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शीतला माता गुरुग्राम ! दर्शन करने मात्र से रोग नाश ! कभी कोई रोग होगा ही नही ! कुलदेवी

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  • čas přidán 30. 04. 2024
  • जय माता शीतला
    गुरुग्राम वाली
    सभी रोगो का नाश करने वाली माँ
    कुलदेवी माता शीतला
    देवी शक्ति का रूप है शीतला माता
    स्कंद पुराण में शीतला माता से जुड़ी एक पौराणिक कथा का वर्णन मिलता है, जिसमें बताया गया है कि शीतला देवी का जन्म ब्रह्माजी से हुआ था. शीतला माता को भगवान शिव की अर्धांगिनी शक्ति का ही स्वरूप माना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, देवलोक से देवी शीतला अपने हाथ में दाल के दाने लेकर भगवान शिव के पसीने से बने ज्वरासुर के साथ धरती लोक पर राजा विराट के राज्य में रहने आई थीं. लेकिन, राजा विराट ने देवी शीतला को राज्य में रहने से मना कर दिया.
    क्रोध से जलने लगी त्वचा
    राजा के इस व्यवहार से देवी शीतला क्रोधित हो गई. शीतला माता के क्रोध की अग्नि से राजा की प्रजा के लोगों की त्वचा पर लाल लाल दाने हो गए. लोगों की त्वचा गर्मी से जलने लगी थी. तब राजा विराट ने अपनी गलती पर माफी मांगी. इसके बाद राजा ने देवी शीतला को कच्चा दूध और ठंडी लस्सी का भोग लगाया, तब माता शीतला का क्रोध शांत हुआ. तब से माता देवी को ठंडे पकवानों का भोग लगाने की परंपरा चली आ रही है.
    अनूठा है माता का रूप
    स्कंद पुराण के अनुसार, देवी शीतला का रूप अनूठा है. देवी शीतला का वाहन गधा है. देवी शीतला अपने हाथ के कलश में शीतल पेय, दाल के दाने और रोगानुनाशक जल रखती हैं, तो दूसरे हाथ में झाड़ू और नीम के पत्ते रखती हैं. चौसठ रोगों के देवता, घेंटूकर्ण त्वचा रोग के देवता, हैज़े की देवी और ज्वारासुर ज्वर का दैत्य इनके साथी होते हैं. स्कंदपुराण के अनुसार, देवी शीतला के पूजा स्तोत्र शीतलाष्टक की रचना स्वयं भगवान शिव ने की थी.
    मन्नत होती है पूरी
    बता दें माता शीतला के इस मंदिर (sheetla mata mandir gurugram history) में हर साल शीतला अष्टमी के दिन भक्तों का तांता लगता है। हजारों की संख्या में भक्त दूर दराज के स्थान से माता के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के प्रांगड़ में कई साल पुराना एक बरगद का पेड़ है। मान्यता है कि यहां अपने मन्नत का धागा बांधने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माता बच्चों की संरक्षिका है, यहां स्त्रियां संतान प्राप्ति के लिए शीतला माता की पूजा करती हैं।
    गुड़गांव का शीतला माता मंदिर किसने बनवाया था
    कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले माता ने अपने परम भक्त सिंघा जाट को साक्षात दर्शन दिया था और मंदिर बनवाने के लिए कहा था। माता की इच्छानुसार चढ़ाने का आधा हिस्सा सिंघा को मिलता था। इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल हजारों साल पुराना है। आइए जानते हैं कैसे पहुंचें मंदिर।
    कैसे पहुंचे (how to reach sheetla mata mandir, gurugram)
    आपको बता दें इंदिरा गांधी नेशनल एयरपोर्ट, नई दिल्ली एयरपोर्ट से शीतला माता के मंदिर की दूरी करीब 16.8 किलोमीटर है,
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