भगवान विष्णु ने नारद का अहंकार कैसे तोडा... Dhanvantri Das Ji

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  • čas přidán 11. 06. 2024
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Komentáře • 6

  • @seemajadawat7658
    @seemajadawat7658 Před 27 dny

    🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 हर हर महादेव

  • @pushpendrakumarpushpendra6735

    बहुत सुंदर कथा ❤जय श्री राधे 🙏

  • @praveentiwari3202
    @praveentiwari3202 Před 24 dny

    ... जय श्री राम जय श्री कृष्ण

  • @swadeshdolai9398
    @swadeshdolai9398 Před 26 dny

    Har Har mahadev 💖 ♥️

  • @kailashkunwarjadawat7784

    ❤🎉❤ जय जय श्री कृष्ण जी

  • @ramakantchaturvedi7068

    भगवान अपने भक्त का स्वाभिमान तो रखते हैं लेकिन अभियान तोड़ देते हैं
    क्योंकि भक्त को अभिमान नहीं होना चाहिए
    एक बार किसी अभियान के कारण नारद जी माया के चक्कर में पड़ गए और भगवान की माया ने उन्हें रुला दिया नारद जैसे संत योगी कामवासना से इतनी ग्रसित हो गए की माया की विश्व मोहिनी को देखकर और हस्तरेखा में लिखा था कुछ समझ गये,कुछ,
    भगवान विष्णु भगवान ने बता दिया नारद या माया हमको भी बंधन में फंसा देती है तुम क्या जानते हो।
    नारद,उर,अंकरएहउ,भारी
    बेगि,हो,मैं,डारिहों,उठायी,,माया,का,
    दबदबा,,,
    माया तेरी बड़ी कठिन है राम
    ब्रह्मा को ब्याह की विष्णु को व्यापी व्यापी जग अभिराम।
    नारद बाबा को ऐसी व्यापी कर दी नींद हराम,
    ये माया तेरी बड़ी कठिन है राम,
    विष्णु ब्रह्म तेहि,जात डराई
    इन,जीव,केही,लेंगे,माहीं।
    विश्व मोहिनी की हस्तरेखा में लिखा था जो इसका वर्णन करेगा वह
    पहले से अमर होना चाहिए
    लेकिन नारद जी ने पढ़ा उल्टा की जो विशेष विवाह करेगा वह अमर हो, जायैगा,
    फिर क्या था,
    जप,तप ना हो ही तेहि,काला,
    हे विधि मिले कवन विधि वाला।