जानिए || महर्षि दयानन्द सरस्वती ने क्यों माना कि वेद ही ईश्वर का दिया ज्ञान है || आर्य समाज

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  • čas přidán 8. 09. 2024
  • जानिए महर्षि दयानन्द सरस्वती ने क्यों माना कि वेद ही ईश्वर का दिया ज्ञान है |
    आर्य समाज || आर्यसमाज

Komentáře • 58

  • @satvindersingh8688
    @satvindersingh8688 Před 2 lety +3

    जय हो आर्य समाज की आर्य समाज से कोई समाज नहीं

  • @hariramsahuyogsikshak2693

    जय आर्य

  • @ramkrishandhakad7624
    @ramkrishandhakad7624 Před rokem +1

    आज समाज की महती आवश्यकता है ईश्वर इस समाज से जन जन को जोड़े

  • @ankurproperty
    @ankurproperty Před 6 lety +6

    एक अच्छी कविता
    सब वेदों के सार लिखे सत्यार्थ मैं पाए थे।
    वेद धर्म उपदेश देण ऋषि दयानंद आए थे।।
    समाज सुधार करण की सुर्ती लाली थी बचपन मैं ।
    किस ढाल कुरीति दूर करूं या लगन होई थी मन मैं ।।
    परायधीन सा दुःख कोन्या न्यूं सोचैं थे छन छन मैं ।।।
    आजादी का ध्यान किया फेर चढ़ी आवाज गगन मैं ।।।।
    वेदों की नई व्याख्या करी फेर सब के मन भाए थे ।
    वेद धर्म उपदेश देण ऋषि दयानंद आए थे।।
    पति की चिता मैं बैठ बहूत सी शरीर नैं फूक्या करती ।
    बचपन की विधवा जिन्दगी भर घर मैं सूक्या करती ।।
    कितना महापाप था किसी आत्मा दूख्या करती ।।।
    इसी बुराई होया करै थी सारी दुनियां थूक्या करती।।।।
    मह ऋषि के वचन धर्म के सबनैं अपणाए थे।
    वेद धर्म उपदेश देण ऋषि दयानंद आए थे।।
    बचपन मैं शादी करवाकै जिन्दगी खोया करैं थे ।
    बल बुद्धि और विद्या बिन सिर बोझा ढोया करैं थे।।
    दिया ऊंच निच का जहर काढ दुःख कितनें होया करै थे।।।
    जिमण के लालच मैं ब्राह्मण भूखे सोया करैं थे।।।।
    अज्ञान हटा कै ज्ञान दिया हम सूते आ ठाए थे।
    वेद धर्म उपदेश देण ऋषि दयानंद आए थे।।
    मूर्ति पूजा दोष बताया पत्थर मैं भगवान किसा ।
    रोम रोम मैं रमय्या होया सै एक जगह अस्थान किसा।।
    जिसी चीज उसी ना समझैं तै उसनैं पूर्ण ज्ञान किसा।।।
    कर्म धर्म बुद्धि विद्या बिन फेर कहैं इंसान किसा ।।।।
    कामसिहं नैं ख्याल ऋषि के भजन बणा गाए थे।
    वेद धर्म उपदेश देण ऋषि दयानंद आए थे।।
    सब वेदों के सार लिखे सत्यार्थ मैं पाए थे।
    वेद धर्म उपदेश देण ऋषि दयानंद आए थे।।

  • @gokulsingh5899
    @gokulsingh5899 Před 2 lety +1

    Very nice views on ved.

  • @tapasdey7635
    @tapasdey7635 Před 5 lety +1

    Dhannobad arya samaj r maharsi dayanand ji

  • @satyabirgirdawar9475
    @satyabirgirdawar9475 Před 7 měsíci

    Jae.ho aariy.smaj

  • @jagdeepsinghrathour172
    @jagdeepsinghrathour172 Před 6 lety +6

    सबसे श्रेष्ठ धर्म वेद धर्म

  • @kalpan5323
    @kalpan5323 Před rokem

    Jai shre ram

  • @rvgproductions1182
    @rvgproductions1182 Před 5 lety +2

    ॐ गुरु जी , मैं भी अब आर्य समाज से जुड़ चूका हूँ ।

  • @आर्य_वैदिक

    ओ३म् शान्ति:

