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श्री विष्णु पुराण (तीसरा अंश) (भाग-1)
विष्णुपुराण अट्ठारह पुराणों में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा प्राचीन है। यह श्री पराशर ऋषि द्वारा प्रणीत है। इसके प्रतिपाद्य भगवान विष्णु हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं। इस पुराण में आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, सूर्य आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है।[1] भगवान विष्णु प्रधान होने के बाद भी यह पुराण विष्णु और शिव के अभिन्नता का प्रतिपादक है। विष्णु पुराण में मुख्य रूप से श्रीकृष्ण चरित्र का वर्णन है, यद्यपि संक्षेप में राम कथा का उल्लेख भी प्राप्त होता है।
अष्टादश महापुराणों में श्री विष्णुपुराण का स्थान बहुत ऊँचा है। इसमें अन्य विषयों के साथ भूगोल, ज्योतिष, कर्मकाण्ड, राजवंश और श्रीकृष्ण-चरित्र आदि कई प्रंसगों का बड़ा ही अनूठा और विशद वर्णन किया गया है। श्री विष्णु पुराण में भी इस ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, वर्ण व्यवस्था, आश्रम व्यवस्था, भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की सर्वव्यापकता, ध्रुव प्रह्लाद, वेनु, आदि राजाओं के वर्णन एवं उनकी जीवन गाथा, विकास की परम्परा, कृषि गोरक्षा आदि कार्यों का संचालन, भारत आदि नौ खण्ड मेदिनी, सप्त सागरों के वर्णन, अद्यः एवं अर्द्ध लोकों का वर्णन, चौदह विद्याओं, वैवस्वत मनु, इक्ष्वाकु, कश्यप, पुरुवंश, कुरुवंश, यदुवंश के वर्णन, कल्पान्त के महाप्रलय का वर्णन आदि विषयों का विस्तृत विवेचन किया गया है। भक्ति और ज्ञान की प्रशान्त धारा तो इसमें सर्वत्र ही प्रच्छन्न रूप से बह रही है।
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श्री विष्णु पुराण (दूसरा अंश) (शेष भाग)
zhlédnutí 7Před 28 dny
विष्णुपुराण अट्ठारह पुराणों में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा प्राचीन है। यह श्री पराशर ऋषि द्वारा प्रणीत है। इसके प्रतिपाद्य भगवान विष्णु हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं। इस पुराण में आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, सूर्य आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है।[1] भगवान विष्णु...
श्री विष्णु पुराण (दूसरा अंश) (भाग-1)
zhlédnutí 395Před měsícem
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श्री विष्णु पुराण (पहला अंश) (शेष भाग)
zhlédnutí 37Před měsícem
विष्णुपुराण अट्ठारह पुराणों में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा प्राचीन है। यह श्री पराशर ऋषि द्वारा प्रणीत है। इसके प्रतिपाद्य भगवान विष्णु हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं। इस पुराण में आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, सूर्य आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है।[1] भगवान विष्णु...
श्री विष्णु पुराण (पहला अंश) (भाग-1)
zhlédnutí 156Před měsícem
विष्णुपुराण अट्ठारह पुराणों में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा प्राचीन है। यह श्री पराशर ऋषि द्वारा प्रणीत है। इसके प्रतिपाद्य भगवान विष्णु हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं। इस पुराण में आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, सूर्य आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है।[1] भगवान विष्णु...
रवि प्रदोष व्रत कथा
zhlédnutí 23Před 2 měsíci
ॐ नमः शिवाय प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है।प्रदोष व्रत को मंगलकारी एवं शिव की कृपा दिलाने वाला माना गया है।यह सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करता है।प्रदोष व्रत मनुष्य को संतोषी व सुखी बनाता है। वार के अनुसार जो प्रदोष व्रत किया जाता है, वैसे ही उसका फल प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत करने वाले को सौ गाय दान करने का फल प्राप्त होता है तथा यह सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करता ...
शनि प्रदोष व्रत कथा
zhlédnutí 20Před 2 měsíci
ॐ नमः शिवाय प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है।प्रदोष व्रत को मंगलकारी एवं शिव की कृपा दिलाने वाला माना गया है।यह सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करता है।प्रदोष व्रत मनुष्य को संतोषी व सुखी बनाता है। वार के अनुसार जो प्रदोष व्रत किया जाता है, वैसे ही उसका फल प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत करने वाले को सौ गाय दान करने का फल प्राप्त होता है तथा यह सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करता ...
