मौरी मेला | गगवाडस्यूँ - ल्वाली | ग्राम - तमलाग | मौरी नारायण |
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- čas přidán 23. 10. 2021
- मौरी मेले का आयोजन पौड़ी जिले में गगवाड़स्यूँ पट्टी के अंतर्गत पड़ने वाले ग्राम सभा तमलाग में किया जाता है । अगर इस मेले को समय के खांचे में मापा जाये तो यह पूरे विश्व का सबसे ज्यादा दिनों तक चलने वाला धार्मिक मेला है इस धार्मिक मेले कि अवधि छः महीने तमलाग गाँव में और समापन के बाद अगले छः महीने सबदरखाल के कुण्डी गाँव में है , इसमें हर रोज दिन और रात के कुछ पहर पांडव का अवाहन किया जता है । इस मेले का शुभारम्भ २२ गते मर्गशीर्ष में होता है , तथा इसकी समापन तिथि २२ गतै अषाढ़ है । इन छ : महीनों के मध्य पूर्वजों द्वारा ग्राम के मध्य एक सुंदर भैरव मंदिर के परागण में दिब्य शाक्तियों व ग्राम वासियों द्वारा पांडव नृत्य होता रहता है । इस अवधि काल में इस मेले में लाखों लोग सिरकत करके पुण्य कमाते है । यह मेला पांडव से सम्बधित है । मौरी क्या है यह क्यों मनाई जाती है ? मौरी का अर्थ क्या होता है ? और इसका नाम मौरी क्यों पड़ा ? इसका आयोजन ग्राम सभा तमलाग और कुण्डी में ही क्यों किया जाता है ? " मौरी " शब्द माहौरू " शब्द का अपभ्रश रूप है मौरी शब्द माहौरू से बना है इस शब्द का जिक्र एक जागर में बड़े स्पष्ट रूप से होता है ।
दिशा कूड माहौरू , माहौरू लगाण बांझू माहौरू , माहौरू लगाण भैजी चल्दू बणाण , माहौरू लगाण ...
इस मेले कि समाप्ति इस माहौरू शब्द की ब्याख्या को पूर्णता प्रदान करती है । मौरी शब्द का अर्थ होता है दान देकर किसी बंजर इलाके को हरा - भरा करके समृद बनाना । अब सवाल यह उठता है की आखिर दान देकर किसको समृद बनाया गया । दन्त कथाओं में कहते है की पांडव की एक धर्म बहन थी जिसका नाम रूपेणा था । जिसका विवाह नारायण के साथ हुआ था । एक बार नरायण नदी के किसी कुंड में स्नान कर रहे थे वही उस नदी के ऊपर वाले कुंड कुसमा कुवेण नाम की एक नारी भी स्नान कर रही थी जो दिखने में बहुत सुंदर थी । कहते है की उसकी सुनेहरी लटे थी । स्नान करते समय उसकी एक लट टूटकर नारायण की ऊँगली से उलझ जाती है । नारायण इस लट को देख कर अचंभित रह जाता है । और अपने मन में सोचता है कि जिस नारी की लट ही सोने की है तो वह खुद कितनी खूबसूरत होगी वह उस लट के सहारे कुसमा तक पहुचते है । तथा कुसमा के रूप सौंदर्य यौवन को देखकर हमेशा के लिए कुसमा कुवेण के हो जाते है । इस दौरान वह अपनी राज रानी रूपेणा तथा राज पाठ और अपने भावी कुलवंशों को भूल जाते है । इस समय का लाभ उठाकर कुछ राक्षस उसके राज्य पर हमला कर उसके हरे - भरे राज्य को उजाड़कर बंजर बना देते है । तथा उसके पुत्रों को मार देते है । रूपेणा को अपने राज्य का सर्वनाश और पुत्रों की अकाल मृत्यु से बहुत बड़ा आघात पहुचता है । तब उसे इस दुःख की घडी में अपने धर्म भाई पांडव का स्मरण आता है । और वह यह सोच कर हस्तिनापुर आ जाती है की मेरे भाई मेरी मदद जरुर करेंगे । हस्तिनापुर आकर जब वह अपनी सारी दास्ता कुंती माता को सुनती है । उसकी दुःख भरी दास्ता सुनकर कुंती उसे बचन देती है कि मै तेरे राज्य को एक बार फिर खुशहाल और समृद बनाऊंगी । तुझे जो भी दान चाहिए मै वह दान देकर तुझे अपनी बेटी की तरह विदा करूँगी । इस प्रकार रूपेणा कुंती से दान में भतीजा भिभीसैण , भतीजी भभरोन्दी , कल्यलुहार , नागमौला तथा काली दास ढोली की मांग करती है ।
( काली दास ढोली जिसे समस्त ढोल सागर का ज्ञान था आज की तारीख में यह लोग हमारी संस्कृति के अभिन्न अंग है । अगर मै सरल शब्दों में यह कहूं की मौरी मेला का अर्थ ही ढोल बादक है तो अतिशयोक्ति नहीं होगा । अगर इनकी यह बिद्या जिंदा है तो मौरी मेला है अन्यथा आने वाले समय में यह मेला अपना अस्थित्व् खो देगा । इसलिए हमें इनकी इस बिद्या और इनकी कला को जिंदा रखने के लिए अभी से उन्चित कदम उतने होंगे जिससे हम अपनी आने वाली पीढ़ी को इस अमूल्य धरोहर को देने में सक्षम हो सके । ) इस प्रकार पांच पांडव अपनी धर्म बहन रूपेणा को दान में सब खुछ देकर उसे उसकी थाती तक विदा करते है । और इस प्रकार रूपेणा का राज्य एक बार फिर अन्न धन से खुशाल और समृद्ध हो जाता है ।
लेख साभार - श्री प्रदीप रावत 'खुदेड'
बहुत सुंदर जानकारी देने के लिए धन्यवाद ❤
जय मौरी का नारायण जी जय हो🙏🙏🚩
बहुत सुंदर जानकारी मे रा माईका भी तमलआग गांव है
🙏
Jankari dene k liye bhut bhut dhenyabad juyal ji
बहुमूल्य प्रस्तुति. जै हो
धन्यवाद जी🙏🏻
बहुत सुन्दर जानकारी
धन्यवाद चाचा जी
धन्यवाद चाचा जी
जय हो .