  • @shivdutt7215
    @shivdutt7215 Před 2 lety +1

    ऊँ

  • @ramkrishandhakad7624
    @ramkrishandhakad7624 Před 2 lety +1

    आपका यह कार्य क्रम श्रेष्ठतम कार्य है।तुम चलो जमाना साथ तुम्हारे आयेगा।।तुम गाओ अवनी अनवर राग मिलाया।।जन जन जो ज्ञानहीन हो भटक रहा।।।।।कल पागल होकर साथ तुम्हारे आयेगा।

  • @krishanchanddargan4965
    @krishanchanddargan4965 Před 2 lety +2

    वेद का शाब्दिक अर्थ गियान तर्क दलील शातार्थ,विवेक जमीर,आत्म ज्ञान,को ईश्वर से केवल मानव मनुष्य इंसान को ही उपहार स्वरूप मानव को ही प्राप्त हुआ है,आर्य समाज की आधार शीला बुनियाद भवन वेद ही आधारित है,वेद आदि सृष्टि से श्रुति,स्मृति अर्थात कंठावली वा ऋषियों की देन है,

  • @kishorekumartripathi1735
    @kishorekumartripathi1735 Před 6 lety +19

    हिन्दू समाज का सर्वाधिक कल्याण स्वामी दयानन्द ने किया, उसी की उपेक्षा किया

  • @sudhasharma279
    @sudhasharma279 Před 6 lety +9

    वैदिक धर्म से बड़ा कोई धर्म नहीं।

  • @RamKumar-ju2vs
    @RamKumar-ju2vs Před 6 lety +2

    Very nicely explained about Vedas.

  • @sukantadas3889
    @sukantadas3889 Před 2 lety +1

    Namaste

  • @shyamprakash4741
    @shyamprakash4741 Před rokem

    ओ३म् ओ३म् ओ३म्

  • @rajkumarvishwakarmaye1517

    baht achha gyan dia aap logo ne

  • @rameshkaswan7711
    @rameshkaswan7711 Před 6 lety +2

    Nice work

  • @anilminhas4213
    @anilminhas4213 Před 6 lety +2

    Well defined.

  • @chiragtahelramani764
    @chiragtahelramani764 Před 6 lety +5

    Artist Uttam
    Please ye Aarya vichar New technology se fastly karna chaiye

  • @suryaaarya5995
    @suryaaarya5995 Před 6 lety +1

    Hare krishna

  • @vilasfulmali4055
    @vilasfulmali4055 Před 6 lety +3

    ओ३म्....

  • @puneetarya5861
    @puneetarya5861 Před 6 lety +4

    Ved vigyan alok se veda ishwariya sidh hoga

  • @rinkushingrajoput7571
    @rinkushingrajoput7571 Před 6 lety +2

    very good g. Deedee g

    • @virendravirendra4124
      @virendravirendra4124 Před 6 lety

      Rinku Shing Rajoput bhut aachhi bat bataye bahuta bahuta dhanyvaad

    • @user-pw9wy3mp5r
      @user-pw9wy3mp5r Před 6 lety

      ओउम

    • @ushasood9115
      @ushasood9115 Před 6 lety

      Dinesh Shrivastava अति महत्वपूर्ण योगदान दिया है आपने

  • @chiragtahelramani764
    @chiragtahelramani764 Před 6 lety +1

    Sabhi mere bhai jo ye video dekhte unse request he ki vo eek baar satyarth Prakash read kijiye
    Ye video ka Aadhar bhi vahi he

  • @premarya2.019
    @premarya2.019 Před 2 lety +1

    Kiya ye Vedio main Apne channel pe upload ker sakhta hon

  • @keshavkumarkashyap5035
    @keshavkumarkashyap5035 Před 6 lety +1

    Jai Sanatan

  • @OmPrakash-jv9tl
    @OmPrakash-jv9tl Před 5 lety +1

    Mhrishi the best gdha

  • @user-pt4vv5qq3t
    @user-pt4vv5qq3t Před 6 lety +8

    पहले तो किसी ने पढ़ा नहीं और उस पर उंगली उठा दिया करते हैं हम हिंदुओं में यही कमी है किसी ने कह दिया कौवा कान ले गया तो कान की वजह कवि के पीछे भागते हैं पहले एक बार मनुस्मृति को पढ़ो हमको हिंदू होने पर गर्व है सनातन धर्म की जय

  • @RahulRaj-xe5pw
    @RahulRaj-xe5pw Před 6 lety +3

    Aarya koi ek samaj nhi hai aarya ka mtlb hai ki sresth gyani vidwan to phir ye koi samaj nhi hai jo insaan gyani hai vidwan hai aur uske sath sath sachcha ho whi aarya hai👍 👍

