हिन्दी कविता : क्यों मुक्तिबोध? : Ashok Chakradhar in Hindi Studio with Manish Gupta
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- čas přidán 3. 04. 2018
- गजानन माधव मुक्तिबोध (१३ नवंबर १९१७ - ११ सितंबर १९६४) हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि, आलोचक, निबंधकार, कहानीकार तथा उपन्यासकार थे। उन्हें प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का एक सेतु भी माना जाता है।
Ashok Chakradhar is a Hindi poet, writer and a media personality. He has been a professor and head of the department of Hindi at Jamia Millia Islamia (Central University). After serving for 29 years, he took voluntary retirement to focus on working towards the propagation and development of the Hindi (Hindustani) language. In 2007 he became the Hindi coordinator at the Institute of Life Long Learning (ILLL) at the University of Delhi and in 2009 was appointed as the Vice Chairman of Hindi Academy, Government of Delhi and as the Vice Chairman of the Kendriya Hindi Shikshan Mandal, Ministry of HRD, Government of India. He is a celebrated poet, widely known for his unique style of poetry.He was awarded the Padma Shri by Government of India in 2014 and Yash Bharti by Government of Uttar Pradesh in 2016
Created by : Manish Gupta
Camera Asst : Aman Sinha 'Abhi'
© Active Illusions [film.bombay@gmail.com] - Zábava
तुम्हारी प्रेरणाओं से मेरी प्रेरणा से भिन्न है कि जो तुम्हारे लिए विष है , मेरे लिए अन्न है।
मुक्तिबोध की ये पंक्तियाँ ❤❤❤❤
यही पंक्तियाँ हमारी प्रेरणा भी हैं :)
Hindi Kavita बिल्कुल ठीक कहा , शायद सभी की प्रेरणा है। मुक्तिबोध असामान्य रुप से सामान्य थे।
धन्यवाद आपको - Hindi Kavita
दो लाइनों में संपूर्ण मुक्तिबोध।
Prananm , bachpan se hindi ke prati rujhan ka shrey mein aapka yogdaan bhi behad matavapur hai
बहुत खूब। ज्ञान और भावना का द्वन्द्व समाप्त । और क्या मजेदार देश भक्ति से विश्व भक्ति तक । पूज्यम् अर्थात् शून्य अर्थात् बिंद अर्थात् गोविन्द अंतिम भक्ति। धन्य, धन्य, धन्य।
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कान धन्य हए इतनी खूबसूरत हिंदी सुन कर।
शुक्रिया!
आप यह भी सुनकर देखें नीरज जी:
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bilkul sahi kaha aapne
रस वाले बिंदु तो अभी मुझे और समझने होंगे लेकिन ज्ञानात्मक संवेदना और संवेदनात्मक ज्ञान वाली बात गहरी है। मुक्तिबोध का ये सवाल आज भी है की ‘ तय करो कि तुम किस और हो?’
हिंदी कविता चैनल का आभार ।
अच्छी बात है कि आप लोग इस बात को समझने की कोशिश करेंगे:)
ज्ञानात्मक संवेदन और संवेदनात्मक ज्ञान के सिद्धांत और मुक्तिबोध से प्रभावित हुआ। अशोक चक्रधर के इस विचारोत्तेजक विडियो के लिए शुक्रिया।
अच्छी बात है कि आप लोग इस बात को समझने की कोशिश करेंगे:)
Can you translate gyanatmak-samvedan and samvednatmak-gyan into English?
बेहद खूबसूरत । अशोक जी को बचपन में "वाह-वाह" में सुनता था और आज यहाँ सुनने का मौका मिला । बहुत शुक्रिया hindi kavita .
ज्ञानात्मक संवेदन और संवेदनात्मक ज्ञान, मेरे एक इंटरव्यू का क्वेश्चन था, उसी उत्तर से तो सलेक्शन हो गया था, बहुत आनंद l (पल्लवी सिंह )
हिंदी साहित्य के छात्र के लिए यह छायाचित्र अमृत से कम नहीं।
वास्तव में मानव अपने अंतर्विरोधों से हमेशा झूझता रहा है .किसी भी मनुष्य में यात्राएँ स्मृति के बगैर नहीं होती .वह अपने भविष्य की रूप रेखा अपने अतीत और वर्तमान के संदर्भो से ही सीखता है .........ये हम दोनों पर लागु होता है ............सप्रेम आभार
सही कहा. और सीखना शायद कभी ख़त्म नहीं होता।
आज भी मैं यह कह सकता हूं हिंदी साहित्य की आत्मा आज के काल में कोई जानता है तो वह है अशोक चक्रधर जी......... इतने स्पष्ट भाव मैंने कभी किसी कवि के नहीं सुने..... हमारी पीढ़ी भाग्यशाली है वहां मुक्तिबोध जैसे महाकवि की समझ रखने वाले अशोक चक्रधर जी भी है| राम को समझने के लिए वशिष्ठ जी का होना जरूरी है
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आज मुक्तिबोध के माध्यम से ऊंची बात बता गए चक्रधर साहब 🙏
हिंदी कविता को भी धन्यवाद 🙏
क्या आप जानते हैं कि मुक्तिबोध के काव्य और साहित्य पर सबसे अच्छी पुस्तकें अशोक जी ने ही लिखी हैं.
Hindi Kavita क्या बात
आपके पास उन किताबों की कोई सूची है?
एक आसान सा गूगल सर्च आपको वहाँ ले जाएगा विनीत।
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हृदय से नमन 🙏🙏🙏
सामान्य व्यक्ति बेशक़ इन बातों को न समझे...पर साहित्य के विद्यार्थी के नाते मैं धन्यवाद देता हूं।
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कृपया सामान्य व्यक्तियों की हिंदी के प्रति रुचि को इस प्रकार निरर्थक ना बताएं। मैं सामान्य व्यक्ति अथवा साहित्य की विद्यार्थी ना होने के नाते भी धन्यवाद देती हूं।
Kuch aur aise video mil jaye to man aur anandit ho jaye... Hindi kavya ki gahrai athah h.... Anand a gya
ये देखें राहुल :)
czcams.com/video/PCQJBQBQVAg/video.html
Very beautiful , I request you to please bring more about poets and their stories about writing poems
हम भी अवश्य पढ़ेंगे इस पुस्तक को।
Why does it have so few views .. and why only 4% of viewers liked it ... aise kitne hi sawal hain jinka jawab nahi. :)
मुक्तिबोध को समझना कठिन है। मुक्तिबोध बड़े गूढ़ हैं।
शायद। शायद नहीं।
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Sir please make more of these. More of Muktibodh please.
Bahut hi lajawab , enlightening
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Wow....Loved it...Kudos to the team once again....
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❤️❤️
Just beautiful.....,
:)
आज मैं ने सच में कुछ नया सीखा
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my love Ashok uncle.
:)
🙏🌹
It's best...
जी!
वह पुस्तक को सी है? धन्यवाद आपका🙏🏻
शानदार व्याख्या ।
:) देखिये शायद यह भी भाए:
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🙏
:)
Wow..
:)
कविता का नाम बताने की तकलीफ करें जिसे अशोक जी ने सुनाया प्लीज!
मुक्तिबोधजी से प्रेरित फिल्म 'सतह से उठता हुआ आदमी' देखें।
"tay karo kis aur ho tum"..ye panktiyan kaha se li gayi hai
मुक्तिबोध के बहाने बढिया चर्चा
Shabda hi nahi hai kaise likhein kya gyaanatmat samvedna chupi hai in shabdon mein.....
देखिये उन्हीं के शब्दों में लिख गयीं आप:)