बसंत पंचमी || सरस्वती मां की आरती | ॐ जय सरस्वती माता | Saraswati Mata Aarti | सरस्वती माता की पूजा

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  • čas přidán 22. 08. 2024
  • बसंत पंचमी || सरस्वती मां की आरती | ॐ जय सरस्वती माता | Saraswati Mata Aarti | सरस्वती माता की पूजा
    ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता
    सद्‍गुण वैभव शालिनी, सद्‍गुण वैभव शालिनी
    त्रिभुवन विख्याता
    जय जय सरस्वती माता
    जय सरस्वती माता जय जय सरस्वती माता
    सद्‍गुण वैभव शालिनी, सद्‍गुण वैभव शालिनी
    त्रिभुवन विख्याता
    जय जय सरस्वती माता
    चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी
    मैया ध्रुति मंगलकारी
    सोहें शुभ हंस सवारी, सोहें शुभ हंस सवारी
    अतुल तेजधारी जय जय सरस्वती माता
    बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला
    मैया दाएं कर में माला
    शीश मुकुट मणि सोहे शीश मुकुट मणि सोहे
    गल मोतियन माला
    जय जय सरस्वती माता
    देवी शरण जो आए उनका उद्धार किया
    मैय्या उनका उद्धार किया
    बैठी मंथरा दासी बैठी मंथरा दासी
    रावण संहार किया
    जय जय सरस्वती माता
    विद्यादान प्रदायनि ज्ञान प्रकाश भरो
    चलके ज्ञान प्रकाश भरो
    मोह अज्ञान की निरखा मोह अज्ञान की निरखा
    जग से नाश करो
    जय जय सरस्वती माता
    धूप दीप फल मेवा माँ स्वीकार करो
    माँ स्वीकार करो
    ज्ञानचक्षु दे माता ज्ञानचक्षु दे माता
    जग निस्तार करो
    जय जय सरस्वती माता
    माँ सरस्वती जी की आरती जो कोई जन गावै
    मैय्या जो कोई जन गावै
    हितकारी सुखकारी हितकारी सुखकारी
    ज्ञान भक्ति पावै
    जय जय सरस्वती माता
    माँ सरस्वती जी की आरती जो कोई जन गावै
    मैय्या जो कोई जन गावै
    हितकारी सुखकारी हितकारी सुखकारी
    ज्ञान भक्ति पावै
    जय जय सरस्वती माता
    बसंत पंचमी का दिन देवी सरस्वती की पूजा के लिए समर्पित है, जो हिंदू धर्म में ज्ञान, कला और संगीत की देवी मानी जाती हैं. इस दिन लोग मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं और देवी को किताबें आदि चढ़ाते हैं. इस दिन स्नान कर पीले रंग के कपड़े पहनते हैं. इस दिन पीला रंग पहनना उत्सव का एक अहम हिस्सा है
    पंचमी तिथि का समाप्न 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 9 मिनट पर होगा। उदया तिथि में पंचमी तिथि 14 फरवरी को होने से 14 फरवरी को ही बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। बसंत पंचमी की पूजा करने के लिए 14 फरवरी 2024 को सुबह 7 बजकर 1 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक पूजा के लिए शुभ मुहूर्त है।
    वेसे हर्र शुक्रवार ( शुक्रवार ) माँ सरस्वती को समर्पित है।
    यदि देवी सरस्वती का जन्म नक्षत्र मूल नक्षत्र है, तो मूल में जन्मी महिलाओं को अच्छा क्यों नहीं माना जाता है? -
    पीला रंग हिंदू धर्म में एक शुभ रंग माना जाता है और वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा के दौरान इसका विशेष महत्व होता है। पीला रंग देवी सरस्वती से जुड़ा हुआ है क्योंकि यह उनका पसंदीदा रंग है।
    शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल बसंत पंचमी (Basant Panchami 2024) माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 13 फरवरी को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट से 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 9 मिनट तक है. मां सरस्वती (Ma Saraswati) की पूजा के लिए 14 फरवरी को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा.
    प्रसंग के अनुसार सरस्वती जी ब्रह्मा जी की बेटी थीं। ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के बाद सरस्वती जी को अपने तेज से उत्पन्न किया था। इसीलिए यह कहा जाता है कि सरस्वती जी की कोई मां नहीं थी। सरस्वती जी को विद्या की देवी कहा जाता है।
    विद्या की देवी मां सरस्वती का अवतार कैसे हुआ था? एक मान्यता अनुसार ब्रह्मा ने उन्हें अपने मुख से प्रकट किया था। एक अन्य पौराणिक उल्लेख अनुसार देवी महालक्ष्मी (लक्ष्मी नहीं) से जो उनका सत्व प्रधान रूप उत्पन्न हुआ, देवी का वही रूप सरस्वती कहलाया।
    पौराणिक कथा के अनुसार, जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना का कार्य संपन्न कर दिया तो उन्होंने पाया कि सृष्टि में सबकुछ है, लेकिन सब मूक, शांत और नीरस है. तब उन्होंने अपने कमंडल से जल निकाला और छिड़क दिया, जिससे मां सरस्वती वहां पर प्रकट हो गईं. उन्होंने अपने हाथों में वीणा, माला और पुस्तक धारण कर रखा था.
    जब तक माता सरस्वती पहुंची, उन्हें को हुआ कि भगवान ब्रह्मा ने अनुष्ठान पूरा करने के लिए देवी गायत्री से पहले ही विवाह कर लिया है। इस बात से क्रोधित होकर माता सरस्वती ने भगवन ब्रह्मा को श्राप दे दिया।

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