शुक्र प्रदोष व्रत कथा
zhlédnutí 16Před 2 měsíci
ॐ नमः शिवाय प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है।प्रदोष व्रत को मंगलकारी एवं शिव की कृपा दिलाने वाला माना गया है।यह सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करता है।प्रदोष व्रत मनुष्य को संतोषी व सुखी बनाता है। वार के अनुसार जो प्रदोष व्रत किया जाता है, वैसे ही उसका फल प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत करने वाले को सौ गाय दान करने का फल प्राप्त होता है तथा यह सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करता ...
गुरु प्रदोष व्रत कथा
zhlédnutí 73Před 2 měsíci
ॐ नमः शिवाय प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है।प्रदोष व्रत को मंगलकारी एवं शिव की कृपा दिलाने वाला माना गया है।यह सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करता है।प्रदोष व्रत मनुष्य को संतोषी व सुखी बनाता है। वार के अनुसार जो प्रदोष व्रत किया जाता है, वैसे ही उसका फल प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत करने वाले को सौ गाय दान करने का फल प्राप्त होता है तथा यह सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करता ...
बुध प्रदोष व्रत कथा
zhlédnutí 20Před 2 měsíci
ॐ नमः शिवाय प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है।प्रदोष व्रत को मंगलकारी एवं शिव की कृपा दिलाने वाला माना गया है।यह सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करता है।प्रदोष व्रत मनुष्य को संतोषी व सुखी बनाता है। वार के अनुसार जो प्रदोष व्रत किया जाता है, वैसे ही उसका फल प्राप्त होता है।
भौम (मंगलवार) प्रदोष व्रत कथा
zhlédnutí 16Před 2 měsíci
ॐ नमः शिवाय प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। प्रदोष व्रत की तिथि जब मंगलवार को आती है, तब उसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।
सौम्य प्रदोष व्रत कथा
zhlédnutí 8Před 2 měsíci
ॐ नमः शिवाय प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। प्रदोष का दिन जब सोमवार को आता है तो उसे सौम्य प्रदोष कहते हैं। सौम्य प्रदोष व्रत करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।यह सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करता है।प्रदोष व्रत मनुष्य को संतोषी व सुखी बनाता है। वार के अनुसार जो प्रदोष व्रत किया जाता है, वैसे ही उसका फल प्राप्त होता है। सूत जी ...
महाशिवरात्री का महातम्य
zhlédnutí 103Před 2 měsíci
# महाशिवरात्री # शिवरात्री सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है। तभी तो भगवान आशुतोष को सत्यम शिवम सुन्दरम कहा जाता है। भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने का ही महापर्व है- महाशिवरात्रि- जिसे हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह पर्व हर साल शिव भक्तों द्व...
कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष का विवरण
zhlédnutí 42Před 2 měsíci
हिन्दू पंचांग के अनुसार महीनों की गणना सूर्य और चंद्र की गति के आधार पर की जाती है। हिंदू पंचांग में पर्व त्योहार की तिथि और मुहूर्त आदि इसी आधार पर मालूम किए जाते हैं। चन्द्रमा की कलाओं के ज्यादा या कम होने के अनुसार ही हर महीने को कृष्ण और शुक्ल पक्ष के आधार पर दो भागों में बांटा गया है। शुक्ल पक्ष अमावस्या से शुरू होता है और पूर्णिमा पर समाप्त होता है अमावस्या की अगली रात से चन्द्रमा धीरे धी...
हिंदू पंचांग
zhlédnutí 30Před 2 měsíci
हिंदू कैलेण्डर जिसे पंचांग भी कहा जाता है, उसके अनुसार महीनों की गणना सूर्य और चंद्र की गति के आधार पर की जाती है। हिंदी कैलेंडर में चैत्र साल का पहला और फाल्गुन साल का आखिरी महीना होता है। आइए जानते हैं इंग्लिश कैलेंडर के हिसाब से हमारे हिंदू कैलेंडर के 12 महीनों का विवरण।
गरुड़ पुराण - सारोद्धार ( शेष-भाग )
zhlédnutí 45Před 3 měsíci
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गरुड़ पुराण - सारोद्धार ( प्रथम भाग )
zhlédnutí 234Před 3 měsíci
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Basant Panchmi in english
zhlédnutí 20Před 3 měsíci
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बसंत पंचमी की कथा
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श्री मार्कण्डेय महापुराण Part 14
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श्री मार्कण्डेय महापुराण Part 12
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श्री मार्कण्डेय महापुराण Part 11
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