कौन थे ये गरीबों का मसीहा आओ जानते हैं || Tantiya bheel history full hindi || the Gondwana 750 ||

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  • čas přidán 21. 08. 2024
  • कौन थे ये गरीबों का मसीहा आओ जानते हैं || Tantiya bheel history full hindi || the Gondwana 750 ||
    टाटिया मामा
    बलिदान दिवस: अमीरों का लुटेरा...गरीबों का मसीहा, जानिए आदिवासियों के रॉबिनहुड ‘टंट्या भील’ की कहानी... जय जौहर दोस्तों आज हम जानेंगे के कि टाटिया मामा गरीबों का मसीहा की पूरी कहानी। वीडियो को अंत तक पूरा जरूर देखे। तो आइये जानते हैं history ऑफ टाटिया मामा की।
    टंट्या भील आदिवासी समुदाय के सदस्य थे उनका वास्तविक नाम टंड्रा था, उनसे सरकारी अफसर या धनिक लोग ही भयभीत थे, आम जनता उसे 'टंटिया मामा' कहकर उसका आदर करती थी । टंट्या भील का जन्म मध्‍य प्रदेश के खंडवा जिले की पंधाना तहसील के ग्राम बड़दा में आदिवासी लोकगीत अनुसार संक्रांत के 12 दिन यानी 26 जनवरी1842 में हुआ था।[1] एक नए शोध के अनुसार उन्होंने 1857 में हुए पहले स्‍वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों द्वारा किये गए दमन के बाद अपने जीवन के तरीके को अपनाया[2] । टंट्या को पहली बार 1874 के आसपास "खराब आजीविका" के लिए गिरफ्तार किया गया था। एक साल की सजा काटने के बाद उनके जुर्म को चोरी और अपहरण के गंभीर अपराधों में बदल दिया गया। सन 1878 में दूसरी बार उन्‍हें हाजी नसरुल्ला खान यूसुफजई द्वारा गिरफ्तार किया गया था। मात्र तीन दिनों बाद वे खंडवा जेल से भाग गए और एक विद्रोही के रूप में शेष जीवन जिया[3]। इंदौर की सेना के एक अधिकारी ने टंट्या को क्षमा करने का. वादा किया था, लेकिन घात लगाकर उन्‍हें जबलपुर ले जाया गया, जहाँ उन पर मुकदमा चलाया गया और 4 दिसंबर 1889 को उसे फाँसी दे दी गई। सामाजिक कार्यकर्ता राकेश देवडे़ बिरसावादी के अनुसार- "शुरुआत में टंट्या भील के विद्रोही प्रवृत्ति को उनके परिवार समाज और राष्ट्र पर हुए अन्याय और अत्याचार को जोड़कर देखा गया । उन्हें डकैत लुटेरा इस प्रकार की उपाधि सामंतवादी जमीदारों द्वारा दी गई क्योंकि यह लोग टंट्या के खिलाफ अंग्रेजी हुकूमत की पुलिस की मदद मांगना चाहते थे इसलिए टंट्या भील को आरोपित किया गया । पार्ट टू के लिए comment जरूर करें जय जौहर
    thanks for watching 👀 🙂 🙏
    #tribal #adivasi #historyfacts

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