*🔥होली की सच्ची कहानी आखिर क्यों जलाई जाती है क्यों मनाई जाती है* *मै "होलिका" बोल रही हूँ,* *"मेरे प्यारे अनार्य भाईयों और बहनों में आपकी बहन 'होलिका' बोल रही हूँ, वही होलिका जिसे हर साल आप जलाते हैं, और दूसरे दिन नशे में धुत्त होकर कीचड़ गोबर और रंगों से जीभर कर होली खेलकर खुशियां मानते हैं ।* *आज में वह सच्चाई बता रही हूँ, जो हजारों साल से इन झूंठे मक्कार फरेबी पाखंडी आर्यों ने आप लोगों से छुपाई है, कि उस रात मेरे साथ क्या हुआ था और मैं कैसे जली थी ?* *मेरा घर लखनऊ के पास हरदोई ज़िले में था, मेरे दो भाई थे राजा हिरण्याक्ष और राजा हिरण्यकश्यप। मेरे बड़े भाई राजा हिरण्याक्ष ने आर्यों द्वारा कब्ज़ा की हुई सम्पूर्ण भूमि को जीतकर अपने कब्ज़े में कर लिया था। यही से आर्यो ने अपनी दुश्मनी का षड़यंत्र रचना शुरू किया।* *मेरे भाई हिरण्याक्ष को विष्णु नामक आर्य राजा ने धोखे से मार डाला था। जिसकी वजह से मेरे छोटे भाई राजा हिरण्यकश्यप ने अपने भाई के हत्यारे विष्णु की पूजा पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। लेकिन हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद को विष्णु ने नारद नामक आर्य से जासूसी कराकर उसे गुमराह किया और अपने झांसे में लेकर घर में फूट डलवा दिया। प्रह्लाद गद्दार निकला और विष्णु से मिल गया तथा दुर्व्यसनों में पड़कर पूरी तरह आवारा हो गया। सुधार के तमाम प्रयास विफ़ल हो जाने पर राजा ने उसे घर से निकाल दिया।* *अब प्रह्लाद आर्यो की आवारा मण्डली के साथ रहने लगा, वह अव्वल नंबर का शराबी और आवारा बन गया। परंतु मेरा (होलिका) स्नेह अपने भतीजे प्रह्लाद के प्रति बना ही रहा। मैं अक्सर राजा से छुपकर प्रह्लाद को खाना खिलाने आती थी।* *फागुन माह की पूर्णिमा थी, मेरा विवाह तय हो चुका था, फागुन पूर्णिमा के दूसरे दिन ही मेरी बारात आने वाली थी। मैंने सोचा कि आखिरी बार प्रह्लाद से मिल लू, क्योंकि अगले दिन मुझे अपनी ससुराल जाना था। जब मैं प्रह्लाद को भोजन देने पहुंची तो प्रह्लाद नशे में इतना धुत था कि वह खुद को ही संभाल नहीं पा रहा था। फिर क्या था, प्रह्लाद की मित्र मण्डली (आर्यो) ने मुझे पकड़ लिया और मेरे साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इतना ही नहीं भेद खुलने के डर से उन लोगों ने मेरी हत्या भी कर दी और मेरी लाश को भी जला दिया।* *जब दूसरे दिन मेरे भाई राजा हिरण्यकश्यप को यह बात पता चली तो उन्होंने मेरे बलात्कारी हत्यारों को पकड़ लिया और उनके माथे पर तलवार की नोंक से 'अवीर' (अ+वीर अर्थात कायर) लिखवा कर उनके मुख पर कालिख पोतकर, जूते-चप्पल की माला पहनाकर पूरे राज्य में जुलुस निकलवाया। जुलुस जिधर से भी गया हर किसी ने उन बलात्कारी हत्यारे आर्यों पर कीचड़, गोबर, कालिख फ़ेककर उनका तिरस्कार किया ।* *परन्तु इन झूंठे फरेबी मक्कार पाखंडी आर्यो ने मेरी इस सहादत की सच्चाई को छुपाकर 'होलिका दहन' के रूप में एक त्योंहार बना दिया है, और आप लोग अपनी अज्ञानतावश इनके झांसे में आकर अपनी ही अनार्य बहन 'होलिका' को हर साल जलाकर दूसरे दिन नशे में धुत होकर एक दूसरे को कीचड़, गोबर, रंग लगाकर खुशियां मनाते हो ।* *में अपने अनार्य भाइयों से पूछना चाहती हूँ कि, आखिर आपकी यह बहन कब तक जलती रहेगी और आर्यों के झांसे में आकर अज्ञानता का यह खेल आप कब तक खेलते रहोगे ???"* *आपकी बहन होलिका*
@@brajeshkumarmaurya169 brahman log hari ushe kahte hai jisne hirnayachh ko suar ka bhesh banakar mara tha eudh me aary nahi jite toa chhal kaput karke mara tha
जय हिरण्यकशिप महाराज।
Bahut badhiya jankari hai. Dhanyabad.........from Kathmandu
हिर्णकश्यप् एक मूल निवाशी राजा था उसको ब्रह्मांड ने मारा कोई भगवान अवतार नही लिया ये सब बनावटी कहानियाँ है
Ye sach hai jhuthi kahani nhi hai
*🔥होली की सच्ची कहानी आखिर क्यों जलाई जाती है क्यों मनाई जाती है*
