सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला शुक्र ग्रह प्रयोग

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  • čas přidán 29. 08. 2024
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    सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला शुक्र ग्रह प्रयोग
    शुक्र स्त्रोत का पाठ
    नमस्ते भार्गव श्रेष्ठ देव दानव पूजित ।
    वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमो नम: ।।1।।

    देवयानीपितस्तुभ्यं वेदवेदांगपारग: ।
    परेण तपसा शुद्ध शंकरो लोकशंकर: ।।2।।

    प्राप्तो विद्यां जीवनाख्यां तस्मै शुक्रात्मने नम: ।
    नमस्तस्मै भगवते भृगुपुत्राय वेधसे ।।3।।

    तारामण्डलमध्यस्थ स्वभासा भसिताम्बर: ।
    यस्योदये जगत्सर्वं मंगलार्हं भवेदिह ।।4।।

    अस्तं याते ह्यरिष्टं स्यात्तस्मै मंगलरूपिणे ।
    त्रिपुरावासिनो दैत्यान शिवबाणप्रपीडितान ।।5।।

    विद्यया जीवयच्छुक्रो नमस्ते भृगुनन्दन ।
    ययातिगुरवे तुभ्यं नमस्ते कविनन्दन ।6।।

    बलिराज्यप्रदो जीवस्तस्मै जीवात्मने नम: ।
    भार्गवाय नमस्तुभ्यं पूर्वं गीर्वाणवन्दितम ।।7।।

    जीवपुत्राय यो विद्यां प्रादात्तस्मै नमोनम: ।
    नम: शुक्राय काव्याय भृगुपुत्राय धीमहि ।।8।।

    नम: कारणरूपाय नमस्ते कारणात्मने ।
    स्तवराजमिदं पुण्य़ं भार्गवस्य महात्मन: ।।9।।

    य: पठेच्छुणुयाद वापि लभते वांछित फलम ।
    पुत्रकामो लभेत्पुत्रान श्रीकामो लभते श्रियम ।।10।।

    राज्यकामो लभेद्राज्यं स्त्रीकाम: स्त्रियमुत्तमाम ।
    भृगुवारे प्रयत्नेन पठितव्यं सामहितै: ।।11।।

    अन्यवारे तु होरायां पूजयेद भृगुनन्दनम ।
    रोगार्तो मुच्यते रोगाद भयार्तो मुच्यते भयात ।।12।।

    यद्यत्प्रार्थयते वस्तु तत्तत्प्राप्नोति सर्वदा ।
    प्रात: काले प्रकर्तव्या भृगुपूजा प्रयत्नत: ।।13।।

    सर्वपापविनिर्मुक्त: प्राप्नुयाच्छिवसन्निधि: ।।14।।
    ।। इति स्कन्दपुराणे शुक्रस्तोत्रम

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