माता अंजना लक्ष्मण जी पर हुयी क्रोधित | जय बजरंगबली हनुमान

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  • čas přidán 6. 04. 2024
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    एक बार भगवान इंद्र ऋषि दुर्वासा द्वारा आयोजित स्वर्ग में एक औपचारिक बैठक में भाग ले रहे थे। तब उस समय हर कोई एक गहन मंथन में डूबा था। पुंजिकस्थली नाम की एक अप्सरा अनजाने में उस बैठक में विघ्न पैदा कर रही थी। तभी ऋषि दुर्वासा ने उसे ऐसा नहीं करने को कहा।
    ऋषि दुर्वासा की कही गई बातों को उस अप्सरा ने अनसुना कर दिया। यह देख कर वो नाराज हो गए। तब ऋषि दुर्वासा ने उसे श्राप देते हुए कहा कि तुमने एक बंदर की तरह काम किया है। इसलिए तुम उसी प्रकार एक बंदरिया बन जाओ। ऋषि दुर्वासा के शाप की बात सुनकर अप्सरा को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो उनसे रोते हुए क्षमा मांगने लगी।
    अप्सरा ने ऋषि दुर्वासा से कहा कि कि हे ऋषि मुझे क्षमा कर दें। मैं आपको परेशान करने के लिए यह काम नहीं कर रही थी। मुझे इस बात का तनिक भी अंदाजा नहीं था कि मेरी ऐसी मूर्खता का मुझे ऐसा परिणाम मिलेगा। ऋषि दुर्वासा ने उसकी विनम्र विनती को देखकर अप्सरा से कहा कि हे प्रिय तुम रो मत।
    अगले जन्म में तुम एक भगवान से शादी करोगी। लेकिन वह एक बंदर होगा और तुम्हारा जो पुत्र होगा वह बंदर ही होगा जो बहुत ही शक्तिशाली होगा र भगवान श्री राम का प्रिय भक्त होगा। यह सुनकर पुंजिकस्थली ने ऋषि दुर्वासा को नमस्कार करते हुए दिए गए श्राप को स्वीकार किया।
    तब माता अंजना का जन्म बंदर भगवान विराज से हुआ। जब माता अंजना विवाह योग्य हो गई तब उनकी शादी बंदर भगवान केसरी से हुई थी। इसके बाद माता अंजना अपने पति के साथ सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत करने लगी। अंजना और केसरी एक शांतिपूर्ण जीवन जी रहे थे। एक दिन शंखबल नामक जंगली हाथी ने अपना नियंत्रण खो दिया और हंगामा खड़ा कर दिया।
    कई लोगों की इस हंगामे में जान चली गई। कितने ऋषि इस वजह से अपना अनुष्ठान पूरा नहीं कर सके। भगवान केसरी श्री शंखबल से बेहद प्रेम करते थे। भगवान केसरी ने अपने प्रिय हाथी को जब मार डाला तो वह बहुत शोक में डूब गए। यह देखकर संतों ने उन्हें यह वरदान दिया कि तुम्हारे घर एक बच्चा जन्म लेगा जो बहुत ही शक्तिशाली और हवा की शक्ति और गति के बराबर रहेगा। तब इस प्रकार भगवान केसरी के घर में माता अंजना ने भगवान श्री हनुमान को जन्म दिया। यहीं उनके जन्म की कहानी है, इसलिए उन्हें अंजनी पुत्र और पवन पुत्र कहा जाता है।
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