Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है। तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ। अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं। इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)| अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ। औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है। औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ। लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना (उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी) "आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3 Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है। तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ। अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं। इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)| अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ। औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है। औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ। लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना (उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी) "आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3 Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
*मरने के बाद अगर पता चला अल्लाह है तो क्या होगा* *हरीश कुमार* ये इंसान फिजिक्स में PHD के बाद भारत की एक महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी में लेक्चरर पोस्ट हुआ। हिन्दू_धर्म से पहले से ही ये असन्तुष्ट हो गया था। सन् 1986 में लन्दन में दौरान ए तालीम स्टीफन_हाकिन्स के लेक्चरस और किताबो से ऐसा परिचित हुआ कि खुदा का मुनकिर हो गया। और ऐसा मुनकिर हुआ कि बड़े बड़े मुस्लिम,`क्रिश्चियन॔,और यहूदी उलेमा से भरपूर बहसें करता। यहाँ तक कि *डाॅ ज़ाकिर नाइक* भी इसे प्रभावित न कर सके। डाॅ हरीश कुमार बताते हैं कि सन् 2005 की छुट्टी के एक दिन की सुबह मुस्लिम सब्जी फरोश ने घन्टी बजाई। हम पिछले बीस सालों से सब्जी इसी से खरीद रहे थे। उस दिन मैंने उसे चाय की आॉफर की तो उसने कुबूल कर ली और आदत के मुताबिक मैने खुदा के वजूद पर बहस शुरू कर दी। आधा घंटा की बातचीत से मालूम हुआ कि वो एक सीधा साधा मुसलमान है, जो पांच टाइम नमाज़ पढ़ता है.और सौदे में साफगौ और ईमानदार था।मुनासिब दामों में सौदा बेचता था। आखिर में जाते समय उसने एक ऐसी बात कही जिसने मेरी जिंदगी ही बदल दी थी। बोला डाॅ जी तुम ने खुद बोला कि लगभग 6000 से 10000 साल से मानव इतिहास में पैगम्बरो की कहानियां चल रही हैं और सब के सब एक अल्लाह और जन्नत_दोज़ख की बात करते हैं और आपकी #साइंस मरने के बाद के हालात का जवाब ही नहीं दे सकती। तो अब 2 ही सम्भावनाएं हैं _ 1_*अल्लाह का वजूद नहीं है* 2_*अल्लाह का वजूद है* अगर तो अल्लाह का वजूद ना हुआ तो मरने के बाद हम दोनों बराबर होंगे लेकिन अगर अल्लाह मौजूद हुआ तो फिर आप तो पकड़े जायेंगे। दोनों सूरतों में फायदे में कौन हुआ,आप खुद फैसला कर लेना। इस लिए बेहतर ये है कि अल्लाह को मान ले।और उसके कहने पर चलें।उस का कलाम तो इनसान को सीधे रास्ते पर चलने को कहता है। मैने सारी जिंदगी probability के लेक्चरस दिये, लेकिन उसके जाने के बाद सोचा कि इस probability की तरफ तो मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया कि दोनों सूरतों में अल्लाह को मानने वाला ही फायदे में है। किस्सा मुख्तसर ये कि अब इस सोच के बाद ख्याल आया कि कोनसा आसमानी मज़हब बेहतर है। धर्मो का अध्ययन तो मुझे पहले ही काफी था।डाॅ जाकिर नाइक के एक लेक्चर में 1400 साल से कुरआन मजीद का एक एक शब्द एक होने का सुना था, तो इग्लैंड में क्रिश्चियन मिशनरी इन्स्टीट्यूट से इसकी हकीकत मालूम की तो सबने इस बात की पुष्टि की। अलहमदुलिल्लाह आज मुझे और मेरे सारे घर को मुसलमान हुए पन्द्रह साल हो गये। मै इस्लामी शिक्षाओ के लिए केरला शिफ्ट हो गया। अब मेरी तीन बेटियां हैं जो हाफिज़_ए_कुरआन है। और उस करीम ने मेरी जिंदगी ही बदल दी।लेकिन उस सब्जी वाले अब्दुल अहद से दोबारा मेरी मुलाकात न हो सकी, लेकिन मैंने इसलाम कुबूल करने के बाद अपना नाम भी अहद रखा क्योंकि वह सब्ज़ी वाला एक सच्चा मुसलमान था। Islam darshan Kendra 18002000787
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है। तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ। अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं। इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)| अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ। औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है। औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ। लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना (उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी) "आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3 Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
फिर बकवास करने से कुछ नहीं होता है वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है फिर मुफ्त में क्यों तू प्रियंका के आगे होता है प्रियंका कोई खुदा नहीं है वह तेरे से जुदा नहीं है ना तुझसे ज्यादा कल बंद है ना ही ज्यादा हुनरमंद है क्यों पंप दे रहा है और उसे से रहा है तेरे लिए वह 72 हूरों से अधिक नहीं है और उसके लिए तू वोटों से अधिक नहीं है
@@laxmikantgupta9228 aap kiya bakwaas kar rahe ho aapto manota ke dushman ho aap kiya samazhte ho hamesha aap hi ki satta rahegi ,,,yah soch aapki nadaani ko darshata hai aapko maaloom hona chahiye ki . Kufr se sarkar to chal sakti hai aur chal bhi rahi hai magar zulm se sarkar kabhi nahi chal sakti hai ,,chahe wah zalim koi bhi ho
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है। तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ। अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं। इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)| अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ। औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है। औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ। लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना (उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी) "आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3 Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
