क्या होती है सच्ची मूर्ति पूजा यह वीडियो देखकर जान जायेंगे || By स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज
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- čas přidán 3. 10. 2023
- स्वामी सच्चिदानंद जी महाराज
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नमस्ते जी 🙏 सम्पूर्ण सत्य वैदिक विचारधारा पर आधारित सन्देश
श्रद्धेय स्वामी जी, सादर नमस्ते 🎉
अंधो को सही राह बताने के लिए बधाई।
नयन सुख राम राम
Dhanyawad swamiji 🙏🙏
Ram ram guru ji🚩
स्वामी जी को शत् शत् नमन,,,,,, सतीश कुमार आर्य
ओम नमः शिवाय स्वामी जी नमस्ते
सादर नमन स्वामी जी🙏🙏🙏
महाराज जी प्रणाम जी, आप तो आज हम सभी को अन्दर से हिला दिया, 🪔 शुरु हो गया, मगर आप सभी को आम आदमी को ये बात जरुर प्रकाश डालन चहिए, की आगे किया करना चाहिए
🙏🙏🙏👏👏👏👌👌👌 राम जी राम जी राम
ૐ જય શ્રી રામ ૐ
Aap ne to aankhe khol diye thanks sant ji
ओ३म् क्रतो समर 🙏
चरण स्पर्श स्वामी जी।
Gurudev apke charanon me koti koti naman.
🕉🙏🙏🙏🙏🙏🙏जय हो आर्य समाज की।
आर्य समाज एक जाति नही है बल्कि एक विज्ञान है यानि बुध्दि विवेक से काम करने वाला वीर समाज है । अन्धविश्वास से दूर रहने वाला है । सनातन मे फैली हुई मलिनता पाप कर्म की निन्दा करता है । देवताओ की ईश्वर की निन्दा नही करता है बल्कि देवताओ की उपासना विवेक से करना सिखाता है ईश्वर की प्राप्ति का सरल तरीका बताता है । आर्य समाज उच्चतम कार्य करने वाला सनातन की शाखा है । पंडित सुखदेव
स्वामी जी बहुत बहुत धन्यवाद नमस्ते जी
Maharshi Dayanand Saraswati ji k sachche vansajo ko koti koti naman vandan
🕉🕉🙏🙏जय हो
Jay Shri Ram Guru Ji
नमस्ते स्वामी जी
Namaste Swami Ji Sadar Naman
नमस्ते स्वामी जी सादर नमस्ते स्वामी जी सादर नमन
श्रद्धेय स्वामी जी को शत् शत् नमन
एकमात्र धार्मिक रास्ता है आर्य समाज।ॐ
अति सुन्दर स्वामी जी 🙏🚩
जिन माता पिता ने हमें जन्म दिया उनको प्रणाम
जय श्री राम❤कृष्ण
गुरु जी❤
ओ३म् क्रतो समर 🙏
यही तो सर्वोचित सत्य है।
May you live long ! Guru jee sadar namaste.
सवामी जी सादर प्रणाम धन्यवाद आपका सही राह दिखाने के लिए
Bahut sunder. Sadar Naman Guruu
Jai sanatan dharma and arya samaj
maharaj apke jaise logon ka hume jab tak surya chand hai tabtak apka sath chai
Swamiji, you are doing a noble work for Arya Samaj as well as for the nation.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति जी
स्वामी जी भ्रम की स्थिति बन गई
Jai ho स्वामी जी
Jay Shri Ram
Svami apako shat shat naman sadar namaskar 5:17
Namaste Swamiji 🙏🙏🙏
मान्यवर स्वामी जी जब तक गुरुकुल शिक्षा पद्धति लागू नहीं होगी तब तक समाज का सुधार नहीं होगा
Radhe radhe guruji..
