गुरुदेव जी आप बताये जीव अबिनाशी है अबिनासी जीव अखण्ड है चुकी आत्मा अखण्ड है तो जीव भी अखण्ड हुआ जी चुकी अबिनाशी अखण्ड है सिर्फ कहने के लिए एक है पर ओ एक भी नही है। इसका मतलब ये है आत्मा को काट काट कर छोटा छोटा जीव बनाया गया है ये कदापि सत्य नही लगता है क्यो की अबिनाशी एक है जब कि आप बोले है जीव अनन्त है और अबिनाशी है अबिनाशी को खण्डित किया ही नही जा सकता है तो जीव अनन्त कैसे हो गए । इस प्रकार जीव भी सिर्फ कहने के लिए एक है पर ओ एक भी नही है जी। हां मन अनन्त है पर जीव भी कहने के लिए एक ही है आप के कथन से जीव भी आत्मा के समान अबिनाशी है जब आत्मा अबिनाशी है तो आत्मा अंश जीव अनन्त कैसे हो गया जब कि अबिनाशी अखण्ड है तो जीव भी अखण्ड है आप के कथन से जी। जीव भी एक है कहने के लिए पर ओ भी एक भी नही है चुकी 52 में आ जाता है पर आत्मा जीव अबिनाशी 52 से।अलग है तीन लोक में जीव एक ही है मन अनन्त है जी एक बात और जीव आत्मा के बिना रह ही नही सकता है जी ये परमात्मा का बहुत गुप्त खेल है जी आप इस बात को बताये जीव खण्डित कैसे हो गया जो अबिनाशी है अबिनाशी कभी भी खण्डित नही होता उसको न पढ सकते न लिख सकते न कह सकते तो ओ है क्या जी।ये एक अति शुक्छम धुन है जो तीनों लोक में गरज रहा है अपने शरीर मे भी गरज रहा है तब ही अपना शरीर चेतन में है जी नरते समय शरीर से क्या निकलता है चेतना तो हर जगह है सिर्फ आत्मा से चेतना से सम्पर्क टूट जाता है पावर हाउस जैसा सब स्टेशनम फिर मिनी सब स्टेशन समान है अगर शरीर से निकलता है तो शुक्छम शरीर और मन निकलता है जैसे मिनी सब स्टेशन पावर कट किया घर का बल्ब पँखा बन्द हो जाता है एक चीज और अपने घर मे 220 ही बोल्ट का पावर आता है जब कि पावर हाउस 6000 या अधिक कम पावर बनाता है जी। गुरु जी गलती हो तो क्षमा चाहुगा जी। सतनाम
आप्के ये सब ऊपनिषद्के गुढ रहस्ये बतानेके तरिका बहुत अच्छा लग्ता है और कोहि बोल्ते है ध्यान से मत्र नहि ज्ञान् से हि ब्रम्ह बन्न सक्नेको बताइएको है सच् क्या है मेरे लेखाईमे कुछ मिस्टेक् होगा क्यूकि मै नेपालि हु यस्मा क्षमा कर्ना
धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है
पंडित जी जीव जड है कि सेतन है जीव को सूक्ष्म सरीर कहो तो क्या सूक्ष्म सरीर में भी कोई जीव है या नहीं और जीव प्रमातमा का अंच है तो क्या प्रमातमा अखंडित है या खंडित कियु के थोड़ा थोड़ा अंच प्रमातमा का सब जीवो मे गया तो फिर क्या प्रमातमा खंडित होगया समझाने की कूरपा करावे
I am very much grateful to you sir for your valuable teaching about different kinds of human bodies, but sir i could not understand last three parts of humans subtle body,please clarify. Thank you sir.
नमस्कार गुरुजी... jiva is assembly ....... like wise चेतना is assembly of what? पुनर्जन्म होता हैं? कर्म का सिद्धांत होता है? हम इस पर विश्वास कैसे करे. जीव कितने प्रकार के होते हैं
जीव की विवेचना इससे ज्यादा स्पष्ट नहीं हो सकती ।अब आप अपनी समझ को विस्तार दीजिए आप को बताया गया कि आठ चीजों की असेम्बलिग में जब चेतना का प्रवाह होता है तब वह जीव कहलाता है जैसे कम्प्यूटर की असेम्बलीग के साथ बिजली का प्रवाह तब वह कम्प्यूटर नहीं तो सिर्फ कूणा कबाड़ का डब्बा ।धन्यवाद अब आप बताइये कि क्या बगैर बिजली के वह कम्प्यूटर रहेगा या नहीं
Awesome
Good sir
💞🙏🙏
बहुत सुंदर।
आपको कोटि कोटि प्रणाम
हरी 🕉️ तत्सत ❤
आप गलत बोल रहे हो जीव ईश्वर का अंश नहीं है
Thanks ji
जीव अणु परमात्मा विभु
जीवन बार बार जन्म लेता है । इसकी पुष्टि कहां होती है।मरने के बाद कोई लौटकर आता नहीं
जीव क्या है।जीव जिस शरीर में स्थापित है वो वैसा ही आचरण कर रहा है।
🕉🪔 बहुमूल्य आनन्दमय ज्ञान by परम पुज्य गुरुदेव जी !!!