*मरने के बाद अगर पता चला अल्लाह है तो क्या होगा* *हरीश कुमार* ये इंसान फिजिक्स में PHD के बाद भारत की एक महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी में लेक्चरर पोस्ट हुआ। हिन्दू_धर्म से पहले से ही ये असन्तुष्ट हो गया था। सन् 1986 में लन्दन में दौरान ए तालीम स्टीफन_हाकिन्स के लेक्चरस और किताबो से ऐसा परिचित हुआ कि खुदा का मुनकिर हो गया। और ऐसा मुनकिर हुआ कि बड़े बड़े मुस्लिम,`क्रिश्चियन॔,और यहूदी उलेमा से भरपूर बहसें करता। यहाँ तक कि *डाॅ ज़ाकिर नाइक* भी इसे प्रभावित न कर सके। डाॅ हरीश कुमार बताते हैं कि सन् 2005 की छुट्टी के एक दिन की सुबह मुस्लिम सब्जी फरोश ने घन्टी बजाई। हम पिछले बीस सालों से सब्जी इसी से खरीद रहे थे। उस दिन मैंने उसे चाय की आॉफर की तो उसने कुबूल कर ली और आदत के मुताबिक मैने खुदा के वजूद पर बहस शुरू कर दी। आधा घंटा की बातचीत से मालूम हुआ कि वो एक सीधा साधा मुसलमान है, जो पांच टाइम नमाज़ पढ़ता है.और सौदे में साफगौ और ईमानदार था।मुनासिब दामों में सौदा बेचता था। आखिर में जाते समय उसने एक ऐसी बात कही जिसने मेरी जिंदगी ही बदल दी थी। बोला डाॅ जी तुम ने खुद बोला कि लगभग 6000 से 10000 साल से मानव इतिहास में पैगम्बरो की कहानियां चल रही हैं और सब के सब एक अल्लाह और जन्नत_दोज़ख की बात करते हैं और आपकी #साइंस मरने के बाद के हालात का जवाब ही नहीं दे सकती। तो अब 2 ही सम्भावनाएं हैं _ 1_*अल्लाह का वजूद नहीं है* 2_*अल्लाह का वजूद है* अगर तो अल्लाह का वजूद ना हुआ तो मरने के बाद हम दोनों बराबर होंगे लेकिन अगर अल्लाह मौजूद हुआ तो फिर आप तो पकड़े जायेंगे। दोनों सूरतों में फायदे में कौन हुआ,आप खुद फैसला कर लेना। इस लिए बेहतर ये है कि अल्लाह को मान ले।और उसके कहने पर चलें।उस का कलाम तो इनसान को सीधे रास्ते पर चलने को कहता है। मैने सारी जिंदगी probability के लेक्चरस दिये, लेकिन उसके जाने के बाद सोचा कि इस probability की तरफ तो मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया कि दोनों सूरतों में अल्लाह को मानने वाला ही फायदे में है। किस्सा मुख्तसर ये कि अब इस सोच के बाद ख्याल आया कि कोनसा आसमानी मज़हब बेहतर है। धर्मो का अध्ययन तो मुझे पहले ही काफी था।डाॅ जाकिर नाइक के एक लेक्चर में 1400 साल से कुरआन मजीद का एक एक शब्द एक होने का सुना था, तो इग्लैंड में क्रिश्चियन मिशनरी इन्स्टीट्यूट से इसकी हकीकत मालूम की तो सबने इस बात की पुष्टि की। अलहमदुलिल्लाह आज मुझे और मेरे सारे घर को मुसलमान हुए पन्द्रह साल हो गये। मै इस्लामी शिक्षाओ के लिए केरला शिफ्ट हो गया। अब मेरी तीन बेटियां हैं जो हाफिज़_ए_कुरआन है। और उस करीम ने मेरी जिंदगी ही बदल दी।लेकिन उस सब्जी वाले अब्दुल अहद से दोबारा मेरी मुलाकात न हो सकी, लेकिन मैंने इसलाम कुबूल करने के बाद अपना नाम भी अहद रखा क्योंकि वह सब्ज़ी वाला एक सच्चा मुसलमान था। Islam darshan Kendra 18002000787
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है। तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ। अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं। इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)| अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ। औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है। औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ। लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना (उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी) "आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3 Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है। तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ। अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं। इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)| अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ। औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है। औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ। लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना (उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी) "आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3 Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है। तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ। अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं। इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)| अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ। औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है। औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ। लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना (उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी) "आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3 Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
Sonu Nigam ko achha jawab diya... Kashmir pr aapka nazm aaj desh ko sunnane ki bht zaroorat hai...Hope Congress comes back in power and u represent people in parliament 💙❤️
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है। तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ। अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं। इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)| अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ। औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है। औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ। लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना (उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी) "आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3 Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
I am from Nepal.. I am a hindu..but religious a way of heaven..whatever whoever I believe..just believe...just being human everyone...all gods are saying same....we love each other & respect as well....God ye duniya ko santi banaye rakhe...hum sab vai vai...banke rahe..yahi meri puja..aur koi nahi duja😥😥😥
एकात्मवाद मे हिन्दु - मुस्लिम जैसा द्वन्द्व नही होता ! भारत माता के सब सन्तान समान है ! जब चोट मुस्लिम को लगती है तो दर्द हिन्दु को होता है ! हिन्दु को चोट लगती है तो पीडा मुस्लिम को होती है !अंततोगत्वा समगच्छध्वं सं वदध्वम् ...........
चाक है जिगर फिर भी आए हैं रफ़ू करके , जाएँगे हक़ीक़त से तुमको रु बरु करके , प्यार की बड़ी इससे ओर मिसाल क्या होगी , हम नमाज़ पढ़ते हैं गंगा में वुज़ू करके । इमरान प्रतापगढ़ी
इमरान भाई सुनकर मेरे को बहुत अच्छा लगा इसी बनाते रहना कोड भाई बहुत अच्छा आपको जरूर अच्छा ही मिलेगा 10 लोगों को किया कि आपको भी मिलेगा अल्लाह आप को जन्नत
