Jai Parvati Mata || जय पार्वती माता || Mata Aarti || Parvati Mata Aarti || Mata Ki Aarti

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  • čas přidán 30. 12. 2023
  • Jai Parvati Mata || जय पार्वती माता || Mata Aarti || Parvati Mata Aarti || Mata Ki Aarti
    जय पार्वती माता,
    जय पार्वती माता
    ब्रह्मा सनातन देवी,
    शुभ फल की दाता ।
    ॥ जय पार्वती माता... ॥
    अरिकुल कंटक नासनि,
    निज सेवक त्राता,
    जगजननी जगदम्बा,
    हरिहर गुण गाता ।
    ॥ जय पार्वती माता... ॥
    सिंह को वहान साजे,
    कुंडल है साथा,
    देव वधू जस गावत,
    नृत्य करत ता था ।
    ॥ जय पार्वती माता... ॥
    सतयुग रूप शील अतिसुंदर,
    नाम सती कहलाता,
    हेमाचंल घर जन्मी,
    सखियाँ संगराता ।
    ॥ जय पार्वती माता... ॥
    शुम्भ निशुम्भ विदारे,
    हेमाचंल स्थाता,
    सहस्त्र भुजा तनु धरिके,
    चक्र लियो हाथा ।
    ॥ जय पार्वती माता... ॥
    सृष्टि रूप तुही है जननी,
    शिव संग रंगराता,
    नन्दी भृंगी बीन लही,
    सारा जग मदमाता ।
    ॥ जय पार्वती माता... ॥
    देवन अरज करत हम,
    चरण ध्यान लाता,
    तेरी कृपा रहे तो,
    मन नहीं भरमाता ।
    ॥ जय पार्वती माता... ॥
    मैया जी की आरती,
    भक्ति भाव से जो नर गाता,
    नित्य सुखी रह करके,
    सुख संपत्ति पाता ।
    ॥ जय पार्वती माता... ॥
    जय पार्वती माता,
    जय पार्वती माता,
    ब्रह्मा सनातन देवी,
    शुभ फल की दाता ।
    जय पार्वती माता,
    जय पार्वती माता
    ब्रह्मा सनातन देवी,
    शुभ फल की दाता ।
    माता पार्वती हिंदू भगवान शिव की पत्नी हैं । वह पर्वत राजा हिमांचल और रानी मैना की बेटी हैं।
    दूसरी ओर माता सती के प्राणों की आहुति देने के बाद भगवान शिव सदैव उन्हें स्मरण करते रहते थे। इसके बाद माता सती पर्वतराज हिमालय की पत्नी मेनका के गर्भ में जन्म लिया। पर्वतराज की पुत्री होने के कारण वे 'पार्वती' कहलाईं। पार्वती, भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए वन में तपस्या करने चली गईं।
    एक दिन राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान कर दिया जिससे नाराज होकर माता सती ने यज्ञ में कूदकर आत्मदाह कर लिया। इस घटना के बाद भगवान शिव तपस्या में लीन हो गए। उधर माता सती ने हिमवान के यहां पार्वती के रूप में जन्म लिया
    माता सती को ही पार्वती, दुर्गा, काली, गौरी, उमा, जगदम्बा, गिरीजा, अम्बे, शेरांवाली, शैलपुत्री, पहाड़ावाली, चामुंडा, तुलजा, अम्बिका आदि नामों से जाना जाता है। इनकी कहानी बहुत ही रहस्यमय है। यह किसी एक जन्म की कहानी नहीं कई जन्मों और कई रूपों की कहानी है।
    उस आदि शक्ति देवी ने ही सावित्री(ब्रह्मा जी की पहली पत्नी), लक्ष्मी, और मुख्य रूप से पार्वती(सती) के रूप में जन्म लिया और उसने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था। तीन रूप होकर भी दुर्गा (आदि शक्ति) एक ही है। देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं (सावित्री, लक्ष्मी एव पार्वती से अलग)।
    देवी ने हिमालय (हिमवान) की एकांत साधना से प्रसन्न होकर देवताओं से कहा- 'हिमवान के घर में मेरी शक्ति गौरी के रूप में जन्म लेगी। शिव उससे विवाह करके पुत्र को जन्म देंगे, जो तारक वध करेगा। ' भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए उन्होंने देवर्षि के कहने मां पार्वती वन में तपस्या करने चली गईं।
    पार्वती हिंदू भगवान शिव की पत्नी हैं। वह शिव की पहली पत्नी सती का पुनर्जन्म है, जिन्होंने एक यज्ञ (अग्नि-बलि) के दौरान खुद को आत्मदाह कर लिया था। पार्वती पर्वत-राजा हिमवान और रानी मेना की बेटी हैं।
  • Hudba

Komentáře • 1

  • @umashankarsingh5546
    @umashankarsingh5546 Před 6 měsíci

    जय भोले नाथ जी गौरा माता की जय