पहाड़ी सगाई की रस्म || हमारे गढ़वाली रीति रिवाज़ || pahadi lifestyle

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  • čas přidán 19. 06. 2023
  • विवाह एक धार्मिक संस्कार है क्योंकि इसे संपन्न करने के लिए विशेष धार्मिक नियम, उपनियमों के तहत कुछ अनुष्ठान संपन्न करने होते हैं। इस संस्कार मे एक पुरुष और एक स्त्री अपने परिजनों व सर्व समाज के सामने एक साथ रह कर एक परिवार की स्थापना करने की सौगंध लेते हैं और जीवन पर्यंत उसे निभाते हैं। विवाह का प्रमुख उद्देश्य सामाजिक मर्यादाओं का अनुपालन करते हुए संतानोत्पति द्वारा वंश परम्परा को सतत् प्रवाहमान रखना तथा सामाजिक संरचना को अक्षुण्ण रखते हुए श्रृष्टि का निरंतर व सम्यक विस्तार करना है। इसके अतिरिक्त पितृ ऋण, ऋषि ऋण तथा देव ऋण से मुक्ति पाने हेतु भी विवाह एक आवश्यक संस्कार माना गया है, क्योंकि स्मृतियों और धर्म सूत्रों के अनुसार पत्नी के बिना किये गए धार्मिक अनुष्ठान निष्फल माने जाते हैं। भगवान् राम द्वारा सीताजी की अनुपस्थिति में उनकी स्वर्ण प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करने के पश्चात ही यज्ञानुष्ठान संपन्न हो पाया था।

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