Khao khud par bharosa khatam ho gaya politics me koi sahi nahi aur ek baat nrc me sabse phele asad saheb ne bola warna kuch pata bhi calta gaand phaar ke rakh dega Ye modi aur congres
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है। तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ। अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं। इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)| अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ। औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है। औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ। लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना (उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी) "आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3 Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
*मरने के बाद अगर पता चला अल्लाह है तो क्या होगा* *हरीश कुमार* ये इंसान फिजिक्स में PHD के बाद भारत की एक महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी में लेक्चरर पोस्ट हुआ। हिन्दू_धर्म से पहले से ही ये असन्तुष्ट हो गया था। सन् 1986 में लन्दन में दौरान ए तालीम स्टीफन_हाकिन्स के लेक्चरस और किताबो से ऐसा परिचित हुआ कि खुदा का मुनकिर हो गया। और ऐसा मुनकिर हुआ कि बड़े बड़े मुस्लिम,`क्रिश्चियन॔,और यहूदी उलेमा से भरपूर बहसें करता। यहाँ तक कि *डाॅ ज़ाकिर नाइक* भी इसे प्रभावित न कर सके। डाॅ हरीश कुमार बताते हैं कि सन् 2005 की छुट्टी के एक दिन की सुबह मुस्लिम सब्जी फरोश ने घन्टी बजाई। हम पिछले बीस सालों से सब्जी इसी से खरीद रहे थे। उस दिन मैंने उसे चाय की आॉफर की तो उसने कुबूल कर ली और आदत के मुताबिक मैने खुदा के वजूद पर बहस शुरू कर दी। आधा घंटा की बातचीत से मालूम हुआ कि वो एक सीधा साधा मुसलमान है, जो पांच टाइम नमाज़ पढ़ता है.और सौदे में साफगौ और ईमानदार था।मुनासिब दामों में सौदा बेचता था। आखिर में जाते समय उसने एक ऐसी बात कही जिसने मेरी जिंदगी ही बदल दी थी। बोला डाॅ जी तुम ने खुद बोला कि लगभग 6000 से 10000 साल से मानव इतिहास में पैगम्बरो की कहानियां चल रही हैं और सब के सब एक अल्लाह और जन्नत_दोज़ख की बात करते हैं और आपकी #साइंस मरने के बाद के हालात का जवाब ही नहीं दे सकती। तो अब 2 ही सम्भावनाएं हैं _ 1_*अल्लाह का वजूद नहीं है* 2_*अल्लाह का वजूद है* अगर तो अल्लाह का वजूद ना हुआ तो मरने के बाद हम दोनों बराबर होंगे लेकिन अगर अल्लाह मौजूद हुआ तो फिर आप तो पकड़े जायेंगे। दोनों सूरतों में फायदे में कौन हुआ,आप खुद फैसला कर लेना। इस लिए बेहतर ये है कि अल्लाह को मान ले।और उसके कहने पर चलें।उस का कलाम तो इनसान को सीधे रास्ते पर चलने को कहता है। मैने सारी जिंदगी probability के लेक्चरस दिये, लेकिन उसके जाने के बाद सोचा कि इस probability की तरफ तो मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया कि दोनों सूरतों में अल्लाह को मानने वाला ही फायदे में है। किस्सा मुख्तसर ये कि अब इस सोच के बाद ख्याल आया कि कोनसा आसमानी मज़हब बेहतर है। धर्मो का अध्ययन तो मुझे पहले ही काफी था।डाॅ जाकिर नाइक के एक लेक्चर में 1400 साल से कुरआन मजीद का एक एक शब्द एक होने का सुना था, तो इग्लैंड में क्रिश्चियन मिशनरी इन्स्टीट्यूट से इसकी हकीकत मालूम की तो सबने इस बात की पुष्टि की। अलहमदुलिल्लाह आज मुझे और मेरे सारे घर को मुसलमान हुए पन्द्रह साल हो गये। मै इस्लामी शिक्षाओ के लिए केरला शिफ्ट हो गया। अब मेरी तीन बेटियां हैं जो हाफिज़_ए_कुरआन है। और उस करीम ने मेरी जिंदगी ही बदल दी।लेकिन उस सब्जी वाले अब्दुल अहद से दोबारा मेरी मुलाकात न हो सकी, लेकिन मैंने इसलाम कुबूल करने के बाद अपना नाम भी अहद रखा क्योंकि वह सब्ज़ी वाला एक सच्चा मुसलमान था। Islam darshan Kendra 18002000787
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है। तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ। अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं। इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)| अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ। औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है। औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ। लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना (उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी) "आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3 Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है। तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ। अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं। इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)| अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ। औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है। औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ। लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना (उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी) "आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3 Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
Masha Allah ... REVOLUTIONARY thinking ... You've nicely nailed the ISSUES, have been going on for few years in bjp raaj ... May Allah BLESS you so that you can be SUCCESSFUL in this LIFE and HEREAFTER ...
Wah wah! Imran sir wah! Wah! Aapke wichar agar Sabhi bare logon ko samajh me aajayegi to ham aaj bolte hain ki hamara hindustaan mahan hai magar Kal dekhenge ki hamara Bharat mahan hai. Salam aapke shayari aapke sonch aapke bhagti aapke bol par
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है। तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ। अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं। इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)| अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ। औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है। औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ। लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना (उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी) "आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3 Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
Voice or shayri zabardast alfaz main bian nahin karsakta imran bahai love you Allahtallah apki hifazat karye porye din apko sunta hon Dil hi nahin bahrta hai amjad Khan from Pakistan karachi
आरती और अज़ान से मिलकर बना है हिंदुस्तान..
जिंदाबाद इमरान सर❤️
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है।
अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा।
कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना।
किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।
तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।
अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|
अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।
औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।
अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3
Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
@@Itzarif1729 66qwqqqu😢
Nmskarasalamalykomsskalkisanaktazindhbadkoghraspathizindhbadokadharothitabamybizypigayhaoamyatochlyzagitanysashiabtoazchydinaygiainshalhokzyhin86
😅
Wah wah wah
@@Itzarif1729❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
भाई इमरान तुम बहुत अच्छी बोल रहे हो राष्ट्रीय एकता पर बोलने के लिए हमारी तरफ से धन्यवाद बहुत-बहुत धन्यवाद
इंसानियत का जीता जागता वजूद जियो हजारों साल इमरान प्रतापगढ़ी,,, आंसू निकल आए भाई जान 👌👌👌👌🇮🇳🇮🇳
Aap jesea agar hazaro log ho to pori donyan me a hindustan awwal bomber par yoga ,,,,😍😍😍😍😍😍😍,11111nomber imran sahab
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है।
अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा।
कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना।
किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।
तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।
अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|
अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।
औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।
अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3
Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
*मरने के बाद अगर पता चला अल्लाह है तो क्या होगा*
*हरीश कुमार*
ये इंसान फिजिक्स में PHD के बाद भारत की एक महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी में लेक्चरर पोस्ट हुआ।
हिन्दू_धर्म से पहले से ही ये असन्तुष्ट हो गया था।
सन् 1986 में लन्दन में दौरान ए तालीम स्टीफन_हाकिन्स के लेक्चरस और किताबो से ऐसा परिचित हुआ कि खुदा का मुनकिर हो गया। और ऐसा मुनकिर हुआ कि बड़े बड़े मुस्लिम,`क्रिश्चियन॔,और यहूदी उलेमा से भरपूर बहसें करता। यहाँ तक कि *डाॅ ज़ाकिर नाइक* भी इसे प्रभावित न कर सके।
डाॅ हरीश कुमार बताते हैं कि सन् 2005 की छुट्टी के एक दिन की सुबह मुस्लिम सब्जी फरोश ने घन्टी बजाई। हम पिछले बीस सालों से सब्जी इसी से खरीद रहे थे। उस दिन मैंने उसे चाय की आॉफर की तो उसने कुबूल कर ली और आदत के मुताबिक मैने खुदा के वजूद पर बहस शुरू कर दी। आधा घंटा की बातचीत से मालूम हुआ कि वो एक सीधा साधा मुसलमान है, जो पांच टाइम नमाज़ पढ़ता है.और सौदे में साफगौ और ईमानदार था।मुनासिब दामों में सौदा बेचता था।
आखिर में जाते समय उसने एक ऐसी बात कही जिसने मेरी जिंदगी ही बदल दी थी। बोला
डाॅ जी तुम ने खुद बोला कि लगभग 6000 से 10000 साल से मानव इतिहास में पैगम्बरो की कहानियां चल रही हैं और सब के सब एक अल्लाह और जन्नत_दोज़ख की बात करते हैं
और आपकी #साइंस मरने के बाद के हालात का जवाब ही नहीं दे सकती।
तो अब 2 ही सम्भावनाएं हैं _
1_*अल्लाह का वजूद नहीं है*
2_*अल्लाह का वजूद है*
अगर तो अल्लाह का वजूद ना हुआ तो मरने के बाद हम दोनों बराबर होंगे लेकिन अगर अल्लाह मौजूद हुआ तो फिर आप तो पकड़े जायेंगे।
दोनों सूरतों में फायदे में कौन हुआ,आप खुद फैसला कर लेना।
इस लिए बेहतर ये है कि अल्लाह को मान ले।और उसके कहने पर चलें।उस का कलाम तो इनसान को सीधे रास्ते पर चलने को कहता है।
मैने सारी जिंदगी probability के लेक्चरस दिये, लेकिन उसके जाने के बाद सोचा कि इस probability की तरफ तो मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया कि दोनों सूरतों में अल्लाह को मानने वाला ही फायदे में है।
किस्सा मुख्तसर ये कि अब इस सोच के बाद ख्याल आया कि कोनसा आसमानी मज़हब बेहतर है। धर्मो का अध्ययन तो मुझे पहले ही काफी था।डाॅ जाकिर नाइक के एक लेक्चर में 1400 साल से कुरआन मजीद का एक एक शब्द एक होने का सुना था, तो इग्लैंड में क्रिश्चियन मिशनरी इन्स्टीट्यूट से इसकी हकीकत मालूम की तो सबने इस बात की पुष्टि की।
अलहमदुलिल्लाह आज मुझे और मेरे सारे घर को मुसलमान हुए पन्द्रह साल हो गये।
मै इस्लामी शिक्षाओ के लिए केरला शिफ्ट हो गया।
अब मेरी तीन बेटियां हैं जो हाफिज़_ए_कुरआन है। और उस करीम ने मेरी जिंदगी ही बदल दी।लेकिन उस सब्जी वाले अब्दुल अहद से दोबारा मेरी मुलाकात न हो सकी, लेकिन मैंने इसलाम कुबूल करने के बाद अपना नाम भी अहद रखा क्योंकि वह सब्ज़ी वाला एक सच्चा मुसलमान था।
Islam darshan Kendra 18002000787
Theks
Abhi bhi insaniyat h bhai Desh me lag raha h sukriya pyare bhai
अज़ान वह आवाज है जो कायनात में हर पल गूंजती रहती है।
Nice
BESHAK
Beshak bhai dil se slluut
@@imranjolha3198 - Bhai dil se thanks
Beshak 💯
Bhai aaj first time apko suna or Ahsas hua ki aap Allah k nek bande ho😌
Hi
Mim
🙏❤❤❤❤👌🔙
#÷146£÷/¥!>4 346 .@"&( 》5
@@maisarkhan5370 Kya likha he Bhai
Wah imran bhai wah is najm ko jitani baar bhi sunu dil nahi bharta! I salute you ❤❤❤sir!!!
बहोत खूब..........
इमरान भाई आपकी बात में जादू है।आपकी आवाज हमारे मुल्क को आज़ाद करा सकती है इन बेईमानो से,जो हमारे ऊपर जुल्म कर रहे है।👌👌👌👌👌👌👍👍👍👍
Bhai ISLAM ki shaan hain aap..
Sher dil hai, sahab aap.....
Allah aapko hamesha khush Rakhe..
Jis din is duniya mei Azan ki Sada nahi aayegi, Raat hei reh jayegi subha nahi aayegi. 👌👍👌👌👌
Right✔
Very good Imran Bhai...
Khuda aapko neki aur barakkat de...
Kawali0
.
@@afsanabegam4884 kuch likho to sahi
Wah bhai jaan
Hi
ईमरान भाई रुलादीया आपने , आप ईस देश की ऐसेही सेवा करते रहना आपको उपरवाला लंबी उम्र दे .......
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है।
अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा।
कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना।
किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।
तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।
अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|
अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।
औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।
अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3
Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
Imran pertabgari tumhari himmat or jurrat ko Salam Bashir Ahmed from Karachi Pakistan.
कभी ना होगी बन्द अज़ान.👍अल्हमदुलीलाह.....