guru je ko sadar praman
🙏🙏🙏🙏🙏
Oum namaste ji guruji
Vedic Dharma ki Jay
Sita Ram
Koti koti pranam Aachary ji Jay shree Ram
🕉️
🙏🙏
🙏🙏🙏
Jai gurudev ji 🙏
मूर्ति पूजा नहीं मूर्ति के विचारों की पूजा करते हैं हम,
🎉
Namasteji nice
👏👏👏👏🕉️🕉️🕉️🕉️👏👏👏👏
Well said
0:49 0:51
🚩🚩🚩
कृपा बतायें भगवान कौन है
main bhi hindhu hoon aapki baato se sehmat hoon Indhu dharam sirf fhakand dharam ke naam pe lootna shoshan karnamandir ke naam pe dhongh yahi sab kuch chal raha 😢
Pranam, bhakti Marg ke liye murthi chahihe ya nahi
Aastha hi... Marriage
आर्य समाज हमारे देश के नहीं है ऐसा सुनने मे आता है कि ये दूसरे देश से हमारे देश मे आकर बस गये।
Ayodaya ka mandir kaya kahta hai
माता सबरी तो ऐसे ही राम राम कर रही थी😢 आर्य समाजी को प्रभु के नाम में कुछ दिखता ही नही😔
Aap Alwar Rajasthan m aana ved prachar karne ke liye
Sir AAP think kah the lekin Aaj Hindi Mandi murti pujak Jag haha hai
ARUN🚩🚩🚩🚩🚩😉
ASURONI VICHAR DHARA MEANS SWAMINARAN
Is baat ko kabhi bataayi nahi gayi
0:51
Kuchh log guruji seva bhi karte hain aadmiyon mein bhi Mandir dekhte hain aadmiyon ke andar bhi Bhagwan dekhte hain lekin Murti mein bhi unki Aastha Hoti hai to vah galat to nahin 🙏
Insan ki banai Moorti bhagwan nahi lekin bhagwan mein dhyan lagane ka madhyam hota hei. Agar shraddha sachi hei to bhagwan insan ki banai moorti se bhi ashirvad de sakti hein. Iske udharan meerabai aur narsi bhagat hein. Agar insaan bhagwan ki banai moorti hein to aisee bahut si moortiyan bhayanak hoti hein kyunki atankwadi bhi bhagwan ki banai moorti hue! Iska arth yeh hua ki bhagwan ki banai achhi aur kharaab moortiyan alag karni chahiye!
AabjailkobandkardenachahlyekyoklayHbgagwanbanayahai
Sat sat Naman swami gi🙏
Muje apse bat kar karni he kese ho sakti he ....
आप सत्यार्थ प्रकाश अवश्य पढ़े
स्वामी जी आप मूर्ति पूजा को नहीं मानते हैं और मूर्तियों की रक्षा करते हैं तो घर में क्यों नहीं रखते हैं ये तो दूसरे को मूर्ख बनाना है
apke bato men galat kuch nai
स्वामी जी जय श्री राम
आपके वीडियो देखता हूँ लेकिन इसमें मूर्ति को जो पत्थर की कहा गया है इससे मैं सहमत नहीं हूँ क्योंकि मन्दिरों में पत्थर की मूर्तियां तो हजारों लाखों वर्षों से पूजा जाता है शिवलिंग में क्या भगवान शिव को नहीं देखा जाता है प्रिभु श्री राम ने भी लंका पर आक्रमण करने से पहले श्री राम ने भी शिवलिंग बनाकर उसकी उपासना की थी जिसको राम रामेश्वर के नाम से जाना जाता है रहा मूर्तियों का जब भी मूर्तियां मन्दिर में स्थापित की जाती है तो सबसे पहले उसकी प्राणप्रतिष्ठा की जाती है उसके बाद ही वह पूजने के योग्य कहलाती है जिसमें प्राणप्रतिष्ठा की जाती है तो सम्भवतः उसमें भी प्राण शक्ति उत्पन्न हो जाती है उसके सामने जब भी हम अपना मस्तिष्क टेकते हैं तो वह भी हमारी प्रार्थना को स्वीकार करती है भले ही वह भोजन स्वीकार नहीं करती किन्तु प्रार्थना को तो जरूर सुनती है अगर ऐसा नही होता तो शायद इस धरती पर कोई भी मन्दिर नही होते और न ही कोई मन्दिरों की चौखटों पर अपना माथा रगड़ते भले ही इसको एक मनुष्य द्वारा पत्थर पर छैनी हथौड़े चलकर बनाया गया हो किन्तु जब यह मंदिर में इसकी प्राणप्रतिष्ठा हो जाती है तो इसमें भी सम्भवतः प्राण तो उतपन्न होते ही होंगें
