छल या वासना - देवी अहिल्या की कहानी - इन्द्र, महर्षि गौतम और अहिल्या का संपूर्ण सच Story of Ahilya

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  • čas přidán 28. 01. 2024
  • Ahilya एक ऐसी पौराणिक चरित्र हैं जिनकी कहानी भिन्न भिन्न शास्त्रों में भिन्न भिन्न रूप में वर्णित है। Ramayana में Ahilya पर वासना के वशीभूत होकर इंद्र से संबंध बनाने का अभियोग लगाया गया है। परंतु अनेक जगह पर पर अहल्या को निर्दोष बताते हुए इंद्र के छल की बात भी बताई जाती है। सच क्या है? पंचकन्याओं में गिनी जाने वाली देवी अहिल्या को निर्दोष मानने में क्या दिक्कत है? इन्द्र की काम वासना का कारण क्या था? ये सभी प्रश्न इस कहानी में तलाशे जा रहे हैं।
    Panchkanya EP 01
    Ahilya A Cursed Goddess Ramayana Story
    Kahaniyon Ki Chaupal
    #story #stories #kahani #kahaniya #ramayan #Pauranik

Komentáře • 301

  • @user-wk6qq5gm2i

    श्रीमान जी इस कहानी में कहीं भी कोई भी सच्चाई नहीं है यह कहानी झूठ है भगवान श्री राम गुरुकुल में पढ़ते थे विश्वामित्र जी के ओर गुरुकुल की कुछ मर्यादा होती है गुरुकुल में 25 वर्ष से पहले किसी भी अश्लील कथाओं की जानकारी विद्यार्थियों को नहीं दी जाती आज भी गुरुकुल में यह परंपरा चलती है 25 साल तक विद्यार्थी ब्रह्मचर्य का पालन करता है दूसरा जब आप रामायण के बाल कांड मे इस किस को पढेगे तो जब भगवान श्री राम प्रश्न करते हैं तो उसे प्रश्न से ही विदित होता है कि यह मिलावट है क्योंकि भगवान श्री राम अपने गुरु से प्रश्न करते हैं कि हे गुरुदेव इतना सुंदर इतना व्यवस्थित इतना रमणीक आश्रम किसका था जब वह सुंदर है रमणीक है व्यवस्थित है तो वह था नहीं हो सकता वह है इस गलत परसों के ऊपर ऋषि वाल्मीकि जी भगवान श्री राम को इस अश्लील कहानी को बताते हैं जो की पूर्णता महर्षि गौतम का अपमान है ऐसा क्यों किया उसके पीछे कारण है विदेशी आक्रांत को हमारे देश से हमारे शास्त्रों को गलत साबित करना था उन्हें गलत साबित करने के लिए उनको लिखने वाले ऋषियों को ही गलत साबित कर दीजिए तो उनके लिखी हुई ग्रंथ अपने आप गलत ठहराये जाएंगे यही ऋषि गौतम के साथ भी हुआ महर्षि गौतम ने न्याय शास्त्र के रचना की उसे न्याय शास्त्र को गलत साबित करने के लिए महर्षि गौतम से ही अन्यय करा दिया आज हम लिखने के लिए जी लिपि का प्रयोग करते हैं वह महात्मा इंद्र की ही देन है शल्य चिकित्सा महर्षि धन्वंतरि जी को महात्मा इंद्र ने ही सिखाई थी इतने विद्वान इतने पराक्रमी तेजस्वी व्यक्ति कभी भी वासना के अभिभूत नहीं हो सकता यह हमारे महापुरुषों का अपमान है किसी की सुनी हुई बातों पर विश्वास ना करें रामायण में खुद पढ़ें देखें कि कितना सच और कितनी मिलावट है कीमती समय निकाल कर पढ़ने के लिए धन्यवाद

  • @shankarlalsaraswat6283

    @ Sanyogita Kumari- अहिल्या ने गौतम ऋषि समझ कर ही इंद्र से संबंध बनाये थे तो भी कई बातें हैं जो उनको निरपराध सिद्ध नहीं करती हैं। एक तो पहली बार गौतम इस तरह लौट कर आये थे। ये बात शक पैदा करती है। दूसरी बात गौतम ने हमेशा नियमों का पालन किया था अत: सुबह का समय अनुचित था। तीसरी बात सती स्त्री को अपने पति और अन्य पुरुष के स्पर्श में अंतर पता होना चाहिए। ये अंतर पता न लगे तब भी दोष है। ये उस युग की बातें हैं जब अधिकांश लोग सत्य और धर्म का पालन करते थे। ये बातें आज हमको सही मार्ग पर चलने को प्रेरित करने के लिए गढ़ी हुई कहानियाँ भी हो सकती हैं। इसलिए आज के परिप्रेक्ष्य में इनकी तुलना करना सटीक नहीं हो सकता। ये तो निश्चित है कि पुराने समय में विचारकों ने स्त्रियों पर अधिक और मुश्किल प्रतिबंध लगाये थे। इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि स्त्री का इस तरह का संबंध पता चल जाता है। पुरुष क्योंकि गर्भ धारण नहीं करता इसलिए उसका पाप छुप जाता है। इसलिए अहिल्या को निष्पाप नहीं माना जा सकता। उनको श्राप दिया जाना अनुचित नहीं था। ये हो सकता है कि शुरू में अहिल्या को पता न चला हो पर अंत तक पता नहीं चलना तो बनता है।