आरती और अज़ान से मिलके बना है हिंदुस्तान💪माशाअल्लाह
फिर बकवास करने से कुछ नहीं होता है वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है फिर मुफ्त में क्यों तू प्रियंका के आगे होता है प्रियंका कोई खुदा नहीं है वह तेरे से जुदा नहीं है ना तुझसे ज्यादा कल बंद है ना ही ज्यादा हुनरमंद है क्यों पंप दे रहा है और उसे से रहा है तेरे लिए वह 72 हूरों से अधिक नहीं है और उसके लिए तू वोटों से अधिक नहीं है
💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪
@@laxmikantgupta9228 aap kiya bakwaas kar rahe ho aapto manota ke dushman ho aap kiya samazhte ho hamesha aap hi ki satta rahegi ,,,yah soch aapki nadaani ko darshata hai aapko maaloom hona chahiye ki . Kufr se sarkar to chal sakti hai aur chal bhi rahi hai magar zulm se sarkar kabhi nahi chal sakti hai ,,chahe wah zalim koi bhi ho
@@laxmikantgupta9228 /
Kaash ki ye baat sach hoti 😢
Aao uttarpradesh ke Noida me....aake dekho 😭😭😭😭😭😭😭😭
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।।।।
राष्ट्र एकता पर बोलने के लिए। ।।।।
Hii
Vare good
Hii
Vare
p
बेहतरीन कलाकार, भगवान आपको लंबी आयु और हिम्मत दे ।
Nice
Nice
Nice
अबे सिसोदिये मा के लौडे,मैं सिसोदिया तू साले दोगला इस भड्वे का फैन,,,,इसने साबित कर दीया की ये देशद्रोही हैं,congres में सामिल हो के,,,,,,,
Hi
सच्ची कंडीसन की जिक्र करने वाला एक इंसान है
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है।
अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा।
कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना।
किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।
तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।
अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|
अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।
औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।
अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3
Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
*मरने के बाद अगर पता चला अल्लाह है तो क्या होगा*
*हरीश कुमार*
ये इंसान फिजिक्स में PHD के बाद भारत की एक महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी में लेक्चरर पोस्ट हुआ।
हिन्दू_धर्म से पहले से ही ये असन्तुष्ट हो गया था।
सन् 1986 में लन्दन में दौरान ए तालीम स्टीफन_हाकिन्स के लेक्चरस और किताबो से ऐसा परिचित हुआ कि खुदा का मुनकिर हो गया। और ऐसा मुनकिर हुआ कि बड़े बड़े मुस्लिम,`क्रिश्चियन॔,और यहूदी उलेमा से भरपूर बहसें करता। यहाँ तक कि *डाॅ ज़ाकिर नाइक* भी इसे प्रभावित न कर सके।
डाॅ हरीश कुमार बताते हैं कि सन् 2005 की छुट्टी के एक दिन की सुबह मुस्लिम सब्जी फरोश ने घन्टी बजाई। हम पिछले बीस सालों से सब्जी इसी से खरीद रहे थे। उस दिन मैंने उसे चाय की आॉफर की तो उसने कुबूल कर ली और आदत के मुताबिक मैने खुदा के वजूद पर बहस शुरू कर दी। आधा घंटा की बातचीत से मालूम हुआ कि वो एक सीधा साधा मुसलमान है, जो पांच टाइम नमाज़ पढ़ता है.और सौदे में साफगौ और ईमानदार था।मुनासिब दामों में सौदा बेचता था।
आखिर में जाते समय उसने एक ऐसी बात कही जिसने मेरी जिंदगी ही बदल दी थी। बोला
डाॅ जी तुम ने खुद बोला कि लगभग 6000 से 10000 साल से मानव इतिहास में पैगम्बरो की कहानियां चल रही हैं और सब के सब एक अल्लाह और जन्नत_दोज़ख की बात करते हैं
और आपकी #साइंस मरने के बाद के हालात का जवाब ही नहीं दे सकती।
तो अब 2 ही सम्भावनाएं हैं _
1_*अल्लाह का वजूद नहीं है*
2_*अल्लाह का वजूद है*
अगर तो अल्लाह का वजूद ना हुआ तो मरने के बाद हम दोनों बराबर होंगे लेकिन अगर अल्लाह मौजूद हुआ तो फिर आप तो पकड़े जायेंगे।
दोनों सूरतों में फायदे में कौन हुआ,आप खुद फैसला कर लेना।
इस लिए बेहतर ये है कि अल्लाह को मान ले।और उसके कहने पर चलें।उस का कलाम तो इनसान को सीधे रास्ते पर चलने को कहता है।
मैने सारी जिंदगी probability के लेक्चरस दिये, लेकिन उसके जाने के बाद सोचा कि इस probability की तरफ तो मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया कि दोनों सूरतों में अल्लाह को मानने वाला ही फायदे में है।
किस्सा मुख्तसर ये कि अब इस सोच के बाद ख्याल आया कि कोनसा आसमानी मज़हब बेहतर है। धर्मो का अध्ययन तो मुझे पहले ही काफी था।डाॅ जाकिर नाइक के एक लेक्चर में 1400 साल से कुरआन मजीद का एक एक शब्द एक होने का सुना था, तो इग्लैंड में क्रिश्चियन मिशनरी इन्स्टीट्यूट से इसकी हकीकत मालूम की तो सबने इस बात की पुष्टि की।
अलहमदुलिल्लाह आज मुझे और मेरे सारे घर को मुसलमान हुए पन्द्रह साल हो गये।
मै इस्लामी शिक्षाओ के लिए केरला शिफ्ट हो गया।
अब मेरी तीन बेटियां हैं जो हाफिज़_ए_कुरआन है। और उस करीम ने मेरी जिंदगी ही बदल दी।लेकिन उस सब्जी वाले अब्दुल अहद से दोबारा मेरी मुलाकात न हो सकी, लेकिन मैंने इसलाम कुबूल करने के बाद अपना नाम भी अहद रखा क्योंकि वह सब्ज़ी वाला एक सच्चा मुसलमान था।
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@@Itzarif1729 p
Allah kare app jaise, hazaroo bande de humare mulk me. Wahh.. Arti aur Azan se banna hai Hindustan
Masa Alla👌👌👌💝
Very very good
Mashallaha good thoughts
Shukriya ,Pankaj ki,Dil jit liye Apne.
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है।
अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा।
कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना।
किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।
तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।
अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|
अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।
औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।
अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3
Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
Good gift hi Imran bhi Jo apkay dil se itna dard bhara speach daytay hi,jay hind
इमरान भाई आपमे और कुमार विश्वास मे बहुत कुछ समानताएं है ।
काबिलेतारीफ 👌👌👌👌👌
Wah Imran bhai masha allah
Correct
कुमार साहब से इनकी बात न किया करो भाई
कुमार सबाह कुमार सबाह है
Good
Aap rula dete hai..Imran bhai..Such me...
Love you bhaiya......
ਕੁਲ ",ਤ੍
बेहतरीन जानदार शानदार और प्रेरणा-दायक, इमरान भाई
Good imran bhai
Shukriya bhai
नजर वाले को हिन्दू और मुसलमान दिखता
मैं अँधा हूँ साहब मुझे तो हर शख्स में इन्सान दिखता है।।।।।👍👍
100% Right sir
HTTP
Supr.bhi
Bahut sundar kaha hai bhai
Right sahab
Aarti aur aajan se milke banta hai Hindustan ye line mughe achha laga super bhai aap ki tarah agar pure Hindustan ke yuvao ka shoch ho to
thanks bade bhai
👍👍👍👍👌👌👌
Aap KI Tarah Sab Ki Sonch Nahi HOTI Bhai
super
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है।
अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा।
कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना।
किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।
तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।
अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|
अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।
औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।
अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3
Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
इमरान खान प्रतापगढ़ी ज़िंदाबाद
तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं
SAEED.KHAN.
MO.9575604769.
