हरेली त्योहार में हमारे यहां सबसे पहले ग्राम देवता की पूजा होती है उसके लिए त्योहार के एक दिन पहले शाम को गांव का जो झांखर रहता है वो सब घर जाकर तेल और चावल इकट्ठा करता है उसी से फिर ग्राम देवता की पूजा होती है फिर त्योहार के दिन जो गांव का बैगा रहता है वो ग्राम देवताओं की पूजा करता है सब घर से नारियल लेकर जाते है और अपने अपने घर में भी पूजा करते है बालू रखकर खेती वाले सभी औजारों को धोकर उसकी पूजा करते है और गुड़ और लाई का लड्डू और गुड़ और आटे का मीठा चिला भोग लगाते है और नारियल और गुड़ का सब प्रसाद खाते है बहुत मस्त लगता है फिर बच्चे गेड़ी चढ़ते है सारे औजारों के साथ गेड़ी की भी पूजा करते है चावल आटे से उनमें हाथा देते है
हरेली त्योहार में हमारे यहां सबसे पहले ग्राम देवता की पूजा होती है उसके लिए त्योहार के एक दिन पहले शाम को गांव का जो झांखर रहता है वो सब घर जाकर तेल और चावल इकट्ठा करता है उसी से फिर ग्राम देवता की पूजा होती है फिर त्योहार के दिन जो गांव का बैगा रहता है वो ग्राम देवताओं की पूजा करता है सब घर से नारियल लेकर जाते है और अपने अपने घर में भी पूजा करते है बालू रखकर खेती वाले सभी औजारों को धोकर उसकी पूजा करते है और गुड़ और लाई का लड्डू और गुड़ और आटे का मीठा चिला भोग लगाते है और नारियल और गुड़ का सब प्रसाद खाते है बहुत मस्त लगता है फिर बच्चे गेड़ी चढ़ते है सारे औजारों के साथ गेड़ी की भी पूजा करते है चावल आटे से उनमें हाथा देते है
हरेली त्योहार में हमारे यहां सबसे पहले ग्राम देवता की पूजा होती है उसके लिए त्योहार के एक दिन पहले शाम को गांव का जो झांखर रहता है वो सब घर जाकर तेल और चावल इकट्ठा करता है उसी से फिर ग्राम देवता की पूजा होती है फिर त्योहार के दिन जो गांव का बैगा रहता है वो ग्राम देवताओं की पूजा करता है सब घर से नारियल लेकर जाते है और अपने अपने घर में भी पूजा करते है बालू रखकर खेती वाले सभी औजारों को धोकर उसकी पूजा करते है और गुड़ और लाई का लड्डू और गुड़ और आटे का मीठा चिला भोग लगाते है और नारियल और गुड़ का सब प्रसाद खाते है बहुत मस्त लगता है फिर बच्चे गेड़ी चढ़ते है सारे औजारों के साथ गेड़ी की भी पूजा करते है चावल आटे से उनमें हाथा देते है
हरेली त्योहार में हमारे यहां सबसे पहले ग्राम देवता की पूजा होती है उसके लिए त्योहार के एक दिन पहले शाम को गांव का जो झांखर रहता है वो सब घर जाकर तेल और चावल इकट्ठा करता है उसी से फिर ग्राम देवता की पूजा होती है फिर त्योहार के दिन जो गांव का बैगा रहता है वो ग्राम देवताओं की पूजा करता है सब घर से नारियल लेकर जाते है और अपने अपने घर में भी पूजा करते है बालू रखकर खेती वाले सभी औजारों को धोकर उसकी पूजा करते है और गुड़ और लाई का लड्डू और गुड़ और आटे का मीठा चिला भोग लगाते है और नारियल और गुड़ का सब प्रसाद खाते है बहुत मस्त लगता है फिर बच्चे गेड़ी चढ़ते है सारे औजारों के साथ गेड़ी की भी पूजा करते है चावल आटे से उनमें हाथा देते है
