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दंग लीला, कृष्ण पांडव युध्द भाग -2 (महाभारत कथा) गायक - कीरत सिंह गुर्जर / Dang Leela Part -2

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  • čas přidán 19. 05. 2024
  • कृष्ण पांडव युद्ध, जिसे दंग लीला के रूप में भी जाना जाता है, महाभारत का एक महत्वपूर्ण भाग है। दंग लीला का तात्पर्य महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध में भगवान कृष्ण द्वारा पांडवों की सहायता करने और इस युद्ध में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका से है। इसमें कृष्ण की रणनीति, उनकी नीतियों, और उनके द्वारा पांडवों को दिए गए महत्वपूर्ण उपदेशों का वर्णन है।
    दंग लीला की प्रमुख बातें:
    1. कृष्ण की भूमिका:
    - कृष्ण ने युद्ध में भाग लेने से पहले पांडवों और कौरवों को शांति का प्रस्ताव रखा, लेकिन कौरवों ने इसे अस्वीकार कर दिया।
    - उन्होंने पांडवों की ओर से सारथी के रूप में भूमिका निभाई, विशेषकर अर्जुन के सारथी के रूप में।
    2. भगवद गीता का उपदेश:
    - युद्ध के आरंभ में, अर्जुन ने अपने प्रियजनों और गुरुओं को युद्धभूमि में देखकर युद्ध लड़ने से मना कर दिया।
    - तब कृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया, जिसमें उन्होंने कर्म, धर्म, और भक्ति का महत्व समझाया। उन्होंने अर्जुन को बताया कि वह एक क्षत्रिय का धर्म निभा रहा है और धर्म की रक्षा के लिए युद्ध आवश्यक है।
    3. रणनीति और चालें:
    - कृष्ण ने कई महत्वपूर्ण रणनीतियों का निर्माण किया, जैसे भीष्म पितामह को परास्त करने के लिए शिखंडी का उपयोग, और कर्ण के युद्ध में रथ का पहिया धंस जाने पर अर्जुन से उसका वध करवाना।
    - उन्होंने धर्म और अधर्म के बीच की लड़ाई में पांडवों की हरसंभव सहायता की।
    4. महत्वपूर्ण घटनाएँ:
    - भीष्म, द्रोणाचार्य, और कर्ण जैसे महायोद्धाओं के वध में कृष्ण की रणनीति और मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।
    - उन्होंने दुर्योधन की जांघ को भीम से तोड़ने के लिए प्रेरित किया, जिससे युद्ध का अंत हुआ।
    5. युद्ध के बाद:
    - युद्ध के बाद, कृष्ण ने पांडवों को सही मार्गदर्शन दिया और उन्हें धर्म के अनुसार शासन करने की सलाह दी।
    - उन्होंने युधिष्ठिर को शांतिपूर्ण और धर्मयुक्त शासन का महत्व समझाया।
    निष्कर्ष:
    कृष्ण पांडव युद्ध या दंग लीला महाभारत के महाकाव्य का एक अभिन्न हिस्सा है, जिसमें कृष्ण की भूमिका न केवल एक मार्गदर्शक और संरक्षक के रूप में बल्कि एक रणनीतिकार के रूप में भी प्रदर्शित होती है। उनकी शिक्षाएँ और नीतियाँ आज भी धर्म, नीति और जीवन के विभिन्न पहलुओं में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
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