्मदास जी
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