हरेली त्योहार में हमारे यहां सबसे पहले ग्राम देवता की पूजा होती है उसके लिए त्योहार के एक दिन पहले शाम को गांव का जो झांखर रहता है वो सब घर जाकर तेल और चावल इकट्ठा करता है उसी से फिर ग्राम देवता की पूजा होती है फिर त्योहार के दिन जो गांव का बैगा रहता है वो ग्राम देवताओं की पूजा करता है सब घर से नारियल लेकर जाते है और अपने अपने घर में भी पूजा करते है बालू रखकर खेती वाले सभी औजारों को धोकर उसकी पूजा करते है और गुड़ और लाई का लड्डू और गुड़ और आटे का मीठा चिला भोग लगाते है और नारियल और गुड़ का सब प्रसाद खाते है बहुत मस्त लगता है फिर बच्चे गेड़ी चढ़ते है सारे औजारों के साथ गेड़ी की भी पूजा करते है चावल आटे से उनमें हाथा देते है
हरेली त्योहार में हमारे यहां सबसे पहले ग्राम देवता की पूजा होती है उसके लिए त्योहार के एक दिन पहले शाम को गांव का जो झांखर रहता है वो सब घर जाकर तेल और चावल इकट्ठा करता है उसी से फिर ग्राम देवता की पूजा होती है फिर त्योहार के दिन जो गांव का बैगा रहता है वो ग्राम देवताओं की पूजा करता है सब घर से नारियल लेकर जाते है और अपने अपने घर में भी पूजा करते है बालू रखकर खेती वाले सभी औजारों को धोकर उसकी पूजा करते है और गुड़ और लाई का लड्डू और गुड़ और आटे का मीठा चिला भोग लगाते है और नारियल और गुड़ का सब प्रसाद खाते है बहुत मस्त लगता है फिर बच्चे गेड़ी चढ़ते है सारे औजारों के साथ गेड़ी की भी पूजा करते है चावल आटे से उनमें हाथा देते है
हरेली त्योहार में हमारे यहां सबसे पहले ग्राम देवता की पूजा होती है उसके लिए त्योहार के एक दिन पहले शाम को गांव का जो झांखर रहता है वो सब घर जाकर तेल और चावल इकट्ठा करता है उसी से फिर ग्राम देवता की पूजा होती है फिर त्योहार के दिन जो गांव का बैगा रहता है वो ग्राम देवताओं की पूजा करता है सब घर से नारियल लेकर जाते है और अपने अपने घर में भी पूजा करते है बालू रखकर खेती वाले सभी औजारों को धोकर उसकी पूजा करते है और गुड़ और लाई का लड्डू और गुड़ और आटे का मीठा चिला भोग लगाते है और नारियल और गुड़ का सब प्रसाद खाते है बहुत मस्त लगता है फिर बच्चे गेड़ी चढ़ते है सारे औजारों के साथ गेड़ी की भी पूजा करते है चावल आटे से उनमें हाथा देते है
हरेली त्योहार में हमारे यहां सबसे पहले ग्राम देवता की पूजा होती है उसके लिए त्योहार के एक दिन पहले शाम को गांव का जो झांखर रहता है वो सब घर जाकर तेल और चावल इकट्ठा करता है उसी से फिर ग्राम देवता की पूजा होती है फिर त्योहार के दिन जो गांव का बैगा रहता है वो ग्राम देवताओं की पूजा करता है सब घर से नारियल लेकर जाते है और अपने अपने घर में भी पूजा करते है बालू रखकर खेती वाले सभी औजारों को धोकर उसकी पूजा करते है और गुड़ और लाई का लड्डू और गुड़ और आटे का मीठा चिला भोग लगाते है और नारियल और गुड़ का सब प्रसाद खाते है बहुत मस्त लगता है फिर बच्चे गेड़ी चढ़ते है सारे औजारों के साथ गेड़ी की भी पूजा करते है चावल आटे से उनमें हाथा देते है
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Happy hareli