*मै "होलिका" बोल रही हूँ,*
*"मेरे प्यारे अनार्य भाईयों और बहनों में आपकी बहन 'होलिका' बोल रही हूँ, वही होलिका जिसे हर साल आप जलाते हैं, और दूसरे दिन नशे में धुत्त होकर कीचड़ गोबर और रंगों से जीभर कर होली खेलकर खुशियां मानते हैं ।*
*आज में वह सच्चाई बता रही हूँ, जो हजारों साल से इन झूंठे मक्कार फरेबी पाखंडी आर्यों ने आप लोगों से छुपाई है, कि उस रात मेरे साथ क्या हुआ था और मैं कैसे जली थी ?*
*मेरा घर लखनऊ के पास हरदोई ज़िले में था, मेरे दो भाई थे राजा हिरण्याक्ष और राजा हिरण्यकश्यप। मेरे बड़े भाई राजा हिरण्याक्ष ने आर्यों द्वारा कब्ज़ा की हुई सम्पूर्ण भूमि को जीतकर अपने कब्ज़े में कर लिया था। यही से आर्यो ने अपनी दुश्मनी का षड़यंत्र रचना शुरू किया।*
*मेरे भाई हिरण्याक्ष को विष्णु नामक आर्य राजा ने धोखे से मार डाला था। जिसकी वजह से मेरे छोटे भाई राजा हिरण्यकश्यप ने अपने भाई के हत्यारे विष्णु की पूजा पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। लेकिन हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद को विष्णु ने नारद नामक आर्य से जासूसी कराकर उसे गुमराह किया और अपने झांसे में लेकर घर में फूट डलवा दिया। प्रह्लाद गद्दार निकला और विष्णु से मिल गया तथा दुर्व्यसनों में पड़कर पूरी तरह आवारा हो गया। सुधार के तमाम प्रयास विफ़ल हो जाने पर राजा ने उसे घर से निकाल दिया।*
*अब प्रह्लाद आर्यो की आवारा मण्डली के साथ रहने लगा, वह अव्वल नंबर का शराबी और आवारा बन गया। परंतु मेरा (होलिका) स्नेह अपने भतीजे प्रह्लाद के प्रति बना ही रहा। मैं अक्सर राजा से छुपकर प्रह्लाद को खाना खिलाने आती थी।*
*फागुन माह की पूर्णिमा थी, मेरा विवाह तय हो चुका था, फागुन पूर्णिमा के दूसरे दिन ही मेरी बारात आने वाली थी। मैंने सोचा कि आखिरी बार प्रह्लाद से मिल लू, क्योंकि अगले दिन मुझे अपनी ससुराल जाना था। जब मैं प्रह्लाद को भोजन देने पहुंची तो प्रह्लाद नशे में इतना धुत था कि वह खुद को ही संभाल नहीं पा रहा था। फिर क्या था, प्रह्लाद की मित्र मण्डली (आर्यो) ने मुझे पकड़ लिया और मेरे साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इतना ही नहीं भेद खुलने के डर से उन लोगों ने मेरी हत्या भी कर दी और मेरी लाश को भी जला दिया।*
*जब दूसरे दिन मेरे भाई राजा हिरण्यकश्यप को यह बात पता चली तो उन्होंने मेरे बलात्कारी हत्यारों को पकड़ लिया और उनके माथे पर तलवार की नोंक से 'अवीर' (अ+वीर अर्थात कायर) लिखवा कर उनके मुख पर कालिख पोतकर, जूते-चप्पल की माला पहनाकर पूरे राज्य में जुलुस निकलवाया। जुलुस जिधर से भी गया हर किसी ने उन बलात्कारी हत्यारे आर्यों पर कीचड़, गोबर, कालिख फ़ेककर उनका तिरस्कार किया ।*
*परन्तु इन झूंठे फरेबी मक्कार पाखंडी आर्यो ने मेरी इस सहादत की सच्चाई को छुपाकर 'होलिका दहन' के रूप में एक त्योंहार बना दिया है, और आप लोग अपनी अज्ञानतावश इनके झांसे में आकर अपनी ही अनार्य बहन 'होलिका' को हर साल जलाकर दूसरे दिन नशे में धुत होकर एक दूसरे को कीचड़, गोबर, रंग लगाकर खुशियां मनाते हो ।*
*में अपने अनार्य भाइयों से पूछना चाहती हूँ कि, आखिर आपकी यह बहन कब तक जलती रहेगी और आर्यों के झांसे में आकर अज्ञानता का यह खेल आप कब तक खेलते रहोगे ???"*
*आपकी बहन होलिका*
Bhai jab tum logo ko pta hai to hmare log influence kyu nhi hai ye btao
@@sandipkumar6913 Sandeep g ye story mujhe # lga kar share taaki copy ho jaye please
@@AbhishekKumar-pz2wo Bhai jinko Jinko jankariya ho rahi hai vo log dhire se logo ko samja rahey hai
जय हो महाराज की जय हो महाराज की
जय हो कश्यप ऋषि 🙏🙏🙏🙏❤️❤️👍👍
रुषि नही थे वो राजा थे
हरदोई में यह मंदिर कहां पर है भाई
Mai svayam maharaj Hiranyakashyap ka Vanshaj hoon ,
Aap kis shahar se hain ?