Jis din duniya me azan ki awaz nahi ayegi , raat hi rah jayegi subha nahi aayegi ,.,ye Allah ka Farman hai
Band kar trail kar hi le .hm bhi dekhte Hai .1400 year phle na allah word tha na Islam .phir bhi din tha raat tha
Aapko Allah Hamesha Kushi de aapko Allah hajaron umate aur logo ko acche se Yeh Mohabbatein ka najme logo ko Sunate Rahe dhanyavad
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है।
अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा।
कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना।
किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।
तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।
अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|
अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।
औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।
अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3
Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
Aameen summa aameen
@@Itzarif1729 khj
Sonu Nigam ko achha jawab diya... Kashmir pr aapka nazm aaj desh ko sunnane ki bht zaroorat hai...Hope Congress comes back in power and u represent people in parliament 💙❤️
Rohan Kumar Thakur thanks sir
@@khantajjuddinkhan9105 9131006278
Lekin aaise logo ko log chunte nhi hai sir
Kyuki aaj bhi log muslim se nafrat karte hai
Suno nigam najayez hi
Kabhi na hogi band azan
Kabhi na hogi band azan
Aarti or azan se milkar
Bane hain hindustan
Kabhi na hogi band azan❤❤
Bohot khub imran bhai
उन हिंदू भाई अभी भी देश को एकता के लिए दुआ मांग रहे उन पर गर्व होना चाहिए
Nice Khan bhai
Raza Akhta
.
Aarti aur aajan se milkar bna hai Hindustan 👌👌🙏🙏
Wow right
۸
@@suhelkhan4555 ۲ق
@mdtabir ahmad njkpppp
.
B
Good line
कभी ना होगी बंद अज़ान,, कभी ना होंगी बंद अज़ान,, इंशाह अल्लाह
प्यार सांसे है,अपनी मर्जी नहीं...
खुदा का नाम है,खुदगर्जी नहीं...
S❤️s
Surinder,, bismill,,...
🙏❤️🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Bhai jan bhagwan aap ko bahut lambi umar de taki aap esi trah public ko jagruk karte rhe
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है।
अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा।
कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना।
किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।
तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।
अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|
अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।
औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।
अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3
Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
Very nice👍
@@Itzarif1729 on
Suhanalla bahut acche Allah chodo Ko Duniya Mein aap ki jarurat hai bhai jaan Imran Pratapgarhi Asalam Walekum
@@Itzarif1729 .
Imran ji aapk hr lafz dil me utar gai aankhe nam h aapki voise masha-allha
Thanks
Ha Yar miya Bhai hai n Jo bolenge oo dil se bolenge
You are the greatest secular hindu
Very nice such hi
😭
हम तो बस इस देश में शान्ति चाहते हैं जो सभी मजहब बालो को मिलकर करना हैं ये देश हमारा हैं ये समझना होगा ।
kaushal pandit sharma Agree
Ji blkul shi bat h sir
Thank u sir
नमन आप की कलाकारी को🙏🙏🙏🙏
Imaran partapgadi baijan aap ko salam
Ramzan Mubarak brother
जागरूक कविवर को सलाम।
I am from Nepal.. I am a hindu..but religious a way of heaven..whatever whoever I believe..just believe...just being human everyone...all gods are saying same....we love each other & respect as well....God ye duniya ko santi banaye rakhe...hum sab vai vai...banke rahe..yahi meri puja..aur koi nahi duja😥😥😥
सभी एससी/एसटी मुस्लिमों के साथ हमेशा खड़े हैं। हमारी एकता इन अंधभक्तों को मिलकर हराएगी।
इमरान जी आप मुस्लिमो को मुस्लिम बना लो ये तोड़ने वाले यू ही मिट जायेगे।
आपको मेरा प्यार भरा सलाम।
Amin Kumar कहने का मतलब धूल अपने चरित्र पर
Nice
amin kumar bhi meretarf se aap ko slam
Nice think
Very very nice bhai
Wah ! Aarti OR Ajaan se Milkar Bana h 🇮🇳Hindusthan..... 🇮🇳🙏🙏🙏🙏
Kas ye samajh har hindustani men aajaye
Jai hind
Wah great sir Aarti aur ajaan se Bana hai Hindustan
.m
mashallah imran bhai allh aapko humesha aise hi himat de i love imran bhai
I love you lmran bhai
Shandar bhae jindabad
Hats off to you Imaran Pratapgarhi ! Excellent, Heart Touching
जिस दिन इस दुनिया मे अजां की, सदा नही आयेगी ।
रात ही रह जायेगी उस दिन, सुबह नही आयेगी।
Beshak
🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣
Behsak
Beshaq
Sidh
भाई. जान.आप.की..तकरीर. का. मजा. आगया.... हिंदूशतान. जिदाबाद..
Very few
Kitni baar dekhu dil bharta hi nhi hai... Anmol ho aap sir allah apko apni hifazat me rakhe
हा मै कश्मीर हूं, हा मै कश्मीर हूं ।।
❤️❤️❤️❤️❤️❤️😪😥
A beautiful voice which is show our condition in own country. May you live long IMRAN bhai.
jitni भी तारीफ की जाये आप की कम है इमरान भाई
Subhanallah
Hi
Chand baba Baba ्
एकात्मवाद मे हिन्दु - मुस्लिम जैसा द्वन्द्व नही होता ! भारत माता के सब सन्तान समान है ! जब चोट मुस्लिम को लगती है तो दर्द हिन्दु को होता है ! हिन्दु को चोट लगती है तो पीडा मुस्लिम को होती है !अंततोगत्वा समगच्छध्वं सं वदध्वम् ...........
imranprtapgdspich
Bhai aap jese logo ko dil se Salam h jo itna acha sochte h
Good bro
Bhaijohn apki soch ko kardo bar naman salute hai❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤may you help god sirji. ❤
बेशक
भाई अल्लाह ताला आपको लंबी उम्र दें और खुश रखें
वाह। आरती और अजान से मिलकर बने है हिंदुस्तान। जय हो।
maurya puru Kiran ok
maurya puru Kiran 786 सामीम
Love you Imrangi
Pakistan bhi Bana tha azaan se hi
Masaha Allah bhai Nice
इमरान प्रतापगढी जय हो विजयी हो
567
इमब रान भाई काबिलेतारीफ है
Nice
@@masiullahalam754
Ok
Sonu nigam Randi ki aulad tayri maa ko ...