  • @abhishekYadav-zt9yj
    @abhishekYadav-zt9yj Před 14 dny +1

    Ye glt jankari de rhe ho ap indra ne chal kiya tha ahilya ki koi marzi ni thi or bo pattar ho gai iska mtlb h smaj se apman mila ye bat grantho me pratik roop me likhi gai ki patthar ho gai

  • @shivanshandayanshgroup3757

    पूरा गलततर्क है इंद्र गलत है इंद्र मुर्गा बनाकर के भाग दिए थे इसके बाद गौतम मुनि जाकर के स्नान करने चले गए उसके बाद इंद्र आया और छल से उसके साथ सहवास किया इंद्र को इस पाप का भोग भी भोगना पड़ा था जिससे उसके शरीर में बहुत सारे छेद हो गए थे

  • @rishisharma4851

    जब महर्षि गौतम ऋषि त्रिकालदर्शी और सर्वज्ञ थे और अपने योगबल, तपोबल से इन्द्र और अहिल्या के बारे में सब कुछ जान गये थे तो फिर वो गाय असली है या नहीं, यह सच्चाई क्यों नहीं जान पाये |

  • @comeback3405

    Jhut h chhal h mata ahalya ksaath kapat hua

  • @ramakantbakshi-yy2ks

    यह कहानी सुनकर के आप यह ना समझे कि यह सब कुछ हुआ ही था यह काल्पनिक कहानी है इसका अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिला जो आपके सामने जीवित है वही ईश्वर है मरा हुआ मल के समान है बाकी सब अंधविश्वास है सिर्फ और सिर्फ बुद्ध का प्रमाण मिला बाकी किसी का भी नहीं बता

  • @ABC-xu9qp

    सदियों से इस देश को सच्ची और झूठी कहानियों के आधार पर चलाया जा रहा है, जिनके आधार पर बहुत दमन किया गया है। हर असमानता के लिए सुंदर तर्क .

  • @biplavmansingh1680

    रामायण ऐसेहि रंगिलाअों कि बयान है ।

  • @Bharatkhand77

    Lekin Balmiki G ke hi Ram Satya hai .. Tulsi ke Ram Kalpnik Hai . Ram Maryadit Hai ..

  • @Vijayshankarshastri

    राम जी नारायण रूप चतुर्भुज में उस समय हो कर चरण स्पर्श किए थे.. स्पर्श के बाद फिर राम मनुष्य रूप में पुनः आए थे.

  • @manojghritalahre770

    हिन्दू धर्म की पुस्तकों में ,,,,,स्त्री के कारण ही सभी घटनाएं हुई हैं,,,,मारकाट और वासना भरी कहानियां खूब मिलती हैं

  • @sarojkumarpandey1644

    Very good story

  • @MahipalNagar-uh6yi

    यह सारी बातें वेद विरुद्ध है क्योंकि आदि स्रष्टि में पाप नहीं था। पुराणों के गपोड़ों ने वैदिक धर्म को बदनाम किया है।

  • @chandipdixit5475

    मैं तो सबसे पहले माता अहिल्या से क्षमा

  • @anuradhasingh4577

    Katha ye h ki jo maine apne purbajon se suni h ki,devraj indra rishi gautam ka roop dhar aaye the jisse mata unhe pahchan na ssaki aur sambhog hua aur jb rishi aaye to unhone mata ko shila ki tarah hone ka shaap isliye diya, unhone kha jis tarah aaj tum ek rishi aur ek raja ke sparsh ko pahchanne me shila ki bhaati thi usi tarah tum shila ki vlbhaati rahogi

  • @raghabasahu1922

    इसी कहानीहमारी समाजको गलत साबिस करीने कोसिस हैं 🙏🙏❤️🌷💐

  • @t.s.29
    @t.s.29  +1

    Bohot sundar❤

  • @drmpsinha6461

    वाल्मीकि रामायण में स्पष्ट लिखा है कि वे इंद्र को पहचान गयी थीं । ऋषि गौतम ने इंद्र को देख लिया था । उन्होंने अहल्या को त्याग दिया और अपने आश्रम को छोड़ दिया। अहल्या वहीं पर तपस्या करने लगीं। राम ने उनको माफ कर दिया । उन दिनों राजा को ही क्षमा करने का अधिकार था । क्षमा के बाद उनका पुत्र बहुत खुश हुआ और मां को पिता से मेल करना दिया। यह घटना इस तथ्य को उजागर करती है कि महिलाओं को पति की दासी नहीं थी। वाल्मीकि के समय नारी का स्थान दासी का नहीं था। परंतु वैदिक काल के बराबर नहीं। तुलसीदास ने तो नारी को दासी बना दिया था।

  • @ramroopsharma9938

    हर व्यक्ति की अपनी समझ अलग होती है!साहि्त्यिक दृष्टि के अनुसार-