जय जय शिव शंकर || Bhole Baba Bhajan || Jai Jai Shiv Shankar || Shiv Shankar Special Bhajan || Bhajan

Sdílet
Vložit
  • čas přidán 12. 01. 2024
  • जय जय शिव शंकर || Bhole Baba Bhajan || Jai Jai Shiv Shankar || Shiv Shankar Special Bhajan || Bhajan
    शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है।
    शिव या महादेव सनातन संस्कृति में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि कई नामों से भी जाना जाता है।
    अलग-अलग पुराणों में भगवान शिव और विष्णु के जन्म के विषय में कई कथाएं प्रचलित हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को स्वयंभू माना गया है जो कि विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु स्वयंभू हैं। विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा, भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए जबकि शिव, भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए हैं।
    शिव पुराण में भगवान शिव द्वारा श्रीराम का ध्यान लगाने की बात कही गई है. इसके बारे में एक कथा प्रचलित है कि एक बार माता पार्वती ने शिव के ध्यान से उठने के बाद शिव से पूछा कि आप तो स्वयं ही देवों के देव हैं, इसलिए तो आपको देवाधिदेव कहते हैं.
    शिवजी को भोलेनाथ, शंकर, महेश, नीलकंठ, रुद्र, गंगाधर आदि जैसे कई नामों से जाना जाता है.
    शिव एक हिंदू देवता के रूप में कई भूमिकाएँ निभाते हैं। वह महान तपस्वी, प्रजनन क्षमता के स्वामी, विष और औषधि के स्वामी और मवेशियों के भगवान हैं। उनकी संयुक्त भूमिकाएँ हिंदू धर्म में एक ही अस्पष्ट आकृति में पूरक गुणों को देखने की प्रवृत्ति का अनुकरणीय हैं।
    हीं महादेव के सबसे बड़े भक्त में महाज्ञानी माने जाने वाले दसमुख रावण को माना गया है.
    जबकि एक मान्यता के मुताबिक ये महीना शिव-पार्वती के मिलन का महीना है। पार्वती जी ने शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था जिसके बाद शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए थे, जब वो उनके समक्ष प्रकट हुए थे, वो महीना 'सावन' का था।
    धर्मशास्त्रों में हरि के 24 अवतारों का वर्णन है, उसी प्रकार 'हर' के 19 अवतारों का उल्लेख है. यहां आज हम आपको शिव महापुराण में बताए गए शिव जी के कुछ अंश अवतारों का उल्लेख करेंगे. शिवजी ने कई रुद्रावतार लिए, जिनमें 11वें रुद्र अवतार महावीर हनुमान माने गए हैं. शिवजी का पहला स्वरूप 'महाकाल' को माना गया है.
  • Hudba

Komentáře • 5

  • @anilkumarchaudhry8986
    @anilkumarchaudhry8986 Před 5 měsíci +1

    श्री शिवाय नमस्तुभ्यं ❤ ❤❤❤❤