🙏🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏
💜 🦢 💜
Dhan Dhan Bhag Hamare jo aap Hamen Aise Gyan Dete Hain main aapka bahut bada fan hun
p56pj
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गुरुदेव जी आप बताये जीव अबिनाशी है अबिनासी जीव अखण्ड है चुकी आत्मा अखण्ड है तो जीव भी अखण्ड हुआ जी चुकी अबिनाशी अखण्ड है सिर्फ कहने के लिए एक है पर ओ एक भी नही है।
इसका मतलब ये है आत्मा को काट काट कर छोटा छोटा जीव बनाया गया है ये कदापि सत्य नही लगता है क्यो की अबिनाशी एक है जब कि आप बोले है जीव अनन्त है और अबिनाशी है अबिनाशी को खण्डित किया ही नही जा सकता है तो जीव अनन्त कैसे हो गए । इस प्रकार जीव भी सिर्फ कहने के लिए एक है पर ओ एक भी नही है जी। हां मन अनन्त है पर जीव भी कहने के लिए एक ही है आप के कथन से जीव भी आत्मा के समान अबिनाशी है जब आत्मा अबिनाशी है तो आत्मा अंश जीव अनन्त कैसे हो गया जब कि अबिनाशी अखण्ड है तो जीव भी अखण्ड है आप के कथन से जी।
जीव भी एक है कहने के लिए पर ओ भी एक भी नही है चुकी 52 में आ जाता है पर आत्मा जीव अबिनाशी 52 से।अलग है तीन लोक में जीव एक ही है मन अनन्त है जी एक बात और जीव आत्मा के बिना रह ही नही सकता है जी ये परमात्मा का बहुत गुप्त खेल है जी
आप इस बात को बताये जीव खण्डित कैसे हो गया जो अबिनाशी है अबिनाशी कभी भी खण्डित नही होता उसको न पढ सकते न लिख सकते न कह सकते तो ओ है क्या जी।ये एक अति शुक्छम धुन है जो तीनों लोक में गरज रहा है अपने शरीर मे भी गरज रहा है तब ही अपना शरीर चेतन में है जी नरते समय शरीर से क्या निकलता है चेतना तो हर जगह है सिर्फ आत्मा से चेतना से सम्पर्क टूट जाता है पावर हाउस जैसा सब स्टेशनम फिर मिनी सब स्टेशन समान है अगर शरीर से निकलता है तो शुक्छम शरीर और मन निकलता है जैसे मिनी सब स्टेशन पावर कट किया घर का बल्ब पँखा बन्द हो जाता है एक चीज और अपने घर मे 220 ही बोल्ट का पावर आता है जब कि पावर हाउस 6000 या अधिक कम पावर बनाता है जी।
गुरु जी गलती हो तो क्षमा चाहुगा जी।
सतनाम
બુદ્ધિ ને બે વખત ગણી છે,
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ❣️🙏
Kya shuksh sharir me bhi tvacha hoti hai.smjhaya jay
श्रीमान जी व की व्याख्या सुनकर मन प्रसन्न हुआ। एसपी त्यागी दिल्ली
आप्के ये सब ऊपनिषद्के गुढ रहस्ये बतानेके तरिका बहुत अच्छा लग्ता है
और कोहि बोल्ते है ध्यान से मत्र नहि ज्ञान् से हि ब्रम्ह बन्न सक्नेको बताइएको है सच् क्या है मेरे लेखाईमे कुछ मिस्टेक् होगा क्यूकि मै नेपालि हु यस्मा क्षमा कर्ना
मै. देह. हूं. ! देह. यांनी. की. मै. ये. देहभावनाही. जीव. कहलती हैं ! 🎉
धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है आप धन है
जीव अनादि है, तो जीव का निर्माण कैसे संभव है? कृपया थोडा विस्तार से समजाइये।🙏
Jib ka lakshya Kiya hea
Gurug agar jeev abinashi hai ti isme panch mahabhut kaise kaha se a gai kuk panch maha bhoot to nashwar hote he please explane
Jiv ki in 8 vashtuo se keshe alag karke aatma ka anubhab kiya Jay
Kripa btaye
पंडित जी जीव जड है कि सेतन है जीव को सूक्ष्म सरीर कहो तो क्या सूक्ष्म सरीर में भी कोई जीव है या नहीं और जीव प्रमातमा का अंच है तो क्या प्रमातमा अखंडित है या खंडित कियु के थोड़ा थोड़ा अंच प्रमातमा का सब जीवो मे गया तो फिर क्या प्रमातमा खंडित होगया समझाने की कूरपा करावे
👏👏🌷👏👏
Sundar ji
Nice ...🙏
स्वामी जी को प्रणाम
आचार्य जी प्रणाम..आचार्य जी ये अविद्या क्या है?