  • @gitendaryadav9135
    @gitendaryadav9135 Před 6 lety +3

    Bed sahi hair to pur an kayahai ram,kirsa,kayak hair,easko shi bat a do,dharma jorta hair to rt a na hi hair tum torne kakamnakare

  • @SonuSonu-dx2bk
    @SonuSonu-dx2bk Před 5 lety +1

    Veda numro uno 1

  • @vikramarya3846
    @vikramarya3846 Před 6 lety

    Satya sanatan vaidik dharm ki jay

  • @sudhirsinghshakyavanshi6521

    नहीं महाराज पहले ३ वर्ण हुआ करते थे...चौथा बाद मे आस्तित्व मे आया...!

  • @PanditHemantpandey
    @PanditHemantpandey Před 6 lety +6

    वेद से पृथ्वी पृथ्वी से ब्राहम्ण ब्राहम्ण से वेद वेद से पूरी दुनिया की उत्पति हुई है लेकिन ब्राहम्ण को स्वंम पृथ्वी माता ब्राहम्ण की जाति नही धर्म होता है धर्म से धर्म और जाति की उत्पति है वेद में चार विचार की उत्पति हुई है ज्ञान मूर्ख सैतान महामूर्ख फिर चार नाम शिव कृष्ण राम हनुमान पृथ्वी पर एक माँ बाप के चार संतान है आपस मे विचार नही मिलते है चाहे जिस जाति धर्म का हो पृथ्वी पर गलतियों की सजा है माफी नही है राजा हो या रंक साधु हो या सन्त मूर्ख हो या सैतान ज्ञानी हो या वैज्ञानिक नेता हो या अभिनेता इंसान हो या भगवान नीचे का कानून स्वर्थ है ऊपर का कानून निस्वर्थ वेद सत्य है पृथ्वी पर सावित होगा धर्म के ज्ञान से जीवन है पैसा और जमीन छणिक सुख है वेद के ज्ञान से फिर मिलेंगे हर हर महादेव

  • @shastrykt9807
    @shastrykt9807 Před 6 lety +1

    sankhaya dhat rahi hai, Hindu, ARYA ki, to Vedas kya karenge, sindh Iran Pakistan me naam Nisan bhi nahi bacha sir!!!

  • @abhayjeetsingh6869
    @abhayjeetsingh6869 Před 6 lety

    वेद कहाँ से आये?

    • @sandeephalder2562
      @sandeephalder2562 Před 5 lety

      it came through meditation. jo hamre rishio ne meditate karte waqt suna wohi bola aur wohi ved kehlaya

  • @ramanujadasa121
    @ramanujadasa121 Před 2 lety +2

    Anarya samazi 🤣😂🤣😂

  • @sanjeevnab
    @sanjeevnab Před 6 lety +1

    विनय जी आर्य वस्त्र भी धारण कर लेते महाशय।

  • @mooknayakindia496
    @mooknayakindia496 Před 6 lety +1

    ved pandito ne hi likha!
    Aur desh me kayu Kayu nahi hai

  • @sudhirsinghshakyavanshi6521

    पहले वेदो मे ३ वर्ण हुआ करते थे...१-क्षत्रिय । 2-ब्राम्हण । ३-वैश्य...और कर्म प्रधान हुआ करता था समाज। शूद्र नाम का कोई वर्ण नहीं था...! सब धीरे धीरे बदलता गया। सारे ग्रन्थ पुनः लिखे गये...सब दूषित और कीलित करे गये।
    मनुस्मृति लिखी गई जब बुद्धा धर्म मे वर्ण व्यवस्था न होने पर शोषित और दबे लोग भी धर्म का मतलब समझने लगे थे और उनको सम्मान मिलने लगा था तब ब्राम्हण सर्वोच्चता समाप्त होने लगी थी। उसको खतरा लगने लगा अपने अस्तित्व पर। यह मूल कारण था मनुस्मृति के निर्माण का।
    शंकराचार्य ने सिर्फ और सिर्फ ब्राम्हणो के लिये रोजगार वाला धर्म स्थापित करा था। उसके धर्म अभियान का आधार ही विधवा ब्रम्हाणी की दरिद्रता थी कि कैसे बेचारी दुखी है...और ब्राम्हण के पास रोजगार नहीं...उसको पूरे भारत मे दूसरे दरिद्र - शोषित नहीं दिखाए पड़े।