Good work bhai
हिरण्यकश्यप का महल भी नहीं दिखाया जहां पर अभी स्कूल बन गया है
Nice video
Bundelkhand ka...erach town ye hai dist-jhansi...
Mast bro...
Jai hirnaksyap pasi
विष्णु मनुवादी राजा था।
तमीज सिख ले थोड़ी
Bhimta spotted🌚
jai maharaj parhalad kashyap 🙏🙏🙏
Kabhi yaha Aakar dekho...ye Prahalad Nagri erikachh"
भाई आपने प्रहलाद घाट नहीं दिखाया
Jay hirnakashyap maha Raja
जय श्री हरि ॐ 🚩👌
Bhai Lucknow चुंगी se बिलग्राम चुंगी जा रहे हो kya wahi road lag raha hai 🤣🤣
जय महर्षि कश्यप जी की।
Aapne jagah ka naam nahi bataya
जय महर्षि कश्यप जय सनातन धर्म
🙏🙏🙏
Bhai hiranyakashyap ka nhi Narsingh bhagwan ka mandir h
Shri Hari Vishnu bhagwan ki Jay
Hi mai bhi hardoi se hu 👍
Kya h sacaai
Real story kya hai?
@@RamRaj-my6qo story wahi hai jo dikhaya gya hai tv pe kuch hridrohi mante hai kuch ye ke yaha bhagwan do rupon me aye
@@divyasinghvloger8584 aap mujhe ye batao ki bhagwan Avatar leta hai ya nahi
@@divyasinghvloger8584 koi bhagwan diwar se kaise nikal sakta h
Hamara ya be h palad knd
Kashyap Bhayo apna Vanshajo ke yado ko samalaho
Bhai tum kashyap ho ya rajput ho
Suryavanshi Rajput.
ये गलत है यहा नही है गंगा के किनारे प्रहलादपुर गांव में गंगा के किनारे कोट हैं जो अब सब ढह गया है गंगा के किनारे हैं बहूत ऊचा हैं अब भी है
Jai narsingh
Maha jhunth
Bhot sharam ki baat hai yrrr agar ye baat sch hai to ki hmare logo ko apna hi ithihaas nhi pta
Bhai pura ithas inke parivar ka batao
ये हरी कौन था जिसे हिरणकश्यप नहीं मानता था
Bhagwan Vishnu ko Hari bhi kaha jata hai .
हरी कोई नही था सब ब्रह्मांडो का सडयंत्र है इनके बनाये हुए पाखंड को नही मानता था यही है सच्चाई
@@brajeshkumarmaurya169 brahman log hari ushe kahte hai jisne hirnayachh ko suar ka bhesh banakar mara tha eudh me aary nahi jite toa chhal kaput karke mara tha
@@brajeshkumarmaurya169chup bhimte
Hardoi matlab yaha Hari (bhagwan)ne do rupon me yaha pe aye lekin kuch log iska mtlb galat nikalte hai or hridrohi btate hai 👍
Bhai iska dono matlab hai
बुन्देलखण्ड के एरच में है
Bhktprhladkakilakhahea
Jitne bhi logo ne comments kare hai jinko pta thi
Ya per hari ne 2 bar janm liya is iska name haridoyi h
Bhai ji pakhandiyon ki dukan chal rahi hai yahan
Hirnakasyap bramha ki kabhi tapsya nahi karenge qyoki bramha videsh se aaya huaa ehudi dram ka veyakti tha
निषाद इस चीज को nhi समझ सकते
Konsa ganja fuke ho😂
Jhut bol raha hai pura nahi bta raha
Galat hai ek anushusut raja tha
A
Ab manufacturer bhut hogaya
Yeh baat jhut bolte ho
Pagal ye jhoothee kahani hai.
Jhooth ki kahani hai
Hardoiyya pakke dehatiye
😡😡😡😡😡
jhut
Ye galat hai....
Chuteya hai ka
Abe history padh le