Ignorance
Jai Guruji sadar Charan sparsh
Atma sharif me Khan niwas karti hai🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
atma sarvyapi hai
Saatar gaan see Malik nahi milta
जीव और जिवात्मा
जीव जगत और जीवात्मा जगत
इस पर प्रकाश डालने की कृपा करें
PARNAM ACHARYA JI
🙏🙏🙏
गुरु देव आयधनय
सीताराम
Jib ka gyan kiyu Satya dharm kese bhul jati he
I am very much grateful to you sir for your valuable teaching about different kinds of human bodies, but sir i could not understand last three parts of humans subtle body,please clarify. Thank you sir.
🙏🙏🙏🙏🙏
Dhanyavad Guruji! Kya Jeev me avsthit panch pran hi chetana ka swarup hota hai?
Nahi . Aane vali video ko dekhe - kya atma hi chetna hai
Jiva ka srijan ma avidhya ka Samavesh hota ha kuch baat samaza nahi air. Please explain it.
Jeev ke bare mein aapane bataya jivatma aur atma mein antar aap discussion Manali
नमस्कार गुरुजी...
jiva is assembly ....... like wise चेतना is assembly of what?
पुनर्जन्म होता हैं? कर्म का सिद्धांत होता है?
हम इस पर विश्वास कैसे करे.
जीव कितने प्रकार के होते हैं
The Mind is the king of the body.as As such the mind is called Jib.This is as per Muni Asta bakra..pl clay........ Thank u sir.
जीव की विवेचना को और स्पष्ट रूप से बताने का कष्ट करें
जीव की विवेचना इससे ज्यादा स्पष्ट नहीं हो सकती ।अब आप अपनी समझ को विस्तार दीजिए आप को बताया गया कि आठ चीजों की असेम्बलिग में जब चेतना का प्रवाह होता है तब वह जीव कहलाता है जैसे कम्प्यूटर की असेम्बलीग के साथ बिजली का प्रवाह तब वह कम्प्यूटर नहीं तो सिर्फ कूणा कबाड़ का डब्बा ।धन्यवाद अब आप बताइये कि क्या बगैर बिजली के वह कम्प्यूटर रहेगा या नहीं
If jeevatma is suksam sareer what is jeevatma. Thanks
Is jib is called Mind? Thank u sir.
मन बुद्धि और चित्त में क्या अंतर है
आत्मा और जीव में अंतर क्या हैं
जीव का मूल स्वरुप कैसा है??
और ईश्वर का स्वरूप कैसा है?
जीव का मूल स्वरूप कम्प्यूटर की असेम्बली ग किया हुआ डब्बा और ईश्वर चार्ज बैटरी अब आप प्रवाहित करंट का स्वरूप जरा बताइये धन्यवाद
Prani ka jiv or manusya ka jiv ek hay ? Prani yane (pashu)
Shiva-tva kya he ,Shiv kaun he
पेड़ जीव है कि नही ?
Hame aap ki adhyatmik bhasa samaj mai nahi aati atah saral sabdo mai batain
পঞচ ইন্দরিও কি সব জীবের বৌশিশট?
सब गड्ड मड़ है ...
वेदांत कुछ और कहता है
सांख्य कुछ और
😂😂
प्रणाम आचार्य जी तो क्या जीव को ही मुक्ति चाहिए
Bilkul jiv ko hi mukti chahiye
Jeev or atma alag alag nahi ho sakti qyo ki sobar tatva nahi hota tatva misarad hota hai