जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार | Mahakali Chalisa | Powerful Kali Maa Mantra | Chamunda Mantra

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  • čas přidán 9. 06. 2024
  • जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार | Mahakali Chalisa | Powerful Kali Maa Mantra | Chamunda Mantra
    ॥ दोहा ॥
    जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार ।
    महिष मर्दिनी कालिका , देहु अभय अपार ॥
    ॥ चौपाई ॥
    रि मद मान मिटावन हारी । मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥
    अष्टभुजी सुखदायक माता । दुष्टदलन जग में विख्याता ॥
    भाल विशाल मुकुट छवि छाजै । कर में शीश शत्रु का साजै ॥
    दूजे हाथ लिए मधु प्याला । हाथ तीसरे सोहत भाला ॥
    चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे । छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥
    सप्तम करदमकत असि प्यारी । शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥
    अष्टम कर भक्तन वर दाता । जग मनहरण रूप ये माता ॥
    भक्तन में अनुरक्त भवानी । निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥
    महशक्ति अति प्रबल पुनीता । तू ही काली तू ही सीता ॥
    पतित तारिणी हे जग पालक । कल्याणी पापी कुल घालक ॥
    शेष सुरेश न पावत पारा । गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥
    तुम समान दाता नहिं दूजा । विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥
    रूप भयंकर जब तुम धारा । दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥
    नाम अनेकन मात तुम्हारे । भक्तजनों के संकट टारे ॥
    कलि के कष्ट कलेशन हरनी । भव भय मोचन मंगल करनी ॥
    महिमा अगम वेद यश गावैं । नारद शारद पार न पावैं ॥
    भू पर भार बढ्यौ जब भारी । तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥
    आदि अनादि अभय वरदाता । विश्वविदित भव संकट त्राता ॥
    कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा । उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥
    ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा । काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥
    कलुआ भैंरों संग तुम्हारे । अरि हित रूप भयानक धारे ॥
    सेवक लांगुर रहत अगारी । चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥
    त्रेता में रघुवर हित आई । दशकंधर की सैन नसाई ॥
    खेला रण का खेल निराला । भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥
    रौद्र रूप लखि दानव भागे । कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥
    तब ऐसौ तामस चढ़ आयो । स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥
    ये बालक लखि शंकर आए । राह रोक चरनन में धाए ॥
    तब मुख जीभ निकर जो आई । यही रूप प्रचलित है माई ॥
    बाढ्यो महिषासुर मद भारी । पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥
    करूण पुकार सुनी भक्तन की । पीर मिटावन हित जन-जन की ॥
    तब प्रगटी निज सैन समेता । नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥
    शुंभ निशुंभ हने छन माहीं । तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥
    मान मथनहारी खल दल के । सदा सहायक भक्त विकल के ॥
    दीन विहीन करैं नित सेवा । पावैं मनवांछित फल मेवा ॥
    संकट में जो सुमिरन करहीं । उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥
    प्रेम सहित जो कीरति गावैं । भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥
    काली चालीसा जो पढ़हीं । स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥
    दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा । केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥
    करहु मातु भक्तन रखवाली । जयति जयति काली कंकाली ॥
    सेवक दीन अनाथ अनारी । भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥
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Komentáře • 3

  • @SheelaOogur
    @SheelaOogur Před 27 dny

    Jay Maa kali❤

  • @kushaldeepchaujar3402
    @kushaldeepchaujar3402 Před 26 dny

    आप हर कुछ दिन मे काली चालीसा की वीडियो डालते हो जो ditto same होती है सिर्फ time का फर्क़ होता है और thumbnail का हीहीही

  • @SheelaOogur
    @SheelaOogur Před 27 dny

    Jay Maa kali❤