चाक है जिगर फिर भी आए हैं रफ़ू करके ,
जाएँगे हक़ीक़त से तुमको रु बरु करके ,
प्यार की बड़ी इससे ओर मिसाल क्या होगी ,
हम नमाज़ पढ़ते हैं गंगा में वुज़ू करके ।
इमरान प्रतापगढ़ी
❤
Nice
Khan Mubarak
💓💓
Good
इमरान भाई सुनकर मेरे को बहुत अच्छा लगा इसी बनाते रहना कोड भाई बहुत अच्छा आपको जरूर अच्छा ही मिलेगा 10 लोगों को किया कि आपको भी मिलेगा अल्लाह आप को जन्नत
Wah kya Baat hai Imran bhai
First time Apka suna hun
Bahut hi lajawab
इमरान भाई तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं
Imran bhai ko kon kon pasand karte hai like kare
8h 8
@@zainkathawala9011 n#nn;:@b;
Khao khud par bharosa khatam ho gaya politics me koi sahi nahi aur ek baat nrc me sabse phele asad saheb ne bola warna kuch pata bhi calta gaand phaar ke rakh dega Ye modi aur congres
आप जिंदा दिल इंशान हो इमरान भाई
Super
You are right
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है।
अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा।
कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना।
किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।
तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।
अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|
अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।
औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।
अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3
Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
*मरने के बाद अगर पता चला अल्लाह है तो क्या होगा*
*हरीश कुमार*
ये इंसान फिजिक्स में PHD के बाद भारत की एक महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी में लेक्चरर पोस्ट हुआ।
हिन्दू_धर्म से पहले से ही ये असन्तुष्ट हो गया था।
सन् 1986 में लन्दन में दौरान ए तालीम स्टीफन_हाकिन्स के लेक्चरस और किताबो से ऐसा परिचित हुआ कि खुदा का मुनकिर हो गया। और ऐसा मुनकिर हुआ कि बड़े बड़े मुस्लिम,`क्रिश्चियन॔,और यहूदी उलेमा से भरपूर बहसें करता। यहाँ तक कि *डाॅ ज़ाकिर नाइक* भी इसे प्रभावित न कर सके।
डाॅ हरीश कुमार बताते हैं कि सन् 2005 की छुट्टी के एक दिन की सुबह मुस्लिम सब्जी फरोश ने घन्टी बजाई। हम पिछले बीस सालों से सब्जी इसी से खरीद रहे थे। उस दिन मैंने उसे चाय की आॉफर की तो उसने कुबूल कर ली और आदत के मुताबिक मैने खुदा के वजूद पर बहस शुरू कर दी। आधा घंटा की बातचीत से मालूम हुआ कि वो एक सीधा साधा मुसलमान है, जो पांच टाइम नमाज़ पढ़ता है.और सौदे में साफगौ और ईमानदार था।मुनासिब दामों में सौदा बेचता था।
आखिर में जाते समय उसने एक ऐसी बात कही जिसने मेरी जिंदगी ही बदल दी थी। बोला
डाॅ जी तुम ने खुद बोला कि लगभग 6000 से 10000 साल से मानव इतिहास में पैगम्बरो की कहानियां चल रही हैं और सब के सब एक अल्लाह और जन्नत_दोज़ख की बात करते हैं
और आपकी #साइंस मरने के बाद के हालात का जवाब ही नहीं दे सकती।
तो अब 2 ही सम्भावनाएं हैं _
1_*अल्लाह का वजूद नहीं है*
2_*अल्लाह का वजूद है*
अगर तो अल्लाह का वजूद ना हुआ तो मरने के बाद हम दोनों बराबर होंगे लेकिन अगर अल्लाह मौजूद हुआ तो फिर आप तो पकड़े जायेंगे।
दोनों सूरतों में फायदे में कौन हुआ,आप खुद फैसला कर लेना।
इस लिए बेहतर ये है कि अल्लाह को मान ले।और उसके कहने पर चलें।उस का कलाम तो इनसान को सीधे रास्ते पर चलने को कहता है।
मैने सारी जिंदगी probability के लेक्चरस दिये, लेकिन उसके जाने के बाद सोचा कि इस probability की तरफ तो मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया कि दोनों सूरतों में अल्लाह को मानने वाला ही फायदे में है।
किस्सा मुख्तसर ये कि अब इस सोच के बाद ख्याल आया कि कोनसा आसमानी मज़हब बेहतर है। धर्मो का अध्ययन तो मुझे पहले ही काफी था।डाॅ जाकिर नाइक के एक लेक्चर में 1400 साल से कुरआन मजीद का एक एक शब्द एक होने का सुना था, तो इग्लैंड में क्रिश्चियन मिशनरी इन्स्टीट्यूट से इसकी हकीकत मालूम की तो सबने इस बात की पुष्टि की।
अलहमदुलिल्लाह आज मुझे और मेरे सारे घर को मुसलमान हुए पन्द्रह साल हो गये।
मै इस्लामी शिक्षाओ के लिए केरला शिफ्ट हो गया।
अब मेरी तीन बेटियां हैं जो हाफिज़_ए_कुरआन है। और उस करीम ने मेरी जिंदगी ही बदल दी।लेकिन उस सब्जी वाले अब्दुल अहद से दोबारा मेरी मुलाकात न हो सकी, लेकिन मैंने इसलाम कुबूल करने के बाद अपना नाम भी अहद रखा क्योंकि वह सब्ज़ी वाला एक सच्चा मुसलमान था।
Islam darshan Kendra 18002000787
sahi kaha hai bhai
imran bhai maja a gaya
Gjb
Bhai Muslim kisi ka bura nhi chahte Jo hameri madat karte hai hmesha ham unko apna san mante hai
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है।
अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा।
कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना।
किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।
तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।
अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|
अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।
औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।
अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3
Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
What a greatfool Mushyara Imraan bhai The power of UP
Thank you bhai
Super
Aysi-aawaz-aur'aysa-dard-bahut-kam-sunai-deti-hai-salamat-raho-amin
इमरान प्रतापगढि जिन्दा बाद ❤❤❤❤
Real man who spoke about
Dirty politics
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है।
अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा।
कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना।
किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।
तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।
अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|
अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।
औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।
अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3
Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
Allahhuakber 🌹 SubhaanAllah Allahhuakber 🌹 SubhaanAllah Allahhuakber 🌹 SubhaanAllah Allahhuakber 🌹 SubhaanAllah Allahhuakber 🌹 SubhaanAllah Allahhuakber 🌹 SubhaanAllah Allahhuakber 🥀 SubhaanAllah SubhaanAllah 🌼 SubhaanAllah 🥀
ना दैर-ओ-हरम हौते, ना नाम-ए-,खुदा हौता...