धन्यवाद चाचा जी
𝚓𝚊𝚒 𝚑𝚘
Bahut Sundar Amazing blocks
धन्यवाद जी
Bahut acha jankari jugal ji pr kuch adhuri si pr achi koshish
Nyc bro
Very nice vedio Mithu🌺💐👌
बहुत सुंदर जानकारी हमारी धरोधर
धन्यवाद मौसी
बहुत बहुत धन्यवाद इस कथा से अवगत कराया ❤❤
Jai Mori Narayen
Maine bhi dwkha hai ye Mela bhut bheed judti hai.bhut hi sunder jaankari di boda ji n ..
Adarniya juyal ji pranam 🙏Aap ne pannodhar ,Mori narayan mandir ,pandavo ,tamlang gaon, devprayag,vedmuni,tapovan,kunni,etc sabhi divya asthano ka mahabharat kalin vritant bade hi sahaj bhav se ullekh kiya ,aapko hriday ki gahrayion se dhanyavaad aapne apne athak prayas se pannodhar mein bhavya mori mandir ki asthapana ki aap dhanya hein ,aapne punah batya ki har 12 varsh mein mori mela ka ayojan hota hei or ab punah 2026 mein yeh mela lagega ,meri prabhu se vintee hei ki vai aap jaise sadhu purush ko apni dayapatr banaye rakhenge or aapki agwai mein sabhi bhaktjan mele ka aanand uthayeinge va bhagwan Mori narayan ki kripa ke patr banege ,dhanyavaad
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
बहुत सुंदर
धन्यवाद भुला
🎉🎉🎉🎉🎉
बहुत सुन्दर मिट्ठू 👍
धन्यवाद भैजी
Jai Mori Narayan ji ki jai ho 🌹🌹🙏🙏
बहुत सुन्दर
धन्यवाद चाचा जी
बहुत सुंदर भुला।
बहुत सूचनाप्रद!
धन्यवाद ताऊ जी
क्या बात है बहुत खूब
Superb.....aaj puri kahani pta chali mori mele ki...bahut achi tarah se btaya h tauji ne🙏🙏🙏🙏
धन्यवाद🙏🏻
Bahut sundar tarike se bataya gya👌👌
Bhut sunder jankari... Jai mauri naryan , 🙏
धन्यवाद जी
अति शानदार प्रस्तुति
धन्यवाद जी
Bahut sundar.
भुल्ला इनी जानकारी देणे कू बहुत बहुत धन्यवाद,चाचा जी को भी प्रणाम 👏( बहुत अच्छा ब्लॉक ) 1990 और2014 का मोरी मेला तो मैने देखा है और मैं इसी तमलाग का हूँ
धन्यवाद भैजी
Amazing historical place
धन्यवाद आदरणीय
वाह वाह बहुत खूब। अच्छी जानकारी दी है।
धन्यवाद चाचू
Excellent information 👍..… Superb vlog 🙏
बहुत बहुत आभार आपका आप से जितना हो सका हमारी अग्ली पीढ़ी के लिये बताने की बहुत ही अच्छी कोशिश की हैं
हमारि इतनी उम्र होने के बाद भी तमलाग में हामे किसी ने इस तरह से कभी नहीं समझाया !
इसमें माता कुंती का भी जिक्र होना चाहिये था!
🙏🙏
धन्यवाद भैजी,
Every village in uttrakhand has their unique Story💚 i have been fortunate enough to visit this beautiful and sacred place ❤️
Bahut sunder dada ji 🙏🙏🙏
धन्यवाद जी
Best explanation 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻.
धन्यवाद जी
Bahut sundar...❣️
धन्यवाद 🙏🏻🌺
वाह
धन्यवाद भाई जी
well done miThu bhai...
धन्यवाद बन्धु
Sir very good story. Sir in this story you said that pandava path bharsta sir this i's not right sir it must be pandavas path bharmit
Bhai ye jo mandir bana esh jageye pe eshke piche ki kahani Kya hai ye samajhe ni aaya ab tak v tamlag ke Bahut sare logo ko..
Eshke bare me esh bar kuch mudho pe bat hogi 2026ME
Parnam juyalji agla mori mela kon se sal me aayega
Devbhumi is full of mythology...… It is a pleasure to see young people like you exploring these facts and enriching everyone..... Excellent job Bro👍
धन्यवाद खत्री जी 🙏🏻
ye पुस्तक कहां मिलेगी
Google pe Mori Mela dalna sab mil jayega bhai
🙏🙏