गुरु द्रोणाचार्य - Guru DronaCharya | Story of Mahabharat | गुरु द्रोणाचार्य की कहानी | Maha Warrior

Sdílet
Vložit
  • čas přidán 10. 09. 2024
  • गुरु द्रोणाचार्य - Guru DronaCharya | Story of Mahabharat | गुरु द्रोणाचार्य की कहानी | Maha Warrior
    ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
    द्रोणाचार्य ऋषि भरद्वाज तथा घृतार्ची नामक अप्सरा के पुत्र तथा धर्नुविद्या में निपुण परशुराम के शिष्य थे। कुरू प्रदेश में पांडु के पाँचों पुत्र तथा धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों के वे गुरु थे। महाभारत युद्ध के समय वह कौरव पक्ष के सेनापति थे। गुरु द्रोणाचार्य के अन्य शिष्यों में एकलव्य का नाम उल्लेखनीय है। उसने गुरुदक्षिणा में अपना अंगूठा द्रोणाचार्य को दे दिया था। कौरवो और पांडवो ने द्रोणाचार्य के आश्रम मे ही अस्त्रो और शस्त्रो की शिक्षा पायी थी। अर्जुन द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे। वे अर्जुन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाना चाहते थे।
    महाभारत की कथा के अनुसार महर्षि भरद्वाज एकबार नदी ने स्नान करने गए। स्नान के समाप्ति के बाद उन्होंने देखा की अप्सरा घृताची नग्न होकर स्नान कर रही है। यह देखकर वह कामातुर हो परे और उनके शिश्न से बीर्ज टपक पड़ा। उन्हीने ये बीर्ज एक द्रोण कलश में रखा, जिससे एक पुत्र जन्मा। दूसरे मत से कामातुर भरद्वाज ने घृताची से शारीरिक मिलान किया, जिनकी योनिमुख द्रोण कलश के मुख के समान थी। द्रोण (दोने) से उत्पन्न होने का कारण उनका नाम द्रोणाचार्य पड़ा। अपने पिता के आश्रम में ही रहते हुये वे चारों वेदों तथा अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञान में पारंगत हो गये। द्रोण के साथ प्रषत् नामक राजा के पुत्र द्रुपद भी शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तथा दोनों में प्रगाढ़ मैत्री हो गई। उन्हीं दिनों परशुराम अपनी समस्त सम्पत्ति को ब्राह्मणों में दान कर के महेन्द्राचल पर्वत पर तप कर रहे थे। एक बार द्रोण उनके पास पहुँचे और उनसे दान देने का अनुरोध किया। इस पर परशुराम बोले, "वत्स! तुम विलम्ब से आये हो, मैंने तो अपना सब कुछ पहले से ही ब्राह्मणों को दान में दे डाला है। अब मेरे पास केवल अस्त्र-शस्त्र ही शेष बचे हैं। तुम चाहो तो उन्हें दान में ले सकते हो।" द्रोण यही तो चाहते थे अतः उन्होंने कहा, "हे गुरुदेव! आपके अस्त्र-शस्त्र प्राप्त कर के मुझे अत्यधिक प्रसन्नता होगी, किन्तु आप को मुझे इन अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा-दीक्षा देनी होगी तथा विधि-विधान भी बताना होगा।" इस प्रकार परशुराम के शिष्य बन कर द्रोण अस्त्र-शस्त्रादि सहित समस्त विद्याओं के अभूतपूर्व ज्ञाता हो गये।
    द्रोणाचार्य का प्रारंभिक जीवन गरीबी में कटा, इससे तंग आकर उन्होंने अपने सहपाठी द्रुपद से सहायता माँगी जो उन्हें नहीं मिल सकी तथा द्रुपद ने उन्हें अपमानित कर अपने भवन से बाहर भी निकल दिया |अपने साथ हुए इस अपमान के लिए द्रोण ने बदला लेने की भीषण प्रतिज्ञा ली |
    एक बार वन में भ्रमण करते हुए द्रोण कही जा रहे थे तभी उन्होंने देखा की कौरवो-पांडवो की गेंद कुएँ में गिर गई। इसे देखकर द्रोणाचार्य का ने अपने धनुषर्विद्या की कुशलता से उसको बाहर निकाल लिया। इस अद्भुत प्रयोग के विषय में तथा द्रोण के समस्त विषयों मे प्रकाण्ड पण्डित होने के विषय में ज्ञात होने पर भीष्म पितामह ने उन्हें राजकुमारों के उच्च शिक्षा के नियुक्त कर राजाश्रय में ले लिया और वे द्रोणाचार्य के नाम से विख्यात हुये।
    कुरू प्रदेश में पांडु के पाँचों पुत्र तथा धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों के वे गुरु थे। महाभारत युद्ध के समय वह कौरव पक्ष के सेनापति थे। गुरु द्रोणाचार्य के अन्य शिष्यों में एकलव्य का नाम उल्लेखनीय है। उसने गुरुदक्षिणा में अपना अंगूठा द्रोणाचार्य को दे दिया था। कौरवो और पांडवो ने द्रोणाचार्य के आश्रम मे ही अस्त्रो और शस्त्रो की शिक्षा पायी थी। अर्जुन द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे। वे अर्जुन को विश्व का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाना चाहते थे।
    महाभारत के युद्ध के समय युधिष्ठिर के आधे झूठ के कारण द्रोण ने अपने सभी शस्त्र त्याग दिए तथा युद्धभूमी पर ही ध्यानमग्न हो गये लेकिन तभी द्रुपद के पुत्र धृष्टधुम्न ने निहत्थे द्रोण का सर काट दिया जिस कारण उनकी मृत्यु हुई |
    Watch More Videos:- Maha Warrior
    __________________________________________________________________________________________
    ➤ बाली का जन्म : • बाली का जन्म, वरदान और...
    ➤ पंचमुखी हनुमान : • पंचमुखी हनुमान और अहिर...
    ➤ नरसिंहा अवतार : • Narasimha | नरसिंहा अव...
    ➤ अश्वत्थामा भाग - २ : • अश्वत्थामा भाग - २ | H...
    ➤ कर्ण अर्जुन का युद्ध : • कर्ण अर्जुन का युद्ध |...
    ➤ अश्वत्थामा : • अश्वत्थामा | Hindi Tal...
    ➤ मायावी का वध और बाली का अंत : • मायावी का वध और बाली क...
    ➤ नर नारायण और दंबोधव का युद्ध : • नर नारायण और दंबोधव का...
    ➤ परशुराम और सहस्त्रार्जुन का युद्ध : • परशुराम और सहस्त्रार्ज...
    ➤ तीन बाणधारी बर्बरीक भाग : • तीन बाणधारी बर्बरीक (ख...
    ➤ अंगद की अनसुनी कहानी : • अंगद की अनसुनी कहानी |...
    ➤ अमर अश्वत्थामा : • अमर अश्वत्थामा | Mah...
    __________________________________________________________________________________________
    #MahaWarrior #HindiCartoon #Hindi_Kahaniya #CartoonInHindi #HindiMoralStories
    #MotivationalStory #HindiStories #HindiStory #StoryinHindi #Indian_Mythology_Stories_in_Hindi #Mythology #mahabharat #brchopra #stories #penbhakti

Komentáře • 112