इमान हर किसी का, जो लफ्जे़-बफा हौता...
S❤️s
Surinder,, bismill,,...
🙏❤️🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ایسے ماں باپ کو لاکھوں سلام جس نے تم جیسے بیٹے کو پیدا کیا اللہ تعالی اپ کی عمر لمبی کر ے
The best heart touching shayeri of Imran which unites the people of all religions in his few lines of his poetry he teaches the lesson of humanity .
कभी बिहार मे आएगा आप आरा जिला मे
Love❤ From Pakistan🇵🇰🇵🇰
😂😂🤣🤣
जो लोग इस कमेंट को पढ़ रहे हैं अल्लाह उनकी मेहनत को सफलता दे। हिम्मत रखिए एक दिन आप जरूर कामयाब होगे।।❤️❤️🙏🙏
वाह इमरान भाई आपको मेरी भी उम्र लग जाए इस हिंदुस्तान को एक करने के लिए इंशा अल्लाह आपको अल्लाह ऐसी बरकत अदा फरमाए
Masha Allah Imran pratabghari is my favourite poet and i always heard to him
mai jmu kadhmir se hu sach mai rula diya aapne
Sonali Sharma tujhe jb Kashmir me Mara tha tb aasu nhi aaye the
Sonali Sharma I love kashmeer
@@devesh-ss2iu vai me bajarang
Dal se ho is Randi musalman se shadi Kiya hoga
Sonali Sharma .g.by
Sarkar.bekar.hai.apnee.ijatt.aap.bacahwo.sonali.g
Masha Allah Aap ne Bahuthi achi moshyra padhi hai. imran bhai
Aap to Lajawab hai aapka koi jawaab nahi
Masha Allah ...
REVOLUTIONARY thinking ...
You've nicely nailed the ISSUES, have been going on for few years in bjp raaj ...
May Allah BLESS you so that you can be SUCCESSFUL in this LIFE and HEREAFTER ...
Mm
Bohot khoob, May Allah bless you abundantly, I really impressed
Shabash Mr Imran Sahib kamal ki Shayery karte ho Aap, mazaa A gia Ji, 🇬🇧🇱🇷🇮🇳🇵🇰👀🙏👍🏼📢 !!!
dil jeet lete ho pratapgarhe bhai
aap jaise logo ke zarurat h hindustan ko
Allah pak apki hifazath kare IMRAN bhai,baate apki puri dil se aati hai
Allah pak apkihamesahifazatkarelmranbhaijaan
Mera Bharat Tera ek hissa huu mai.......
Wow Gajab
Kabile__tarif bro....
Allah Salamat Rakhe Aapko
Dil ko chu liya Aapne
Good shayri
Masallah, masallah, masallah
Super se bhi upar h aapki abaj aur jis lahje me aap gate h bhakto ki Watt lag gayee h
masha allah allah aapko taraqi de umre daraz ata (aameen)
allah umr daraz kare apki
waseem
Ameen
Princess Faaiza AAMIN SOMMA AAMIIN
Princess Faaiza
I love you so much mere Bhai. It shows the true pain of a True Indian Muslims.
Aarti aur azan se milkar bana hai Hindustan..
Love you bhai
Imran Bhai aap ki nazam Han main Kashmir I like it
اے اللہ عمران بہائ کی ہر طرح حفاظت فرما
Wah wah! Imran sir wah! Wah!
Aapke wichar agar Sabhi bare logon ko samajh me aajayegi to ham aaj bolte hain ki hamara hindustaan mahan hai magar Kal dekhenge ki hamara Bharat mahan hai. Salam aapke shayari aapke sonch aapke bhagti aapke bol par
Dard bhara ek dum reality! Love from Bangalore
Jab tk dunya ha tb tk azan kbi band na ho ge
Excellent👍👏😆 bhai jaan....
SubhaanAllah SubhaanAllah 🌼 SubhaanAllah 🥀 SubhaanAllah SubhaanAllah MasaaAllah 🥀 SubhaanAllah SubhaanAllah 🌼🌻
IMRAN BRAVE YOUR OPENION SHOULD BE EXPENDED.
Bhai aap bhi prhte nbi s.a.w ki batein
हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: प्यारे भाइयो! मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो। ऐ इंसानो! तुम्हारा रब एक है।
अल्लाह की किताब और उसके रसूल की सुन्नत को मजबूती से पकड़े रहना।
लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़याल रखना, ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा।
कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब न भटकना।
किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर, प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा(धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है।
तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ।
अज्ञानता के तमाम विधान और नियम मेरे पाँव के नीचे हैं।
इस्लाम आने से पहले के तमाम ख़ून खत्म कर दिए गए। (अब किसी को किसी से पुराने ख़ून का बदला लेने का हक़ नहीं) और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान का ख़ून-रबीआ इब्न हारिस का ख़ून- ख़त्म करता हूँ (यानि उनके कातिलों को क्षमा करता हूँ)|
अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं और सबसे पहले मैं अपने ख़ानदान में से अब्बास इब्न मुत्तलिब का ब्याज ख़त्म करता हूँ।
औरतों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा औरतों पर और औरतों का तुम पर अधिकार है।
औरतों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूँ कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ।
लोगो! याद रखो, मेरे बाद कोई नबी नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं।
अत: अपने रब की इबादत करना, प्रतिदिन पाँचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना, अपने पालनहार के घर का हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञापालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे।
ऐ लोगो! क्या मैंने अल्लाह का पैग़ाम तुम तक पहुँचा दिया! (लोगों की भारी भीड़ एक साथ बोल उठी-) हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! (तब हजरत मुहम्मद स. ने तीन बार कहा) ऐ अल्लाह, तू गवाह रहना
(उसके बाद क़ुरआन की यह आखिरी आयत उतरी)
"आज मैंने तुम्हारे लिए दीन (सत्य धर्म) को पूरा कर दिया और तुम पर अपनी नेमत (कृपा) पूरी कर दी". Quran 5:3
Reference: See Al-Bukhari, Hadith 1623, 1626, 6361
Voice or shayri zabardast alfaz main bian nahin karsakta imran bahai love you Allahtallah apki hifazat karye porye din apko sunta hon Dil hi nahin bahrta hai amjad Khan from Pakistan karachi
Well done "kabhi na hogi band Azan inshaallah ,"
Bhai Jan bohat khub
Very nice
Great bhai
Aap k naam bhi history m zaroor aayga insha'Allah
Aap bahut achcha nazm pda apne
Mashallah great imran bhai sahab