दूसरा अध्याय - (स्थिर बुद्धि पुरुष के लक्षण और उनकी महिमा )
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- čas přidán 5. 09. 2024
- ॐ नमः शिवाय 🙏 दोस्तों
मन की उलझने उलझाती हैं
उलझन ही हमारे अस्ततिव का
परिचय हो जाती है।
पूर्णता के चाह की उलझन
आध्यात्म का द्वार खोलती है
आध्यात्म, आत्म अध्ययन करती है
और उस उच्च सोर्स से जोड़ती है जो
हमारा मूल है।
तब सारी उलझन समाप्त हो
सिर्फ आत्मा ही रह जाती है
जो परमात्मा की अभिवक्त्यी मात्र
है।...जो स्वमं है।🙏💐😊
❤❤❤❤ राधे राधे