गरीबदास का शून्य | अशोक चक्रधर की कविता पर टेलीप्ले | Hasya Kavita Ghareebdas | Ashok Chakradhar
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- čas přidán 11. 06. 2021
- भ्रष्टाचारी लोग अच्छे-अच्छों के कान काट लेते हैं. भैंस के कान तो कट ही गए!!!
'गरीबदास का शून्य' डॉ. अशोक चक्रधर की एक प्रसिद्ध और तीस वर्ष पुरानी कविता है. यह उसी का फ़िल्मांतरण है. आप पाएंगे कि कविता आज भी प्रासंगिक है.
इस टेलीप्ले का निर्देशन श्री मुकेश शर्मा ने किया है.
पात्र
गरीबदास
गरीबदास का साला
मुस्तंडा-1
मुस्तंडा-2
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🙏 बहुत सुन्दर प्रस्तुति 🌹🌹
गरीबी की रेखा और रेखा की गरीबी। वाह ये अपने दिया है, पता नही कितने इसे मंचो पर भुनाते फिरते थे।
Bahut Sundar 🙏
❤❤
excellent
We made a play on it called "Kaan Ban Shan" . The play was beautifully directed by shree Rajeev Sinha ji. I thank to ashok chakradhar ji for such a beautiful and satire ful poetry.
बहुत ही सुन्दर रचना एवम अभिव्यक्ति..... अंत बहुत ही मार्मिक है।
आदरणीय अशोक चक्रधर जी,
गजब है कवि महोदय को प्रणाम
Bhut sundr guru g
Guruji aajkal update band kar diya channel par 🙏🙏🙏
Spectacular
Bahot sahi kataksh sir...Pranam.. Geetanjali kashyap
Mughain lga ye keval mughain yaad hain..
ये आवाज़ किसकी है.........