    • @sudhirsinghshakyavanshi6521
      @sudhirsinghshakyavanshi6521 Před 6 lety

      नहीं महाराज पहले ३ वर्ण हुआ करते थे...चौथा बाद मे आस्तित्व मे आया...!
      यही सबसे बड़े लड़ाई थी बुद्धा की तब के धर्म के ठेकेदारों से...जब सारे ग्रंथो को re - write करने का दौर - युग चालू हो गया था।

    • @sudhirsinghshakyavanshi6521
      @sudhirsinghshakyavanshi6521 Před 6 lety

      एक नई कहानी बताई...हज़ारो सालो से शूद्र के नाम पर इतना अत्याचार किया...कभी स्वयं पर किया अगर जन्म से शूद्र होते है तो।
      अब यह एक नये आध्यात्म की अनंत को जाने वाली दिशा पकड़ा दी...?
      || पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ||
      अगर वेदो मे यह ढाई आखर प्रेम का डाल देते तो आज भारत समाज की स्थिति कुछ और होती...आज पूरा विश्व english की जगह पाली - संस्कृत बोल रहा होता - लिख रहा होता...वाह रे ज्ञानवान महाविद्वान्।
      ब्राम्हणो को लगा कि वोह ही जगत के सबसे बुद्धिमान मनुष्य है...यही उनका अहंकार और गलत निर्णय भारत वर्ष को ले डूबा।
      राम के हाथो शूद्र का वध और जात - पात को बढ़ावा दिलवाना - कृष्णा के माध्यम से भी इन्ही सब को बढ़ावा दिलवाना...!
      अब इससे क्या हुआ....एक बहुत बड़ा वर्ग जो शूद्र है...वोह इनको गाली देने लगा...अब वोह भगवान किसके...बहुत कम लोगो के बचे... अब चूकि ब्राम्हण सिर से निकला (मनुस्मृति के अनुसार)...इसलिये सिद्धान्तों-विचारो-कुविचारों पर उसका अधिकार...!
      इससे कहते है...भूसे के ढेर मे से सुई को खोजने कि कला...एक प्रकार की ब्रम्हविद्या...किस लिये...अपने अनुसार चलाने का अहंकार ।
      भगवान को भगवान ही रहने दो...स्वयं न बनो भगवान और न उनको नियंत्रण करने का प्रयास करो...कई सत्य तथ्यों को हटा देना...झूठे तथ्य पुराणों मे डाल के उनको खूब चिल्ला चिल्ला के सत्य जैसा दिखाना...क्या लगता है कि इससे उसके बाद के जन्मो का तप और सत्य बदल जाएगा...?
      यही सब turning points थे भारत समाज मे...जो जैसे लिखा था उसको वैसे होना था...और हो भी रहा था...पर कुछ मूर्खो के अति-आत्मविश्वास और छोटी सोच कि वोह नियंत्रण कर लेंगे अपने अनुसार...न वोह छोटी सोच वाले बना पाए जो बना रहे थे न जो वास्तव मे बना रहे थे उनको बनाने दिया।
      बुद्धा पर २ भाग्य due थे...चक्रवर्ती सम्राट - महाज्ञानी महापुरुष...उन्होने स्वयं महाज्ञानी महापुरुष बनके पहले ज्ञान - तप को आधार बनाया भारतीय संस्कृति के विस्तार का...और चक्रवर्ती बनना अशोका पर छोड़ दिया...
      पर इस सर्वोच्चता कि आपस की खींचतान मे...सब कुछ टुकड़ो टुकड़ो मे बदल दिया...एक universal बहुत छोटा सा नियम है कि एकता मे ही शक्ति होती है।
      अगर मेरी बात न समझ आये तो मुझे मूरख समझ कर क्षमा कर देना क्यों कि मुझे पता है आपका अपना बनाया हुआ रक्षा आवरण आपको वास्तिविक आत्मचिंतन नहीं करने देगा। न तब करने दिया था न अब करने देगा।

  • @4dhackeryt458
    @4dhackeryt458 Před 5 lety +2

    कहने के लिए आरजसमाजी वैदिक. जानपरआघारित है लेकिन वे वेद और गीता के विरूघ चल रहे है परमात्मा सकार है चारो वेद गीता ,कुरान शरीफ ,बाइवल मे परमाण है परमात्मा सकार है सच्चाइ को छुपाने का आरजसमाजी ने हमेशा काम किया है इनका |टोटली जान वेद विरूघ है

    • @ritikasingh9218
      @ritikasingh9218 Před 2 lety

      तुमको और ज्ञान की आवश्यकता है।