हरेली त्योहार में हमारे यहां सबसे पहले ग्राम देवता की पूजा होती है उसके लिए त्योहार के एक दिन पहले शाम को गांव का जो झांखर रहता है वो सब घर जाकर तेल और चावल इकट्ठा करता है उसी से फिर ग्राम देवता की पूजा होती है फिर त्योहार के दिन जो गांव का बैगा रहता है वो ग्राम देवताओं की पूजा करता है सब घर से नारियल लेकर जाते है और अपने अपने घर में भी पूजा करते है बालू रखकर खेती वाले सभी औजारों को धोकर उसकी पूजा करते है और गुड़ और लाई का लड्डू और गुड़ और आटे का मीठा चिला भोग लगाते है और नारियल और गुड़ का सब प्रसाद खाते है बहुत मस्त लगता है फिर बच्चे गेड़ी चढ़ते है सारे औजारों के साथ गेड़ी की भी पूजा करते है चावल आटे से उनमें हाथा देते है
हमर छत्तीसगढ के पारंपरिक पहेली लोक पर्व हरेली त्योहार के आप सभी को गाड़ा गाड़ा बधाई अच्छे फसलों की मंगलकामना जय जोहार
हमारे यहां एसे धान छेर छेरा त्योहार में घर घर जाकर मांगते है हरेली में ऐसा नहीं करते
और नहीं हरा वाला जो डारा रहता है उसको करते है
कैमरा मैन ह का काम करथे बताओ
Mahu khahu dai
❤❤❤❤
Han ke ladka mnke alg chila banathe ladki mn br alg rathe
Tuher vidio ke intezar me rathi ji ❤❤❤ mahu l dev ji
Maa aap man ke video dekhte wokhar sath m bhi , bilaspur chhattisgarh
2 ad aaye dono l skip ni kre hw
❤❤❤❤❤🙏
Kaas aap meri ma rhti❤❤
Cherchra aaj ke din
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हरेली त्योहार में हमारे यहां सबसे पहले ग्राम देवता की पूजा होती है उसके लिए त्योहार के एक दिन पहले शाम को गांव का जो झांखर रहता है वो सब घर जाकर तेल और चावल इकट्ठा करता है उसी से फिर ग्राम देवता की पूजा होती है फिर त्योहार के दिन जो गांव का बैगा रहता है वो ग्राम देवताओं की पूजा करता है सब घर से नारियल लेकर जाते है और अपने अपने घर में भी पूजा करते है बालू रखकर खेती वाले सभी औजारों को धोकर उसकी पूजा करते है और गुड़ और लाई का लड्डू और गुड़ और आटे का मीठा चिला भोग लगाते है और नारियल और गुड़ का सब प्रसाद खाते है बहुत मस्त लगता है फिर बच्चे गेड़ी चढ़ते है सारे औजारों के साथ गेड़ी की भी पूजा करते है चावल आटे से उनमें हाथा देते है
हरेली त्योहार में हमारे यहां सबसे पहले ग्राम देवता की पूजा होती है उसके लिए त्योहार के एक दिन पहले शाम को गांव का जो झांखर रहता है वो सब घर जाकर तेल और चावल इकट्ठा करता है उसी से फिर ग्राम देवता की पूजा होती है फिर त्योहार के दिन जो गांव का बैगा रहता है वो ग्राम देवताओं की पूजा करता है सब घर से नारियल लेकर जाते है और अपने अपने घर में भी पूजा करते है बालू रखकर खेती वाले सभी औजारों को धोकर उसकी पूजा करते है और गुड़ और लाई का लड्डू और गुड़ और आटे का मीठा चिला भोग लगाते है और नारियल और गुड़ का सब प्रसाद खाते है बहुत मस्त लगता है फिर बच्चे गेड़ी चढ़ते है सारे औजारों के साथ गेड़ी की भी पूजा करते है चावल आटे से उनमें हाथा देते है
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