आपने स्वामी जी को मूर्ति के बारे मे खरा खरा सटिक उतर दिया है । यदि देश मे सर्व देवताओ के मंदिर नही होते तो सब जगह मुल्लो की मस्जिदे होती ईशाईयो के सर्च ही होते । मंदिर कितने ही तोड़े पर जो मंदिर बच्चे तो सनातन धर्म भी बच गया है । वरना हम सब मुश्लिम हो जाते ।
वेद मे फिर मूर्ति मे प्राण प्रतिष्ठान का मंत्रा कहा से आया जब आर्य समाज वेद के नियम पर चलता है ,फिर आर्य समाज क्यू नही मूर्ति पूज रहे है ओर येसा बोला जाता है की प्राण प्रतिष्ठान
के दौरान कैसे सीसा टूट जाता है।
Alwar m kbhi ved prachar karne ke liye Arya samaji aate hi nahi hai
Musalman hi sahi karte hain inki Sobha Yatra pe aur murti pe Patthar marta hain .
जिस परमात्मा ने इंसान को बनाया वही इंसान कहता है परमात्मा निराकार है सत्यार्थ प्रकाश में परमात्मा की जगह पुरुष लिख रखा है क्या जरूरी था परमात्मा ही लिख देता खिचड़ी खोल दी कोई समझ ना ले ये ज्ञान था
SWAMINARAN MURDABAD.
Murti puja is perfect science
बात तो आप वेदों (ब्रह्म ज्ञान) की करते हो
परंतु आप का ज्ञान केवल शरीर की इंदिरियो, लाभ हानि, मन अपमान, केवल मेरा मार्ग सत्य बाकी सब गलत।
आप कहते है ईश्वर का अवतार नही होता फिर आप कैसे इस धरा पर आ गए।।
वेद के ही कहते है अहं ब्रह्मस्मि।
ईश्वर कण कण में व्याप्त है तो क्या वह प्रतिमा में क्यो नही होंगे।
ये आप की अज्ञानता है।।
आप अपने मार्ग पर चले ये तो ठीक है, परंतु केवल आप का ही मार्ग सत्य है बाकी सब गलत तो महाशय ये केवल आप की मूर्खता है।।
आप क्या जानो वैदिक पूजा और प्राण प्रतिष्ठा, श्रद्धा, विश्वास, मंत्र
महाशय कभी कभी तो बाते तो ब्रह्म ज्ञान की करते है और फिर आप का ज्ञान शरीर के इंद्रियों तक ही सीमित होता है।।
पहली बात तो हम शरीर नहीं आत्मा है।।
और आत्मा परमात्मा का अंश है, अर्थात आत्मा परमात्मा है ये तो सब जानते है। (अहं ब्रह्मस्मि)
एक मृत शरीर है जिससे आत्मा निकल चुकी है क्या उसमे इतनी क्षमता है की वो कोई वस्तु बना सकती है
और एक जीवित शरीर अर्थात आत्मा उसमे विद्यमान है इससे अनेक कार्य हो सकते है।
हमारे शरीर चलायमान है जिसमे आत्मा की उपस्थिति की प्रधानता है।। अर्थात ईश्वर (आत्मा)ही हमारे शरीर को चला रहे है इससे होने वाले प्रत्येक कार्य ईश्वर की शक्ति (आत्मीय बाल) से ही है
ये बात तो सोचना ही मूर्खता है की इंसान का शरीर कुछ बना सकता है
दिखता अवश्य है की इंसान ने इस प्रतिमा को बनाए परंतु ऐसा नहीं है
अब ऐसा भी नही है की इंसान बुरे आचरण करे और ईश्वर पर थोप दे।
इससे अच्छे और बुरे कार्य यह एक अलग विषय है।
Nahi hai
🙏🙏